जैव विविधता और पर्यावरण
UNEP फोरसाइट रिपोर्ट 2024
- 18 Jul 2024
- 14 min read
प्रिलिम्स के लिये:UNEP फोरसाइट रिपोर्ट 2024, संयुक्त राष्ट्र SDG लक्ष्य, संयुक्त राष्ट्र, ग्लोबल वार्मिंग, जबरन विस्थापन, जलवायु परिवर्तन, UNEP, UNEA। मेन्स के लिये:UNEP फोरसाइट रिपोर्ट 2024, प्रमुख विशेषताएँ, महत्त्व आदि। |
स्रोत: यू.एन.ई.पी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) ने "नेविगेटिंग न्यू होराइजन्स: ए ग्लोबल फोरसाइट रिपोर्ट ऑन प्लेनेटरी हेल्थ एंड ह्यूमन वेलबीइंग, 2024" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की।
- रिपोर्ट में विश्व से उन उभरती चुनौतियों से निपटने का आग्रह किया गया है जो ग्रह के स्वास्थ्य को बाधित कर सकती हैं। इसमें जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता हानि, प्रकृति हानि और प्रदूषण के तीन ग्रहों के संकट को बढ़ाने वाले 8 महत्त्वपूर्ण वैश्विक बदलावों पर प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य (SDG) लक्ष्यों में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं: नवीनतम 2023 SDG प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, 169 SDG लक्ष्यों में से 85% लक्ष्य पटरी से उतर गए हैं और 37% लक्ष्यों में कोई प्रगति नहीं हुई है या वर्ष 2015 के बाद से इनमें गिरावट आई है।
- SDG 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता), एसडीजी 13 (जलवायु कार्रवाई), SDG 14 (पानी के नीचे जीवन) और SDG 15 (भूमि पर जीवन) के लक्ष्यों में से 42.85% या तो स्थिर हैं या पीछे जा रहे हैं।
- 60% पर्यावरणीय संकेतकों की स्थिति या तो खराब हो रही है या अस्पष्ट बनी हुई है।
- 8 बदलाव, परिवर्तन के 18 संकेत: UNEP रिपोर्ट में 8 महत्त्वपूर्ण बदलावों की पहचान की गई है, जिनमें परिवर्तन के 18 संभावित संकेत हैं।
- ये संकेत स्वाभाविक रूप से अच्छे या बुरे नहीं हैं, बल्कि ये संभावित भविष्य के घटनाक्रमों के शुरुआती संकेत हैं और यदि ऐसा होता है तो भविष्य पर इनका बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
- मानव और पर्यावरण के बीच तेज़ी से बदलते संबंध: अनुमान है कि वर्ष 2050 तक मानवीय गतिविधियों के कारण 90% से अधिक भूमि प्रभावित होगी। 46% तक प्रजातियाँ विलुप्त हो सकती हैं।
- अनुमान है कि वर्ष 2100 तक वैश्विक तापमान 2.1-3.9°C तक बढ़ जाएगा।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधनों से, इन परिवर्तनों का कारण बन रहा है, तथा अधिकांश उत्सर्जन के लिये विकसित देश ज़िम्मेदार हैं।
- महत्त्वपूर्ण संसाधनों की कमी और प्रतिस्पर्द्धा: महत्त्वपूर्ण संसाधनों के लिये वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा को नया रूप दे रही है। मांग आपूर्ति से अधिक है, जिससे अस्थिरता और संभावित संघर्ष बढ़ रहे हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ भंडार केंद्रित हैं।
- सबसे बुनियादी संसाधन, जल और भोजन, जलवायु परिवर्तन तथा असंवहनीय प्रबंधन के कारण बढ़ते खतरों का सामना कर रहे हैं,जिससे असुरक्षित आबादी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
- शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिये वर्ष 2050 में महत्त्वपूर्ण खनिजों की मांग में अनुमानित वृद्धि नीचे दी गई है:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल रूपांतरण और प्रौद्योगिकी: डिजिटल प्रौद्योगिकियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की तीव्र प्रगति के प्रमुख चालकों में मोबाइल डिवाइस, इंटरनेट का उपयोग तथा AI का विकास शामिल है जो प्रगति की संभावनाएँ प्रदान करते हैं, उनके पर्यावरणीय प्रभावों पर विचार करने की आवश्यकता है।
- दुनिया भर में 8.89 बिलियन से ज़्यादा मोबाइल सब्सक्रिप्शन हैं, जिनमें से लगभग 5.6 बिलियन उपयोगकर्त्ताओं के पास डिवाइस है। अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union- ITU) की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2023 में दुनिया की 67.4% आबादी इंटरनेट उपयोगकर्त्ता थी।
- संघर्ष का एक नया युग: रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि AI-आधारित और स्वायत्त हथियार, मानवीय निगरानी के बिना, 4-6 वर्षों में बड़ी वैश्विक गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं।
- विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के व्यवधानों के होने की संभावना बहुत अधिक (59%) है, जिसका प्रभाव बहुत अधिक माना जाता है।
- उदाहरणों में रूस-यूक्रेन युद्ध में रूसी लक्ष्यों पर हमला करने के लिये यूक्रेनी सेना द्वारा AI से लैस ड्रोन का उपयोग करना और AI-नियंत्रित जैव हथियारों का जोखिम शामिल है।
- सामूहिक बलपूर्वक विस्थापन: रिपोर्ट से पता चलता है कि वैश्विक जनसंख्या का 1.5% हिस्सा जबरन विस्थापित हुआ है, जो एक दशक पहले की संख्या से लगभग दोगुना है।
- जलवायु परिवर्तन इसका एक प्रमुख कारण है, जिसमें जंगल में आग लगना, बाढ़, खराब वायु गुणवत्ता और असहनीय गर्मी जैसी चरम स्थितियाँ महत्त्वपूर्ण रूप से योगदान देती हैं।
- अफ्रीका, मध्य अमेरिका, प्रशांत द्वीप समूह और दक्षिण एशिया में जलवायु के कारण होने वाले प्रवास तथा विस्थापन का जोखिम अधिक है।
- यदि कोई शमन नहीं होता है, तो वर्ष 2070 तक 3 बिलियन लोग उपयुक्त जलवायु परिस्थितियों से पृथक हो सकते हैं और वर्ष 2050 तक पर्यावरणीय प्रवासियों की सँख्या 25 मिलियन से 1 बिलियन तक हो सकती है।
- विगत 20 वर्षों में आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों की संख्या में 340% की वृद्धि हुई है, जलवायु संबंधी आपदाएँ अब संघर्षों की तुलना में अधिक लोगों को विस्थापित कर रही हैं।
- बढ़ती असमानताएँ: रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वैश्विक असमानता बढ़ती जा रही है, जहाँ शीर्ष 10% लोगों के पास 75% से अधिक संपत्ति है, जबकि निम्न 50% लोगों के पास केवल 2% संपत्ति है।
- कई देशों में असमानता शिक्षा, नौकरियों और सेवाओं तक असमान पहुँच के साथ-साथ वैश्वीकरण से प्रेरित है।
- धन संबंधी असमानता पारिस्थितिक असमानताओं को भी जन्म देती है, क्योंकि अमीर लोग जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देते हैं, जबकि गरीब लोग सबसे अधिक पर्यावरणीय क्षति का सामना करते हैं।
- गलत सूचना, घटता विश्वास और ध्रुवीकरण: विज्ञान एवं सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास की कमी ने साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और लोकतांत्रिक शासन को कमज़ोर कर दिया है।
- कथित विफलताओं और 'फर्ज़ी खबरों' से विश्वास में होने वाली गिरावट जलवायु संकट जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिये प्रभावी नीतियों को लागू करना कठिन बना देती है।
UNEP द्वारा भविष्य का दृष्टिकोण और सिफारिशें क्या हैं?
