ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर में महिलाएँ
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
एक हालिया रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वर्तमान में लगभग 5 लाख भारतीय महिलाएँ ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) में कार्यरत हैं।
- ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा कई रणनीतिक कार्य करने के लिये स्थापित अपतटीय इकाइयाँ हैं।
रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?
- GCC में वृद्धि:
- भारत लगभग 1,600 GCC की मेज़बानी करता है, जिसमें 2022-23 में 2.8 लाख कर्मचारियों की वृद्धि हुई, जिससे इसका प्रतिभा आधार 1.6 मिलियन से अधिक था।
- वर्तमान में लगभग पाँच लाख महिलाएँ भारतीय ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) में काम करती हैं, जिनमें भारत में GCC के कुल 16 लाख कर्मचारियों में से 28% शामिल हैं। डीप टेक इकोसिस्टम में लैंगिक विविधता 23% है।
- कार्यकारी एवं उच्चस्तरीय भूमिकाएँ:
- केवल 6.7% महिलाएँ GCC में और 5.1% महिलाएँ डीप टेक संगठनों में कार्यकारी भूमिका निभाती हैं।
- GCC में वरिष्ठ स्तर (9-12 वर्ष का अनुभव) पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व 15.7% है।
- स्नातक प्रतिनिधित्व:
- 2020-23 के बीच शीर्ष इंजीनियरिंग विश्वविद्यालयों से महिला स्नातकों का औसत प्रतिनिधित्व 25% है।
- चुनौतियाँ एवं प्रणालीगत बाधाएँ:
- महिलाओं की नौकरी छोड़ने की प्रवृत्ति परिवार और देखभाल की ज़िम्मेदारियों, कॅरियर में उन्नति एवं नेतृत्व के अवसरों तक सीमित पहुँच तथा खराब कार्य-जीवन संतुलन जैसे कारकों से प्रभावित होती है।
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) क्या हैं?
- परिचय:
- ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCCs) कंपनियों द्वारा अपनी मूल संस्थाओं को कई प्रकार की सेवाएँ प्रदान करने के लिये स्थापित अपतटीय प्रतिष्ठानों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- वैश्विक कॉर्पोरेट ढाँचे के भीतर आंतरिक संस्थाओं के रूप में कार्य करते हुए, ये केंद्र आईटी सेवाओं, अनुसंधान एवं विकास, ग्राहक सहायता तथा विभिन्न अन्य व्यावसायिक कार्यों सहित विशेष क्षमताएँ प्रदान करते हैं।
- GCC लागत दक्षता का लाभ उठाने, प्रतिभा भंडारों का दोहन करने और मूल उद्यमों एवं उनके अपतटीय समकक्षों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones- SEZs) कर छूट, सरलीकृत नियमों और सुव्यवस्थित नौकरशाही जैसे कई लाभ प्रदान करके GCC के विस्तार को एक मंच उपलब्ध करा सकते हैं।
- वर्तमान स्थिति:
- 2022-23 में लगभग 1,600 GCC ने 46 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बाज़ार स्थापित किया, जिसमें 17 मिलियन लोगों को रोज़गार मिला।
- GCC के भीतर, पेशेवर और परामर्श सेवाएँ भारत के सेवा निर्यात का केवल 25% हिस्सा होने के बावजूद सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला खंड है।
- पिछले चार वर्षों में उनकी 31% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compounded Annual Growth Rate- CAGR) कंप्यूटर सेवाओं (16% CAGR) और अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) सेवाओं (13% CAGR) से काफी अधिक है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) क्या हैं?
