पर्यावरण संरक्षण हेतु बायोडायवर्सिटी क्रेडिट
प्रिलिम्स के लिये:बायोडायवर्सिटी क्रेडिट, विश्व आर्थिक मंच, ‘बायोडायवर्सिटी क्रेडिट’ पहल, कार्बन क्रेडिट, कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (KMGBF) 2022, ग्रीन बॉण्ड, बायोडायवर्सिटी क्रेडिट एलायंस, जैविक विविधता पर अभिसमय, UNDP, UNEP, सतत् विकास के लिये विश्व व्यापार परिषद, चक्रीय अर्थव्यवस्था। मेन्स के लिये:पर्यावरण संरक्षण में बायोडायवर्सिटी क्रेडिट की भूमिका, संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी में प्रकाशित एक नए अध्ययन ने बायोडायवर्सिटी क्रेडिट बाज़ार की प्रभावशीलता पर संदेह जताया है, जिसे जैवविविधता संरक्षण के लिये एक संभावित गेम-चेंजर के रूप में बताया जा रहा है।
- अध्ययन में बाज़ार की महत्त्वपूर्ण अनिश्चितताओं पर भी ज़ोर दिया गया है साथ ही यह प्रश्न उठाया गया है कि क्या इस रणनीति के लाभ, जिसका उद्देश्य जैव विविधता की हानि का प्रतिकार करना है, वास्तव में संभावित नुकसान से अधिक हैं।
बायोडायवर्सिटी क्रेडिट क्या हैं?
- परिचय: बायोडायवर्सिटी क्रेडिट एक सत्यापन योग्य, मात्रात्मक और विपणन योग्य वित्तीय साधन है जो एक निश्चित अवधि में भूमि या महासागर आधारित जैवविविधता इकाइयों के निर्माण और बिक्री के माध्यम से सकारात्मक प्रकृति और जैवविविधता परिणामों (जैसे प्रजातियाँ, पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक आवास) को पुरस्कृत करता है।
- ‘बायोडायवर्सिटी क्रेडिट’ पहल की शुरुआत विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा पर्यावरण के लिये मात्रात्मक लाभ हेतु नए वित्तपोषण उपलब्ध कराने के लिये गई थी।
- क्रियाविधि: बायोडायवर्सिटी क्रेडिट कार्बन क्रेडिट के समान कार्य करते हैं।
- जब कोई कंपनी या सरकार जैवविविधता को हानि पहुँचाती है, तो वे अन्यत्र संरक्षण प्रयासों के लिये भुगतान करके क्षतिपूर्ति कर सकते हैं।
- विचार यह है कि संरक्षण के लिये निजी वित्तपोषण को आकर्षित करते हुए प्रतिपूरक कार्यों के माध्यम से जैवविविधता को होने वाली समग्र क्षति को संतुलित किया जाए।
- भविष्य की संभावना: WEF का अनुमान है कि बायोडायवर्सिटी क्रेडिट बाज़ार का मूल्य 8 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो वर्ष 2030 तक 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2050 तक 69 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- कुनमिंग -मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क 2022 में वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने के लिये पारिस्थितिकी तंत्र सेवा भुगतान, ग्रीन बॉण्ड और बायोडायवर्सिटी क्रेडिट जैसे वित्तपोषण तंत्रों का आह्वान किया गया है। इसके अनुरूप, बायोडायवर्सिटी क्रेडिट अलांयंस (BCA) का शुभारंभ किया गया।
बायोडायवर्सिटी क्रेडिट अलायंस (BCA)
- परिचय: BCA एक स्वैच्छिक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन है जो कुनमिंग -मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन में सहायता के लिये विविध हितधारकों को एक साथ लाता है।
- यह लक्ष्य 19(c) और (d) पर ध्यान केंद्रित करता है, जो "निजी क्षेत्र को जैवविविधता में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करता है", अन्य बातों के अलावा "सामाजिक सुरक्षा उपायों के साथ बायोडायवर्सिटी क्रेडिट" का उपयोग करता है।
- पृष्ठभूमि: BCA को दिसंबर 2022 में मॉन्ट्रियल, कनाडा में जैवविविधता पर कन्वेंशन (CBD COP 15) की 15 वीं बैठक के दौरान लॉन्च किया गया था।
- उद्देश्य: BCA उच्च स्तरीय, विज्ञान आधारित सिद्धांतों की रूपरेखा का निर्माण करके एक विश्वसनीय और मापनीय बायोडायवर्सिटी क्रेडिट बाज़ार के निर्माण के लिये मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- प्रमुख हितधारक: इसमें स्वदेशी लोगों, स्थानीय समुदायों और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हैं, तथा सतत् विकास के लिये विश्व व्यापार परिषद (WBCSD) प्रमुख भागीदार है।
जैवविविधता संरक्षण से संबंधित पहल क्या हैं?
