उत्तर प्रदेश Switch to English
UP ने नए विश्वविद्यालयों और रोज़गारों को मंज़ूरी दी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण नीतियों एवं पहलों को स्वीकृति दी है।
मुख्य बिंदु
- नीति अनुमोदन:
- शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये कैबिनेट द्वारा 'उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति, 2024' को मंज़ूरी दी गई ।
- इसमें निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
- स्टाम्प ड्यूटी में छूट
- पूंजीगत सब्सिडी
- प्रायोजक निकायों के लिये विशेष प्रोत्साहन
- शीर्ष 50 रैंक वाले विश्वविद्यालयों के लिये अतिरिक्त लाभ
- नये निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना:
- दो नये निजी विश्वविद्यालयों को मंज़ूरी दी गई:
- राजीव मेमोरियल एकेडमिक वेलफेयर सोसाइटी द्वारा मथुरा में के.डी. विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी ।
- विद्या बाल मंडली द्वारा मेरठ में 42.755 एकड़ परिसर में विद्या विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी ।
- दो नये निजी विश्वविद्यालयों को मंज़ूरी दी गई:
- उच्च शिक्षा पर प्रभाव:
- इसका उद्देश्य स्थानीय उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग को पूर्ण करने के लिये निजी निवेश को बढ़ाना है।
- उत्तर प्रदेश में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुँच प्रदान करता है।
- इससे युवाओं के लिये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के रोज़गार के अवसर उत्पन्न होने की आशा है।
- स्वरोज़गार योजना:
- स्वरोज़गार को बढ़ावा देने के लिये नई योजना शुरू की गई:
- सूक्ष्म उद्यमों और सेवा क्षेत्र में परियोजनाओं के लिये 5 लाख रूपए तक के ऋण पर सब्सिडी ।
- 10 वर्षों में 10 लाख सूक्ष्म इकाइयाँ स्थापित करने का लक्ष्य।
- प्रतिवर्ष 1 लाख शिक्षित एवं प्रशिक्षित युवाओं को सहायता।
- पात्रता और फोकस/केंद्र:
- आवेदकों के लिये आवश्यक है कि उन्होंने कम से कम आठवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की हो।
- इंटरमीडिएट स्तर की शिक्षा वालों को प्राथमिकता।
- इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोज़गार को बढ़ावा देना है।
- स्वरोज़गार को बढ़ावा देने के लिये नई योजना शुरू की गई:
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश का लक्ष्य 'गरीबी शून्य' करना
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक वर्ष के भीतर उत्तर प्रदेश को शून्य गरीबी प्राप्त करने वाला भारत का पहला राज्य बनाने के लिये एक अभियान की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- अभियान का उद्देश्य:
- प्रत्येक ग्राम पंचायत में सबसे गरीब परिवारों की पहचान करना और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के लिये सहायता प्रदान करना।
- परिवारों को निम्नलिखित मामलों में सहायता मिलेगी:
- भोजन और वस्त्र
- गुणवत्ता की शिक्षा
- स्वास्थ्य सेवाएँ
- आवास सुविधाएँ
- स्थिर आय स्रोत
- परिवार पहचान प्रक्रिया:
- त्रिस्तरीय पारदर्शी चयन पद्धति का उपयोग करते हुए प्रति ग्राम पंचायत सबसे गरीब 10-25 परिवारों को लक्ष्य करना :
