ग्रीनलैंड में भूस्खलन प्रेरित भूकंप
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
वैज्ञानिकों ने विश्व भर में उत्पन्न हो रही असामान्य भूकंपीय तरंगों का पता लगाया है, जो ग्रीनलैंड में नौ दिनों तक चले भूस्खलन का परिणाम हैं।
- सामान्य भूकंप संकेतों (P और S तरंगों) के विपरीत, इन तरंगों ने एकल आवृत्ति प्रदर्शित की, जो गैर भूकंपीय उत्पत्ति का संकेत देती है।
- भू-वैज्ञानिकों ने आरंभ में इस घटना को इसकी रहस्यमय प्रकृति के कारण "USO" (अज्ञात भूकंपीय वस्तु) नाम दिया था।
भूस्खलन-प्रेरित भूकंप के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- उत्पत्ति: भूकंपीय डेटा, उपग्रह चित्रों, जल स्तर मॉनीटरों और सिमुलेशन का विश्लेषण करके, वैज्ञानिकों ने पाया कि ग्रीनलैंड के डिक्सन फियाॅर्ड में हुए बड़े भूस्खलन की घटना के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई।
- ह्वीड स्टोवहॉर्न शिखर से हिमस्खलन हुआ, जिससे पनडुब्बी भूस्खलन आरंभ हो गया।
- फियाॅर्ड में सेश प्रभाव: सीमित फियाॅर्ड में, तरंगे इसकी दीवारों के बीच उत्पन्न होती हैं, जिससे एक घटना उत्पन्न होती है जिसे "सेश" के रूप में जाना जाता है
- इन तरंगों का प्रभाव नौ दिनों तक जारी रहा, जिसमें प्रत्येक 90 सेकंड में लहरें दोलित होती रहीं।
- सुनामी: भूकंप के कारण आर्कटिक महासागर क्षेत्र में एक अलग जगह पर 200 मीटर ऊँची मेगा सुनामी की घटना हुई। इससे कोई जनहानि तो नहीं हुई, लेकिन एला द्वीप पर स्थित एक शोध केंद्र को नुकसान पहुँचा।
- वैश्विक प्रतिध्वनि: सेश तरंगों ने समस्त विश्व में भूकंपीय संकेत भेजे, जिससे पृथ्वी की सतह पर कंपन उत्पन्न हुए।
- आर्कटिक से अंटार्कटिका के क्षेत्र में इस लंबी प्रतिध्वनि को भूकंपमापी यंत्रों पर दर्ज किया गया।
- जलवायु परिवर्तन से संबंध: भूस्खलन की यह घटना इसलिये घटित हुई क्योंकि फिओर्ड के तल पर स्थित ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघल गया और उसका निवर्तन हुआ, जिससे कारण चट्टानी ढाल आधारहीन हुआ और उसका निपात हो गया।
- यह ध्रुवीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रेखांकित करता है, जहाँ ताप में वृद्धि से हिम का गलन तीव्र हो जाता है, जिससे भूमि अस्थिर हो जाती है।
फियाॅर्ड क्या हैं?
