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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारतीय नौसेना की शांतिकालीन रणनीति

  • 07 Feb 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सागर, मेडागास्कर की अवस्थिति, चक्रवात डायने, ऑपरेशन वनीला

मेन्स के लिये:

हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की शांतिकालीन रणनीति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित मेडागास्कर (Madagascar) में चक्रवात डायने (Diane) से प्रभावित लोगों को सहायता और राहत उपलब्ध कराने के लिये ऑपरेशन वनीला (Operation Vanilla) के तहत भारतीय नौसेना के पोत आईएनएस ऐरावत (INS Airavat) को भेजा।

मुख्य बिंदु:

  • चक्रवात के कारण आई बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिये मेडागास्कर के राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना (Andry Rajoelina) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मदद की अपील के बाद भारतीय नौसेना द्वारा मेडागास्कर के लोगों को मदद पहुँचाई गई।

शांतिकालीन रणनीति के घटक

(Component Of Peacetime Strategy)

  • हाल के वर्षों में भारत हिंद महासागरीय क्षेत्र में भारतीय नौसेना की शांतिकालीन रणनीति के तहत मानवीय सहायता प्रदाता के रूप में उभरा है।
    • मोज़ांबिक को मदद: मार्च 2019 में जब चक्रवात ईदाई (Idai) ने मोज़ाम्बिक में तबाही मचाई तब भारतीय नौसेना ने मोज़ांबिक की मदद के लिये चार युद्धपोतों को तैनात किया था।
    • इंडोनेशिया को मदद: वर्ष 2019 में जब इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर उच्च तीव्रता के भूकंप आया तब भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन समुद्र मैत्री (Operation Samudra Maitri) के तहत इंडोनेशिया को तत्काल चिकित्सा सहायता पहुँचाई थी।
  • वर्ष 2019 में भारतीय नौसेना ने टाइफून हागिबिस (Hagibis) से प्रभावित जापान को मदद पहुँचाने के लिये दो युद्धपोत भेजे थे।

भारतीय नौसेना का यह नया मानवीय दृष्टिकोण हिंद महासागरीय क्षेत्र में भारतीय प्रधानमंत्री के विज़न 'सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास- Security and Growth for all in the Region) की एक अभिव्यक्ति है।

सागर- क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा एवं संवृद्धि

(SAGAR- Security And Growth for All in the Region):

  • सागर (SAGAR) कार्यक्रम को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मॉरीशस यात्रा के दौरान वर्ष 2015 में नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने हेतु शुरू किया गया था।
  • इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि भी सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है।
  • इस कार्यक्रम का मुख्य सिद्धांत; सभी देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नियमों और मानदंडों का सम्मान, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता, समुद्री मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान तथा समुद्री सहयोग में वृद्धि इत्यादि है।

हिंद महासागरीय क्षेत्र में भारत क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता के रुप में-

  • पिछले कुछ वर्षों में भारत ने हिंद महासागरीय क्षेत्र में बड़े पैमाने पर राहत एवं बचाव मिशन को अंजाम देकर स्वयं को ‘क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता’ (Regional Security Provider) के रूप में स्थापित किया है।
    • गौरतलब है कि वर्ष 2004 में भारत में आई सुनामी के बाद भारतीय नौसेना की मानव केंद्रित समुद्री सुरक्षा रणनीति पर अधिक ज़ोर दिया गया इसके तहत पहली बार भारतीय नौसेना के कमांडरों ने हिंद महासागरीय क्षेत्र में बड़े पैमाने पर राहत एवं बचाव मिशन के महत्त्व को पहचाना।
  • भारतीय नौसेना ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों की मदद के लिये अपनी वित्तीय स्थिति को मज़बूत किया है तथा विशेष उपकरणों की अधिक-से-अधिक तैनाती के साथ जटिल मिशनों को पूरा करने की क्षमता हासिल कर ली है।
    • जटिल मिशनों के अंतर्गत भारतीय नौसेना ने वर्ष 2015 में अदन की खाड़ी पर नियंत्रण को लेकर यमन में हुए संघर्ष के दौरान वहाँ फंसे 1500 भारतीयों और 1300 विदेशी नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकला था।
    • यमन संकट के तीन वर्ष बाद भारतीय नौसेना ने यमन के पास चक्रवात से प्रभावित सोकोत्रा ​​(Socotra) द्वीप पर फंसे 38 भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद की थी।
  • विश्लेषक मानते हैं कि इस तरह के मिशनों से भारत की सॉफ्ट पावर की छवि को मज़बूती मिलती है और इससे हिंद महासागरीय क्षेत्र में भारत को अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने में मदद मिलेगी।

चुनौतियाँ:

  • यद्यपि मानव केंद्रित सुरक्षा रणनीति के तहत हिंद महासागरीय देशों में सीमित नौसैनिकों की उपस्थिति भारत के लिये रणनीतिक क्षमता का निर्माण करती है किंतु विदेशी जलक्षेत्र में लंबे समय तक युद्धपोतों की उपस्थिति भागीदार देशों को चिंतित कर सकती है।
  • विशेषज्ञों द्वारा भारतीय नौसेना की शक्ति को सूक्ष्म तरीके से रेखांकित करना चाहिये न कि किसी धारणा के आधार पर अर्थात् किसी मिशन के अंतर्निहित इरादे को भू-राजनीतिक लाभ लेने के तौर पर प्रदर्शित न होने दें।

क्षमता निर्माण और सहयोग की आवश्यकता:

  • गौरतलब है कि इन मिशनों के दौरान प्रदान की गई सहायता कुशल और लागत प्रभावी है इसके लिये समर्पित आपदा-राहत प्लेटफार्मों का उपयोग किया गया है।
    • किंतु अमेरिका और चीन के विपरीत भारत नियमित युद्धपोतों एवं सर्वेक्षण जहाज़ों को चिकित्सा सहायता के किये उपयोग करता है। जबकि अमेरिका और चीन के इन्वेंट्री अस्पताल जहाज़ पूरी तरह से चिकित्सा सहायता के लिये सुसज्जित हैं।
  • भारत के कामचलाऊ आपदा-राहत जहाज़ अमेरिकी नौसेना के चिकित्सा जहाज़ यूएसएनएस मर्सी (USNS Mercy) या पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी के पीस आर्क (Peace Ark) से मेल नहीं खाते हैं जो विशेष चिकित्सा सेवाओं देने में सक्षम हैं।
    • अतः भारतीय नौसेना को हिंद-प्रशांत नौ सेनाओं विशेष रूप से अमेरिकी नौसेना, रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना और जापानी सेल्फ-डिफेंस फोर्सेज के साथ अधिक समन्वय की आवश्यकता है। इन देशों की नौ सेनाओं के पास मानवीय खतरों को कम करने के लिये अधिक अनुभव है और इनकी वित्तीय स्थिति भी अधिक मज़बूत है।

आगे की राह

  • चूंकि हिंद महासागरीय क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएँ लगातार और तीव्र होती जा रही हैं इसलिये भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा प्रदाता की भूमिका बढ़ने की संभावना है। इसके लिये भारतीय नौसेना के मानवीय सहायता मिशन एक बड़े सहकारी प्रयास के अंतर्गत समुद्री साझा क्षेत्र में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

स्रोत- द हिंदू

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