- भारत:
- वैश्विक:
बायोडायवर्सिटी क्रेडिट बाज़ार से संबंधित चिंताएँ क्या हैं?
- दोषपूर्ण अवधारणा: जब कोई कंपनी या सरकार जैवविविधता को नुकसान पहुँचाती है, तो वे अन्यत्र संरक्षण भुगतान के माध्यम से नुकसान की भरपाई कर सकते हैं, लेकिन इसकी आलोचना इस आधार पर की जाती है कि इससे नुकसान को रोकने एवं मूल कारणों का समाधान करने के बजाय उसे अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाता है।
- विस्थापन और भूमि अधिग्रहण: धनी निगम एवं राष्ट्र ग्लोबल साउथ के गरीब देशों से क्रेडिट खरीद सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भूमि अधिग्रहण के साथ स्थानीय समुदायों के विस्थापन की संभावना बढ़ जाती है।
- विस्थापन एवं भूमि तथा संसाधनों तक पहुँच सीमित होने से महिलाएँ एवं हाशिये के समूह असमान रूप से प्रभावित होते हैं।
- सटीक मापन का अभाव: कार्बन क्रेडिट के विपरीत (जो एक टन CO₂ या CO₂ समतुल्य के रूप में मानकीकृत होते हैं) बायोडायवर्सिटी क्रेडिट को हेक्टेयर में मापा जाता है जिससे विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों, महाद्वीपों और बायोम में जैवविविधता को समान करना जटिल हो जाता है।
- इसके अतिरिक्त वनों की कटाई जैसी नकारात्मक गतिविधियाँ जब अन्य क्षेत्रों में स्थानांतरित हो जाती हैं तब वहाँ उत्सर्जन होता है जैसे कि किसानों द्वारा बायोडायवर्सिटी क्रेडिट अपनाने के बाद नई भूमि को कृषि हेतु परिवर्तित करना।
- प्रणालीगत परिवर्तनों में विलंब: बायोडायवर्सिटी क्रेडिट से एक अस्थायी समाधान मिल सकता है, जिससे जैवविविधता हानि से निपटने के लिये आवश्यक प्रणालीगत परिवर्तनों में विलंब हो सकता है।
- बायोडायवर्सिटी क्रेडिट (जो अक्सर अल्प अवधि के लिये जारी किये जाते हैं) दीर्घकालिक प्रभावों का आकलन करना कठिन बना देते हैं, क्योंकि तितली जैसे समूहों के सटीक मूल्यांकन हेतु दीर्घकालिक डेटा की आवश्यकता होती है।
आगे की राह
- मूल कारण को हल करना: सर्वप्रथम जैवविविधता की हानि को रोकने की दिशा में प्रयास (जैसे वनों की कटाई, अधारणीय कृषि या जीवाश्म ईंधन से होने वाले उत्सर्जन को सीमित करना) किये जाने चाहिये।
- संदर्भ-विशिष्ट मेट्रिक्स: केवल भूमि क्षेत्र से परे प्रजातियों की अंतःक्रिया, पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य एवं सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए संदर्भ-विशिष्ट मेट्रिक्स विकसित करना चाहिये।
