15 अगस्त, 2021 को भारत ने अपना 75वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाया।
भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस समारोह की विषयवस्तु/थीम 'नेशन फर्स्ट, ऑलवेज फर्स्ट' है।
भारत के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए हाल के दिनों में सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का उल्लेख भी किया।
हमने प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किये गए संबोधन के विभिन्न प्रमुख बिंदुओं को संकलित करने का प्रयास किया है। इस संकलन का एक त्वरित रिवीज़न अभ्यर्थियों UPSC CSE-2021 की प्रारंभिक परीक्षा में प्रश्नों को हल करने में सहायक हो सकता है।
भारत ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में 16 जनवरी, 2021 को दो मेड-इन-इंडिया COVID-19 टीकों- कोविशील्ड और कोवैक्सिन की मंज़ूरी के साथ "दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम" शुरू किया।
कोवैक्सिन एक निष्क्रिय टीका है, जबकि कोविशील्ड सक्रिय टीका है।
सरकार ने नागरिकों के पंजीकरण और टीकाकरण के डिजिटल प्रमाणपत्र बनाने के लिये को-विन (Co-WIN) एप लॉन्च किया है।
को-विन (Co-WIN) एक क्लाउड-आधारित आईटी प्लेटफॉर्म है, जो भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के प्रत्येक मिनट का विवरण रखता है, जिसमें लाभार्थियों को पंजीकृत करना, टीकाकरण केंद्र आवंटित करना, लाभार्थियों को उनके टीकाकरणकर्त्ता के नाम के साथ संदेश भेजना और कोल्ड स्टोरेज में दवा की शीशियों की लाइव निगरानी शामिल है।
इसका स्वामित्व स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHWA) के पास है।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के साथ एमईआईटीवाई (MeitY) एप के तकनीकी बुनियादी ढाँचे को संभालने के लिये ज़िम्मेदार हैं।
अमृत काल
75वें स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में भारत के प्रधानमंत्री ने भारत और उसके नागरिकों के लिये अगले 25 वर्षों की अवधि को अमृत काल के रूप में संदर्भित किया।
अमृत काल का उद्देश्य है:
नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाना।
गाँवों और शहर के बीच विकास के अंतर को कम करना।
लोगों के जीवन में सरकारी हस्तक्षेप को कम करना।
नवीनतम तकनीक को बढ़ावा देना ताकि भारत दुनिया के किसी भी देश से पीछे न रहे।
भारत ने 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' की भावना से शुरुआत की और अब सबका प्रयास (सभी का सहयोगात्मक प्रयास) को विकास के लिये भारत के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण पहलू के रूप में जोड़ा गया है।
PMBJP की शुरुआत फार्मास्युटिकल विभाग द्वारा वर्ष 2008 में जन औषधि अभियान के नाम से की गई थी।
वर्ष 2015-16 में इस अभियान को PMBJP के रूप में नया नाम दिया गया था।
ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (BPPI) (रसायन और उर्वरक मंत्रालय) PMBJP के लिये कार्यान्वयन एजेंसी है।
BPPI ने जनऔषधि सुगम एप्लीकेशन भी विकसित किया है।
जन औषधि केंद्र: PMBJP के एक हिस्से के रूप में BPPI जनऔषधि केंद्रों का भी समर्थन करता है जहाँ सभी को गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
इन केंद्रों की स्थापना डॉक्टर्स, फार्मासिस्ट्स, उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और गैर- सरकारी संगठनों आदि द्वारा किसी भी उपयुक्त स्थान पर या अस्पताल परिसर के बाहर की जा सकती है।
यह मिशन वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTCs) के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर पानी की आपूर्ति की परिकल्पना करता है।
जल शक्ति मंत्रालय इस योजना के कार्यान्वयन के लिये नोडल मंत्रालय है।
केंद्र और राज्यों के बीच फंड शेयरिंग पैटर्न:
हिमालयी और उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिये केंद्र और राज्य द्वारा क्रमशः 90:10, अन्य राज्यों के लिये 50:50 और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 100% केंद्र सरकार ज़िम्मेदार है।
वर्ष 2020 में ग्रामीण क्षेत्रों में 100% FHTCs सफलतापूर्वक प्रदान करके गोवा देश का पहला 'हर घर जल' वाला राज्य बन गया।
कुपोषण
यह किसी व्यक्ति के ऊर्जा और/या पोषक तत्त्वों के सेवन में कमी, अधिकता या असंतुलन को संदर्भित करता है। यह कुपोषण के 3 व्यापक समूहों को संबोधित करता है:
अल्पपोषण: इसमें वेस्टिंग (ऊँचाई के अनुपात में कम वज़न), स्टंटिंग (उम्र के हिसाब से कम ऊँचाई) और कम वज़न (उम्र के हिसाब से कम वज़न) शामिल हैं।
सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से संबंधित कुपोषण: सूक्ष्म पोषक तत्त्वों (महत्त्वपूर्ण विटामिन और खनिज) की कमी या अधिकता।
अधिक वज़न: मोटापा और आहार से संबंधित गैर-संचारी रोग (जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह और कैंसर के कुछ प्रकार)।
गंभीर तीव्र कुपोषण (SAM): विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) गंभीर तीव्र कुपोषण (SAM) को ऊँचाई के हिसाब से बहुत कम वज़न या मध्य-ऊपरी बांह की परिधि 115 मिमी से कम के रूप में परिभाषित करता है।
परिसीमन का आशय किसी विधायी निकाय वाले देश या प्रांत में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों (विधानसभा या लोकसभा सीट) की सीमा या सीमाओं को तय करने या पुनः परिभाषित करने के कार्य से है।
यह कार्य एक स्वतंत्र उच्चाधिकार प्राप्त पैनल द्वारा किया जाता है जिसे परिसीमन आयोग के रूप में जाना जाता है, जिसके आदेशों पर किसी भी न्यायालय द्वारा सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
इसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और यह भारत के चुनाव आयोग के सहयोग से काम करता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 के तहत संसद प्रत्येक जनगणना के बाद एक परिसीमन आयोग बनाती है।
अनुच्छेद 170 के तहत राज्यों को भी प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन आयोग के अनुसार क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।
उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान) को वर्ष 2016 में एक क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के रूप में लॉन्च किया गया था।
इसका उद्देश्य क्षेत्रीय मार्गों पर किफायती लेकिन आर्थिक रूप से व्यवहार्य और लाभदायक उड़ानें शुरू करना है ताकि छोटे शहरों में भी आम आदमी के लिये उड़ान सस्ती व सुलभ हो।
UDAN 4.1 विशेष हेलीकॉप्टर और सीप्लेन मार्गों के साथ छोटे हवाई अड्डों को जोड़ने पर केंद्रित है।
आईएनएस विक्रांत का संचालन वर्ष 2022 में शुरू किये जाने की संभावना है, यह भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक (IAC) है।
वर्तमान में भारत के पास केवल एक विमान वाहक पोत है- रूसी मूल का आईएनएस विक्रमादित्य।
विमान वाहक पोत की लड़ाकू क्षमता, पहुँच और बहुमुखी प्रतिभा देश के रक्षा क्षेत्र की क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि करेगी और इससे समुद्री क्षेत्र में भारत के हितों को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना का उद्देश्य कंपनियों को घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की बिक्री में वृद्धि पर प्रोत्साहन देना है।
इसका उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों की स्थापना या विस्तार के लिये प्रोत्साहित करना है।
इस योजना को ऑटोमोबाइल, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, आईटी हार्डवेयर जैसे- लैपटॉप, मोबाइल फोन और दूरसंचार उपकरण, रासायनिक सेल, खाद्य प्रसंस्करण आदि क्षेत्रों के लिये भी अनुमोदित किया गया है।
इसकी घोषणा पहली बार वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में की गई थी।
इसका उद्देश्य पुराने और दोषपूर्ण वाहनों की संख्या को कम करना, वाहनों के वायु प्रदूषकों को कम करना, सड़क और वाहनों की सुरक्षा में सुधार करना है।
पुराने वाहनों को पुन: पंजीकरण से पहले एक फिटनेस टेस्ट पास करना होगा और नीति के अनुसार, 15 वर्ष से अधिक पुराने सरकारी वाणिज्यिक वाहनों तथा 20 वर्ष से अधिक पुराने निजी वाहनों को रद्द कर दिया जाएगा।
इथेनॉल सम्मिश्रण
इथेनॉल प्रमुख जैव ईंधनों में से एक है, जिसका उत्पादन स्वाभाविक रूप से खमीर द्वारा शर्करा के किण्वन या एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से होता है।
इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (EBP) का उद्देश्य पेट्रोल के साथ इथेनॉल के मिश्रण से है ताकि इसे जैव ईंधन की श्रेणी में लाया जा सके और ईंधन आयात में कटौती एवं कार्बन उत्सर्जन को कम करके लाखों डॉलर की बचत की जा सके।
भारत सरकार ने वर्ष 2025 से 2030 तक पेट्रोल (जिसे E20 भी कहा जाता है) में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को आगे बढ़ाया है।
वर्तमान में भारत में पेट्रोल के साथ 8.5% इथेनॉल मिश्रण किया जाता है।
NCBC के पास सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के संबंध में शिकायतों और कल्याणकारी उपायों की निगरानी करने का अधिकार है।
102वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 NCBC को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है।
NCBC के सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
अनुच्छेद 340 अन्य बातों के साथ-साथ उन ‘सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों’ की पहचान करने, उनके पिछड़ेपन की स्थितियों को समझने और उनके सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिये सिफारिशें करने से संबंधित है।
मिशन कर्मयोगी'- सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCSCB) का उद्देश्य भविष्य हेतु ऐसे सिविल सेवकों को तैयार करना है, जिसमें सही दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान हो, जो नए भारत के दृष्टिकोण से जुड़ा हो।
IGOT कर्मयोगी डिजिटल प्लेटफॉर्म वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से तैयार की गई सामग्री प्रदान करता है।
यह योजना सभी स्तरों पर केंद्र सरकार के 46 लाख कर्मचारियों को कवर करेगी।
NPCSCB, प्रधानमंत्री की मानव संसाधन परिषद द्वारा शासित होगा, जिसमें राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।
वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की घोषणा की गई है जो ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिये एक रोडमैप तैयार करेगा।
यह हरित ऊर्जा संसाधनों की सहायता से हाइड्रोजन के उत्पादन पर केंद्रित है।
इसका उद्देश्य भारत की बढ़ती अक्षय क्षमता को हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था से जोड़ना है।
हाइड्रोजन के उपयोग से न केवल भारत को पेरिस समझौते के तहत अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी बल्कि जीवाश्म ईंधन पर आयात निर्भरता भी कम होगी।
फूड फोर्टिफिकेशन से तात्पर्य खाद्य सामग्री में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की मात्रा को बढ़ाना है ताकि खाद्य आपूर्ति की पोषण गुणवत्ता में सुधार हो सके।
FSSAI ने खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य पदार्थों का फोर्टीफिकेशन) विनियम, 2016 को निम्नलिखित अनाजों के फोर्टीफिकेशन के लिये परिचालित किया:
गेहूँ का आटा और चावल (आयरन, विटामिन बी 12 और फोलिक एसिड के साथ)
दूध और खाद्य तेल (विटामिन A तथा D के साथ)
डबल फोर्टिफाइड नमक (आयोडीन और आयरन के साथ)
बायोफोर्टिफिकेशन वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कृषि संबंधी प्रथाओं, पारंपरिक पौधों के प्रजनन या आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से खाद्य फसलों की पोषण गुणवत्ता में सुधार किया जाता है। बायोफोर्टिफाइड फसलों के उदाहरण हैं:
चावल- CR धान 315 में जिंक की अधिकता होती है।
गेहूँ HI1633 प्रोटीन, आयरन और जिंक से भरपूर है।
मक्का- लाइसिन और ट्रिप्टोफैन से समृद्ध संकर किस्में।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोषण 2.0 का उद्घाटन किया और सभी आकांक्षी ज़िलों से आग्रह किया कि वे पोषण माह (पोषण माह) के दौरान एक पोषण वाटिका (पोषण उद्यान) स्थापित करें।
केंद्रीय बजट वर्ष 2021-22 में पूरक पोषण कार्यक्रमों और पोषण अभियान को मिलाकर इसकी घोषणा की गई थी।
पोषण वाटिका जैविक रूप से उगाई गई सब्जियों और फलों के माध्यम से पोषण की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी और साथ ही यह सुनिश्चित करेगी कि मिट्टी भी स्वस्थ रहे।
अरबिंदो घोष
श्री अरबिंदो घोष एक दार्शनिक, कवि और भारतीय राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने आध्यात्मिक विकास के माध्यम से पृथ्वी पर दिव्य जीवन के दर्शन को प्रतिपादित किया।
वर्ष 1902-1910 तक अरबिंदो ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में भाग लिया और एक क्रांतिकारी राष्ट्रवादी के रूप में जाने जाते थे।
उन्होंने वर्ष 1902 में कलकत्ता की अनुशीलन समिति की स्थापना में मदद की।
वंदे मातरम अंग्रेज़ी भाषा में एक साप्ताहिक समाचार पत्र था जिसे कलकत्ता (अब कोलकाता) से प्रकाशित किया गया था। इसकी स्थापना वर्ष 1905 में बिपिन चंद्र पाल ने की थी और इसका संपादन श्री अरबिंदो घोष ने किया था।
उन्हें वर्ष 1908 में अलीपुर षडयंत्र केस या अलीपुर बम केस के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
यह गिरफ्तारी खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी द्वारा मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट डगलस किंगफोर्ड की हत्या के प्रयास के मद्देनज़र की गई थी।
वर्ष 1910 में वह ब्रिटिश भारत से भाग गए और पांडिचेरी के फ्रांसीसी उपनिवेश में शरण ली, जहाँ उन्होंने शेष जीवन अपने "अभिन्न" योग के विकास के लिये समर्पित कर दिया।
उन्होंने आध्यात्मिक साधकों के एक समुदाय की स्थापना की जिसने 1926 में 'श्री अरबिंदो आश्रम' के रूप में आकार लिया।