अफ्रीका में भारत की महत्त्वपूर्ण खनिज अधिग्रहण योजनाएँ | 27 May 2024

प्रिलिम्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण खनिज, इलेक्ट्रिक वाहन (EV), दुर्लभ तत्त्व, खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड, आपूर्ति शृंखला पहल, खनिज सुरक्षा भागीदारी (MSP), शुद्ध शून्य उत्सर्जन, भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण

मेन्स के लिये:

भारत के लिये खनिजों का महत्त्व, महत्त्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करने के लिये भारत की रणनीति, सरकारी पहल, भारत के घरेलू ऊर्जा लक्ष्य

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों? 

भारत अफ्रीका में अपनी महत्त्वपूर्ण खनिज अधिग्रहण योजनाओं को आगे बढ़ा रहा है, जिससे इस क्षेत्र में चीन की ओर से लगातार चुनौतियाँ मिल रही है।

  • भारत द्वारा विभिन्न अफ्रीकी देशों की सरकारों के साथ खनन सहयोग और पहुँच समझौते करने के साथ, आवश्यक खनिजों का उत्खनन चिंता का एक प्रमुख विषय है।

भारत, अफ्रीका में अपनी महत्त्वपूर्ण खनिज अधिग्रहण योजनाएँ क्यों बढ़ा रहा है?

  • संसाधनों का संग्रहण: भारत के घरेलू उद्योगों, विशेष रूप से बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहन (Electric Vehicle- EV) और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों के लिये, महत्त्वपूर्ण खनिजों की स्थिर एवं विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करना।
    • आयात पर निर्भरता कम करने के साथ ही संभावित आपूर्ति शृंखला व्यवधानों को भी कम करना।
    • महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता एवं रणनीतिक स्वायत्तता की दिशा में देश की पहल का समर्थन करना।
  • चीन का प्रभुत्व: अनुमान है कि चीन कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में लगभग 5% से अधिक कोबाल्ट प्रसंस्करण सुविधाओं को नियंत्रित करता है।
    • अनुमान है कि टेनके फंगुरम की कुल खदानों में से लगभग 80% पर चीनी कंपनियों का स्वामित्व है, जो विश्व के लगभग 12% कोबाल्ट का उत्पादन करती हैं।
      • चीन द्वारा ज़िम्बाब्वे में लिथियम संसाधनों को सुरक्षित करने के लिये भी पर्याप्त निवेश किया गया है।
    • भारत का लक्ष्य चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिये अफ्रीकी खनन क्षेत्र में एक मज़बूत उपस्थिति स्थापित करना है।
  • उच्च गुणवत्ता वाले भंडार तक पहुँच:
    • अफ्रीका में कोबाल्ट, ताँबा, लिथियम एवं दुर्लभ तत्त्वों जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों का भंडार है।
      • विश्व के 30% से अधिक महत्त्वपूर्ण खनिज भंडार अफ्रीका में पाए जाते हैं, जो अफ्रीकी देशों को प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्त्ता बनने के साथ ही व्यापार करने का अवसर भी प्रदान करता है।
      • भारत की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये उच्च गुणवत्ता वाले एवं आर्थिक रूप से व्यवहार्य खनिज भंडार तक पहुँच प्राप्त करना।
    • भारत की औद्योगिक एवं तकनीकी आकांक्षाओं को समर्थन देने के लिये अफ्रीका की खनिज संपदा का लाभ उठाना।
  • द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत बनाना: भारत, अफ्रीकी देशों के साथ खनन सहयोग और पहुँच समझौतों को सुरक्षित करने के लिये सरकार-से-सरकार (Government-to-Government- G2G) वार्ता का लाभ उठा रहा है।
    • भारत ने दक्षिण अफ्रीका मोज़ाम्बिक, कांगो, तंज़ानिया, ज़ाम्बिया, मलावी, कोटे डी. आइवर गणराज्य और ज़िम्बाब्वे के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • इससे भारत को क्षेत्र के देशों के साथ मज़बूत राजनयिक और आर्थिक संबंध बनाने में सहायता मिलती है।
    • भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीका में भारतीय निवेश वर्ष 2030 तक 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच सकता है। इसमें कहा गया है कि अप्रैल 1996 से भारत ने अफ्रीका में 74 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है।

भारत की अन्य विदेशी महत्त्वपूर्ण खनिज अधिग्रहण योजनाएँ क्या हैं? 

  • खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL): यह खान मंत्रालय के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (Central Public Sector Enterprises- CPSEs) नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (National Aluminium Company Ltd - Nalco), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (Hindustan Copper Ltd - HCL) और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (Mineral Exploration and Consultancy Ltd - MECL) द्वारा संचालित एक संयुक्त उद्यम है।
    • इसका उद्देश्य लिथियम और कोबाल्ट जैसे बैटरी खनिजों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में आपूर्ति के लिये विदेशी स्थानों से रणनीतिक खनिजों की पहचान, अधिग्रहण, विकास, प्रसंस्करण और व्यावसायीकरण करना है।
  • कोल इंडिया लिमिटेड (CIL): यह विदेशों में लिथियम, कोबाल्ट और निकल संपत्तियों के अधिग्रहण को लक्षित कर रहा है, क्योंकि इसका लक्ष्य अपने मुख्य कोयला व्यवसाय से परे अपने परिचालन में विविधता लाना है।
    • कोल इंडिया लिमिटेड (CIL): यह विदेशों में लिथियम, कोबाल्ट और निकल संपत्तियों के अधिग्रहण को लक्षित कर रहा है, क्योंकि इसका लक्ष्य अपने मुख्य कोयला व्यवसाय से परे अपने परिचालन में विविधता लाना है।
      • CIL ने अलौह और महत्त्वपूर्ण खनिजों को शामिल करने के लिये अपने मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में संशोधन किया है।
  • खनिज सुरक्षा साझेदारी (MSP): भारत, जून 2023 में खनिज सुरक्षा साझेदारी (Mineral Security Partnership- MSP) में शामिल हुआ, जिससे यह संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अन्य देशों के साथ इस भागीदारी में शामिल होने वाला 14वाँ सदस्य बन गया।
    • भारत विदेशों में महत्त्वपूर्ण खनिज संपत्ति प्राप्त करने में भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector Undertakings- PSU) की सहायता के लिये इस ढाँचे का लाभ उठाना चाहता है।
    • वर्ष 2022 में स्थापित MSP का लक्ष्य सरकारों और उद्योग के बीच सहयोग के माध्यम से विश्वसनीय आपूर्ति शृंखला तैयार करना, मूल्य शृंखला के साथ रणनीतिक परियोजनाओं के लिये राजनयिक एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
  • सप्लाई चैन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव (SCRI): ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ सहयोग का उद्देश्य महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये आपूर्ति शृंखला लचीलापन/सप्लाई चैन रेज़ीलिएंस सुनिश्चित करना है।
  • ऑस्ट्रेलियाई साझेदारी: भारत ने महत्त्वपूर्ण खनिज परियोजनाओं में निवेश के लिये ऑस्ट्रेलिया के साथ क्रिटिकल मिनरल्स इन्वेस्टमेंट पार्टनरशिप पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • वैश्विक सहयोग: भारत चिली, अर्जेंटीना और बोलीविया जैसे देशों के साथ सहयोग कर रहा है, जो अपने महत्त्वपूर्ण लिथियम संसाधनों के लिये जाने जाते हैं।
    • वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति सुनिश्चित करने की अपनी योजना के तहत भारत एक ग्रेफाइट खदान ब्लॉक प्राप्त करने के लिये श्रीलंका के साथ वार्ता कर रहा है।
      • ग्रेफाइट भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसका उपयोग बैटरी निर्माण में किया जाता है। 98% से अधिक कार्बन सामग्री के साथ श्रीलंकाई ग्रेफाइट को विश्व में सबसे शुद्ध माना जाता है।

भारत को महत्त्वपूर्ण खनिज सुरक्षित करने हेतु कौन-सी नई पहलों ने प्रेरित किया है?

महत्त्वपूर्ण खनिज:

  • परिचय: महत्त्वपूर्ण खनिज वे खनिज हैं जो आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु आवश्यक हैं, इन खनिजों की उपलब्धता की कमी या यहाँ तक कि कुछ भौगोलिक स्थानों में इन खनिजों के अस्तित्व, निष्कर्षण या प्रसंस्करण की एकाग्रता से आपूर्ति श्रृंखला में कमजोरी और व्यवधान हो सकता है। 
    • जून 2023 में, भारत ने 30 आवश्यक खनिजों की पहचान करते हुए महत्त्वपूर्ण खनिजों पहली विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की।
      • ये खनिज हैं एंटीमनी (Antimony), बेरिलियम (Beryllium), बिस्मथ (Bismuth), कोबाल्ट (Cobalt), कॉपर (Copper), गैलियम (Gallium), जर्मेनियम (Germanium), ग्रेफाइट (Graphite), हेफ़नियम (Hafnium), इंडियम (Indium), लिथियम (Lithium), मोलिब्डेनम (Molybdenum), नाइओबियम (Niobium), निकेल (Nickel), पीजीई (PGE), फॉस्फोरस (Phosphorous), पोटाश (Potash), दुर्लभ पृथ्वी तत्त्व (Rare Earth Elements- REE), रेनियम (Rhenium), सिलिकॉन (Silicon), स्ट्रोंटियम (Strontium), टैंटलम (Tantalum), टेल्यूरियम (Tellurium), टिन (Tin), टाइटेनियम (Titanium), टंगस्टन (Tungsten), वैनेडियम (Vanadium), ज़िरकोनियम (Zirconium), सेलेनियम (Selenium) और कैडमियम (Cadmium)।
  • महत्त्व:  ये खनिज मोबाइल फोन, कंप्यूटर, बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल, सौर पैनल और पवन टरबाइन के निर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • भारतीय आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 ने पिछले 50 वर्षों में कच्चे तेल के समान भविष्य के संभावित भू-राजनीतिक युद्ध के मैदानों के रूप में दुर्लभ पृथ्वी तत्त्वों और महत्त्वपूर्ण खनिजों के महत्व पर प्रकाश डाला।
    • स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में बदलाव से महत्त्वपूर्ण खनिजों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है।
    • भारत का घरेलू इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल बाज़ार वर्ष 2022 से वर्ष 2030 तक 49% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compounded Annual Growth Rate) से बढ़ने का अनुमान है, वर्ष 2030 तक 1 करोड़ की अनुमानित वार्षिक बिक्री मात्रा के साथ, उन्नत रसायन विज्ञान सेल (Advanced Chemistry Cell) बैटरियों की मांग बढ़ेगी।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न.विश्व स्तर पर महत्त्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करने के लिये भारत की पहल और साझेदारी का आकलन कीजिये तथा भारत की ऊर्जा सुरक्षा एवं आर्थिक विकास के लिये उनके निहितार्थ का मूल्यांकन कीजिये।

और पढ़े:  महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहेली

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत के वर्ष प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. हाल में तत्त्वों के एक वर्ग, जिसे 'दुर्लभ मृदा धातु' कहते हैं, की कम आपूर्ति पर चिंता जताई गई। क्यों? (2012)

  1. चीन, जो इन तत्त्वों का सबसे बड़ा उत्पादक है, द्वारा इनके निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  2. चीन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और चिली को छोड़कर अन्य किसी भी देश में ये तत्त्व नहीं पाये जाते हैं।
  3. दुर्लभ मृदा धातु विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्माण में आवश्यक हैं और इन तत्त्वों की मांग बढ़ती जा रही है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में बहुत कम प्रतिशत का योगदान देते हैं। विवेचना कीजिये। (2021)

प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है।" विवेचना कीजिये। (2017)