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स्ट्रीट वेंडर्स के लिये ‘मैं भी डिजिटल’ अभियान

  • 28 Dec 2020
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा जल्द ही स्ट्रीट वेंडर्स (सड़क विक्रेताओं) के लिये ‘मैं भी डिजिटल’ (Main Bhi Digital) अभियान शुरू किया जाएगा, ताकि उन्हें डिजिटल रूप से भुगतान स्वीकार करने में सक्षम बनाया जा सके।

प्रमुख बिंदु

‘मैं भी डिजिटल’ अभियान

  • इस अभियान के हिस्से के रूप में 4 जनवरी, 2021 से 22 जनवरी, 2021 के बीच देश भर के 10 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स, जिन्होंने पीएम स्वनिधि योजना के तहत 10,000 रुपए का ऋण प्राप्त किया है, को डिजिटल भुगतान प्रणाली के उपयोग हेतु प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • इस अभियान के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को न केवल डिजिटल माध्यम से भुगतान प्राप्त करने में सक्षम बनाया जाएगा, बल्कि इसके तहत उन्हें एक विशिष्ट क्यूआर कोड (QR Codes) का उपयोग करके थोक विक्रेताओं से खरीदी जाने वाली सामग्री के लिये भुगतान करना भी सिखाया जाएगा।
  • विक्रेताओं के मोबाइल फोन में लेनदेन के लिये आवश्यक एप्लीकेशन मौजूद होंगे और उन्हें सुरक्षित भुगतान करने के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा। 

पीएम स्वनिधि योजना

  • यह जून 2020 में शुरू की गई केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) की एक प्रमुख योजना है, जिसके तहत छोटे विक्रेता और स्ट्रीट वेंडर्स अपने व्यवसाय को पुनः प्रारंभ करने के लिये कार्यशील पूंजी के तौर पर 10,000 रुपए तक के ऋण के लिये आवेदन कर सकते हैं।
  • साथ ही इसके तहत ऋण प्राप्त करने के लिये आवेदकों को किसी प्रकार की ज़मानत या कोलैट्रल (Collateral) की आवश्यकता नहीं होगी।
  • आँकड़ों की मानें तो इस योजना का लाभ प्राप्त करने वाले केवल 20 प्रतिशत छोटे दुकानदार अथवा स्ट्रीट वेंडर्स डिजिटल माध्यम से भुगतान प्राप्त करने में सक्षम हैं।

भारत में स्ट्रीट वेंडर्स

  • नियमों के अनुसार, जिन लोगों के पास स्थायी दुकान नहीं है, उन्हें स्ट्रीट वेंडर्स (सड़क विक्रेता) माना जाता है।
    • सरकारी अनुमानों के अनुसार, देश भर में कुल (गैर-कृषि) शहरी अनौपचारिक रोज़गार में से तकरीबन 14 प्रतिशत लोग स्ट्रीट वेंडर्स हैं।
  • भारत में अनुमानित 50-60 लाख स्ट्रीट वेंडर्स हैं, जिसमें से सबसे अधिक दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अहमदाबाद जैसे शहरों में मौजूद हैं।
  • समस्याएँ 
    • कई शहरों में स्ट्रीट वेंडर्स को जारी किये जाने वाले लाइसेंस के लिये अधिकतम सीमा पूर्णतः अवास्तविक है, उदाहरण के लिये मुंबई में स्ट्रीट वेंडर्स के लिये अधिकतम लाइसेंस सीमा मात्र 15,000 है, जबकि वहाँ अनुमानतः 2.5 लाख वेंडर मौजूद हैं।
      • इसका अर्थ है कि इन क्षेत्रों में अधिकांश विक्रेता अवैध रूप से कार्य करते हैं, इसके कारण वे स्थानीय पुलिस और नगरपालिका अधिकारियों के शोषण और जबरन वसूली के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
    • कई बार स्थानीय निकाय फुटपाथ को खाली कराने और स्ट्रीट वेंडर्स का सामान ज़ब्त करने के लिये अभियान चलाते हैं और अवैध होने के कारण उनसे भारी जुर्माना वसूला जाता है।
  • स्ट्रीट वेंडर्स के संगठन
    • नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (NASVI): यह सदस्यता आधारित संगठन है, जो भारत के लगभग सभी हिस्सों से 10,00,000 स्ट्रीट वेंडर्स का प्रतिनिधित्व करता है। 
    • नेशनल हॉकर फेडरेशन: यह देश के 28 राज्यों में स्ट्रीट वेंडर्स का संघ है, जिसमें 1,188 यूनियन हैं, जिनमें 11 केंद्रीय ट्रेड यूनियन और 20 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन भी शामिल हैं।

स्ट्रीट वेंडर्स के लिये अन्य पहलें: 

  • स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग विनियमन) अधिनियम, 2014: इस अधिनियम को सार्वजनिक क्षेत्रों में स्ट्रीट वेंडर्स को विनियमित करने और उनके अधिकारों की सुरक्षा करने हेतु लागू किया गया था।
    • यह अधिनियम स्ट्रीट वेंडर को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है, जो किसी भी सार्वजनिक स्थान या निजी क्षेत्र पर, किसी अस्थायी जगह पर बने ढाँचे से या जगह-जगह घूमकर, आम जनता के लिये रोज़मर्रा के उपयोग की वस्तुओं या सेवाओं की पेशकश करता है।
  • स्ट्रीट वेंडर्स को निम्नलिखित योजनाओं के दायरे में लाने के लिये सरकार ने अपनी तरह का पहला सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण भी शुरू किया है: 

आगे की राह

  • स्ट्रीट वेंडर्स के लिये कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं, किंतु इसके बावजूद इन योजनाओं के कार्यान्वयन, पहचान, जागरूकता और पहुँच से संबंधित विभिन्न चरणों में अंतराल देखा जा रहा है, जिन्हें समयबाद्ध ढंग से दूर किया जाना आवश्यक है।
  • इसके अलावा स्ट्रीट वेंडर्स को मातृत्व भत्ता, दुर्घटना राहत, उच्च शिक्षा हेतु वेंडर के बच्चों को सहायता और किसी भी संकट के दौरान पेंशन जैसे लाभ प्रदान किये जाने चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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