कृषि
किसान क्रेडिट कार्ड
- 19 Aug 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में बैंकों ने किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card-KCC) सेचुरेशन कैंपेन (Saturation campaign) शुरू किया है, इसका उद्देश्य ऐसे किसानों जिन्हें अभी तक ऋण प्रदान नहीं किया जा सका है, को उनकी ऋण की आवश्यकताओं (कृषि संबंधी खर्चों) की पूर्ति के लिये पर्याप्त एवं समय पर ऋण की सुविधा प्रदान करना है।
प्रमुख बिंदु
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare) के अनुसार, वर्तमान में 14.5 करोड़ परिचालन भूमि जोत (Operational Landholdings) के मुकाबले 6.92 करोड़ KCCs हैं।
- KCC के तहत उधारकर्त्ता को एक ATM सह-डेबिट कार्ड जारी किया जाता है (स्टेट बैंक किसान डेबिट कार्ड) ताकि वे ATMs एवं POS टर्मिनलों से आहरण कर सकें। KCC एक विविध खाते का स्वरूप है। इस खाते में कोई जमा शेष रहने की स्थिति में उस राशि पर बचत खाते के समान ब्याज मिलता है। KCC में 3 लाख रुपए तक की राशि पर प्रसंस्करण शुल्क नहीं लगाया जाता है।
- सेचुरेशन को सुनिश्चित करने के साथ-साथ, बैंक आधार कार्ड को बैंक खातों से तत्काल लिंक करने के लिये भी कदम उठा रहे हैं क्योंकि KCC खातों के साथ आधार संख्या के लिंक न होने पर कोई ब्याज सबवेंशन नहीं दिया जाएगा।
- इसके अलावा सरकार ने KCC के सेचुरेशन के लिये कई पहलें की हैं जिसमें पशुपालन और मत्स्यपालन के कार्य में लगे किसानों को जोड़ना, KCC के तहत ऋण का कोई प्रक्रिया शुल्क नहीं देना और संपार्श्विक मुक्त (Collateral Free) कृषि ऋण की सीमा को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.6 लाख रुपए करना शामिल है।
पृष्ठभूमि
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी।
- किसानों की ऋण आवश्यकताओं (कृषि संबंधी खर्चों) की पूर्ति के लिये पर्याप्त एवं समय पर ऋण की सुविधा प्रदान करना, साथ ही आकस्मिक खर्चों के अलावा सहायक कार्यकलापों से संबंधित खर्चों की पूर्ति करना। यह ऋण सुविधा एक सरली कार्यविधि के माध्यम से यथा- आवश्यकता के आधार पर प्रदान की जाती है।
- KCC में फसल कटाई के बाद के खर्चों, विपणन हेतु ऋण, किसान परिवारों की उपभोग संबंधी आवश्यकताओं, कृषि परिसंपत्तियों के रखरखाव के लिये कार्यशील पूंजी और कृषि से संबद्ध गतिविधियों, कृषि क्षेत्र में निवेश ऋण की आवश्यकता को शामिल किया गया है।
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना (KCC) को वाणिज्यिक बैंकों, RRBs, लघु वित्त बैंकों (Small Finance Banks) और सहकारी संस्थाओं द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
ब्याज सबवेंशन (छूट) योजना
Interest Subvention Scheme
- इसका लक्ष्य किसानों को 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज दर पर 3 लाख रुपए तक का अल्पकालिक फसली ऋण प्रदान करना है।
- ऋणदाता (उधार देने वाले) संस्थान जैसे- PSBs और निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक सरकार द्वारा प्रस्तावित 2 प्रतिशत का ब्याज सबवेंशन (छूट) प्रदान करते हैं।
- यह नीति वर्ष 2006-07 से लागू हुई।
- ब्याज सबवेंशन (छूट) योजना (Interest Subvention Scheme) का क्रियान्वयन नाबार्ड और RBI द्वारा किया जा रहा है।