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खाद्य और कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाई और कोल्ड चेन बुनियादी ढाँचा

  • 02 Jan 2018
  • 18 min read

चर्चा में क्यों?
वर्ष 2017 में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा कुछ प्रमुख कदम उठाए गए। इस लेख में हमने मंत्रालय की इन्हीं सब प्रमुख उपलब्धियों और पहलों की समीक्षात्मक व्याख्या प्रस्तुत करने की कोशिश की है।

वर्ल्ड फूड इंडिया 2017

  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत की निवेश क्षमता का प्रदर्शन करने के लिये राजधानी नई दिल्ली में 3 से 5 नवंबर तक विश्व खाद्य इंडिया 2017 कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 
  • इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अधिकतम निवेश प्रतिबद्धताओं को बढ़ावा देने के अवसरों का प्रदर्शन किया गया। 
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा हासिल करने की पृष्ठभूमि में नवाचार, प्रौद्योगिकी, विकास और स्थिरता का लाभ उठाने को लेकर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला का प्रदर्शन करते हुए अभिनव उत्पादों और विनिर्माण प्रक्रियाओं के प्रदर्शन के लिये एक मंच मुहैया कराया गया। 
  • ‘विश्व खाद्य इंडिया 2017’ को भारत के राष्ट्रपति द्वारा "भारतीय खाद्य का कुंभ मेला" के नाम से संबोधित किया गया।

निवेशक पोर्टल - निवेश बंधु (Nivesh Bandhu) की शुरुआत

  • वर्ल्ड फूड इंडिया के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा निवेश बंधु -निवेशक पोर्टल की शुरुआत की गई। इस अनूठे पोर्टल का उद्देश्य केंद्रीय और राज्य सरकारों की नीतियों और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिये प्रदान किये जाने वाले प्रोत्साहनों के बारे में जानकारी एकत्रित करना है। 
  • यह किसानों, व्यापारियों और रसद ऑपरेटरों के लिये व्यापार नेटवर्किंग हेतु एक मंच भी उपलब्ध कराता है। 
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सात प्रकाशनों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिये पोर्टल में शामिल किया गया है। 
  • इसके अतिरिक्त इस पोर्टल में फूड मैप ऑफ इंडिया को भी शामिल किया गया है। 
  • खाद्य मानचित्र, निवेशकों को अपनी परियोजनाओं के विषय में पता लगाने के संबंध में निर्णय लेने हेतु सक्षम बनाता है, क्योंकि खाद्य मानचित्र द्वारा अधिशेष उत्पादन क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण की क्षमता का मानचित्रण दिखाया जाता है।
  • इस अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा कॉफी टेबल बुक के साथ-साथ भारतीय व्यंजनों पर स्मारक टिकट भी जारी किये गए।

भारत को पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में प्रदर्शित किया

  • वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 में भारत को पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में प्रदर्शित किया गया। डब्लू.एफ.आई. 2017 के दौरान घरेलू और विदेशी निवेशकों के साथ 13.56 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के समझौते पर हस्ताक्षर भी किये गए। 
  • इन मुद्दों पर आगे बढ़ाने के लिये इंवेस्ट इंडिया में एक विशेष शाखा की स्थापना की गई है। 
  • ‘फार्म टू फोक’  के मूल मंत्र के साथ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री का लक्ष्य किसानों और उपभोक्ताओं के बीच एक पुल का निर्माण करना है। 
  • वर्ल्ड फूड इंडिया ने ग्लोबल फूड फैक्ट्री के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत करने में मदद की। 

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी

  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय खाद्य प्रदर्शनी में भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की दृढ़ स्थिति का प्रदर्शन किया गया।
  • इस समारोह के अंतर्गत फ्राँस की सैलोन इंटरनेशनल डी लाईमेंटेशन (Salon International de l’ALimentation - SIAL) के साथ-साथ जर्मनी की ऑलगेमीन नहरंग्स एंड जेनुव्मिट्टल औसटेलंग (Allgemeine Nahrungs Und Genußmittel Ausstellung - ANUGA) द्वारा भी भाग लिया गया।

प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना Pradhan Mantri Kisan SAMPADA Yojana

  • सम्पदा योजना का उद्देश्य अवसंरचना के निर्माण और कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र की संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला में प्रसंस्करण और संरक्षण की बढ़ती क्षमता को खेत से खुदरा दुकानों तक पहुँच को लक्षित करना है। 
  • नई योजना खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और खाद्य व्यापार को एकीकृत करने के साथ ही किसानों के लिये बड़े पैमाने पर अवसरों के नए द्वार खोलेगी। इससे उनके लिये रोज़गार बढ़ने के साथ-साथ उनकी आय में भी बढ़ोतरी होगी। 
  • पी.एम.के.एस.वाई. एक एम्बरेला योजना है जिसमें मेगा फूड पार्क, एकीकृत कोल्ड श्रृंखला और वैल्यू एडिशन इंफ्रास्ट्रक्चर, खाद्य सुरक्षा और क्वालिटी एश्योरेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि के संबंध में चलाई जा रही योजनाओं को शामिल किया गया है। 
  • इसके अतिरिक्त इसके अंतर्गत एग्री प्रोसेसिंग क्लस्टर के लिये इंफ्रास्ट्रक्चर, पिछडे़ और अग्रेषण संबंधों का निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण तथा संरक्षण क्षमता का निर्माण/विस्तार जैसी नई योजनाओं को भी शामिल किया गया है।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय

  • खाद्य एवं कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाई और कोल्ड चेन के बुनियादी ढाँचे को ऋण देने के लिये प्राथमिकत क्षेत्र के तौर पर कृषि गतिविधियों के तहत वर्गीकृत किया गया है। 
  • खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों और बुनियादी ढाँचे के लिये अतिरिक्त ऋण की उपलब्धता की गई है।
  • पूर्व-कंडीशनिंग, प्री-कोडिंग, खुदरा पैकेजिंग और फलों व सब्ज़ियों के लेबलिंग पर सेवा कर कोल्ड शृंखला परियोजनाओं में छूट दी गई है। 
  • यह कोल्ड चेन ऑपरेटरों को कर छूट के मामले में एक बड़ी राहत देता है, क्योंकि पहले यह सुविधा केवल किसानों को फार्म गेट पर ही उपलब्ध थी। जहाँ एक ओर इससे शीत श्रृंखला परियोजनाओं की व्यवहार्यता को बढ़ावा मिला है, वहीं दूसरी ओर इसे अधिक मात्रा में निवेश को भी प्रोत्साहन प्राप्त होगा।
  • इसके अतिरिक्त पारदर्शिता को बढ़ाने और मानवीय हस्तक्षेप को कम करने के लिये ऑन-लाइन सॉफ़्टवेयर का निर्माण किया गया है, ताकि बुनियादी ढाँचागत विकास परियोजनाओं के दावों को दर्ज़ किया जा सके। 
  • इसके साथ-साथ मंत्रालय में इंवेस्ट इंडिया को लेकर इंवेस्टमेंट ट्रैकिंग एवं फैसिलिटी डेस्क की भी स्थापना की गई है। इसके अंतर्गत नए संभावित निवेशकों की पहचान करने के साथ-साथ निवेश के लिये केंद्रित और संरचित तरीके से संपर्क करने की व्यवस्था की गई है।
  • नाबार्ड में 8000 करोड़ रुपए के डेयरी प्रसंस्करण और विकास निधि की स्थापना की गई है। सहकारी क्षेत्र में विशेष रूप से पुराने और अप्रचलित दूध प्रसंस्करण इकाइयों के आधुनिकीकरण के लिये इस फंड का उपयोग किया जाएगा।
  • इसके परिणामस्वरूप दूध प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे किसानों के उत्पाद को अधिक मूल्य प्राप्त होगा तथा उनकी आय में भी वृद्धि होगी।

मेगा फूड पार्क्स (Mega Food Parks)

  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मूल्यवान बनाने तथा आपूर्ति श्रृंखला के प्रत्येक चरण में खाद्य अपव्यय को कम करने के लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा देश में मेगा फूड पार्क योजना को लागू किया गया है। 
  • खाद्य प्रसंस्करण के लिये मेगा फूड पार्क के तहत आधुनिक ढाँचे का निर्माण कर किसानों और बाज़ार के बीच एक श्रृंखला बना दी जाएगी, ताकि कलस्टर आधारित व्यवस्था बन सके और लिंकेज को रोका जा सके। 
  • सामान्य और बुनियादी सुविधाओं को सक्षम बनाने हेतु केन्द्रीय प्रसंस्करण केंद्र (Central Processing Centre) को स्थापित किया गया है। प्राथमिक प्रसंस्करण और भंडारण के लिये सुविधाओं के रुप में  प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र (Primary Processing Centers - PPCs) और संग्रह केंद्र (Collection Centers- (CCs) को खेतों के समीप स्थापित किया जाता है। 
  • इस योजना के तहत भारत सरकार मेगा फूड पार्क के लिये 50 करोड़ रुपए तक की आर्थिक मदद मुहैया कराई जा रही है।
  • एक मेगा फूड पार्क से 5000 लोगों, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में रोज़गार मिलने के अलावा लगभग 25000 किसानों के लाभान्वित होने की संभावना है।
  • चालू वित्त वर्ष के अंत तक संचालन के लिये सतारा (महाराष्ट्र), अज़मेर (राजस्थान) और अगरतला (त्रिपुरा) में मेगा फूड पार्क परियोजनाएँ उन्नत स्तर पर हैं।
  • नाबार्ड द्वारा 10 मेगा फूड पार्क परियोजनाओं के लिये 'फूड प्रोसेसिंग फंड' के अंतर्गत 2000 करोड़ में से 427.69 करोड़ का ऋण और 2 प्रसंस्करण इकाइयों को 81.10 करोड़ की राशि वितरित की गई है। 
  • नाबार्ड के साथ विशेष फंड से सस्ता ऋण प्राप्त करने के उद्देश्य से मंत्रालय द्वारा विभिन्न राज्यों में 157 नामित खाद्य पार्कों को अधिसूचित किया गया है।

