अर्थव्यवस्था: 10 वर्षों में भारत 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से बढ़कर विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। सरकार भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिये प्रयासरत है।
उद्योग: सेमीकंडक्टर से लेकर लड़ाकू जेट और विमानवाहक पोत तक के उभरते क्षेत्रों को मिशन मोड में बढ़ावा दिया जा रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र मेड-इन-इंडिया चिप्स (Made-in-India Chips) का केंद्र बनेगा।
रक्षा: पिछले वर्ष रक्षा खरीद का लगभग 70% हिस्सा भारतीय निर्माताओं से लिया गया। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारे विकसित किये जा रहे हैं।
बुनियादी ढाँचा और परिवहन: उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्रों में बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिये व्यवहार्यता अध्ययन किया जाएगा। सरकार लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने हेतु निरंतर प्रयास कर रही है।
शहरी एवं ग्रामीण विकास:प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत तीन करोड़ घरों के निर्माण को मंज़ूरी दी गई है।
गृह मंत्रालय:सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 को चरणबद्ध तरीके से पूर्वोत्तर के अशांत क्षेत्रों से हटाया जा रहा है।
उत्पादन पट्टा उस क्षेत्र हेतु दिया जा सकता है जिसके लिये:
कम-से-कम सामान्य अन्वेषण पूरा हो गया है
एक भू-वैज्ञानिक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की गई है।
समग्र लाइसेंस के लिये क्षेत्रों की पहचान:
समग्र लाइसेंस उस क्षेत्र हेतु दिया जा सकता है जिसके लिये:
कम-से-कम सर्वेक्षण पूरा हो चुका है या मौजूदा भूविज्ञान डेटा के आधार पर खनिज ब्लॉक की खनिज क्षमता की पहचान कर ली गई है, लेकिन संसाधनों का पता लगाना अभी बाकी है।
एक भूवैज्ञानिक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की गई है।
समग्र लाइसेंस के लिये किसी क्षेत्र को अधिसूचित करने हेतु आवेदन:
उपरोक्त उल्लिखित मानदंडों के आधार पर केंद्र सरकार समग्र लाइसेंस प्रदान करने के लिये क्षेत्रों को अधिसूचित करेगी।
कोई भी इच्छुक व्यक्ति समग्र लाइसेंस प्रदान करने के लिये किसी क्षेत्र को अधिसूचित करने हेतु सरकार को प्रस्ताव भी प्रस्तुत कर सकता है।
अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन लाइसेंस प्रदान करने हेतु नए नियम अधिसूचित
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (Central Electricity Regulatory Commission- CERC) ने CERC (ट्रांसमिशन लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया, नियम और शर्तें तथा अन्य संबंधित मामले) विनियम, 2024 अधिसूचित कर दिये हैं।
यह विधेयक अंतर-राज्यीय विद्युत पारेषण के लिये लाइसेंस प्रदान करने और प्रशासन हेतु रूपरेखा प्रदान करता है।
2024 विनियमों के अंतर्गत प्रमुख परिवर्तन निम्नलिखित हैं:
कुछ प्रयोजनों के लिये छूट:
वितरण लाइसेंसधारियों और थोक उपभोक्ताओं को अपनी प्रणालियों को अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली से जोड़ने वाली पारेषण लाइनों को विकसित करने तथा संचालित करने के लिये लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।
थोक उपभोक्ता से तात्पर्य उन उपभोक्ताओं से है, जो 33 KV या उससे अधिक वोल्टेज पर आपूर्ति प्राप्त करते हैं।
मौजूदा लाइसेंस के तहत अतिरिक्त कार्यों के लिये प्राधिकरण:
इसमें ऐसे अतिरिक्त कार्यों को मौजूदा लाइसेंस के अंतर्गत शामिल करने का प्रावधान है।
लाइसेंसधारक इस प्रयोजन के लिये मौजूदा लाइसेंस में संशोधन हेतु CERC को आवेदन कर सकता है।
शिक्षा
स्नातकोत्तर कार्यक्रमों हेतु पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क जारी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) ने “स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिये पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क” जारी किया।
