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शासन व्यवस्था

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सामग्री नियामक शक्तियाँ

  • 08 Feb 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कंटेंट रेगुलेशन, आईटी रूल्स 2021, ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, प्रेस, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, केबल टीवी नेटवर्क रूल्स 1994, भारतीय प्रेस परिषद, अनुच्छेद 19।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, वैज्ञानिक नवाचार और खोज, नीतियों और इनके कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे, सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर, भारत में सामग्री विनियमन।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Information and Broadcasting Ministry-I&B) ने मलयालम भाषा के एक समाचार चैनल का लाइसेंस रद्द कर दिया है।

  • लाइसेंस रद्द करने के कारणों में गृह मंत्रालय के एक आदेश का हवाला दिया गया। गृह मंत्रालय द्वारा चैनल को 'सुरक्षा मंज़ूरी’ प्रदान किये जाने से इनकार करने के बाद I&B मंत्रालय द्वारा निलंबन आदेश जारी किया गया था।  

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय किन क्षेत्रों में सामग्री को विनियमित कर सकता है?

इसमें किस प्रकार की शक्तियाँ शामिल हैं?

  • फिल्म से संबंधित:
    • उदाहरण के लिये केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से प्रमाणित होने के बाद ही फिल्मों को भारत में सिनेमा हॉल या सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जा सकता है।
      • हालाँकि व्यवहार में CBFC ने अक्सर किसी फिल्म को प्रमाणन प्रदान करने से पहले उसमें बदलाव या कटौती का सुझाव दिया है। यद्यपि किसी फिल्म को सेंसर करना CBFC का अधिदेश नहीं है, लेकिन जब तक फिल्म निर्माता इसके सुझावों से सहमत नहीं होता है, तब तक वह रेटिंग देने की प्रक्रिया को रोक सकता है।
  • टीवी चैनल और ओटीटी से संबंधित:
    • टीवी चैनल्स के संदर्भ में सरकार ने पिछले वर्ष दर्शकों से संबंधित चिंताओं (यदि कोई हो) के संबोधन हेतु एक त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण संरचना का गठन किया था।
      • इसके तहत एक दर्शक क्रमिक रूप से चैनल से संपर्क कर सकता है, फिर उद्योग का एक स्व-नियामक निकाय भी मौजूद है और अंत में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इस संदर्भ में चैनल को एक कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है तथा फिर इस मुद्दे को एक ‘अंतर-मंत्रालयी समिति’ (IMC) को संदर्भित कर सकता है।
      • ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट के लिये भी इसी प्रकार की संरचना मौजूद है।
    • मंत्रालय में ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेल’ भी है, जो केबल टीवी नेटवर्क नियम, 1994 में उल्लिखित प्रोग्रामिंग एवं विज्ञापन कोड के किसी भी उल्लंघन हेतु चैनल्स को ट्रैक करता है।
      • उल्लंघन के चलते चैनल के अपलिंकिंग लाइसेंस (उपग्रह को कंटेंट भेजने हेतु) या डाउनलिंकिंग लाइसेंस (एक मध्यस्थ के माध्यम से दर्शकों को प्रसारित करने हेतु) का निरसन हो सकता है। ‘मीडिया-वन’ (मलयालम भाषा के समाचार चैनल) के ये लाइसेंस सरकार ने रद्द कर दिये हैं।
  • प्रिंट मीडिया और वेबसाइट के संबंध में:
    • प्रिंट के मामले में भारतीय प्रेस परिषद की सिफारिशों के आधार पर सरकार किसी प्रकाशन के लिये अपने विज्ञापन को निलंबित कर सकती है।
    • ज्ञात हो कि पिछले वर्ष के आईटी नियमों ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को वेबसाइट्स को उनके कंटेंट के आधार पर प्रतिबंधित करने के आदेश जारी करने की अनुमति दी थी।

किस प्रकार के कंटेंट की अनुमति नहीं है?

  • प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, रेडियो, फिल्म या ओटीटी प्लेटफॉर्म में अनुमत या निषिद्ध कंटेंट पर कोई विशिष्ट कानून नहीं हैं।
  • इनमें से किसी भी प्लेटफॉर्म पर कंटेंट/सामग्री को देश में बोलने की स्वंत्रता/फ्री स्पीच नियमों का पालन करना होगा। संविधान का अनुच्छेद 19(1), अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए कुछ "उचित प्रतिबंधों" को भी सूचीबद्ध करता है, जिसमें संबंधित सामग्री शामिल है:
    • राज्य की सुरक्षा
    • विदेशी राज्यों से मैत्रीपूर्ण संबंध
    • सार्वजनिक व्यवस्था
    • शिष्टता
    • नैतिकता आदि।
  • इनमें से किसी भी प्रतिबंध का उल्लंघन होने पर कार्रवाई की जा सकती है।

अन्य एजेंसियों की भूमिका:

  • इसमें अन्य एजेंसियों की कोई प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं है, क्योंकि सामग्री को विनियमित करने की शक्तियांँ केवल I&B मंत्रालय के पास हैं। हालांँकि I&B मंत्रालय अन्य मंत्रालयों के साथ-साथ खुफिया एजेंसियों से प्राप्त डेटा पर निर्भर करता है।
    • उदाहरण के लिये: हाल में हुए कुछ मामलों में लाइसेंस रद्द कर दिये गए थे क्योंकि गृह मंत्रालय ने सुरक्षा मंज़ूरी से इनकार कर दिया था, जो नीति के हिस्से के रूप में आवश्यक है।
  • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा नए तंत्र को अपनाना:  मंत्रालय द्वारा नए आईटी नियमों के तहत अपनी आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल खुफिया एजेंसियों के इनपुट के आधार पर कुछ YouTube चैनल्स और सोशल मीडिया एकाउंट्स को ब्लॉक करने के लिये किया है।
  • जिस किसी के भी चैनल या अकाउंट को बैन किया गया है, वह न्यायालय का  सहारा ले सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  

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