- हितधारकों की भागीदारी को व्यापक बनाना: महिलाओं, स्वदेशी समूहों और युवा लोगों सहित विविध प्रकार के हितधारकों को सक्रिय रूप से शामिल करना, सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ाने, गलत सूचनाओं से निपटने तथा विश्वास का निर्माण करने के लिये तकनीकी एवं सामाजिक नवाचारों का उपयोग करना।
- युवा लोगों के लिये सशक्त आवाज़: यह सुनिश्चित करें कि युवाओं की सभी शासन स्तरों पर निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका हो ताकि अंतर और अंतर-पीढ़ीगत समानता (Intra- and inter-generational equity) प्राप्त हो सके।
- GDP से परे प्रगति को पुनः परिभाषित करना: सतत् विकास लक्ष्यों की दिशा में निवेश का मार्गदर्शन करने के लिये समावेशी धन सूचकांक और बहुआयामी भेद्यता सूचकांक जैसे मानव एवं पर्यावरणीय कल्याण के व्यापक संकेतकों को शामिल करना।
- सामुदायिक सशक्तीकरण: तीव्र और अनुकूल शासन को बढ़ावा देना जो समुदायों को प्रयोग करने, नवाचार करने तथा ज्ञान साझा करने के लिये सशक्त बनाता है, यह लचीले दीर्घकालिक पर्यावरणीय लक्ष्यों को भी निर्धारित करता है।
- डेटा-संचालित निर्णय लेना: स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर तक पर्यावरण निगरानी को बढ़ाते हुए, विभिन्न क्षेत्रों और पैमानों पर साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को सूचित करने के लिये डेटा, निगरानी और ज्ञान-साझाकरण प्लेटफॉर्म का लाभ उठाना।
- संधारणीय विकास: समानता, संधारणीयता और स्थिति स्थापकता के साझा मूल्यों द्वारा निर्देशित, पर्यावरणीय विषयों को दृष्टिगत रखते हुए विकास करने के लिये विश्व की अर्थव्यवस्थाओं तथा समुदायों में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है एवं मनुष्यों और ग्रह को प्राथमिकता देने के लिये व्यवसायों, बाज़ारों व शासन की भूमिका में सुधार किया जाना चाहिये।
UNEP क्या है?
- 05 जून, 1972 को स्थापित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), एक प्रमुख वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है।
- इसका प्राथमिक कार्य वैश्विक पर्यावरण एजेंडा निर्धारित करना, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर सतत् विकास को बढ़ावा देना और वैश्विक पर्यावरण संरक्षण के लिये एक आधिकारिक अधिवक्ता के रूप में कार्य करना है।
- प्रमुख रिपोर्ट: एमिशन गैप रिपोर्ट, अडैप्टेशन गैप रिपोर्ट, ग्लोबल एन्वायरनमेंट आउटलुक, फ्रंटियर्स, इन्वेस्ट इनटू हेल्थी प्लेनेट रिपोर्ट।
- प्रमुख अभियान: बीट पॉल्यूशन’, ‘UN75’, विश्व पर्यावरण दिवस, वाइल्ड फॉर लाइफ।
- मुख्यालय: नैरोबी, केन्या।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. विकसित होते मानव-पर्यावरण संबंधों ने वैश्विक सतत् विकास लक्ष्य प्रगति को किस प्रकार प्रभावित किया है? वैश्विक प्रगति के लिये इस संबंध के निहितार्थों का विश्लेषण कीजिये तथा एक सतत् भविष्य के लिये नवीन रणनीतियाँ प्रस्तुत कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. यू.एन.ई.पी. द्वारा समर्थित ‘कॉमन कार्बन मेट्रिक’को किसलिये विकसित किया गया है? (2021) (a) संपूर्ण विश्व में निर्माण कार्यों के कार्बन पदचिह्न का आकलन करने के लिये। उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा कीजिये और वैश्विक जलवायु पर इसके प्रभावों का उल्लेख कीजिये। क्योटो प्रोटोकॉल, 1997 के आलोक में ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को कम करने के लिये नियंत्रण उपायों को समझाइये। (2022) |