लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

शासन व्यवस्था

खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023

  • 04 Aug 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957, खनिज क्षेत्र, वर्ष 2070 तक का शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य

मेन्स के लिये:

खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023

चर्चा में क्यों?

राज्यसभा ने खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन करने के लिये खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 पारित कर दिया है।

पृष्ठभूमि:

  • खान और खनिज (विकास तथा विनियमन) अधिनियम, 1957 में वर्ष 2015 संशोधन किया गया था, इसका उद्देश्य पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिये नीलामी-आधारित खनिज रियायत आवंटन शुरू करना, प्रभावित समुदायों के कल्याण के लिये ज़िला खनिज फाउंडेशन की स्थापना करना, अन्वेषण को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET) की स्थापना करना और अवैध खनन कर्त्ताओं हेतु सख्त दंड का प्रावधान करना था।
  • विशिष्ट आकस्मिक मुद्दों का निवारण करने के लिये इस अधिनियम में वर्ष 2016 और 2020 में संशोधन किये गए थे तथा इस क्षेत्र में सुधार लाने हेतु आखिरी बार इसमें वर्ष 2021 में संशोधन किया गया था।
  • हालाँकि खनिज क्षेत्र को विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण खनिजों (Critical Minerals) की खोज एवं खनन को बढ़ाने के लिये कुछ और सुधारों की आवश्यकता है जो देश के आर्थिक विकास तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। 
  • महत्त्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता की कमी या कुछ भौगोलिक स्थानों में उनके निष्कर्षण या प्रसंस्करण की एकाग्रता के चलते आपूर्ति शृंखला कमज़ोर होने और यहाँ तक कि आपूर्ति में भी व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। 
    • ऊर्जा परिवर्तन और वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को देखते हुए महत्त्वपूर्ण खनिजों का महत्त्व बढ़ गया है।

विधेयक के अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधान:

प्रमुख प्रावधान

MMDR अधिनियम 1957

MMDR संशोधन विधेयक

परमाणु खनिजों के खनन के लिये निजी क्षेत्र

अधिनियम केवल राज्य एजेंसियों को लिथियम, बेरिलियम, नाइओबियम, टाइटेनियम, टैंटलम और ज़िरकोनियम जैसे परमाणु खनिजों की खोज की अनुमति देता है।

विधेयक निजी क्षेत्र को 12 परमाणु खनिजों में से छह जैसे- लिथियम, बेरिलियम, नाइओबियम, टाइटेनियम, टैंटलम और ज़िरकोनियम के खनन की अनुमति देता है।

जब यह एक अधिनियम बन जाएगा तो केंद्र के पास सोना, चाँदी, ताँबा, जस्ता, सीसा, निकल आदि जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये खनन पट्टे और मिश्रित लाइसेंस की नीलामी करने की शक्ति होगी।

अन्वेषण लाइसेंस की नीलामी

अन्वेषण लाइसेंस राज्य सरकार द्वारा प्रतिस्पर्द्धी आदेश के माध्यम से प्रदान किया जाएगा

केंद्र सरकार इस प्रावधान के माध्यम से अन्वेषण लाइसेंस की नीलामी के तरीके, नियम और शर्तें निर्धारित करेगी।

अधिकतम क्षेत्र जिसमें गतिविधियों की अनुमति है

अधिनियम के तहत एक संभावित लाइसेंस (Prospecting Licence) 25 वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र में गतिविधियों की अनुमति देता है जबकि एक एकल सर्वेक्षण परमिट (Single Reconnaissance Permit) 5,000 वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र में गतिविधियों की अनुमति देता है। 

यह अधिनियम 1,000 वर्ग किलोमीटर तक के क्षेत्र में एकल अन्वेषण लाइसेंस के तहत गतिविधियों की अनुमति प्रदान करता है। हालाँकि प्रथम तीन वर्ष के पश्चात् लाइसेंसधारी को मूल रूप से आवंटित क्षेत्र का 25% अपने पास बनाए रखने की अनुमति होगी। 

अन्वेषण लाइसेंस हेतु प्रोत्साहन

यदि अन्वेषण के पश्चात् संसाधन पाए जाते हैं, तो राज्य सरकार को अन्वेषण लाइसेंसधारी द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के छह माह के भीतर खनन पट्टे की नीलामी आयोजित करनी होगी। लाइसेंसधारक को सरकार द्वारा संभावित खनिज की नीलामी मूल्य में से एक हिस्सा दिया जाएगा।

भारत में खनन क्षेत्र परिदृश्य:

  • विनिर्माण की रीढ़:
    • खनन उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो विनिर्माण और बुनियादी ढाँचा क्षेत्र के लिये रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करता है।
    • खान मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2021-22 के दौरान खनिज उत्पादन (परमाणु और ईंधन खनिजों को छोड़कर) का कुल मूल्य 2,11,857 करोड़ रुपए था।
  • संभावनाएँ:
    • भारत लौह अयस्क उत्पादन के मामले में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है और वर्ष 2021 तक विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक रहा।
      • भारत में संयुक्त एल्युमीनियम उत्पादन (प्राथमिक और द्वितीयक) वित्त वर्ष 2011 में 4.1 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष रहा, यह विश्व में दूसरा सबसे बड़ा संयुक्त एल्युमीनियम उत्पादक बन गया।
    • वर्ष 2023 में भारत में विस्तारित विद्युतीकरण और समग्र आर्थिक विकास के कारण खनिज की मांग 3% बढ़ने की संभावना है।
      • भारत इस्पात और एल्युमीनियम में उत्पादन और रूपांतरण लागत में उचित लाभ रखता है। इसका रणनीतिक स्थान निर्यात के अवसरों को विकसित करने के साथ-साथ तेज़ी से विकसित होने वाले एशियाई बाज़ारों को भी सक्षम बनाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम प्रतिशत का योगदान देते हैं। विवेचना कीजिये। (2021)

प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है।" विवेचना कीजिये। (2017)

स्रोत: पी.आई.बी.

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2