शासन व्यवस्था
वाहन स्क्रैपिंग नीति
- 20 Mar 2021
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री ने लोकसभा में वाहन स्क्रैपिंग नीति (Vehicle Scrapping Policy) की घोषणा की।
- इस नीति को केंद्रीय बजट 2021-22 में पहली बार घोषित किया गया था।
- इस नीति के अंतर्गत 20 साल से अधिक पुराने 51 लाख और 15 साल से अधिक पुराने 34 लाख हल्के मोटर व्हीकल्स (LMV) को शामिल किया गया है।
- भारत एक ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (Global Positioning System- GPS) आधारित टोल संग्रह प्रणाली को भी लागू करेगा और एक साल के अंदर सभी टोल बूथों को बंद कर दिया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
उद्देश्य:
- पुराने और खराब वाहनों को कम कर इनसे होने वाले वायु प्रदूषकों को कम करना, सड़क और वाहनों की सुरक्षा में सुधार करना।
प्रावधान:
- फिटनेस टेस्ट:
- पुनः पंजीकरण कराने से पूर्व 15 वर्ष से अधिक पुराने वाणिज्यिक वाहनों और 20 वर्ष से अधिक पुराने निजी वाहनों को एक फिटनेस टेस्ट पास करना होगा।
- पुराने वाहनों का परीक्षण स्वचालित फिटनेस केंद्र में किया जाएगा, यहाँ वाहनों का फिटनेस टेस्ट अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर किया जाएगा।
- इन फिटनेस केंद्रों में वाहनों का उत्सर्जन परीक्षण, ब्रेकिंग सिस्टम, सुरक्षा घटकों आदि का परीक्षण किया जाएगा और इस टेस्ट में विफल रहने वाले वाहनों को हटा (Scrap) दिया जाएगा।
- मंत्रालय ने पंजीकरण प्रक्रिया के लिये स्क्रैपिंग सुविधाओं हेतु नियम भी जारी किये हैं।
- रोड टैक्स से छूट
- राज्य सरकारों को सलाह दी जाती है कि वे निजी वाहनों के लिये 25% तक और व्यावसायिक वाहनों हेतु 15% तक रोड-टैक्स में छूट प्रदान करें ताकि पुराने वाहनों के मालिकों को पुराने तथा अनफिट वाहनों को हटाने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
- वाहन में छूट:
- वाहन निर्माताओं द्वारा 'स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट' दिखाने वालों को नई गाड़ी लेने पर 5% की छूट दी जाएगी, साथ ही नए वाहन के पंजीकरण शुल्क में भी छूट दी जाएगी।
- हतोत्साहित करना:
- 15 वर्ष या इससे पुराने वाहनों के पुनः पंजीकरण शुल्क को बढ़ाकर ऐसे वाहनों के प्रयोग को हतोत्साहित किया जाएगा।
महत्त्व:
- स्क्रैप यार्ड का निर्माण:
- यह देश में अधिक स्क्रैप यार्ड बनाने और पुराने वाहनों के कचरे से प्रभावी रूप से निपटने में मदद करेगा।
- रोज़गार:
- नए फिटनेस सेंटरों से लगभग 35 हज़ार लोगों को रोज़गार मिलेगा और 10,000 करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त होगा।
- राजस्व में सुधार:
- यह भारी और मध्यम वाणिज्यिक वाहनों जो कि IL&FS संकट (Infrastructure Leasing & Financial Services) और कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थितियों के कारण आर्थिक मंदी में थे, की बिक्री को बढ़ावा देगा।
- इस नीति से सरकारी खजाने को वस्तु और सेवा कर (GST) के माध्यम से लगभग 30,000 से 40,000 करोड़ रुपए प्राप्त होने की उम्मीद है।
- कीमतों में कमी:
- पुराने वाहनों से प्राप्त धातु और प्लास्टिक के पुनर्चक्रण से ऑटो कंपोनेंट (Auto Component) की कीमतें काफी हद तक कम हो जाएगी।
- स्क्रैप सामग्री सस्ती होने से वाहन निर्माताओं की उत्पादन लागत कम हो जाएगी।
- प्रदूषण में कमी:
- यह ईंधन दक्षता में सुधार और प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा।
- नए वाहनों की तुलना में पुराने वाहन पर्यावरण को 10 से 12 गुना अधिक प्रदूषित करते हैं। एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में 15 वर्ष से अधिक पुराने लगभग 17 लाख मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहन मौजूद हैं।
- यह ईंधन दक्षता में सुधार और प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा।
वाहन प्रदूषण को रोकने के लिये अन्य पहलें:
- गो इलेक्ट्रिक अभियान।
- फेम इंडिया स्कीम फेज II।
- दिल्ली के लिये इलेक्ट्रिक वाहन नीति, 2020।
- हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित बस और कार परियोजना।
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन, 2020।