- SEZ किसी देश के भीतर ऐसे क्षेत्र हैं जो प्रायः शुल्क मुक्त (राजकोषीय रियायत) होते हैं और यहाँ मुख्य रूप से निवेश को प्रोत्साहित करने तथा रोज़गार उत्पन्न करने के लिये अलग-अलग व्यापार और वाणिज्यिक कानून होते हैं।
- SEZ इन क्षेत्रों को बेहतर ढंग से संचालित करने के लिये भी बनाए गए हैं, जिससे व्यापार सुगमता में आसानी (ease of doing business) होती है।
- एशिया का पहला निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (Export Processing Zones- EPZ) वर्ष 1965 में कांडला, गुजरात में स्थापित किया गया था।
- इन EPZs की संरचना SEZ के समान थी, सरकार ने वर्ष 2000 में EPZ की सफलता को सीमित करने वाली ढाँचागत और नौकरशाही चुनौतियों के निवारण के लिये विदेश व्यापार नीति के तहत SEZ की स्थापना शुरू की।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम वर्ष 2005 में पारित किया गया और वर्ष 2006 में SEZ नियमों के साथ लागू हुआ।
- भारत के SEZ को चीन के सफल मॉडल के साथ मिलकर संरचित किया गया था। वर्तमान में 379 SEZs अधिसूचित हैं, जिनमें से 265 वर्तमान में संचालित हैं। लगभग 64% SEZ पाँच राज्यों- तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थित हैं।
- भारत की मौजूदा SEZ नीति का अध्ययन करने के लिये वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बाबा कल्याणी के नेतृत्व वाली समिति का गठन किया गया था तथा उसने नवंबर 2018 में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं।
- इसे विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) के अनुकूल बनाने की दिशा में SEZ नीति का मूल्यांकन करने और क्षमता उपयोग एवं SEZ के संभावित उत्पादन को अधिकतम करने के लिये वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को लाने के व्यापक उद्देश्य के साथ स्थापित किया गया था।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सी उसकी प्रमुख विशेषता मानी जाती है? (2020) (a) यह मूलत: किसी सूचीबद्ध कंपनी में पूंजीगत साधनों द्वारा किया जाने वाला निवेश है। उत्तर: (b) प्रश्न.निम्नलिखित पर विचार कीजिये- (2021)
उपर्युक्त में से किसे/किन्हें विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में सम्मिलित किया जा सकता है/किये जा सकते हैं? (a) 1, 2 और 3 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. “विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) के अधिक व्यापक लक्ष्य एवं उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन और प्रोन्नत करना है। परंतु (संधि) वार्ताओं की दोहा परिधि मृतोंमुखीप्रतीत होती है, जिसका कारण विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद है।'' भारतीय परिप्रेक्ष्य में,इस पर चर्चा कीजिये। (2016) प्रश्न. यदि 'व्यापार युद्ध' के वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू० टी० ओ०) को ज़िंदा बने रहना है, तो उसके सुधार के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं, विशेष रूप से भारत के हित को ध्यान में रखते हुए? (2018) |
खगोल विज्ञान में ग्रहण
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) ने चमकीले लाल तारे एंटारेस (ज्येष्ठा) के सामने से गुज़रने वाले चंद्रमा के रहस्य को रिकॉर्ड करते हुए एक वीडियो जारी किया है।
नोट:
- जिस प्रकार सूर्यग्रहण को केवल विश्व के एक विशिष्ट क्षेत्र से ही देखा जा सकता है, उसी प्रकार चंद्रमा की पृथ्वी से सापेक्ष निकटता के कारण इस प्रकार के ग्रहण पृथ्वी पर केवल विशिष्ट स्थानों से ही दिखाई देंगे।
खगोल विज्ञान में ग्रहण क्या है?
- परिचय:
- खगोल विज्ञान में ‘ग्रहण’ की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब एक खगोलीय पिंड दूसरे के सामने से गुज़रता है, जिससे दूसरे की दृश्यता अवरुद्ध हो जाती है।
- इसके अतिरिक्त, विशिष्ट घटनाओं की अधिक विस्तार से जाँच करने के लिये कृत्रिम रूप से रहस्यमयी रचनाएँ निर्मित की जा सकती हैं। संभवतः सबसे प्रसिद्ध अनुप्रयोग सौर या तारों के प्रकाश को अवरुद्ध करना है ताकि निकट की वस्तुओं को देखा जा सके।
- चंद्रग्रहण के दौरान, चंद्रमा आकाश में अन्य वस्तुओं, जैसे तारे, ग्रह या क्षुद्रग्रह के सामने घूमता हुआ प्रतीत होता है।
- खगोल विज्ञान में ‘ग्रहण’ की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब एक खगोलीय पिंड दूसरे के सामने से गुज़रता है, जिससे दूसरे की दृश्यता अवरुद्ध हो जाती है।
- तारों का चंद्रग्रहणः
- जैसे ही चंद्रमा अंतरिक्ष में अपने पथ पर गमन करता है, वह अक्सर चमकीले तारों को छिपा लेता है।
- एक वर्ष में चंद्रमा 850 से अधिक तारों के प्रकाश को धूमिल कर सकता है जो नग्न आँखों से देखे जा सकते हैं, जिनमें एंटारेस, रेगुलस, स्पिका और एल्डेबरन (तारामंडल वृषभ में लाल रंग का विशाल तारा) जैसे प्रमुख तारे भी शामिल हैं।
- किसी तारे के चंद्रग्रहण के दौरान, जैसे ही चंद्रमा उसके सामने आता है, तारा अचानक गायब हो जाता है, जो चंद्रमा पर वायुमंडल की कमी को दर्शाता है।
- ग्रहों का चंद्रग्रहण:
- ‘ग्रहण’ चंद्रमा द्वारा शुक्र, बृहस्पति, मंगल और शनि जैसे ग्रहों पर होने वाली उल्लेखनीय खगोलीय घटनाएँ हैं।
- चंद्रग्रहण के समय, पर्यवेक्षक ग्रह और चंद्रमा दोनों का अवलोकन कर सकते हैं, जो ग्रहण अवलोकन का अद्वितीय अवसर हैं।
- क्षुद्रग्रह ग्रहण:
- क्षुद्रग्रह ऐसे छोटे चट्टानी पिंड हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। कभी-कभी, वे दूर स्थित तारों के सामने से गुज़रते हैं, जिससे ग्रहण जैसी स्थिति उत्पन्न होती है।
- ग्रहों पर ग्रहण:
- ग्रहों पर ग्रहण दुर्लभ और रोचक घटनाएँ हैं जहाँ एक ग्रह दूसरे ग्रह के सामने से गुज़रता है तथा पृथ्वी से इस ग्रह की दृश्यता कुछ देर के लिये बाधित हो जाती है।
- ये घटनाएँ ‘क्षुद्रग्रह ग्रहण’ के समान हैं परंतु इसमें क्षुद्रग्रहों के स्थान पर ग्रह होते हैं।
- ऐतिहासिक रूप से, परस्पर निकट स्थित ग्रहों में ग्रहण जैसी स्थित उत्पन्न होना अत्यंत दुर्लभ है। इस तरह की सबसे हालिया घटना 3 जनवरी, 1818 को हुई थी, जब शुक्र बृहस्पति के सामने से गुज़रा।
एंटारेस (ज्येष्ठा):
- यह वृश्चिक राशि का सबसे चमकीला तारा है। एंटारेस एक लाल सुपरजायंट तारा है जिसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 12 गुना एवं व्यास सूर्य के व्यास का 750 गुना है।
- एंटारेस एक ‘बाइनरी स्टार सिस्टम’ का भाग है। हल्के द्वितीयक तारे को एंटारेस B कहा जाता है, जो नीले-सफेद रंग वाला मुख्य अनुक्रम तारा है।
- अनुमान है कि ये दोनों तारे एक दूसरे से 220 खगोलीय इकाई (AU) से अधिक दूर हैं।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA):
- IIA खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी एवं सापेक्षिक भौतिकी में अनुसंधान के लिये समर्पित एक प्रमुख संस्थान है। इस संस्थान को वर्ष 1786 में मद्रास में एक वेधशाला से प्रारंभ किया गया था, जिसे बाद में वर्ष 1899 में इसे कोडईकनाल स्थानांतरित कर दिया गया।
- वर्ष 1971 में यह भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के नाम से स्थापित हुआ तथा वर्ष 1975 में इसका मुख्यालय बंगलूरू स्थानांतरित कर दिया गया।
- वर्तमान में संस्थान के मुख्य प्रेक्षण स्थल कोडईकनाल, कवलूर, गौरीबिदानूर और हानले में स्थित हैं।
- यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अंतर्गत भौतिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, खगोल विज्ञान एवं अंतरिक्ष विज्ञान में अनुसंधान करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. हाल ही में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से अरबों प्रकाश-वर्ष दूर विशालकाय 'ब्लैकहोलों' के विलय का प्रेक्षण किया। इस प्रेक्षण का क्या महत्त्व है? (2019) (a) 'हिग्स बोसॉन कणों' का अभिज्ञान हुआ। उत्तर: (b) |
हिंद महासागर तल मानचित्रण पर INCOIS का अध्ययन
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (Indian National Centre For Ocean Information Services- INCOIS) के वैज्ञानिकों ने समुद्री धाराओं और गतिशीलता की गहनता से जाँच करने के लिये हिंद महासागर के तल के मानचित्रण पर एक अध्ययन किया।
नोट:
- ESSO-INCOIS की स्थापना वर्ष 1999 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी। यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (ESSO) की एक इकाई है। यह हैदराबाद में स्थित है।
- ESSO-INCOIS को इसके व्यवस्थित एवं निरंतर समुद्री अवलोकन तथा केंद्रित अनुसंधान के माध्यम से समाज, उद्योग, सरकारी एजेंसियों एवं वैज्ञानिकों को सर्वोत्तम संभव समुद्री सूचना तथा सलाहकार सेवाएँ प्रदान करने का दायित्व दिया गया है।
अध्ययन के प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- धाराओं पर द्वीपों का प्रभाव:
- अध्ययन से पता चलता है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मालदीव के साथ, हिंद महासागर की धाराओं की दिशा एवं गति को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं, जिससे सतह की धाराओं के विपरीत गहरे घुमावदार पैटर्न (भँवर) बनते हैं।
- बेहतर बैथिमैट्री (मैप के अंतर्गत महासागरीय मापन):
- विगत महासागरीय मापन प्रणालियों ने भारत के चारों ओर पाई गई तटीय धाराओं की लंबाई को कम करके आँका था।
- सटीक महासागरीय मापन डेटा को शामिल करने से:
- महासागर की लवणता, तापमान तथा तट के निकट धाराओं का सटीक पूर्वानुमान हो सकेगा।
- अधिक गहराई (1,000 और 2,000 मीटर) पर, पूर्वी भारतीय तटीय धारा (EICC) जो सतही धाराओं के विपरीत बहती है, के प्रवाह का सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा।
- EICC बंगाल की खाड़ी की पश्चिमी सीमा पर स्थित तटीय धारा है। यह एक शक्तिशाली धारा है जो कि वर्ष में दो बार अपनी दिशा बदलती है, तथा इस क्षेत्र के समुद्री परिसंचरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- फरवरी से सितंबर तक EICC का सतही प्रवाह भारतीय तट के साथ-साथ उत्तर-पूर्व की ओर होता है। अक्तूबर से जनवरी तक,यह प्रवाह दक्षिणाभिमुख हो जाता है तथा भारतीय व श्रीलंकाई दोनों तटों की और प्रवाहित होता है।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में समुद्र तट के निकट 2,000 मीटर की गहराई पर एक धारा की खोज संभव हुई।
- भूमध्य रेखीय अंतर्धारा (EUC) पर मालदीव द्वीप समूह के प्रभाव को समझना।
- EUC अटलांटिक और प्रशांत महासागरों में पूर्व की ओर बहने वाली एक स्थायी धारा है जो वसंत एवं सर्दियों में पूर्वोत्तर मानसून के दौरान हिंद महासागर में मौज़ूद होती है।
- मालदीव द्वीप समूह की उपस्थिति EUC के पश्चिम की ओर के विस्तार को प्रभावित करती है, जिसमें मौसमों के बीच अंतराल और परिभाषा में भिन्नता होती है।
- पूर्वानुमान के लिये महत्त्व:
- समुद्री उद्योग के लिये सटीक समुद्र विज्ञान संबंधी पूर्वानुमान आवश्यक और इसके महत्त्वपूर्ण आर्थिक लाभ हैं।
- मौसम, जलवायु और समुद्री उद्योग के लिये सटीक समुद्री पूर्वानुमान महत्त्वपूर्ण हैं। सटीक भविष्यवाणियों के लिये बेहतर अवलोकन और मॉडल महत्त्वपूर्ण हैं।
- महासागरीय गतिशीलता की समझ को विकसित करना:
- अध्ययन इस बात पर ज़ोर देता है कि महासागरीय परिसंचरण के मॉडल में सटीक बाथमेट्री डेटा को शामिल करना कितना महत्त्वपूर्ण है। यह भारतीय उपमहाद्वीप और आसपास के क्षेत्रों के लिये पूर्वानुमान निर्धारित करने में सहायता करता है।
बैथिमेट्री क्या है?
