विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
डीप ओशन मिशन
- 18 Jun 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लियेडीप ओशन मिशन मेन्स के लियेडीप ओशन मिशन के विभिन्न घटक, ‘ब्लू इकॉनमी’ संबंधी विभिन्न पहलें |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने ‘डीप ओशन मिशन’ (DOM) पर ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय’ (MoES) के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
- समुद्र की गहराई का पता लगाने के लिये वर्ष 2018 में ‘डीप ओशन मिशन’ के ब्लूप्रिंट का अनावरण किया गया था। इससे पूर्व ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय’ ने ब्लू इकॉनमी पॉलिसी का मसौदा भी प्रस्तुत किया था।
प्रमुख बिंदु
डीप ओशन मिशन
- पाँच वर्ष की अवधि वाले इस मिशन की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए है और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय’ इस बहु-संस्थागत महत्त्वाकांक्षी मिशन को लागू करने वाला नोडल मंत्रालय होगा।
- यह भारत सरकार की ‘ब्लू इकॉनमी’ पहल का समर्थन करने हेतु एक मिशन मोड परियोजना होगी।
- ‘ब्लू इकॉनमी’ का आशय आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका, रोज़गार सृजन और महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र के बेहतर स्वास्थ्य हेतु समुद्री संसाधनों के सतत् उपयोग से है।
- ऐसे मिशनों के लिये आवश्यक तकनीक और विशेषज्ञता वर्तमान में केवल पाँच देशों- अमेरिका, रूस, फ्रांँस, जापान और चीन के पास उपलब्ध है।
- भारत ऐसी तकनीक वाला छठा देश होगा।
प्रमुख तत्त्व
- गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी हेतु प्रौद्योगिकी विकास
- तीन लोगों को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिये वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी।
- मध्य हिंद महासागर में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के खनन के लिये एक एकीकृत खनन प्रणाली भी विकसित की जाएगी।
- पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स समुद्र तल में मौजूद लोहे, मैंगनीज़, निकल और कोबाल्ट युक्त चट्टानें हैं।
- भविष्य में संयुक्त राष्ट्र के संगठन ‘इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी’ द्वारा जब भी वाणिज्यिक खनन कोड तैयार किया जाएगा ऐसी स्थिति में खनिजों के अन्वेषण अध्ययन से निकट भविष्य में वाणिज्यिक दोहन का मार्ग प्रशस्त होगा।
- महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास
- इसके तहत जलवायु परिवर्तनों के भविष्यगत अनुमानों को समझने और उसी के अनुरूप सहायता प्रदान करने वाले अवलोकनों एवं मॉडलों के एक समूह का विकास किया जाएगा।
- गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज एवं संरक्षण के लिये तकनीकी नवाचार
- इसके तहत सूक्ष्म जीवों सहित गहरे समुद्र की वनस्पतियों और जीवों की सर्वेक्षण और गहरे समुद्र में जैव-संसाधनों के सतत् उपयोग संबंधी अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- गहरे समुद्र में सर्वेक्षण और अन्वेषण
- इस घटक का प्राथमिक उद्देश्य हिंद महासागर के मध्य-महासागरीय भागों के साथ बहु-धातु हाइड्रोथर्मल सल्फाइड खनिज के संभावित स्थलों का पता लगाना और उनकी पहचान करना है।
- महासागर से ऊर्जा और मीठा पानी
- इसमें अपतटीय ‘महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण’ (OTEC) विलवणीकरण संयंत्र हेतु अध्ययन और विस्तृत इंजीनियरिंग डिज़ाइन तैयार करना शामिल है।
- OTEC एक ऐसी तकनीक है, जो ऊर्जा दोहन के लिये सतह से समुद्र के तापमान के अंतर का उपयोग करती है।
- इसमें अपतटीय ‘महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण’ (OTEC) विलवणीकरण संयंत्र हेतु अध्ययन और विस्तृत इंजीनियरिंग डिज़ाइन तैयार करना शामिल है।
- महासागर जीवविज्ञान हेतु उन्नत समुद्री स्टेशन
- इस घटक का उद्देश्य महासागरीय जीव विज्ञान और इंजीनियरिंग में मानव क्षमता एवं उद्यम का विकास करना है।
- यह घटक ऑन-साइट बिज़नेस इन्क्यूबेटर सुविधाओं के माध्यम से अनुसंधान को औद्योगिक अनुप्रयोग और उत्पाद विकास में परिवर्तित करेगा।
महत्त्व
- महासागर, विश्व के 70% हिस्से को कवर करते हैं और हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। महासागरों की गहराई में स्थित लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा अभी भी खोजा नहीं जा सका है।
- भारत तीन दिशाओं से महासागरों से घिरा हुआ है और देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती है, साथ ही महासागर मत्स्य पालन, जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका एवं ‘ब्लू इकॉनमी’ का समर्थन करने वाला एक प्रमुख आर्थिक कारक है।
- भारत की एक अद्वितीय समुद्री स्थिति है। भारत की 7517 किलोमीटर लंबी तटरेखा में 9 तटीय राज्य और 1382 द्वीप मौजूद हैं।
- फरवरी 2019 में घोषित ‘विज़न ऑफ न्यू इंडिया-2030’ ‘ब्लू इकॉनमी’ को विकास के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में उजागर करता है।
- महासागर भोजन, ऊर्जा, खनिजों, दवाओं, मौसम और जलवायु के भंडार हैं और पृथ्वी पर जीवन के आधार हैं।
- स्थिरता पर महासागरों के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2021-2030 के दशक को सतत् विकास हेतु महासागर विज्ञान के दशक के रूप में घोषित किया है।
‘ब्लू इकॉनमी’ संबंधी अन्य पहलें
- सतत् विकास हेतु ‘ब्लू इकॉनमी’ पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स:
- दोनों देशों के बीच संयुक्त पहल को विकसित करने और उसका पालन करने हेतु वर्ष 2020 में दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया गया था।
- सागरमाला परियोजना
- सागरमाला परियोजना बंदरगाहों के आधुनिकीकरण हेतु सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सक्षम सेवाओं के व्यापक उपयोग के माध्यम से बंदरगाहों के विकास हेतु एक रणनीतिक पहल है।
- ‘ओ-स्मार्ट’ योजना
- भारत में ओ-स्मार्ट के नाम से एक अम्ब्रेला योजना शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सतत् विकास हेतु महासागरों, समुद्री संसाधनों का विनियमित उपयोग करना है।
- एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन
- यह तटीय और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और तटीय समुदायों आदि के लिये आजीविका के अवसरों में सुधार पर केंद्रित है।
- राष्ट्रीय मत्स्य नीति
- भारत में 'ब्लू ग्रोथ इनिशिएटिव' को बढ़ावा देने के लिये एक राष्ट्रीय मत्स्य नीति तैयार की गई है, जो समुद्री और अन्य जलीय संसाधनों के साथ मत्स्य संपदा के सतत् उपयोग पर केंद्रित है।