शासन व्यवस्था
ई-न्यायालय एकीकृत मिशन मोड परियोजना
- 04 Feb 2023
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:सर्वोच्च न्यायालय, ई-फाइलिंग, ई-न्यायालय एकीकृत मिशन मोड परियोजना, नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) मेन्स के लिये:भारतीय न्यायपालिका का डिजिटलीकरण: चुनौतियाँ, समाधान |
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने प्रौद्योगिकी का उपयोग करके न्याय तक पहुँच में सुधार के उद्देश्य से ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों के कंप्यूटरीकरण हेतु देश में ई-न्यायालय एकीकृत मिशन मोड परियोजना शुरू की।
ई-न्यायालय एकीकृत मिशन मोड परियोजना:
- परिचय और कार्यान्वयन:
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के हिस्से के रूप में यह परियोजना भारतीय न्यायपालिका के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) विकास हेतु वर्ष 2007 से कार्यान्वित है।
- ई-न्यायालय परियोजना को भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति और न्याय विभाग के सहयोग से लागू किया जा रहा है।
- चरण:
- चरण I: इसे वर्ष 2011-2015 के दौरान लागू किया गया था।
- चरण II: इसे वर्ष 2015 में शुरू किया गया था जिसके तहत विभिन्न ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों को कंप्यूटरीकृत किया गया है।
परियोजना के तहत की गई पहल:
- नेटवर्क में सुधार: वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) परियोजना के तहत बेहतर बैंडविड्थ गति के साथ पूरे भारत में कुल कोर्ट कॉम्प्लेक्स के 99.4% को कनेक्टिविटी प्रदान की गई है।
- ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर: केस इंफॉर्मेशन सॉफ्टवेयर (CIS) फ्री एंड ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर (FOSS) पर आधारित है जिसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा विकसित किया गया है।
- NJDG डेटाबेस: राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) आदेशों, निर्णयों और मामलों का एक डेटाबेस है, जिसे ई-न्यायालय परियोजना के तहत एक ऑनलाइन मंच के रूप में विकसित किया गया है।
- यह सभी कंप्यूटरीकृत ज़िला और अधीनस्थ न्यायालयों की न्यायिक कार्यवाहियों/निर्णयों से संबंधित जानकारी प्रदान करता है।
- मामले की स्थिति की जानकारी उपलब्ध कराना: वर्ष 2020 में केंद्र और राज्य सरकारों, संस्थागत वादियों तथा स्थानीय सरकारों को लंबित निगरानी एवं अनुपालन में सुधार हेतु व NJDG डेटा तक पहुँच की अनुमति देने के लिये ओपन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) पेश किये गए थे।
- वकीलों/वादकारियों को मामले की स्थिति, वाद सूची, निर्णय आदि पर वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करने हेतु 7 प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं।
- इसके अलावा वकीलों और जजों के लिये मोबाइल एप के साथ इलेक्ट्रॉनिक केस मैनेजमेंट टूल्स (ECMT) बनाए गए हैं।
- आभासी न्यायालय: ट्रैफिक चालान मामलों को संभालने के लिये 17 राज्यों /केंद्रशासित प्रदेशों में 21 आभासी न्यायालय संचालित किये गए हैं।
- 21 आभासी न्यायालयों द्वारा 2.40 करोड़ से अधिक मामले निपटाए गए हैं।
- वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग: वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएँ न्यायालय परिसरों और संबंधित जेलों के मध्य भी सक्षम की गई हैं।
- लाखों मामलों की सुनवाई कर सर्वोच्च न्यायालय एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है।
- ई-फाइलिंग: उन्नत सुविधाओं के साथ कानूनी कागज़ात की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग के लिये नई ई-फाइलिंग प्रणाली शुरू की गई है। वर्ष 2022 तक कुल 19 उच्च न्यायालयों ने ई-फाइलिंग के मॉडल नियमों को अपनाया है।
- समन के संबंध में: समन देने और जारी करने की प्रौद्योगिकी सक्षम प्रक्रिया के लिये राष्ट्रीय सेवा और इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रियाओं की ट्रैकिंग (NSTEP) शुरू की गई है।
- इसे वर्तमान में 28 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया गया है।
- उपयोगकर्त्ता के अनुकूल पोर्टल: कई उपयोगकर्त्ता अनुकूल सुविधाओं के साथ एक नया "जजमेंट सर्च" पोर्टल प्रारंभ किया गया है। यह सुविधा सभी को नि:शुल्क प्रदान की जा रही है।
फेज III:
- ई-न्यायालय परियोजना का तीसरा चरण:
- ई-न्यायालय परियोजना चरण III के लिये मसौदा विज़न दस्तावेज़ को अंतिम रूप दे दिया गया है और ई-समिति, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया है।
- यह चरण एक न्यायिक प्रणाली का उल्लेख करता है जो न्याय की मांग करने वाले या भारत में न्याय के वितरण का हिस्सा है जो प्रत्येक व्यक्ति के लिये अधिक किफायती, सुलभ, लागत प्रभावी, अनुमानित, भरोसेमंद और पारदर्शी है।
- यह एक ऐसी भारतीय न्यायिक प्रणाली को संदर्भित करती है जो न्याय मांगने वाले अथवा न्यायिक प्रशासन में भाग लेने वाले सभी के लिये अधिक सुलभ, किफायती, भरोसेमंद और पारदर्शी है।
- चरण III में नई विशेषताएँ:
- डिजिटल और पेपरलेस/कागज़ रहित न्यायालय का उद्देश्य न्यायालयी कार्यवाही को डिजिटल प्रारूप में लाना है।
- ई-न्यायालय में वादियों (Litigants) अथवा वकीलों की उपस्थिति की समस्या खत्म की जा सकती है।
- यातायात उल्लंघनों के अधिनिर्णयन से परे आभासी न्यायालयों के दायरे का विस्तार।
- मामलों की लंबितता के विश्लेषण के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इसके सबसेट जैसे ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) आदि उभरती हुई तकनीकों का उपयोग, संभावित मुकदमेबाज़ी का पूर्वानुमान आदि।
संबंधित चिंताएँ और समाधान:
चिंताएँ |
समाधान |
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय न्यायपालिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) |