- बैथिमेट्री जल निकायों, जैसे; महासागरों, नदियों, झीलों और झरनों की जलमग्न स्थलाकृति का अध्ययन एवं मानचित्रण है।
- इसमें जल की गहराई को मापना शामिल है और यह भूमि के स्थलीय मानचित्रण के समान है।
- बैथिमेट्रिक मानचित्र में जल के भीतर के क्षेत्र के आकार और ऊँचाई को दर्शाने के लिये समोच्च रेखाओं का उपयोग किया जाता है।
- बैथिमेट्री हाइड्रोग्राफी विज्ञान की नींव है, जो जल निकाय की भौतिक विशेषताओं को मापता है।
- हाइड्रोग्राफी में न केवल बैथिमेट्री शामिल है, बल्कि तटरेखा का आकार और विशेषताएँ; ज्वार, धारा एवं लहरों की विशेषताएँ; तथा जल के भौतिक व रासायनिक गुण भी शामिल हैं।
और पढ़ें: महासागरीय धाराएँ
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. संसार के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मत्स्यन क्षेत्र उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ (2013) (a) कोष्ण तथा शीत वायुमण्डलीय धाराएँ मिलती हैं उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित कारकों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त में से कौन-से कारक महासागरीय धाराओं को प्रभावित करते हैं? (2012) (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में राष्ट्रमंडल सचिवालय (Commonwealth Secretariat) ने भारत की केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (Centralised Public Grievance Redressal and Monitoring System- CPGRAMS) को अत्याधुनिक शिकायत निवारण प्रणाली तथा स्मार्ट सरकार की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के रूप में मान्यता दी है।
- अन्य देशों की निगरानी प्रणाली में नामीबिया की नागरिक पंजीकरण और महत्त्वपूर्ण सांख्यिकी प्रणाली (Civil Registration and Vital Statistics System- CVRS) और पहचान प्रबंधन प्रणाली तथा केन्या के मानव संसाधन प्रबंधन व ई-नागरिक मॉडल को शासन की सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के रूप में मान्यता प्रदान की गई।
CPGRAMS:
- यह एक ऑनलाइन वेब-आधारित प्रणाली है जिसे इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के सहयोग से विकसित किया गया है।
- इसका उद्देश्य जनता की शिकायतें प्राप्त करना, उनका निवारण करना तथा उनकी निगरानी करना है।
- यह भारत सरकार और राज्य सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों को जोड़ने वाले एकल पोर्टल के रूप में कार्य करता है।
- नागरिक, उमंग (UMANG) एकीकृत मोबाइल एप्लिकेशन ज़रिये या स्टैंडअलोन मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से CPGRAMS तक पहुँच सकते हैं।
- पंजीकरण करते समय, नागरिकों को अपनी शिकायतों की स्थिति पर नज़र रखने के लिये एक विशिष्ट पंजीकरण आईडी प्राप्त होती है।
- यह समाधान से असंतुष्ट नागरिकों के लिये अपील दायर करने की सुविधा भी प्रदान करता है।
और पढ़ें: संतुष्ट पोर्टल
ICDRI का छठा सम्मेलन
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने छठे अंतर्राष्ट्रीय आपदा रोधी अवसंरचना सम्मेलन (International Conference on Disaster Resilient Infrastructure- ICDRI) को संबोधित किया।
- ICDRI सदस्य देशों, संगठनों और संस्थानों के साथ साझेदारी में आपदा रोधी अवसंरचना के लिये गठबंधन (CDRI) का वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है।
- इसका उद्देश्य जलवायु और आपदा जोखिमों के प्रति अवसंरचना प्रणालियों के लचीलेपन में वृद्धि करना है, जिससे सतत् विकास सुनिश्चित हो सके।
- CDRI की शुरुआत वर्ष 2019 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के बाद यह भारत की दूसरी प्रमुख वैश्विक पहल है।
- CDRI का सचिवालय नई दिल्ली, भारत में स्थित है।