- स्तर 1: बेघरता, भूमिहीनता, दैनिक मज़दूरी पर निर्भरता और संसाधनों की कमी जैसे मानदंडों के आधार पर 'मॉप-अप' मोबाइल ऐप के माध्यम से पहचान।
- स्तर 2: पाँच सदस्यों (ग्राम प्रधान, पूर्व ग्राम प्रधान, स्थानीय स्कूल प्रधानाध्यापक और स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधि) वाली ग्राम स्तरीय समिति का गठन।
- स्तर 3: समिति की सिफारिशों के बाद परिवारों को डिजिटल प्रणाली के माध्यम से स्वचालित भेद्यता रेटिंग प्राप्त होती है।
- त्रिस्तरीय पारदर्शी चयन पद्धति का उपयोग करते हुए प्रति ग्राम पंचायत सबसे गरीब 10-25 परिवारों को लक्ष्य करना :
- सरकारी योजनाओं का लाभ:
- पात्र परिवारों को विभिन्न सरकारी योजनाओं तक पहुँच प्राप्त होगी, जिनमें शामिल हैं:
- खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग से राशन कार्ड एवं खाद्य आपूर्ति।
- प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी आवास योजनाओं के अंतर्गत लाभ।
- शैक्षिक सहायता जैसे स्कूल में प्रवेश और यूनिफॉर्म।
- आयुष्मान भारत बीमा और अन्य स्वास्थ्य पहलों के माध्यम से चिकित्सा सुविधाएं।
- श्रम विभाग, मनरेगा (MNREGA), राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं अन्य योजनाओं के साथ एकीकरण।
- कौशल विकास पहल और रोज़गार लाभ तक पहुँच।
- पहचाने गए परिवारों के लिये अनुकूलित सतत् आय योजनाएँ विकसित करने के लिये शैक्षिक संस्थानों के साथ सहयोग करना।
- जीरो पॉवर्टी पोर्टल (ZeroPoverty.in) को कुशल डेटा प्रबंधन और राशन कार्ड की आवश्यकता वाले परिवारों के लिये सहायता हेतु फैमिली ID पोर्टल के साथ एकीकृत किया जाएगा ।
- पात्र परिवारों को विभिन्न सरकारी योजनाओं तक पहुँच प्राप्त होगी, जिनमें शामिल हैं:
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश ने सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये महत्त्वपूर्ण सौर ऊर्जा परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है।
मुख्य बिंदु
- सौर पार्कों की स्वीकृति:
- नई ऊर्जा नीति के तहत बुंदेलखंड में सोलर पार्कों के विकास को मंज़ूरी ।
- दो प्रमुख सौर परियोजनाएँ 1,500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में विस्तारित होंगी।
- इसकी अपेक्षित क्षमता 450 मेगावाट है, जो इसे भारत के सबसे बड़े सौर पार्कों में से एक बनाती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य:
- वर्ष 2026-2027 तक उत्तर प्रदेश के सौर ऊर्जा उत्पादन को 22,000 मेगावाट तक पहुँचाने के लक्ष्य में योगदान देता है ।
- वर्तमान सौर क्षमता:
- अगस्त 2024 तक, उत्तर प्रदेश सरकार ने कुल 3,280.15 मेगावाट सौर PV क्षमता स्थापित की है, जिसमें शामिल हैं:
- उपयोगिता-स्तरीय परियोजनाओं से लगभग 2,965.12 मेगावाट।
- छतों पर सौर ऊर्जा (Solar Rooftop) स्थापित करने से 260 मेगावाट से अधिक।
- ऑफ-ग्रिड सौर और कुसुम परियोजनाओं से लगभग 315 मेगावाट (नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के आँकड़ों के अनुसार)।
- अगस्त 2024 तक, उत्तर प्रदेश सरकार ने कुल 3,280.15 मेगावाट सौर PV क्षमता स्थापित की है, जिसमें शामिल हैं:
उत्तराखंड Switch to English
रोज़गार वृद्धि में उत्तराखंड अग्रणी
चर्चा में क्यों?
नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey- PLFS), 2023-24 रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड सरकार ने बेरोज़गारी कम करने में काफी प्रगति की है।
प्रमुख बिंदु
- बेरोज़गारी दर में गिरावट:
- समग्र बेरोज़गारी 4.5% से घटकर 4.3% हो गयी।
- सबसे उल्लेखनीय कमी 15-29 आयु वर्ग में हुई, जो 14.2% से घटकर 9.8% हो गई।
- श्रमिक जनसंख्या अनुपात में सुधार:
- वर्ष 2022-23 की तुलना में वर्ष 2023-24 में सभी आयु समूहों में श्रमिक जनसंख्या अनुपात में वृद्धि होगी।
- 15-29 वर्ष की आयु के लिये: 27.5% से बढ़कर 44.2% हो गया।
- 15-59 वर्ष की आयु के लिये: 57.2% से बढ़कर 61.2% हो गया।
- 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लिये: 53.5% से बढ़ाकर 58.1% हो गया।
- युवा श्रम बल भागीदारी:
- युवाओं (15-29 वर्ष) की श्रम शक्ति में भागीदारी 43.7% से बढ़कर 49% हो गई।
- 15-59 आयु वर्ग के लिये श्रम बल भागीदारी 60.1% से बढ़कर 64.4% हो गई।
- 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में यह वृद्धि 56% से बढ़कर 60.7% हो गई।
- राष्ट्रीय औसत से आगे निकलना:
- उत्तराखंड की 15-29 आयु वर्ग की श्रमिक जनसंख्या का औसत 49% है, जबकि राष्ट्रीय औसत 46.5% है।
- 15-59 वर्ष की आयु के लिये, राज्य में यह दर 64.4% है (राष्ट्रीय औसत : 64.3%)।
- 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लिये, उत्तराखंड में यह दर 60.7% है (राष्ट्रीय औसत: 60.1% )।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण रिपोर्ट (Periodic Labour Force Survey Report- PLFS)
- परिचय: यह भारत में रोज़गार और बेरोज़गारी की स्थिति को मापने के लिये सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत NSO द्वारा आयोजित किया जाता है ।
- इसे राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Office- NSSO) द्वारा पहले किये गए श्रम बल सर्वेक्षणों की सीमाओं को दूर करने के लिये विकसित किया गया था ।
- PLFS के दो प्राथमिक उद्देश्य: इसे रोज़गार और बेरोज़गारी को मापने के दो प्रमुख उद्देश्यों के साथ तैयार किया गया था:
- पहला उद्देश्य: वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (Current Weekly Status- CWS) दृष्टिकोण का उपयोग करके शहरी क्षेत्रों के लिये लघु अंतराल (प्रत्येक तीन माह) पर श्रम बल भागीदारी और रोज़गार की स्थिति की गतिशीलता को मापना।
- दूसरा उद्देश्य: सामान्य स्थिति और CWS मापदंडों का उपयोग करके ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिये श्रम बल अनुमानों को मापना।
- नमूना डिजाइन और डेटा संग्रह में नवाचार: NSSO द्वारा आयोजित पिछले पंचवर्षीय सर्वेक्षणों की तुलना में PLFS ने नमूना डिजाइन और जाँच की अनुसूची की संरचना में परिवर्तन किये।
- PLFS में अतिरिक्त डेटा भी शामिल था, जैसे कि काम किये गए घंटों की संख्या, जिसे NSSO के पहले पंचवार्षिक दौर में एकत्र नहीं किया गया था।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने 1822 की क्रांति के शहीदों को किया सम्मानित
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने 200वें बलिदान दिवस के अवसर पर 1822-24 के कुंजा बहादुरपुर, रुड़की क्रांति के शहीदों को याद किया।
प्रमुख बिंदु
- शहीदों को श्रद्धांजलि:
- मुख्यमंत्री ने 1822-24 कुंजा बहादुरपुर क्रांति के 152 शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की ।
- 1822-24 की क्रांति एक ऐतिहासिक घटना को संदर्भित करती है, जिसमें लोगों ने स्वतंत्रता और न्याय की मांग करते हुए भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
- राजा विजय सिंह और सेनापति कल्याण सिंह जैसी प्रमुख हस्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
- इस कार्यक्रम के दौरान 1822-24 के शहीदों पर एक पुस्तक का विमोचन किया गया।
- मुख्यमंत्री ने बलिदानी स्थल को राष्ट्रीय स्मारक बनाने के प्रयासों की घोषणा की।
- शहीदों की विरासत को बढ़ावा देने के लिये शहीद राजा विजय सिंह स्मारक और कन्या शिक्षा प्रसार समिति के कार्यों की सराहना की।
- राष्ट्रीय नेताओं को याद करते हुए:
- इससे पहले, धामी ने महात्मा गांधी को उनकी 155वीं जयंती और लाल बहादुर शास्त्री को उनकी 120वीं जयंती पर सम्मानित किया।
- उन्होंने गांधीजी के सत्य और अहिंसा के मार्गदर्शक सिद्धांतों के स्थायी प्रभाव पर प्रकाश डाला।
- राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखण:
- स्वच्छ, स्वस्थ और समृद्ध भारत के लिये गांधीजी के दृष्टिकोण के अनुरूप, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में राष्ट्रीय प्रयासों पर प्रकाश डाला गया।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश के नए मुख्य सचिव
चर्चा में क्यों?