- फियाॅर्ड: फियाॅर्ड समुद्र के लंबे, गहरे, संकीर्ण, खड़ी किनारों वाले प्रवेश द्वार हैं जो अंतर्देशीय रूप से लंबी दूरी में विस्तृत होते हैं और हिमाच्छादित घाटी के जलमग्न होने के कारण निर्मित होते हैं।
- फियाॅर्ड विशेष रूप से, उच्च अक्षांशों पर (लगभग 80 डिग्री तक) उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्द्धों के पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- फियाॅर्ड का निर्माण: फियाॅर्ड का निर्माण पिछले हिमयुग के दौरान हिमनदों के कारण हुआ था। हिमनदों का क्रमिक रूप से संचलन होने के साथ गहरी घाटियों का निर्माण हुआ जिससे अंततः फियाॅर्ड का निर्माण हुआ
- फियाॅर्ड्स सबसे गहरे अंतर्देशीय स्थान हैं, क्योंकि हिमाच्छादन के दौरान हिमनद का बल सबसे अधिक यहीं था।
- फियाॅर्ड का भौगोलिक वितरण: फियाॅर्ड मुख्य रूप से नॉर्वे, चिली, न्यूजीलैंड, कनाडा, ग्रीनलैंड और अलास्का में पाए जाते हैं।
- फियाॅर्ड्स में प्रवाल भित्तियाँ: कुछ फियाॅर्ड्स, विशेष रूप से नॉर्वे में गहरे शीतल जल की प्रवाल भित्तियाँ पाई जाति हैं, जिनसे मत्स्य, प्लवक और समुद्री एनीमोन जैसी समुद्र की विभिन्न प्रजातियों पोषण संभव होता है
- इन प्रवाल भित्तियों की संवृद्धि, अन्य उष्णकटिबंधीय प्रवाल भित्तियों के विपरीत, पूर्णतया अप्रकाशिक और चरम दाब की स्थिति में होती है।
- स्केरीज़ (चट्टानी द्वीप): स्केरीज़ लघु चट्टानी द्वीप हैं जो हिमनदों के फलस्वरूप निर्मित फियाॅर्ड के समीप पाए जाते हैं। ये सामान्यतः स्कैंडिनेवियाई तटरेखा के अनुदिश पाए जाते हैं।
- शांत पोताश्रय के रूप में फियाॅर्ड: चट्टानी द्वीपों अथवा स्केरीज़ की उपस्थिति (जिससे नौवहन में कठिनाई आती है) के बावजूद फियाॅर्ड प्रायः शांत और संरक्षित होते हैं। प्रशांत (अतरंगित) जल के कारण जहाज़ों के लिये यह आदर्श बंदरगाह है।
ग्रीनलैंड
- सबसे बड़ा द्वीप: ग्रीनलैंड विश्व का सबसे बड़ा द्वीप है और यह डेनमार्क के स्वायत्त क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
- भौगोलिक रूप से यह उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप का भाग है।
- जलवायु: ग्रीनलैंड में उच्च अक्षांश के कारण प्रत्येक वर्ष दो माह की अवधि तक दिन रहता है।
- सामरिक महत्त्व: शीत युद्ध की शुरुआत में संयुक्त राज्य अमेरिका ने थुले में एक रडार बेस स्थापित किया था।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. पृथ्वी ग्रह पर जल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. निम्नलिखित में से किस घटना ने जीवों के विकास को प्रभावित किया होगा? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) |
भविष्य का भोजन
स्रोत: लाइवमिंट
हाल ही में भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिये जैव प्रौद्योगिकी (Bioe3) नीति को मंज़ूरी दी है, जिसमें प्रमुख फोकस क्षेत्र के रूप में "स्मार्ट प्रोटीन" के उत्पादन को प्राथमिकता दी गई है।
- स्मार्ट प्रोटीन:
- वैकल्पिक या स्मार्ट प्रोटीन से तात्पर्य अपरंपरागत स्रोतों जैसे शैवाल, कवक या कीटों से प्राप्त प्रोटीन या किण्वन और प्रयोगशाला में विकसित कोशिकाओं जैसे उन्नत तरीकों का उपयोग करके उत्पादित प्रोटीन से है।
- इस शब्द में पादप-आधारित प्रोटीन (जो दशकों से उपलब्ध हैं) भी शामिल हैं, जिसे पशुधन ब्रीडिंग की आवश्यकता के बिना पशु उत्पादों के स्वाद और पोषण मूल्य को परिवर्तित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- आँकड़ों के अनुसार वैकल्पिक प्रोटीन उत्पादन से पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है इसमें 72-99% तक कम जल के साथ 47-99% तक कम भूमि का उपयोग होता है और इससे जल प्रदूषण 51-91% तक कम होने के साथ इससे पारंपरिक मांस उत्पादन की तुलना में ग्रीनहाउस गैसों का 30-90% तक कम उत्सर्जन होता है।