- CDRI की पहल:
- इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर रेज़िलिएंट आइलैंड स्टेट्स (IRIS): इस पहल की शुरुआत भारत ने की और यह छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) में पायलट परियोजनाओं के साथ क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर रेज़िलियेंस एक्सेलरेटर फंड: यह संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNDRR) दोनों द्वारा समर्थित एक कोष है।
- कुछ अन्य CDRI कार्यक्रमों में डोमिनिका में अनुकूल आवास, पापुआ न्यू गिनी में अनुकूल परिवहन नेटवर्क और डोमिनिकन गणराज्य और फिजी में उन्नत पूर्व चेतावनी प्रणाली हैं।
और पढ़ें: भारत ने CDRI के साथ मुख्यालय समझौते के अनुसमर्थन को मंज़ूरी दी
CSIR-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (IIP) का 65वाँ स्थापना दिवस
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद- भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (CSIR-IIP) ने अपना 65वाँ स्थापना दिवस मनाया। इसकी स्थापना 14 अप्रैल, 1960 को हुई थी।
- आयोजन के दौरान वैज्ञानिकों को ई-मेथनॉल, ग्रीन हाइड्रोजन, कार्बन तटस्थता के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण अनुसंधान करने के लिये प्रोत्साहित किया गया।
- CSIR-IIP के निदेशक ने विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिये वर्ष 2024 से वर्ष 2030 तक संस्थान की रूपरेखा प्रस्तुत की और साथ ही विगत समय में संस्थान द्वारा प्राप्त की गई विभिन्न उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जिसमें नुमालीगढ़ वैक्स प्लांट, सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल, US ग्रेड गैसोलीन, मेडिकल ऑक्सीजन यूनिट, स्वीटनिंग कैटलिस्ट, PNG बर्नर और बेहतर गुड़ भट्टी आदि शामिल हैं।
- CSIR की स्थापना वर्ष 1942 में की गई थी, जिसकी गिनती विश्व के अग्रणी अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठनों में होती है।
- इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और यह सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के माध्यम से एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करता है।
- CSIR रेडियो और अंतरिक्ष भौतिकी, समुद्र विज्ञान और भू-भौतिकी, जैव प्रौद्योगिकी, नैनोटेक्नोलॉजी, खनन, वैमानिकी, पर्यावरण अभियांत्रिकी और सूचना प्रौद्योगिकी इत्यादि क्षेत्रों में कार्यरत है।
माइक्रोसॉफ्ट ने किया Phi-3-Mini का अनावरण
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने ओपन एआई मॉडल के हिस्से के रूप में Phi-3-Mini का अनावरण किया, जिसे सक्षम और लागत प्रभावी लघु भाषा मॉडल (Small Language Model- SLM) के रूप में डिज़ाइन किया गया है।
- SLM भाषा से संबंधित कार्यों जैसे पाठ वर्गीकरण, प्रश्न उत्तर, पाठ निर्माण आदि को हल करने के लिये मौजूदा डेटा पर प्रशिक्षित एआई सिस्टम हैं।
- कथित तौर पर Phi-3-Mini भाषा, तर्क, कोडिंग और गणित जैसे प्रमुख क्षेत्रों में समान आकार वाले और यहाँ तक कि बड़े मॉडल से भी बेहतर प्रदर्शन करता है।
- Phi-3-Mini अपनी श्रेणी का पहला मॉडल है जिसकी गुणवत्ता पर बहुत कम प्रभाव के साथ 128K टोकन तक की कॉन्टेक्स्ट विंडो है।
- किसी भी समय एआई द्वारा पढ़ी और लिखी जा सकने वाली चर्चा की मात्रा को कॉन्टेक्स्ट विंडो कहा जाता है और इसे टोकन में मापा जाता है।
- माइक्रोसॉफ्ट ने दस लाख से अधिक किसानों को लाभ पहुँचाने वाले किसान-केंद्रित एप कृषि मित्र को विकसित करने में चल रही साझेदारी के लिये Phi-3-Mini का उपयोग करते हुए इंपीरियल टोबैको कंपनी (ITC) के साथ सहयोग किया है।
और पढ़ें: माइक्रोसॉफ्ट का Phi-2: छोटा मॉडल