वरिष्ठ IAS अधिकारी अनुराग जैन को मध्य प्रदेश का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है ।
प्रमुख बिंदु
- नियुक्ति:
- अनुराग जैन को मध्य प्रदेश का 35वाँ मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है।
- वह 1989 बैच के वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं ।
- वह प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे।
- इस नियुक्ति से पहले जैन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में सचिव के पद पर कार्यरत थे ।
- उनके उत्कृष्ट कार्य के लिये उन्हें वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मुख्य सचिव
- मुख्य सचिव राज्य सरकार में सर्वोच्च पद का सिविल सेवक होता है, जो समग्र प्रशासन और सरकारी कार्यों के समन्वय के लिये ज़िम्मेदार होता है।
- नियुक्ति: मुख्य सचिव का चयन मुख्यमंत्री करते हैं, जो आमतौर पर एक IAS अधिकारी होता है। मुख्यमंत्री केंद्र सरकार, मंत्रिमंडलीय सहयोगियों या कैबिनेट से परामर्श कर सकते हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।
- भूमिका और ज़िम्मेदारियाँ:
- प्रशासनिक प्रमुख: मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहकार के रूप में कार्य करता है और राज्य सरकार के प्रशासन की देखरेख करता है।
- समन्वय: राज्य सरकार के भीतर विभिन्न विभागों और एजेंसियों के बीच समन्वय सुनिश्चित करता है।
- नीति कार्यान्वयन: राज्य स्तर पर सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार।
- संपर्क: राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच संपर्क का कार्य करता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश ने हीटवेव को आपदा की श्रेणी में रखा
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश सरकार ने हीटवेव को प्राकृतिक आपदाओं के रूप में वर्गीकृत किया है, जिससे पीड़ितों को मुआवज़ा दिया जा सके
प्रमुख बिंदु
- वित्तीय सहायता:
- हीटवेव के कारण मृत्यु का शिकार होने वाले व्यक्तियों को बाढ़ और भूकंप जैसी अन्य प्राकृतिक आपदाओं के लिये दिये जाने वाले मुआवज़े के समान मुआवजा मिलेगा।
- विधिक ढाँचा:
- केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद, मध्य प्रदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत हीटवेव को आधिकारिक तौर पर स्थानीय आपदा के रूप में अधिसूचित किया गया है।
- यह विनियमन वर्ष 2025 की गर्मियों में प्रभावी होगा।
- प्रभावितों की संख्या और स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- उत्तर भारत में हाल ही में हीटवेव के कारण 114 लोगों की मृत्यु हो गई तथा 1 मार्च से 19 जून, 2024 तक 40,000 से अधिक संदिग्ध हीटस्ट्रोक के मामले सामने आए।
- हीटस्ट्रोक से सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश (37), बिहार (17), राजस्थान (16) और ओडिशा (13) में दर्ज की गईं।
- हीटवेव की प्रकृति:
- हीटवेव की विशेषता अत्यधिक उच्च तापमान और उच्च आर्द्रता है, जो आमतौर पर अप्रैल से जून तक होती है।
- इनसे गंभीर स्वास्थ्य ज़ोखिम उत्पन्न होते हैं, जिनमें हीटस्ट्रोक और निर्जलीकरण शामिल हैं, तथा कृषि, जलापूर्ति और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
हीटवेव
- परिचय:
