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रॉक ग्लेशियर

  • 12 Jan 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

झेलम, रॉक ग्लेशियर, ग्लेशियल झील में बाढ़, भूस्खलन, थर्मोकार्स्ट, बटगाइका क्रेटर

मेन्स के लिये:

रॉक ग्लेशियरों के संभावित परिणाम, हिमनद गतिशीलता को प्रभावित करने वाले कारक, हिमनदों के पीछे हटने का प्रभाव

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों? 

एक हालिया अध्ययन ने कश्मीर हिमालय के झेलम बेसिन में 100 से अधिक सक्रिय पर्माफ्रॉस्ट संरचनाओं की उपस्थिति पर प्रकाश डाला है। ये संरचनाएँ, जिन्हें रॉक ग्लेशियर के रूप में जाना जाता है, क्षेत्र के जल विज्ञान पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं और जलवायु के गर्म होने पर संभावित जोखिम उत्पन्न करती हैं।

रॉक ग्लेशियर क्या है?

  • परिचय:
    • रॉक ग्लेशियर एक प्रकार की भू-आकृति हैं जिसमें चट्टान के टुकड़े और बर्फ का मिश्रण होता है।
    • रॉक ग्लेशियर आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में बनते हैं जहाँ पर्माफ्रॉस्ट, रॉक मलबे और बर्फ का संयोजन होता है।
      • पर्माफ्रॉस्ट एक स्थायी रूप से जमी हुई परत है जो पृथ्वी की सतह पर या उसके नीचे मौजूद होती है। यह मिट्टी, बजरी और रेत से बना होता है जो आमतौर पर बर्फ से एक साथ जुड़ा रहता है।
      • एक सामान्य परिदृश्य में पहले से मौजूद ग्लेशियर जो आगे बढ़ने पर मलबा और चट्टानें इकट्ठा करता है, एक सामान्य घटना है। यदि ग्लेशियर पिघलता है, तो मलबे से ढकी बर्फ अंततः चट्टानी ग्लेशियर में परिवर्तित हो सकती है।
    • ये चट्टानी ग्लेशियर तीव्र ढलान वाले अत्यधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
    • नग्न आँखों से चट्टानी ग्लेशियर मुख्यतः सतह की तरह दिखते हैं, उनकी सही पहचान के लिये भू-आकृति विज्ञान संबंधी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
  • वर्गीकरण:
    • उनमें बर्फ और गति है या नहीं, इसके आधार पर उन्हें सक्रिय या अवशेष के रूप में जाना जाता है। अवशेष चट्टानी ग्लेशियर अधिक स्थिर और निष्क्रिय होते हैं, जबकि सक्रिय चट्टानी ग्लेशियर अधिक गतिशील व खतरनाक होते हैं।
  • महत्त्व:
    • रॉक ग्लेशियर पर्माफ्रॉस्ट पर्वत के महत्त्वपूर्ण संकेतक हैं, जो स्थायी रूप से स्थिर भूमि है जिसके अंतर्गत कई ऊँचाई वाले क्षेत्र आते हैं।
    • रॉक ग्लेशियर के अपने जमे हुए कोर में वृहद मात्रा में जल संग्रहित होता है जो जल की कमी और हिमनदों के खिसकने की स्थिति में एक मूल्यवान संसाधन हो सकता है।

क्षेत्र पर सक्रिय रॉक ग्लेशियरों के संभावित प्रभाव क्या हैं?

  • ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड/हिमनद झील विच्छेद बाढ़ (Glacial lake outburst floods- GLOF):  
    • These are sudden and catastrophic floods that occur when a glacial lake bursts its natural or artificial dam, releasing large volumes of water and debris downstream. ये आकस्मिक और विनाशकारी बाढ़ जैसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, जो तब होती हैं जब एक हिमनद झील का प्राकृतिक या कृत्रिम बाँध टूट जाता है, जिससे भारी मात्रा में जल तथा मलबा निचले क्षेत्र की ओर विनाशकारी रूप से प्रवाहित हो जाता है।
      • सक्रिय रॉक ग्लेशियर ढालों या हिमनद झीलों के बाँधों को अस्थिर करके GLOF के खतरे को बढ़ाते हैं।
    • हिमनद झीलों, जैसे चिरसर और ब्रैमसर झील के निकटवर्ती रॉक ग्लेशियर, GLOF के खतरे को बढ़ाते हैं।
  • भू-स्खलन:
    • भूस्खलन (Landslide) एक भूवैज्ञानिक घटना है जिसमें शैल, मिट्टी और मलबे के एक भाग का नीचे की ओर खिसकना या संचलन करना शामिल होता है।
    • भूस्खलन प्राकृतिक और मानव-निर्मित, दोनों ही ढलानों पर हो सकते हैं तथा वे प्रायः भारी वर्षा, भूकंप, ज्वालामुखीय गतिविधियों, मानव गतिविधियों (जैसे– निर्माण या खनन) और भूजल स्तर में परिवर्तन जैसे कारकों के संयोजन से उत्पन्न होते हैं। 
      • सक्रिय रॉक ग्लेशियर ढलान की स्थिरता को कमज़ोर करके या पिघलकर जल मुक्त करने से भू-स्खलन का कारण बनते हैं जो फिसलती हुई सतह के स्खलन में योगदान देता है। 
    • पिघलती पर्माफ्रॉस्ट इन क्षेत्रों को अस्थिर बनाती है, जिससे आस-पास की बस्तियों और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के लिये खतरा उत्पन्न हो जाता है।
      • उदाहरण के लिये क्यूबेक में नुनाविक क्षेत्र कई वर्ष पूर्व मुख्यतः पर्माफ्रॉस्ट मैदान पर बसाया गया था। पिछले दशकों में ग्लोबल वार्मिंग के कारण निचली स्तरों में बर्फ पिघलनी शुरू हो गई, जिससे भू-स्खलन की आवृत्ति और अन्य खतरे बढ़ गए।
  • थर्मोकार्स्ट:
    • यह एक प्रकार का भू-भाग है जो बर्फ से समृद्ध पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से बनने वाली दलदली खोखली और छोटी-छोटी चट्टानों (कटक) की अनियमित सतहों का रूप है।
      • सक्रिय रॉक ग्लेशियरों से तालाबों अथवा झीलों जैसी थर्मोकार्स्ट संरचनाओं का निर्माण हो सकता है जो संबद्ध क्षेत्र के जल-विज्ञान (Hydrology), पारिस्थितिकी तथा कार्बन चक्र को प्रभावित कर सकते हैं।
    • जम्मू-कश्मीर के कुलगाम शहर के समीप जल निकायों की उपस्थिति भूमिगत पर्माफ्रॉस्ट के अस्तित्व का सुझाव देती है जो 'थर्मोकार्स्ट झीलों' के समान है जिनके परिणामस्वरूप भविष्य में  जोखिम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
      • पृथ्वी की सतह के नीचे हिम के पिघलने से सतह के ढहने का खतरा अधिक होता है। जिसके परिणामस्वरूप सिंकहोल्स, टेकरी (Hummocks), गुफाओं तथा सुरंगों की उत्पत्ति हो सकती है जो जोखिमपूर्ण हो सकता है।
      • बटागाइका क्रेटर थर्मोकार्स्ट का एक उदाहरण है, यह विश्व का सबसे बड़ा पर्माफ्रॉस्ट क्रेटर है जो सखा गणराज्य, रूस में स्थित है।

कश्मीर हिमालय की झेलम बेसिन:

  • झेलम द्रोणी/बेसिन का अपवाह ऊपरी झेलम नदी से होता है जिसका उद्गम कश्मीर घाटी में पीर पंजाल शृंखला के तल पर स्थित अनंतनाग के वेरिनाग में एक झरने से होता है, यह नदी पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले श्रीनगर एवं वुलर झील से होकर गुजरती है।
  • सिंधु नदी की एक सहायक नदी के रूप में झेलम नदी भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ी नदी प्रणाली में योगदान देती है।
    • यह नदी जम्मू-कश्मीर से होकर पाकिस्तान में प्रवाहित होती है जहाँ यह चिनाब नदी में मिल जाती है।
  • पंजाब की पाँच नदियों में झेलम सबसे बड़ी तथा सबसे पश्चिमी नदी है।
  • इसकी प्राथमिक सहायक नदी किशनगंगा (नीलम) नदी है। कुन्हार नदी इसकी एक अन्य महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है जो कंघान घाटी में कोहाला पुल के माध्यम से पाक अधिकृत कश्मीर एवं पाकिस्तान को जोड़ती है।

आगे की राह

  • यह अध्ययन हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने तथा उन्हें कम करने में पर्माफ्रॉस्ट अनुसंधान की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है।
    • सक्रिय रॉक ग्लेशियरों की जलीय क्षमता पर आगे के अध्ययन के लिये संसाधन आवंटित करना, जल की कमी का सामना करने वाले क्षेत्रों में स्थायी उपयोग के लिये संग्रहीत जल का दोहन करने के तरीकों की खोज करना।
  • संभावित आपदाओं के बारे में समुदायों और अधिकारियों को सचेत करने के लिये पहचाने गए सक्रिय रॉक ग्लेशियरों वाले क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को विकसित एवं कार्यांवित करें।
  • ग्लेशियरों से रॉक ग्लेशियरों में संक्रमण से उत्पन्न विशिष्ट चुनौतियों पर विचार करते हुए, पर्माफ्रॉस्ट अध्ययन के निष्कर्षों को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन योजनाओं में एकीकृत करें।
  • पर्माफ्रॉस्ट क्षरण से जुड़े जोखिमों के बारे में स्थानीय समुदायों, योजनाकारों और नीति निर्माताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न1. सिंधु नदी प्रणाली के संदर्भ में निम्नलिखित चार नदियों में से तीन उनमें से एक में मिलती हैं, जो अंततः सीधे सिंधु में मिलती हैं। निम्नलिखित में से कौन-सी ऐसी नदी है जो सीधे सिंधु से मिलती है? (2021)

(a) चिनाब
(b) झेलम
(c) रावी
(d) सतलज

उत्तर: (d)


प्रश्न. पृथ्वी ग्रह पर अधिकांश मीठे पानी में बर्फ का आवरण और हिमनद मौजूद हैं। शेष मीठे पानी में से सबसे अधिक अनुपात किस रूप में मौजूद है? (2013)

(a) वातावरण में नमी और बादलों के रूप में पाया जाता है
(b) मीठे पानी की झीलों और नदियों में पाया जाता है
(c) भूजल के रूप में मौजूद है
(d) मिट्टी की नमी के रूप में मौजूद है

उत्तर: C

जल स्रोत

जल की मात्रा (घन किलोमीटर)

मीठे जल का प्रतिशत

कुल जल का प्रतिशत

महासागर, समुद्र और खाड़ियाँ

1,338,000,000

-

96.54

बर्फ छत्रक, ग्लेशियर और स्थायी बर्फ

24,064,000

68.7

1.74

भूमिगत जल

23,400,000

30.3

1.69

मिट्टी की नमी

16,500

0.05

0.001

भूमिगत बर्फ और पर्माफ्रॉस्ट

300,000

0.86

0.022

झील

176,400

-

0.013

वायुमंडल

12,900

0.04

0.001

नदियाँ

2,120

0.006

0.0002

जैविक जल

1,120

0.003

0.0001

अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।


मेन्स: 

प्रश्न1. क्रायोस्फीयर वैश्विक जलवायु को कैसे प्रभावित करता है? (2017)

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