इस ढाँचे का उद्देश्य निम्नलिखित के लिये लचीलापन प्रदान करना है:
स्नातक कार्यक्रमों (UG) में पढ़ाए गए विषयों से भिन्न विषयों का अध्ययन करना
विभिन्न शिक्षण विधियों से PG शिक्षा प्राप्त करना
एक साथ शैक्षणिक या औद्योगिक कार्य करना और उसके लिये क्रेडिट प्राप्त करना
एक वर्ष के बाद PG डिप्लोमा के साथ PG कार्यक्रम से बाहर निकलना।
फ्रेमवर्क की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
PG कार्यक्रम के लिये क्रेडिट आवश्यकता और पात्रता:
इसमें स्नातक स्तर के छात्रों के लिये विभिन्न प्रकार के PG कार्यक्रमों हेतु पात्रता मानदंड निर्धारित किये गए हैं।
उदाहरण के लिये एक वर्षीय MA, MCom या MSc डिग्री हेतु पात्र होने के लिये, उम्मीदवार के पास न्यूनतम 160 क्रेडिट के साथ ऑनर्स के साथ स्नातक की डिग्री होनी चाहिये।
हालाँकि दो वर्षीय MA, MCom या MSc डिग्री हेतु पात्र होने के लिये उन्हें 120 क्रेडिट के साथ तीन वर्षीय/छह सेमेस्टर की स्नातक डिग्री की आवश्यकता होती है।
ऋण वितरण:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप, इस रूपरेखा के अनुसार PG कार्यक्रमों की अवधि एक या दो वर्ष होनी चाहिये।
एक वर्षीय PG कार्यक्रम में 40 क्रेडिट होंगे। इसे कोर्स वर्क, रिसर्च (प्रत्येक 20 क्रेडिट) या दोनों करके प्राप्त किया जा सकता है।
दो वर्षीय PG डिप्लोमा में 40 क्रेडिट होते हैं, जिन्हें केवल पाठ्यक्रम के माध्यम से ही प्राप्त किया जाना चाहिये।
अन्य दो वर्षीय PG कार्यक्रमों में भी 40 क्रेडिट होते हैं। इन्हें कोर्सवर्क, शोध या दोनों (प्रत्येक में 20 क्रेडिट) के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
PG में विषय बदलने में लचीलापन:
यह रूपरेखा स्नातक छात्रों को निम्नलिखित की अनुमति देती है:
यदि वे प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते हैं, तो स्नातकोत्तर में एक अलग विषय का अध्ययन कर सकते हैं।
किसी ऐसे PG कार्यक्रम के लिये आवेदन करना जो स्नातक अध्ययन में प्रमुख या गौण विषय रहा हो।
इस फ्रेमवर्क के अंतर्गत, कुछ छात्र मास्टर इन इंजीनियरिंग या मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रवेश के लिये पात्र होंगे।
आकलन:
यह रूपरेखा सुझाव देती है कि मूल्यांकन योगात्मक (इसमें इकाई परीक्षण और सेमेस्टर-वार परीक्षाएँ शामिल हैं) के विपरीत सतत् होना चाहिये।
इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि मूल्यांकन सीखने के परिणामों पर आधारित होना चाहिये।
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा योग्यता रूपरेखा (National Higher Education Qualification Framework- NHEQF) UG और PG कार्यक्रमों के लिये सीखने के परिणामों को रेखांकित करती है।
परीक्षा प्रक्रिया में सुधार का सुझाव देने हेतु उच्च स्तरीय समिति गठित
शिक्षा मंत्रालयके अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग ने परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारु और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
समिति की अध्यक्षता IIT कानपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष और इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन करेंगे।
अपतटीय पवन ऊर्जा से तात्पर्य जल निकायों, आमतौर पर समुद्र में स्थापित पवन टर्बाइनों के माध्यम से विद्युत उत्पादन से है।
व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण से तात्पर्य उन परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता से है, जो आर्थिक रूप से उचित हो सकती हैं, लेकिन वित्तीय व्यवहार्यता से कम हैं।
इस योजना से गुजरात और तमिलनाडु के तट पर 500-500 मेगावाट सहित कुल एक गीगावाट क्षमता की स्थापना में सहायता मिलेगी।
इन दोनों परियोजनाओं से प्रतिवर्ष 3.7 बिलियन यूनिट विद्युत उत्पन्न होने का अनुमान है।