- हीटवेव अत्यधिक गर्म मौसम की दीर्घावधि है जो मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
- भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है, इसलिये यहाँ हीटवेव का विशेष रूप से खतरा रहता है, जो हाल के वर्षों में अधिक तीव्र हो गई हैं।
- भारत में हीट वेव घोषित करने के मानदंड:
- मैदानी और पहाड़ी क्षेत्र:
- यदि किसी स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी क्षेत्रों के लिये कम से कम 40°C या उससे अधिक तथा पहाड़ी क्षेत्रों के लिये कम से कम 30°C या उससे अधिक हो जाए तो उसे हीटवेव माना जाता है।
- सामान्य हीटवेव से विचलन के आधार पर: सामान्य से विचलन 4.50°C से 6.40°C है।
- गंभीर हीटवेव: सामान्य से विचलन > 6.40°C है।
- वास्तविक अधिकतम तापमान के आधार पर हीटवेव: जब वास्तविक अधिकतम तापमान ≥45°C हो।
- गंभीर हीटवेव: जब वास्तविक अधिकतम तापमान ≥47°C हो।
- यदि किसी मौसम विज्ञान उपविभाग में कम से कम 2 स्टेशनों में उपर्युक्त मानदंड कम से कम दो लगातार दिनों तक पूरे होते हैं, तो दूसरे दिन इसकी घोषणा कर दी जाती है।
- मैदानी और पहाड़ी क्षेत्र:
- तटीय क्षेत्र:
- जब अधिकतम तापमान सामान्य से 4.50°C या अधिक हो, तो उसे हीटवेव कहा जा सकता है, बशर्ते वास्तविक अधिकतम तापमान 37°C या अधिक हो।
छत्तीसगढ़ Switch to English
केंद्र ने छत्तीसगढ़ की सड़कों के लिये 11,000 करोड़ रुपए आवंटित किये
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने छत्तीसगढ़ में सड़क अवसंरचना के विकास हेतु 11,000 करोड़ रुपए मंज़ूर किये।
मुख्य बिंदु
- परियोजना विवरण:
- यह धनराशि चार प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और विकास में सहायता करेगी।
- अनुमोदित परियोजनाओं की कुल लंबाई 236.1 किमी. है ।
- स्वीकृत प्रमुख परियोजनाएँ:
- उरगा-कटघोरा बाईपास (NH-149 B)
- बसना से सारंगढ़ फीडर मार्ग
- सारंगढ़ से रायगढ़ फीडर मार्ग
- रायपुर-लखनादौन आर्थिक गलियारा
- अन्य अनुमोदन:
- केंद्रीय सड़क निधि (CRF) के तहत 908 करोड़ रुपए की आठ परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई।
- केशकाल घाट और धमतरी-जगदलपुर मार्ग के फोरलेन चौड़ीकरण को मंज़ूरी।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अंतर्गत रायपुर-विशाखापत्तनम मार्ग और बिलासपुर-उरगा-पत्थलगांव मार्ग का निर्माण कार्य निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिये गए।
केंद्रीय सड़क निधि
- केंद्रीय सड़क निधि (CRF) केंद्रीय सड़क निधि अधिनियम, 2000 के तहत बनाई गई एक गैर-समाप्ति योग्य निधि है ।
- इसकी प्राप्ति केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल की खपत पर लगाए गए उपकर/कर से की जाती है ।
- CRF का उपयोग राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य सड़कों (जिनका अंतर-राज्यीय संपर्क के साथ आर्थिक महत्व है), ग्रामीण सड़कों, रेलवे अंडर/ओवर ब्रिज आदि और राष्ट्रीय जलमार्गों (केवल वर्ष 2017 के बाद के जलमार्ग) के विकास और रखरखाव के लिये किया जाना चाहिये।
- 2018-19 के केंद्रीय बजट में प्रस्तुत किये गए संशोधनों के माध्यम से CRF को केंद्रीय सड़क और बुनियादी ढाँचा निधि (CRIF) से प्रतिस्थापित किया गया ।
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