- समग्र दृष्टिकोण की ओर बदलाव: जैवविविधता विनाश को बढ़ावा देने वाले उद्योगों (जैसे, कृषि, वानिकी एवं खनन ) को बदलने के साथ चक्रीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने एवं जैवविविधता संरक्षण को प्राथमिकता देने के लिये सभी क्षेत्रों में नीतिगत रूपरेखाओं को संरेखित करने पर बल देना चाहिये।
- निगरानी और रिपोर्टिंग: नागरिक समाज एवं स्थानीय समुदायों को परियोजनाओं की जाँच करने, निगमों को जवाबदेह बनाने तथा यह सुनिश्चित करने के लिये सशक्त बनाया जाना चाहिये कि बायोडायवर्सिटी क्रेडिट से वास्तविक संरक्षण परिणाम प्राप्त हों।
- गैर-बाज़ार आधारित दृष्टिकोण: बायोडायवर्सिटी क्रेडिट जैसे बाज़ार आधारित समाधानों से प्रत्यक्ष, प्रकृति आधारित समाधानों की ओर बदलाव की आवश्यकता है, जिससे संरक्षित क्षेत्रों के विस्तार, पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने एवं समुदाय आधारित संरक्षण का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित किये जाने के साथ प्रकृति के आंतरिक मूल्य को महत्व मिलता हो।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: जैवविविधता में गिरावट के कारणों को दूर करने में बायोडायवर्सिटी क्रेडिट की प्रभावशीलता का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न. भारतीय कृषि परिस्थितियों के संदर्भ में, “संरक्षण कृषि” की संकल्पना का महत्त्व बढ़ जाता है। निम्नलिखित में से कौन-कौन से संरक्षण कृषि के अंतर्गत आते हैं? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1, 3 और 4 उत्तर: (c) मेन्सQ. भारत में जैवविविधता किस प्रकार अलग-अलग पाई जाती है? वनस्पतिजात और प्राणिजात के संरक्षण में जैवविविधता अधिनियम, 2002 किस प्रकार सहायक है? (2018) Q. भूमि और जल संसाधन का प्रभावी प्रबंधन मानव विपत्तियों को कम कर देगा। स्पष्ट कीजिये। (2016) |
बेलगाम कॉन्ग्रेस अधिवेशन के 100 वर्ष
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
वर्ष 1924 के बेलगाम कॉन्ग्रेस अधिवेशन की शताब्दी का आयोजन 26-27 दिसंबर 2024 को कर्नाटक के बेलगाम में किया गया।
- यह आयोजन बेलगाम में ऐतिहासिक 39वें अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस अधिवेशन की महात्मा गांधी की अध्यक्षता के स्मरण में होता है, जहाँ उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी की विचारधारा एवं संगठनात्मक संरचना में प्रमुख योगदान दिया था।
वर्ष 1924 के कॉन्ग्रेस के बेलगाम अधिवेशन का क्या महत्त्व है?