- सुरक्षित एवं धारणीय:
- आय बढ़ने के साथ लोग अधिक प्रोटीन का उपभोग करते हैं। भारत में प्रोटीन का सेवन वर्ष 1991 के कुल कैलोरी के संदर्भ में 9.7% से बढ़कर वर्ष 2021 में 11% हो गया है।
- वैकल्पिक प्रोटीन से ज़ूनोटिक रोगों के जोखिम में कमी आने के साथ खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है।
- Bioe3 नीति:
- इसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले जैव-उत्पादों को बढ़ावा देना है, जिसमें व्यापक राष्ट्रीय लक्ष्य जैसे 'नेट जीरो' कार्बन अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के साथ एक सर्कुलर जैव-अर्थव्यवस्था के माध्यम से धारणीय विकास को बढ़ावा देना शामिल है।
अधिक पढ़ें: भारत में BioE3 नीति और जैव प्रौद्योगिकी
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार पूर्ण उन्मूलन दिवस
स्रोत: संयुक्त राष्ट्र
परमाणु हथियारों के खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके उन्मूलन को बढ़ावा देने के लिये प्रतिवर्ष 26 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु हथियार पूर्ण उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। इसे वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा घोषित किया गया था।
- वर्ष 1978 में आयोजित निरस्त्रीकरण को समर्पित संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रथम विशेष सत्र में परमाणु निरस्त्रीकरण की प्रासंगिकता की पुनः पुष्टि की गई।
- परमाणु ऊर्जा आयोग ने परमाणु ऊर्जा को नियंत्रित करने और सामूहिक विनाश के हथियारों को खत्म करने के उपायों का प्रस्ताव रखा।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा की अन्य पहल:
- व्यापक निरस्त्रीकरण,1959
- निरस्त्रीकरण पर विशेष सत्र,1978
- परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि (TPNW) का समर्थन किया
- भारत के प्रयास:
- भारत ने अप्रसार और निरस्त्रीकरण का समर्थन करते हुए समयबद्ध ढाँचे के तहत सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण की वकालत की है।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं स्थिरता के लिये खतरा पैदा करने वाली संस्थाओं को प्रौद्योगिकी, सामग्री या घटकों के हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाले विभिन्न समूहों का हिस्सा है।
- वासेनार व्यवस्था
- ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (AG)
- मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR)
और पढ़ें: भारत का सुरक्षित परमाणु भविष्य
वन्यजीव पर्यावासों का एकीकृत विकास
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंज़ूरी के साथ वन्यजीव पर्यावासों के एकीकृत विकास (IDWH) की केंद्र प्रायोजित योजना को 15वें वित्त आयोग (वर्ष 2021-2026) के लिये बढ़ा दिया गया है।
IDWH के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: इसका उद्देश्य संपूर्ण भारत में वन्यजीव पर्यावासों के संरक्षण एवंर प्रबंधन में वृद्धि करना शामिल है।
- इसमें पर्यावास पुनर्स्थापन,संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी एवं मानव-वन्यजीव संघर्षों के समाधान जैसी विभिन्न गतिविधियाँ भी शामिल हैं।
- योजना के घटक :
- संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान,वन्यजीव अभयारण्य,संरक्षण रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व) को समर्थन।
- संरक्षित क्षेत्रों के बाहर वन्यजीवों का संरक्षण।
- गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों तथा उनके पर्यावासों को बचाने के लिये पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम।
- IDWH के उपघटक:
- प्रोजेक्ट टाइगर: इसे भारत में वर्ष 1973 में शुरू किया गया था जिसका प्राथमिक उद्देश्य बाघों की आबादी को उनके प्राकृतिक पर्यावासों में संरक्षित करना और विलुप्त होने से बचाना था।
- प्रोजेक्ट एलीफेंट : इसे वर्ष 1992 में हाथियों की पर्यावासों में हो रही कमी तथा अवैध शिकार के कारण हो रही गिरावट को रोकने के लिये शुरू किया गया था।
- वन्यजीव पर्यावास का विकास: जैवविविधता और वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये, यह पर्यावासों के विकास एवं सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है।
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन और प्रोजेक्ट लायन इसके उपघटक के अंतर्गत हैं।
- कीस्टोन प्रजातियों का संरक्षण: यह योजना कीस्टोन प्रजातियों जैसे बाघ,हाथी,चीता तथा शेरों के संरक्षण पर केंद्रित है,जो पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के संकेतक हैं।
- यह वन्यजीव पर्यावास घटक के विकास के अंतर्गत प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के तहत पहचानी गई कम-ज्ञात प्रजातियों का भी समर्थन करता है।
- गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों/पारिस्थितिकी तंत्रों को बचाने के लिये 16 स्थलीय और 6 जलीय प्रजातियों की पहचान की गई है।
- यह वन्यजीव पर्यावास घटक के विकास के अंतर्गत प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के तहत पहचानी गई कम-ज्ञात प्रजातियों का भी समर्थन करता है।
IUCN स्थिति |
प्रजातियाँ |
गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) |
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड,हंगुल, जेरडॉन्स कॉर्सर,मालाबार सिवेट,नॉर्दर्न रिवर टेरापिन |
संकटग्रस्त(Endangered) |
एशियाई जंगली भैंसा,ब्रो एंटलर्ड हिरण (संगई),गंगा नदी डॉल्फिन,नीलगिरि तहर, अरब सागर हंपबैक व्हेल, रेड पांडा |
सुभेद्य(Vulnerable) |
एशियाई शेर,डुगोंग,भारतीय गैंडा या एक सींग वाला गैंडा,निकोबार मेगापोड,हिम तेंदुआ, दलदली हिरण,क्लाउडेड तेंदुआ |
निकट संकटग्रस्त(Near Threatened) |
कैराकल (विश्व स्तर पर: सबसे कम चिंतनीय) |
कम चिंतनीय (Least Concern) |
एडिबल नेस्ट स्विफ्टलेट |
- लाभान्वित क्षेत्र: इस योजना के लाभ में 718 संरक्षित क्षेत्र और उनके संबंधित प्रभाव क्षेत्र, 33 हाथी रिजर्व एवं 55 बाघ रिजर्व शामिल हैं।
- तकनीकी हस्तक्षेप:
- बाघों को देखे जाने, गतिविधियों और अन्य संबंधित विषयों के बारे में जानकारी एकत्रित करने के लिये प्रोजेक्ट टाइगर द्वारा M-STrIPES (बाघों की गहन सुरक्षा और पारिस्थितिकी स्थिति के लिये निगरानी प्रणाली) मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग किया जाता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): अखिल भारतीय बाघ आकलन प्रक्रिया में प्रजातियों के स्तर की पहचान के लिये AI का उपयोग शामिल है।
- संरक्षण आनुवंशिकी अनुप्रयोग : बाघों की आनुवंशिक संरचना के आधार पर उनके स्थानांतरण के लिये एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की गई है।
- कम घनत्व वाले क्षेत्रों में बाघों की आबादी का आकलन करने और उनकी खाद्य पारिस्थितिकी का विश्लेषण करने के लिये आनुवंशिकी का भी उपयोग किया जाता है।
- विशिष्ट पशुओं पर ध्यान केंद्रित करना:
- प्रोजेक्ट डॉल्फिन: डॉल्फिन परियोजना के अंर्तगत डॉल्फिन और उनके पर्यावासों की गणना करने के लिये निष्क्रिय ध्वनिक निगरानी उपकरणों और दूर से संचालित वाहनों (ROV) की सहायता से संचालित किया जाएगा।