एकीकृत शीत श्रृंखला और मूल्य वृद्धि बुनियादी सुविधा (Integrated Cold Chain and Value Addition Infrastructure)

  • इस संबंध में 2017 में 16 परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। इन संचालनों के साथ मंत्रालय द्वारा 2.44 लाख मीट्रिक टन शीत भंडारण की एक अतिरिक्त क्षमता, व्यक्तिगत त्वरित फ्रीजिंग (individual Quick Freezing - IQF) 72.70 मीट्रिक टन प्रति वर्ष, 55 लाख लीटर प्रतिदिन दूध/प्रसंस्करण/भंडारण और 472 रिफर वैनों (reefer vans) को 2014-2017 के दौरान बनाया गया है।
  • इस मंत्रालय के फीडबैक और अनुभव के आधार पर योजना के दिशा-निर्देशों को संशोधित किया गया है, ताकि उन्हें निवेशकों के अनुकूल बनाया जा सके। 
  • बूचड़खानों की स्थापना/आधुनिकीकरण की योजना (Scheme of Setting up/ Modernization of Abattoirs) के तहत पणजी (गोवा) में एक परियोजना को लागू किया गया है। 10 खाद्य परीक्षण लैबों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
  • 31 अगस्त, 2017 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी (Indian Institute of Food Processing Technology - IIFPT) के सहयोग से पेरामबलुर (Perambalur) में लॉन्च किये जाने वाले शलोट्स (shallots) के लिये एक कॉमन फूड प्रोसेसिंग इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया गया। 

जीएसटी सुविधा केंद्र (GST Facilitation Cell) 

  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा अपने कार्यालय में एक चार सदस्यीय जीएसटी सुविधा केंद्र की स्थापना की गई है, ताकि उद्योगों को नई कर व्यवस्था के बारे में निर्देशित किया जा सके।
  • जीएसटी सुविधा केंद्र से संबंधित प्रमुख उद्योग और व्यापार संघों के लिये लेवी के रोलआउट हेतु सभी स्तरों पर संभावित समर्थन प्रदान करता है। 
  • यह सेल मंत्रालय से संबंधित किसी भी मुद्दे का समाधान करने के लिये पहले संपर्क के रूप में कार्य करता है। 
  • जीएसटी सेल प्रासंगिक जीएसटी अधिनियम, नियम, दर संरचना आदि के पूर्ण ज्ञान से लैस होगा।
  • खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की सहायता के लिये एफ.एस.एस.ए.आई. (FSSAI) द्वारा उत्पाद की स्वीकृति को सरल बनाया गया है।
  • विनियमों को एक संशोधन के रूप में अधिसूचित किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप गैर-मानक खाद्य उत्पादों को स्वामित्व वाले खाद्य पदार्थ (अच्छे खाद्य और न्यूट्रास्युटिकल को छोड़कर) को जो नियमों में अनुमोदित सामग्री और एडिटिव्स का उपयोग करने के बाद अब उत्पाद अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।
  • हरियाणा के कुंडली में एन.आई.एफ.टी.ई.एम. (Food Technology, Entrepreneurship and Management – NIFTEM) और तमिलनाडु के तंजावूर में भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Food Processing Technology - IIFPT) को उत्कृष्ट केंद्रों के रूप में सरकार द्वारा विकसित किया जा रहा है। 
  • एफ.एस.एस.ए.आई. द्वारा 'फूड रेगुलेटरी पोर्टल' नामक एक शक्तिशाली उपकरण की घोषणा की गई है। खाद्य व्यवसायों के लिये घरेलू कारोबार और खाद्य आयात दोनों को पूरा करने के लिये एकल इंटरफेस के रूप में योजना बनाई गई है। यह पोर्टल देश के खाद्य सुरक्षा कानूनों के प्रभावी और पारदर्शी कार्यान्वयन हेतु मददगार साबित होगा। 
  • व्यवसायों के संचालन के लिये एक सक्षम वातावरण बनाने के लक्ष्य के साथ-साथ यह पोर्टल “एक राष्ट्र, एक खाद्य कानून” (One Nation, One Food Law) के सरकार के मिशन के साथ रणनीतिक रूप से काम करेगा। 

राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण नीति  (National Food Processing Policy)

  • राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण नीति पर दृष्टिकोण पत्र मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। 
  • राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण नीति के अंतर्गत भारत के राष्ट्रीय खाद्य ग्रिड (India’s NATIONAL FOOD GRID) और राष्ट्रीय शीत श्रृंखला ग्रिड (NATIONAL COLD CHAIN GRID) के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा 
  • इसके साथ-साथ इसके तहत देश भर में कोने-कोने में खुदरा बाज़ार तैयार किये जाएंगे।
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