- गांधी जी का नेतृत्व: यह एकमात्र कॉन्ग्रेस अधिवेशन था जिसकी अध्यक्षता गांधी जी ने पार्टी प्रमुख के रूप में की थी। गांधी, दिसंबर 1924 से अप्रैल 1925 तक कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहे।
- वर्ष 1916 में गांधी ने बेलगाम की पहली यात्रा स्थानीय नेता देशपांडे के निमंत्रण पर की थी।
- सामाजिक परिवर्तन पर बल: गांधी ने अस्पृश्यता को समाप्त करने, खादी को बढ़ावा देने तथा ग्रामोद्योग को समर्थन देने पर बल दिया, जिससे कॉन्ग्रेस के तहत राजनीतिक स्वतंत्रता एवं सामाजिक सुधार दोनों के लिये आंदोलन शुरू हुआ।
- कॉन्ग्रेस सदस्यों के लिये खादी कातना अनिवार्य था और मासिक रूप से 2,000 गज खादी कपड़ा बनाना अनिवार्य था।
- गांधी ने कॉन्ग्रेस की सदस्यता शुल्क में 90% की कटौती की।
- हिंदू-मुस्लिम एकता: गांधी ने इस मंच का उपयोग हिंदू-मुस्लिम एकता की वकालत करने के लिये किया, जो व्यापक स्वतंत्रता आंदोलन के लिये आवश्यक था।
- सामाजिक और आर्थिक उत्थान: गांधीजी ने स्वच्छता, नगर नियोजन और किसानों के आर्थिक उत्थान के लिये गायों के उपयोग जैसे मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसमें गौरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया।
- उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि गौरक्षा के लिये उनकी वकालत का धर्मांतरण या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा से कोई संबंध नहीं है।
- उन्होंने सफाई स्वयंसेवकों की प्रशंसा यह देखते हुए कि इसमें 70 में से 40 ब्राह्मण थे, उन्होंने विभिन्न जातियों की सामाजिक सेवा पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने अधिवेशन में VIP पर अत्यधिक व्यय की आलोचना की तथा भविष्य के अधिवेशनों में सभी सदस्यों के साथ समान व्यवहार करने का आह्वान किया।
- सांस्कृतिक महत्त्व: इस अधिवेशन में उल्लेखनीय संगीत प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिनमें हिंदुस्तानी संगीत के उस्ताद विष्णु दिगंबर पलुस्कर और युवा गंगूबाई हंगल ने हिस्सा लिया, साथ ही कन्नड़ गीत "उदयवगली नम्मा चलुवा कन्नड़ नाडु" भी प्रस्तुत किया गया।
- अधिवेशन की विरासत: अधिवेशन के लिये खोदा गया पंपा सरोवर कुआँ, दक्षिण बेलगावी के कुछ हिस्सों को जलापूर्ति करता है।
भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के प्रमुख अधिवेशन
- 1885: बंबई में प्रथम अधिवेशन, डब्ल्यू.सी. बनर्जी की अध्यक्षता में - भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का गठन।
- 1886: कलकत्ता में दूसरा अधिवेशन, दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में।
- 1887: मद्रास में तीसरा अधिवेशन, सैयद बदरुद्दीन तैयबजी की अध्यक्षता में - पहले मुस्लिम अध्यक्ष।
- 1888: इलाहाबाद में चौथा अधिवेशन, जॉर्ज यूल की अध्यक्षता में - प्रथम अंग्रेज़ अध्यक्ष।
- 1896: कलकत्ता - रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' गाया गया।
- 1901: कलकत्ता - कॉन्ग्रेस मंच पर गांधीजी की पहली उपस्थिति।
- 1905: बनारस - स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक घोषणा। गोपाल कृष्ण गोखले की अध्यक्षता में आयोजित।
- 1906: कलकत्ता - राष्ट्रपति दादाभाई नौरोजी (अध्यक्ष) - स्वराज, बहिष्कार, स्वदेशी और राष्ट्रीय शिक्षा पर प्रस्ताव।
- 1907: सूरत - रास बिहारी घोष (अध्यक्ष) - नरमपंथियों और गरमपंथियों के बीच विभाजन।
- 1916: लखनऊ - राष्ट्रपति ए.सी. मजूमदार (अध्यक्ष) - नरमपंथियों और गरमपंथियों के बीच एकता; मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ समझौता।
- 1917: कलकत्ता - राष्ट्रपति एनी बेसेंट (अध्यक्ष) - कॉन्ग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष।
- 1919: अमृतसर - राष्ट्रपति मोतीलाल नेहरू (अध्यक्ष) - खिलाफत आंदोलन के लिये समर्थन।
- 1920: कलकत्ता - राष्ट्रपति लाला लाजपत राय (अध्यक्ष) - गांधीजी ने असहयोग प्रस्ताव पेश किया।
- 1924: बेलगाम - महात्मा गांधी (अध्यक्ष)- गांधीजी की अध्यक्षता वाला एकमात्र अधिवेशन।
- 1927: मद्रास - राष्ट्रपति डॉ. एम.ए. अंसारी (अध्यक्ष) - साइमन कमीशन के खिलाफ और पूर्ण स्वराज के लिये प्रस्ताव।
- 1929: लाहौर - राष्ट्रपति जवाहरलाल नेहरू (अध्यक्ष)- पूर्ण स्वराज पर प्रस्ताव, सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत।
- 1931: कराची - राष्ट्रपति वल्लभभाई पटेल (अध्यक्ष)- मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम पर प्रस्ताव।
- 1936: लखनऊ - राष्ट्रपति जवाहरलाल नेहरू (अध्यक्ष)- समाजवादी विचारों की ओर झुकाव।
- 1938: हरिपुरा - राष्ट्रपति सुभाष चंद्र बोस (अध्यक्ष - राष्ट्रीय योजना समिति का गठन।
- 1939: त्रिपुरी - राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (अध्यक्ष)- बोस पुनः निर्वाचित लेकिन त्यागपत्र दे दिया; फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन हुआ।
- 1940: रामगढ़ - राष्ट्रपति अबुल कलाम आज़ाद (अध्यक्ष) - सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित।
- 1946: मेरठ - अध्यक्ष जे.बी. कृपलानी (अध्यक्ष)- स्वतंत्रता से पूर्व अंतिम अधिवेशन।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न: भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: B |
भारत में वास्तविक प्रभावी विनिमय दर में वृद्धि
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बताया कि रुपए की वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (REER) अक्तूबर 2024 में 107.20 से नवंबर 2024 में 108.14 तक पहुँच गई, जो इस वर्ष का उच्चतम स्तर है।
REER से संबंधित RBI के निष्कर्ष क्या हैं?
- रिकॉर्ड उच्च REER मूल्य: रुपए का 108.14 का REER वर्ष 2015-16 से अधिमूल्यन को इंगित करता है, जो अमेरिकी डॉलर के सामने अंकित मूल्यह्रास के बावज़ूद निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता को कमज़ोर करता है, जो अंकित प्रभावी विनिमय दर (NEER) और REER सूचकांकों में विरोधाभास को दर्शाता है।
- 100 से अधिक REER का अर्थ है आधार वर्ष (वर्ष 2015-16) की तुलना में अधिक मूल्यांकन जिससे निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता कम हो जाती है, जबकि 100 से कम का मान न्यूनतम मूल्यांकन को दर्शाता है।
- अस्थिरता की प्रवृत्ति: रुपए में प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के बीच सबसे कम अस्थिरता देखी गई (अन्य मुद्राओं की तुलना में इसमें मज़बूती आई), जबकि उभरते बाज़ारों की मुद्राओं में बढ़ते अमेरिकी बॉण्ड प्रतिभूति और मज़बूत डॉलर सूचकांक के कारण निकासी हुई।
- व्यापार संतुलन के निहितार्थ: REER के अनुसार रुपए का अधिक मूल्य निर्धारण, भारतीय निर्यात को महंगा बनाता है, जिससे वैश्विक बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा कम होती है।
- साथ ही इससे आयात लागत भी कम हो जाती है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ने की संभावना रहती है।
- पूंजी बहिर्वाह: उच्च बॉण्ड प्राप्ति और सुरक्षित-आश्रय परिसंपत्तियों की वैश्विक मांग से प्रेरित अमेरिकी डॉलर के मज़बूत होने से भारत से पूंजी बहिर्वाह देखने को मिला है, जिससे रुपए पर दबाव पड़ा है।
NEER और REER क्या है और इनका महत्त्व क्या है?
- परिभाषा:
- NEER: अंकित प्रभावी विनिमय दर (NEER) एकाधिक व्यापारिक साझेदार मुद्राओं के सापेक्ष किसी मुद्रा की द्विपक्षीय विनिमय दरों का भारित औसत है।
- यह देशों के बीच मुद्रास्फीति या मूल्य स्तर के अंतर को ध्यान में रखे बगैर अंकित मुद्रा के सामर्थ्य को दर्शाता है।
- NEER में वृद्धि अंकित मूल्यवृद्धि का संकेत देती है, जबकि गिरावट मूल्यह्रास का संकेत देती है।
- REER: वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (REER) घरेलू अर्थव्यवस्था और उसके व्यापारिक भागीदारों के बीच सापेक्ष मूल्य स्तरों (मुद्रास्फीति) को समायोजित करके NEER में सुधार करती है।
- REER की गणना NEER को घरेलू मूल्य सूचकांकों और विदेशी मूल्य सूचकांकों के अनुपात से गुणा करके की जाती है, जिससे यह क्रय शक्ति समता (PPP) -समायोजित माप बन जाती है।
- NEER/REER सूचकांक: भारत के लिये NEER/REER सूचकांक में छह मुद्राएँ शामिल हैं: अमेरिकी डॉलर (USD), यूरो (EUR), जापानी येन (JPY), ब्रिटिश पाउंड (GBP), चीनी युआन (CNY) और सिंगापुर डॉलर (SGD)।
- NEER/REER सूचकांक को संशोधित कर इसमें 36 मुद्राओं की एक व्यापक टोकरी को शामिल किया गया है।
- प्रभावित करने वाले कारक: NEER/REER उत्पादकता अंतर (प्रतिस्पर्द्धा प्रभावित होना), व्यापार शर्तें (निर्यात/आयात संतुलन का प्रभावित होना), मुद्रास्फीति (मुद्रा मूल्य का कम होना) और राजकोषीय व्यय (आर्थिक स्थिरता और मांग का प्रभावित होना) से प्रभावित होते हैं।
- NEER: अंकित प्रभावी विनिमय दर (NEER) एकाधिक व्यापारिक साझेदार मुद्राओं के सापेक्ष किसी मुद्रा की द्विपक्षीय विनिमय दरों का भारित औसत है।
- NEER का महत्त्व:
- व्यापार-भारित सूचकांक: NEER एक मुद्रा के विभिन्न व्यापारिक साझेदारों के विरुद्ध अंकित प्रदर्शन का आकलन करता है, तथा व्यापक बाह्य मुद्रा प्रवृत्तियों को दर्शाता है।
- सीमित अंतर्दृष्टि: यह मुद्रास्फीति के अंतर को नज़रअंदाज करता है, इसलिये NEER वास्तविक व्यापार प्रतिस्पर्द्धात्मकता या क्रय शक्ति को सटीक रूप से प्रतिबिंबित नहीं कर सकता है।
- व्यापक आर्थिक उपयोग: नीति निर्माता मुद्रा की मज़बूती के रुझान को समझने और आवश्यकता पड़ने पर अंकित हस्तक्षेप की योजना बनाने के लिये NEER का उपयोग करते हैं।
- REER का महत्त्व:
- प्रतिस्पर्द्धात्मकता का सूचक: REER मुद्रास्फीति को ध्यान में रखकर किसी देश की बाह्य प्रतिस्पर्द्धात्मकता को मापता है, जिसका उच्च मूल्य कम निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता और सस्ते आयात को दर्शाता है।
- नीति मार्गदर्शिका: REER यह निर्धारित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है कि कोई मुद्रा अधिक मूल्यांकित है या कम मूल्यांकित है, तथा मौद्रिक नीति और विनिमय दर समायोजन का मार्गदर्शन करती है।
- व्यापार संतुलन पर प्रभाव: REER के मूल्यह्रास से निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता में वृद्धि होकर अल्पावधि में व्यापार संतुलन में सुधार होता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न 1. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:(2022)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न: विश्व व्यापार में संरक्षणवाद और मुद्रा चालबाजियों की हाल की परिघटनाएँ भारत की समष्टि आर्थिक स्थिरता को किस प्रकार से प्रभावित करेंगी? (वर्ष 2018) |
निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 में संशोधन
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के नियम 93 में संशोधन किया गया है, जिसके तहत निर्वाचन संबंधी कुछ दस्तावेज़ों तक जनता की पहुँच प्रतिबंधित कर दी गई है।
- हाल ही के संशोधन:
- यह संशोधन, जो नियम 93(2)(A) के तहत पहले सभी चुनाव पत्रों के सार्वजनिक निरीक्षण की अनुमति प्रदान करता था, इसमें संशोधन भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की सिफारिश के बाद किया गया है।
- यह संशोधित नियम अब ढाँचे के अंतर्गत सूचीबद्ध विशिष्ट दस्तावेज़ों तक पहुँच को सीमित करता है।
- संशोधन की पृष्ठभूमि:
- इसकी शुरुआत पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा भारत निर्वाचन आयोग को हरियाणा विधानसभा चुनावों के CCTV फुटेज सहित सभी चुनाव संबंधी दस्तावेज़ साझा करने के निर्देश के बाद हुई है।
- निर्वाचन आयोग ने मतदाता की गोपनीयता और संवेदनशील जानकारी के संभावित दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है।
- RTI कार्यकर्त्ताओं और विपक्षी दलों का तर्क है कि यह संशोधन निर्वाचन प्रक्रिया पारदर्शिता और जवाबदेही को प्रभावित करता है।
- निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961:
- यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार भारत में चुनाव कराने के लिये विस्तृत रूपरेखा प्रदान करता है।
- ये नियम उम्मीदवारों के नामांकन, मतदान प्रक्रियाओं आदि को कवर करते हैं, मतदाता गोपनीयता और चुनावी अखंडता सुनिश्चित तथा निर्वाचन अधिकारियों के कर्तव्यों को परिभाषित करते हैं।
और पढ़ें: निर्वाचनों का संचालन नियम का नियम 49
डेनाली फॉल्ट
एक नए शोध से डेनाली फॉल्ट की उत्पत्ति का पता चला है, जो एक विवर्तनिक सीमा है जिससे अलास्का में डेनाली पर्वत (जो उत्तरी अमेरिका का सबसे ऊँचा पर्वत है) का निर्माण हुआ।
- डेनाली फॉल्ट का निर्माण 72 मिलियन से 56 मिलियन वर्ष पूर्व रैंगेलिया कम्पोज़िट टेरेन नामक महासागरीय प्लेट के उत्तरी अमेरिकी प्लेट से टकराव के कारण हुआ था।
- इस अध्ययन में इन्वर्टेड मेटामॉर्फिज़्म के साक्ष्य भी मिले, जिसमें विवर्तनिक गतिविधि के कारण उच्च दाब वाली चट्टानें निम्न दाब वाली चट्टानों से ऊपर स्थित हो जाती हैं।
- भ्रंश: भ्रंश या दरार से ब्लॉक पर्वतों का निर्माण होता है। उदाहरण, सतपुड़ा और विंध्य पर्वत।
- ब्लॉक पर्वतों का निर्माण तब होता है जब भूमि के बड़े हिस्से टूटकर लंबवत रूप से विस्थापित हो जाते हैं। इन्हें फॉल्ट-ब्लॉक पर्वत भी कहा जाता है।
- फॉल्ट के प्रकार:
- स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट: ये फॉल्ट तब बनते हैं जब विवर्तनिक प्लेट न्यूनतम ऊर्ध्वाधर गति के साथ क्षैतिज रूप से खिसकती है। उदाहरण के लिये, डेनाली फॉल्ट।
- नॉर्मल फॉल्ट: ये फॉल्ट तब बनते हैं जब एक चट्टान का ब्लॉक नीचे की ओर खिसक जाता है तथा पास के ब्लॉक से अलग हो जाता है। उदाहरण के लिये, पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट वैली।
- रिवर्स फॉल्ट (थ्रस्ट फॉल्ट): ये फॉल्ट तब बनते हैं जब ऊपरी ब्लॉक ऊपर की बढ़ते हुए निचले ब्लॉक के ऊपर चला जाता है।
और पढ़ें: भूकंप
50,000 वर्ष पुराने ओल्ड बेबी मैमथ की खोज
स्रोत: लाइव मिंट
हाल ही में वैज्ञानिकों ने रूस में पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने के कारण याना नामक 50,000 वर्ष पुराने ओल्ड बेबी मैमथ के शव की खोज की।
- मैमथ हाथियों के एक विलुप्त समूह का सदस्य है, जो कई महाद्वीपों पर प्लीस्टोसीन और होलोसीन जमावों (दो युग जो चतुर्थक काल का निर्माण करते हैं) में जीवाश्म के रूप में पाया जाता है।
- 4,000 वर्ष पहले वे विलुप्त हो गये।
- याना के बारे में: यह साइबेरिया के बटागाइका क्रेटर में पाया गया था, जिसे ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघलती बर्फ से बढ़ती गहराई के कारण "गेटवे टू द अंडरवर्ल्ड" के रूप में जाना जाता है।
- वह एक वर्ष की आयु में मर गयी, जिससे यह विश्व भर में प्राप्त केवल सात विशालकाय अवशेषों में से एक असाधारण खोज बन गयी।
- इस क्रेटर में बाइसन, घोड़े और कुत्तों जैसे अन्य प्राचीन जानवरों के अवशेष भी पाए गए हैं।
- पर्माफ्रॉस्ट (Permafrost): मृदा या जल के नीचे की तलछट जो दो साल से अधिक समय तक 0°C से नीचे जमी रहती है, जिसकी गहराई एक मीटर से लेकर 1,500 मीटर तक होती है।
- आर्कटिक क्षेत्रों और पर्वत शिखरों में पर्माफ्रॉस्ट सामान्य है और इसमें 700,000 वर्ष से भी अधिक पुराने जमे हुए अवशेष हो सकते हैं।
और पढ़ें: वुली मैमथ
कैनेरी द्वीप समूह
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
अफ्रीका से स्पेन के कैनरी द्वीप तक का अटलांटिक प्रवास मार्ग (जो यूरोप का एक प्रमुख प्रवेश द्वार है) वर्ष 2024 में सबसे घातक मार्गों में से एक बन गया है, जिसमें 10,000 से अधिक प्रवासियों की मृत्यु हुई।
- यह मार्ग जोखिमपूर्ण है जिसमें तेज़ समुद्री धाराएँ, खराब ढंग से सुसज्जित नावें एवं प्रतिकूल मौसम की स्थिति शामिल हैं। ये कारक उच्च मृत्यु दर का कारण बनते हैं।
- कैनरी द्वीप अटलांटिक महासागर में एक स्वायत्त स्पेनिश द्वीपसमूह है जो मोरक्को (अफ्रीका) से लगभग 62 मील पश्चिम में स्थित है और यूरोपीय संघ के सबसे बाहरी क्षेत्रों में से एक है।
- मुख्य कैनरी द्वीपसमूह में लैंजारोटे, फ्यूरटेवेंटुरा, ग्रैन कैनरिया, टेनेरिफ, ला गोमेरा, ला पाल्मा और एल हिएरो शामिल हैं।
- इस द्वीपसमूह की जलवायु उपोष्णकटिबंधीय है।
- कैनरी धारा अफ्रीका के उत्तर-पश्चिमी तट के साथ दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहने वाली एक ठंडी समुद्री धारा है जिसका नाम कैनरी द्वीप के नाम पर रखा गया है। इसकी उपस्थिति सहारा रेगिस्तान के तटीय क्षेत्र में वर्षा रहित परिस्थितियों में योगदान करती है।
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