- प्रोजेक्ट लायन: प्रोजेक्ट लायन को “लायन@2047: अमृत काल के लिये एक विजन ” के दृष्टिकोण से सुदृढ़ किया जाएगा, जिसका उद्देश्य शेरों के साथ-साथ उनके पारिस्थितिक तंत्र के दीर्घकालिक संरक्षण को बढ़ावा देना है।
- प्रोजेक्ट चीता : प्रोजेक्ट टाइगर घटक भारत में महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीता का भी समर्थन करता है। चीता कार्य योजना के अनुसार चीतों को लाने के लिये क्षेत्रों का विस्तार किया जाएगा।
- आजीविका सृजन: यदि कार्यक्रम जारी रखा जाता है, तो यह अनुमान है कि संरक्षण प्रयासों में प्रत्यक्ष भागीदारी से 50 लाख से अधिक मानव-दिवस रोज़गार सृजित होंगे।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |
फूड इम्पोर्ट रिजेक्शन अलर्ट (FIRA)
स्रोत: लाइवमिंट
हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भारतीय सीमाओं पर खाद्य आयात अस्वीकृतियों की सूचना खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को देने के लिये खाद्य आयात अस्वीकृति चेतावनी (FIRA) नामक एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया है।
- FIRA:
- FIRA को नई दिल्ली में FSSAI द्वारा आयोजित वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन, 2024 के दूसरे संस्करण के दौरान शुरू किया गया।
- वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन, 2024 का उद्देश्य खाद्य नियामकों के लिये एक वैश्विक मंच स्थापित करना है ताकि ये संपूर्ण खाद्य मूल्य शृंखला में खाद्य सुरक्षा प्रणालियों तथा नियामक ढाँचे को मज़बूत करने के क्रम में विचारों का आदान-प्रदान कर सकें।
- इसमें एक इंटरैक्टिव ऑनलाइन इंटरफेस को त्वरित सूचना प्रसार हेतु डिज़ाइन किया गया है जिसका उद्देश्य ऐसे मामलों में पारदर्शिता को बढ़ाना है।
- FIRA को नई दिल्ली में FSSAI द्वारा आयोजित वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन, 2024 के दूसरे संस्करण के दौरान शुरू किया गया।
- FSSAI:
- यह खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत स्थापित एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है।
- यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करते हुए भारत में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता को विनियमित एवं पर्यवेक्षित करने के माध्यम से लोक स्वास्थ्य की रक्षा तथा संवर्द्धन में भूमिका निभाता है।
और पढ़ें: FSSAI द्वारा खाद्य सुरक्षा विनियमों को सुव्यवस्थित करने पर विचार
गुणवत्ता संबंधी चिंताओं के कारण CDSCO ने 53 दवाओं को किया चिह्नित
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने पैरासिटामोल और पैन D सहित 53 दवाओं को 'गुणवत्ता अनुरूप मानक का अभाव' के रूप में चिह्नित किया है, जिससे इनके उपभोग के बारे में गंभीर सुरक्षा चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।
- CDSCO ने दो सूचियाँ जारी की हैं एक में 48 दवाएँ गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहीं तथा दूसरी में 5 दवाओं को “गुणवत्ता अनुरूप मानक का अभाव” (NSQ अलर्ट) की श्रेणी में रखा गया है। यह सूची राज्य औषधि अधिकारियों द्वारा लिये गए यादृच्छिक मासिक नमूने पर आधारित है।
- CDSCO स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत भारत सरकार को सौंपे गए कार्यों का निर्वहन करने वाला केंद्रीय औषधि प्राधिकरण है।
- CDSCO के प्रमुख कार्यों में दवा आयात पर नियामक नियंत्रण की देखरेख, नई दवाओं और नैदानिक परीक्षणों को मंजूरी देना तथा केंद्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण के रूप में कुछ लाइसेंस जारी करना शामिल है।
अधिक पढ़ें: भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग