भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत के ऊर्जा क्षेत्र में रूफटॉप सोलर
- 29 Jun 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत का रूफटॉप सोलर (RTS), भारत का ऊर्जा क्षेत्र, फोटोवोल्टिक पैनल, ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद (CEEW), नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE), जीवाश्म ईंधन एवं ऊर्जा आयात, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य। मेन्स के लिये:भारत के ऊर्जा क्षेत्र में रूफटॉप सौर ऊर्जा का महत्त्व। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
मार्च 2024 तक भारत की कुल स्थापित रूफटॉप सोलर (RTS) क्षमता 11.87 गीगावाट (GW) थी, जिसमें वर्ष 2023-2024 के दौरान स्थापित क्षमता में 2.99 GW की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। यह भारत के ऊर्जा क्षेत्र में RTS की पर्याप्त परिवर्तनकारी क्षमता का परिचायक है।
रूफटॉप सोलर कार्यक्रम:
- परिचय:
- सरकार ने रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन को बढ़ावा देने के क्रम में वर्ष 2014 में रूफटॉप सोलर कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
- इसका लक्ष्य वर्ष 2022 तक 40 गीगावॉट की स्थापित क्षमता (वर्ष 2030 तक के 100 गीगावॉट में से) प्राप्त करना था, लेकिन वर्ष 2022 तक यह लक्ष्य पूरा न होने के कारण इसकी समय-सीमा को बढ़ाकर वर्ष 2026 तक कर दिया गया।
- रूफटॉप सोलर पैनल का आशय किसी इमारत की छत पर लगाए गए फोटोवोल्टिक पैनल से है जो विद्युत आपूर्ति की मुख्य इकाई से जुड़े होते हैं।
- उद्देश्य:
- आवासीय भवनों में ग्रिड से जुड़ी सोलर रूफटॉप प्रणाली को बढ़ावा देना।
- ऐतिहासिक संदर्भ:
- यह कार्यक्रम वर्ष 2010 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के एक भाग के रूप में शुरू किया गया था।
- रूफटॉप सोलर के तहत प्रमुख पहल:
- SUPRABHA (सस्टेनेबल पार्टनरशिप फॉर RTS ऐक्सेलरेशन इन भारत)।
- SRISTI (सस्टेनेबल रूफटॉप इम्प्लिमेंटेशन फॉर सोलर ट्रांस्फिग्यूरेशन ऑफ इंडिया)।
- कार्यान्वयन एवं राज्यवार प्रदर्शन:
- केंद्रीय स्तर पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा संचालित होने के साथ राज्य नोडल एजेंसियों एवं विद्युत वितरण कंपनियों के माध्यम से इसका निष्पादन होता है।
- शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता राज्य: गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान।
- मध्यम प्रदर्शनकर्त्ता राज्य: केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक।
- अंडर-परफॉर्मर: उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड।
- केंद्रीय स्तर पर नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा संचालित होने के साथ राज्य नोडल एजेंसियों एवं विद्युत वितरण कंपनियों के माध्यम से इसका निष्पादन होता है।
रूफटॉप सोलर कार्यक्रम का महत्त्व:
- ऊर्जा उत्पादन का विकेंद्रीकरण : इससे केंद्रीकृत विद्युत ग्रिड पर निर्भरता कम होने एवं लक्षित भवनों में सौर पैनल लगाने से ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है।
- आर्थिक लाभ: इससे उपभोक्ताओं की विद्युत ऊर्जा खपत में कमी आने के साथ सौर उद्योग में रोज़गार का सृजन होता है जिससे महँगे ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड की आवश्यकता कम होती है।
- ऊर्जा स्वतंत्रता: यह उपभोक्ताओं को उत्पादक तथा उपभोक्ता बनाकर जीवाश्म ईंधन एवं ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम करता है।
- ग्रामीण विद्युतीकरण एवं ऊर्जा विविधीकरण: इससे मुख्य ग्रिड से दूरदराज़ के क्षेत्रों को विद्युत की सुविधा मिलती है, जिससे वंचित समुदायों की जीवन गुणवत्ता में सुधार होने के साथ अधिक विविध ऊर्जा स्रोत मिलता है।
- सतत् विकास: यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDG 7) के साथ संरेखित होने के साथ अक्षय ऊर्जा एवं जलवायु कार्रवाई हेतु भारत की प्रतिबद्धता का समर्थन करता है।
भारत की मौजूदा सौर क्षमता की क्या स्थिति है?
