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प्रीलिम्स फैक्ट: 30 दिसंबर, 2020

  • 30 Dec 2020
  • 9 min read

100वीं किसान रेल

100th Kisan Rail

हाल ही में प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से महाराष्ट्र के सोलापुर ज़िले के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक चलने वाली 100वीं “किसान रेल” (100th Kisan Rail) सेवा को हरी झंडी दिखाई।

Kisan-Rail-Yojana

प्रमुख बिंदु:

  • देश भर के किसानों तथा बाजारों को जोड़ने के लिये कृषि और किसानों को समर्पित पहली ’किसान रेलअगस्त 2020 में शुरू की गई थी।
  • सरकार ने देश की आपूर्ति शृंखला को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से करोड़ों रुपए का निवेश किया है, इसमें एक नया प्रयोग किसान रेल सेवा  है।
    • बजट 2020-21 में कृषि के आधुनिकीकरण संबंधी घोषणाएँ  की गई थीं, जिसमें किसान रेल सेवा और कृषि उड़ान योजना (Krishi Udaan scheme) की परिकल्पना की गई थी।
      • कृषि उत्पादों के परिवहन में किसानों की सहायता के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मार्गों पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) द्वारा कृषि उड़ान योजना की शुरुआत की गई थी ताकि उनकी लागत में सुधार किया जा सके।
      • इस योजना के अंतर्गत आधी सीटें किसानों को रियायती दरों पर प्रदान की जाएंगी तथा व्यवहार्यता फंडिंग के नाम से किसानों को एक निश्चित मात्रा में राशि प्रदान की जाएगी। यह राशि केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार दोनों द्वारा प्रदान की जाएगी।
  • कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, पिछले चार महीनों में 'किसान रेल' नेटवर्क का विस्तार हुआ है।
  • इससे पहले किसान रेल का परिचालन सप्ताह में केवल एक बार किया जा रहा था, लेकिन मांग में वृद्धि के कारण अब इसे सप्ताह में तीन बार चलाया जा रहा है।

महत्त्व:

  • यह प्रयोग देश के 80% छोटे और सीमांत किसानों के लिये विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होगा।
  • यह सेवा देश की शीत आपूर्ति शृंखला (Cold Supply Chain) को मज़बूत करते हुए भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था के लिये परिवर्तनकारी साबित होगी।
    • शीत भंडार/कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की कमी के चलते प्रायः किसानों को नुकसान होता था।
  • अब भारतीय किसान अपनी उपज को देश के भीतर दूर-दराज़ स्थानों तक पहुँचा सकते हैं और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच प्राप्त कर सकते हैं।
  • सरकार का मानना है कि संशोधित कृषि कानूनों के साथ किसान रेल सेवा कृषि उत्पादों की मांग और आपूर्ति में होने वाले उतार-चढ़ाव से किसानों को  बचाने में मदद करेगी।

मिशन सागर- III

Mission Sagar-III

मिशन सागर-III (Mission Sagar-III) के अंतर्गत भारतीय नौसेना का पोत ‘किल्टन’ (INS Kiltan) 29 दिसंबर, 2020 को ‘कंबोडिया के सिहानोकविले’ बंदरगाह पर पहुँच गया है।

Mission-Sagar-III

प्रमुख बिंदु:

  • भारतीय नौसैनिक जहाज़ कंबोडिया के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिये 15 टन मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) सामग्री लेकर पहुँचा है, जिसे कंबोडिया की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति (NDMC) को सौंप दिया जाएगा।
    • इससे पहले इस जहाज़ द्वारा मध्य वियतनाम के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिये 15 टन HADR सामग्री वितरित की गई थी।
  • मिशन सागर- III वर्तमान में चल रही कोविड-19 महामारी के दौरान मैत्रीपूर्ण देशों को भारत की HADR सहायता का हिस्सा है।
    • नवंबर 2020 में मिशन सागर- II के हिस्से के रूप में INS ऐरावत ने सूडान, दक्षिण सूडान, जिबूती और इरिट्रिया को खाद्य सहायता प्रदान की।
    • मिशन सागर (SAGAR) को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मॉरीशस यात्रा के दौरान वर्ष 2015 में नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने हेतु शुरू किया गया था।
      • इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है।
      • इस कार्यक्रम का मुख्य सिद्धांत; सभी देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नियमों और मानदंडों का सम्मान, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता, समुद्री मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान तथा समुद्री सहयोग में वृद्धि इत्यादि है।
  • मिशन 'सागर' (Security And Growth for All in the Region- SAGAR) के दृष्टिकोण के अनुसार चलाया गया यह एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में भारत की स्थिति को दर्शाता है।
    • मिशन सागर इस बात पर बल देता है कि भारतीय नौसेना को एक सुरक्षा साझेदार के रूप में सबसे अधिक पसंद किया जाता है और यह किसी भी स्थिति में सहायता के लिये सबसे पहले आगे आने वाला संगठन है। 
  • यह मिशन आसियान देशों के महत्त्व को रेखांकित करने के अलावा दोनों देशों के मध्य मौजूदा आपसी संबंधों को मज़बूती प्रदान करता है।
    • कंबोडिया और वियतनाम आसियान के सदस्य राष्ट्र हैं।

INS किल्टन:

  • यह कमोर्ता-क्लास का पनडुब्बी-रोधी युद्धपोत है।
  • यह  विशाखापत्तनम में स्थित भारतीय नौसेना के पूर्वी नौसेना कमान का हिस्सा है।
  • INS किल्टन, INS सह्याद्री के साथ भारतीय नौसेना का नवीनतम स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित बहु-भूमिका वाला जहाज़ है।
    • इस युद्धपोत को भारी-भरकम टारपीडो के साथ ही एएसडब्लू रॉकेटों से लैस किया गया है। इसे अग्नि नियंत्रण प्रणाली, मिसाइल तैनाती रॉकेट, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर सिस्टम सोनार और रडार रेवती से भी लैस किया गया है।
    • इस जहाज़ में कम दूरी की सैम प्रणाली और एएसडब्लू हेलीकॉप्टर भी तैनात किये जा सकेंगे।

क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास:

  • वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया यह हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) के लिये भारत की रणनीति का हिस्सा है।
  • SAGAR के माध्यम से भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ गहरे आर्थिक और सुरक्षा सहयोग द्वारा अपनी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में सहायता करना चाहता है।
  • इसके अलावा भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना चाहता है और IOR को समावेशी, सहयोगी एवं अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान सुनिश्चित करता है।
  • SAGAR की प्रासंगिकता तब सामने आती है जब इसे समुद्री क्षेत्र को प्रभावित करने वाली भारत की अन्य नीतियों जैसे- एक्ट ईस्ट पॉलिसी, प्रोजेक्ट सागरमाला, प्रोजेक्ट मौसम, ब्लू इकाॅनमी पर ध्यान केंद्रित करने आदि के साथ संयोजन के रूप में देखा जाता है।
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