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हरित हाइड्रोजन और कार्बन-तटस्थ भविष्य

  • 09 Jan 2023
  • 10 min read

यह एडिटोरियल 06/01/2023 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “A green promise: On the National Green Hydrogen mission” लेख पर आधारित है। इसमें राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और संबंधित चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

हरित हाइड्रोजन या ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ (Green Hydrogen) में भारत की रुचि बढ़ रही है।  हरित हाइड्रोजन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से उत्पादित हाइड्रोजन है । हरित हाइड्रोजन में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को उल्लेखनीय रूप से कम करने की क्षमता है, क्योंकि यह दहन पर कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न नहीं करता है। इस गुण के कारण यह भारत के लिये एक विशेष रूप से आकर्षक विकल्प है, जो अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के शमन के लिये प्रतिबद्ध है।

  • भारत में हरित हाइड्रोजन का उपयोग अभी भी प्रारंभिक चरण में है और इसके उत्पादन एवं उपयोग को बढ़ाने की राह में कई चुनौतियाँ मौजूद हैं जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है। इन चुनौतियों में उत्पादन की उच्च लागत, हाइड्रोजन के वितरण एवं भंडारण के लिये बुनियादी ढाँचे की कमी और विभिन्न अनुप्रयोगों में इसके उपयोग के लिये उपयुक्त तकनीकों को विकसित करने की आवश्यकता शामिल हैं।
  • इन चुनौतियों के बावजूद, भारत में हरित हाइड्रोजन के लिये व्यापक क्षमता मौजूद है। इसमें देश के ऊर्जा मिश्रण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता है, जो जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने और स्वच्छ, अधिक संवहनीय ऊर्जा प्रणाली में योगदान करने में मदद कर सकता है। उपयुक्त नीतियों एवं निवेश के साथ, हरित हाइड्रोजन भारत के ऊर्जा भविष्य का एक प्रमुख घटक बन सकता है।

हरित हाइड्रोजन क्या है?

  • हरित हाइड्रोजन एक प्रकार का हाइड्रोजन है जो सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग कर जल के विद्युत-अपघटन (Electrolysis) के माध्यम से उत्पादित किया जाता है।
  • विद्युत-अपघटन की प्रक्रिया जल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करती है और इस तरह उत्पादित हाइड्रोजन का उपयोग स्वच्छ एवं नवीकरणीय ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
  • उपयोग:
    • रासायनिक उद्योग में: अमोनिया और उर्वरकों का निर्माण।
    • पेट्रोकेमिकल उद्योग में: पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन।
    • इसके अलावा, इसका उपयोग अब इस्पात उद्योग में भी किया जाने लगा है जो अपने प्रदूषणकारी प्रभाव के कारण यूरोप में काफी दबाव में है।

हरित हाइड्रोजन का महत्त्व

  • उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करना: भारत के लिये अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution- NDC)) लक्ष्यों को पूरा करने और क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, पहुँच एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये हरित हाइड्रोजन ऊर्जा महत्त्वपूर्ण है।
    • पेरिस जलवायु समझौते के तहत भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2030 तक वर्ष 2005 के स्तर से 33-35% तक कम करने का संकल्प लिया है। हरित हाइड्रोजन स्वच्छ ऊर्जा की ओर भारत के संक्रमण का मार्ग प्रशस्त कर सकता है और इस प्रकार जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने में सहयोग दे सकता है।
  • ऊर्जा भंडारण और गतिशीलता: हरित हाइड्रोजन एक ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में नवीकरणीय ऊर्जा की आंतरायिकता (Intermittencies) को पूरा करने के लिये आवश्यक होगा।
    • गतिशीलता (Mobility) के संदर्भ में, शहरों एवं राज्यों के भीतर शहरी माल ढुलाई के लिये या यात्रियों के लिये लंबी दूरी के परिवहन के लिये रेलवे, बड़े जहाज़ों, बसों, ट्रकों आदि में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग किया जा सकता है।
  • आयात निर्भरता को कम करना: यह जीवाश्म ईंधन पर भारत की आयात निर्भरता को कम करेगा। इलेक्ट्रोलाइजर उत्पादन का स्थानीयकरण और हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं के विकास से भारत में 18-20 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का एक नया हरित प्रौद्योगिकी बाज़ार उभर सकता है तथा इससे हज़ारों रोज़गार अवसर सृजित हो सकते हैं।

ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ

  • उच्च उत्पादन लागत: वर्तमान में जीवाश्म ईंधन से उत्पादित हाइड्रोजन की तुलना में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन अधिक महँगा है।
    • ऐसा इसलिये है क्योंकि विद्युत-अपघटन की प्रक्रिया (जिसका उपयोग हरित हाइड्रोजन उत्पादन करने के लिये किया जाता है) के लिये बड़ी मात्रा में बिजली की आवश्यकता होती है और भारत में नवीकरणीय बिजली की लागत अभी भी अपेक्षाकृत अधिक है।
  • अवसंरचना की कमी: वर्तमान में भारत में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण और वितरण के लिये अवसंरचना की कमी है।
    • इसमें हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशनों और हाइड्रोजन के परिवहन के लिये पाइपलाइनों की कमी भी शामिल है।
  • सीमित अभिग्रहण: हरित हाइड्रोजन के संभावित लाभों के बावजूद, वर्तमान में भारत में इस प्रौद्योगिकी को सीमित रूप से ही अपनाया जा रहा है।
    • आम लोगों के बीच हरित हाइड्रोजन के बारे में जागरूकता एवं समझ की कमी के साथ-साथ इस प्रौद्योगिकी को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिये व्यवसायों के लिये प्रोत्साहन की कमी के कारण यह स्थिति है।
  • आर्थिक संवहनीयता: व्यावसायिक रूप से हाइड्रोजन का उपयोग करने के लिये हरित हाइड्रोजन का निष्कर्षण उद्योग के समक्ष विद्यमान सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
    • परिवहन फ्यूल सेल के लिये, हाइड्रोजन को प्रति मील आधार पर पारंपरिक ईंधन एवं प्रौद्योगिकियों के साथ लागत-प्रतिस्पर्द्धी होना चाहिये।

आगे की राह

  • नवीकरणीय बिजली सृजन की क्षमता बढ़ाना: हरित हाइड्रोजन उत्पादन की लागत को कम करने के लिये भारत में नवीकरणीय बिजली सृजन की क्षमता को बढ़ाना आवश्यक है।
    • ऐसा सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विस्तार के माध्यम से किया जा सकता है।
  • हाइड्रोजन अवसंरचना का विकास: हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण एवं वितरण के लिये अवसंरचना विकसित करने की आवश्यकता है ताकि इस प्रौद्योगिकी को और अधिक सुलभ बनाया जा सके। इसमें हाइड्रोजन के परिवहन के लिये पाइपलाइनों का निर्माण और हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशनों की स्थापना करना शामिल है।
  • विनियामक प्रोत्साहन लागू करना: सरकार इस प्रौद्योगिकी के उत्पादन एवं उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिये टैक्स क्रेडिट एवं सब्सिडी जैसे विनियामक प्रोत्साहनों को लागू करके हरित हाइड्रोजन के अभिग्रहण को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • हरित हाइड्रोजन के बारे में जागरूकता एवं समझ का प्रसार करना: आम लोगों को ग्रीन हाइड्रोजन के लाभों और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में इसकी भूमिका के बारे में शिक्षित करना महत्त्वपूर्ण है।
    • जन जागरूकता अभियानों और शैक्षिक पहलों के माध्यम से इस उद्देश्य को आगे बढ़ाया जा सकता है।

अभ्यास प्रश्न: हरित हाइड्रोजन उत्पादन को क्रियान्वित करने के संभावित लाभों एवं संबंधित चुनौतियों की चर्चा कीजिये। भारत अपने ऊर्जा एवं जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में इस स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत का किस प्रकार उपयोग कर सकता है?

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