- भारत की रूफटॉप सौर क्षमता:
- मार्च 2024 तक भारत में संस्थापित रूफटॉप सोलर पैनल की कुल क्षमता लगभग 11.87 गीगावाट है, जिसमें गुजरात पहले स्थान पर है और उसके बाद महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है।
- भारत की कुल RTS क्षमता लगभग 796 गीगावाट है।
- ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (Council on Energy, Environment and Water- CEEW) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार कुल रूफटॉप सोलर पैनल की मात्र 20% संस्थापनाएँ आवासीय क्षेत्र में की गई हैं तथा अधिकांश रूफटॉप सोलर पैनल वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों में हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार भारत के 25 करोड़ घर छतों पर कुल 637 गीगावॉट की क्षमता की सोलर पैनल स्थापित कर सकते हैं जो संभावित रूप से देश के आवासीय विद्युत ऊर्जा की मांग के एक तिहाई भाग की आपूर्ति कर सकती है।
- मार्च 2024 तक भारत में संस्थापित रूफटॉप सोलर पैनल की कुल क्षमता लगभग 11.87 गीगावाट है, जिसमें गुजरात पहले स्थान पर है और उसके बाद महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है।
- कुल संस्थापित क्षमता:
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2023 तक भारत में छतों पर स्थापित सोलर पैनल की क्षमता लगभग 73.31 गीगावॉट तक पहुँच गई है। कुल सौर क्षमता के मामले में राजस्थान 18.7 गीगावॉट के साथ शीर्ष पर है। गुजरात 10.5 गीगावॉट के साथ दूसरे स्थान पर है।
नोट
- भारत का पहला सौर ऊर्जा संचालित गाँव मोढेरा गुजरात में स्थित है और यहाँ 1 किलोवाट की 1,300 RTS सोलर पैनल हैं।
प्रधानमंत्री-सूर्य घर मुफ्त बिजली ऊर्जा योजना क्या है?
- परिचय:
- प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना एक ऐसी योजना है, जिसका उद्देश्य 1 करोड़ घरों में RTS सिस्टम उपलब्ध कराना है।
- इस पहल के तहत आने वाले घरों को प्रत्येक माह 300 यूनिट बिजली निशुल्क मिल सकती है।
- यह योजना 3 किलोवाट क्षमता तक की प्रणाली वाले आवासीय उपभोक्ताओं को लक्षित करती है, जो भारत के अधिकांश घरों को कवर करती है।
- पंजीकरण और स्थापना:
- स्थापना के लिये, इच्छुक निवासियों को राष्ट्रीय रूफटॉप सोलर पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा और उपलब्ध सूची में से एक विक्रेता का चयन करना होगा।
- पात्रता के लिये वैध विद्युत कनेक्शन और सौर पैनलों के लिये किसी पूर्व सब्सिडी का प्राप्त न होना आवश्यक है।
- वित्तीय व्यवस्था:
- इस योजना को 75,021 करोड़ रुपए के केंद्रीय आवंटन से वित्तपोषित किया गया है, जिसे मुख्य रूप से उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष सब्सिडी के रूप में वितरित किया जाता है।
- इसमें नवीकरणीय ऊर्जा सेवा कंपनी मॉडल में भुगतान सुरक्षा के प्रावधान शामिल हैं, यह अभिनव परियोजनाओं का समर्थन करता है।
- प्रमुख लाभ:
- इसमें मुफ्त बिज़ली, कम बिज़ली बिल, तीन से सात वर्ष तक की भुगतान अवधि, सरकार के लिये कम लागत, नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में वृद्धि और कार्बन उत्सर्जन में कमी शामिल है।
सौर ऊर्जा का उपयोग करने के लिये सरकार की अन्य पहल क्या हैं?
- नवीकरणीय ऊर्जा में FDI: नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक FDI की अनुमति।
- एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड
- प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (SAUBHAGYA)
- हरित ऊर्जा कॉरिडोर (GEC)
- राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन (NSGM) और स्मार्ट मीटर राष्ट्रीय कार्यक्रम
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)
- राष्ट्रीय सौर मिशन
- सौर पार्क योजना
- किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM)
RTS से संबंधित विभिन्न चुनौतियाँ और आगे की राह क्या हैं?
चुनौतियाँ |
आगे की राह |
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. रूफटॉप सौर ऊर्जा स्थापना से जुड़ी प्राथमिक चुनौतियाँ क्या हैं और उन्हें दूर करने के लिये क्या किया जाना चाहिये? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न. वहनीय (अफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य हैं। भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018) |