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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

दोहरे उपयोग वाली रक्षा प्रौद्योगिकी

  • 26 Aug 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी, SCOMET आइटम, स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान (SIPRI), यूरोपीय यूनियन (EU), ग्लोबल पोजिशनिंग सैटेलाइट्स, वासेनार अरेंजमेंट (WA), परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG), परमाणु अप्रसार संधि, मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR), राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण सूची, रासायनिक हथियार कन्वेंशन (CWC), जैविक और विषाक्त हथियार सम्मेलन (BWC)

मेन्स के लिये:

दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और प्रौद्योगिकियों के व्यापार तथा  निर्यात से संबंधित भारत की स्थिति और इसे राष्ट्रीय हितों के साथ संतुलित करना।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका (US) सरकार के अधिकारी भारतीय कंपनियों और निर्यातकों को रूस को दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी की आपूर्ति करने से रोकने के लिये जागरूक कर रहे हैं।

  • रक्षा उपकरणों में उपयोग किये जा सकने वाले रसायनों, वैमानिकी भागों और घटकों के निर्यात पर पश्चिमी प्रतिबंध लग सकते हैं।

दोहरे उपयोग वाली वस्तुएँ/प्रौद्योगिकियाँ क्या हैं?

  • दोहरे उपयोग वाले सामान के बारे में:
    • दोहरे उपयोग वाली वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं, जिनका उपयोग नागरिक और सैन्य दोनों के लिये किया जा सकता है।
    • दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और प्रौद्योगिकी के उदाहरणों में ग्लोबल पोजिशनिंग सैटेलाइट्स, मिसाइल, परमाणु प्रौद्योगिकी, रासायनिक और जैविक उपकरण, रात्रि दृष्टि प्रौद्योगिकी, थर्मल इमेजिंग, ड्रोन आदि शामिल हैं।
  • दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के उदाहरण:
    • हाइपरसोनिक्स: हाइपरसोनिक सिस्टम ध्वनि की गति से 5 गुना या उससे अधिक गति से उड़ते हैं। इनका उपयोग कम लागत वाले उपग्रह प्रक्षेपणों के लिये और उपग्रहों के विफल होने पर बैकअप के रूप में किया जा सकता है
    • एकीकृत नेटवर्क सिस्टम-ऑफ-सिस्टम्स: यह सरकारों को कई विविध मिशन प्रणालियों को बेहतर ढंग से एकीकृत करने और पूरी तरह से नेटवर्कयुक्त कमांड, नियंत्रण और संचार प्रदान करने की अनुमति देता है जो सक्षम, लचीला तथा सुरक्षित है।
    • माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स: प्रत्येक सैन्य और वाणिज्यिक प्रणाली व्यक्तिगत कंप्यूटर, सेल फोन एवं रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिये माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भर करती है।
  • दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं/प्रौद्योगिकियों से संबंधित निर्यात नियंत्रण प्रावधान: उनके व्यापार और निर्यात को बहुपक्षीय दोहरे उपयोग वाले निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं द्वारा विनियमित किया जाता है।
    • वासेनार व्यवस्था (WA): इसका उद्देश्य पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं एवं प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में पारदर्शिता व अधिक ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता में योगदान करना है।
    • परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG): NSG परमाणु ईंधन/प्रौद्योगिकी आपूर्तिकर्त्ता देशों का एक समूह है, जो परमाणु हथियारों के अप्रसार में योगदान करता है।
    • ऑस्ट्रेलिया ग्रुप: यह देशों का एक अनौपचारिक मंच है, जिसका उद्देश्य निर्यात नियंत्रणों के सामंजस्य के माध्यम से यह सुनिश्चित करना है कि निर्यात द्वारा रासायनिक या जैविक आयुध के विकास में योगदान न हो।
    • मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR): MTCR 35 देशों के बीच एक अनौपचारिक और स्वैच्छिक साझेदारी है, जिसका उद्देश्य 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक 500 किलोग्राम से अधिक पेलोड ले जाने में सक्षम मिसाइल एवं अनमैन्ड एरियल व्हीकल प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना है।
      • भारत को वर्ष 2016 में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था में शामिल किया गया था।
    • CWC तथा BWC: भारत निरस्त्रीकरण और अप्रसार पर अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय अर्थात् रासायनिक हथियार कन्वेंशन (CWC) तथा जैविक और विषाक्त हथियार संधि (BWC) का एक हस्ताक्षरकर्त्ता है।
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प, 1540: संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से उन वस्तुओं/रसायनों के निर्यात को नियंत्रित करने की अपेक्षा करता है, जो मानवता और वैश्विक शांति के उद्देश्य को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

रूस के संबंध में दोहरे उपयोग वाली रक्षा प्रौद्योगिकी में प्रमुख घटनाक्रम क्या हैं?

  • प्रतिबंधों का डर: भारतीय कंपनियों को काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरिज़ थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों का सामना करने का खतरा है।
  • वित्तीय पहुँच को सीमित करना: अमेरिकी ट्रेज़री अधिकारियों ने भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों को सलाह दी है कि रूस के सैन्य-औद्योगिक बेस के साथ व्यापार करने से अमेरिकी वित्तीय प्रणाली तक उनकी पहुँच खतरे में पड़ सकती है। 
  • दोहरे उपयोग वाले निर्यात पर भारत की स्थिति: अमेरिका द्वारा अभिनिर्धारित की गई वस्तुएँ विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकियाँ (SCOMET) वस्तुओं की श्रेणी में नहीं आते हैं, जिसके व्यापार के लिये लाइसेंस की आवश्यकता होती है।
    • भारत में दोहरे उपयोग वाले सामान SCOMET सूची के अंतर्गत वर्गीकृत किये गए हैं।
  • भारत की भूमिका और अमेरिकी चिंताएँ: अमेरिका का मानना ​​है कि कुछ SCOMET वस्तुएँ रूसी रक्षा विनिर्माण प्रणाली में प्रवेश कर रही हैं।
    • वर्ष 2023 में रूस को भारत का निर्यात 40% बढ़कर 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया। इंजीनियरिंग वस्तुओं ने इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, निर्यात वर्ष 2022 में 680 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023 में 1.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • चीन की भूमिका और अमेरिका की  चिंताएँ: अमेरिका ने कहा कि चीन मशीन टूल्स, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स और नाइट्रोसेल्यूलोज का शीर्ष आपूर्तिकर्त्ता है, जो युद्ध सामग्री एवं रॉकेट प्रणोदक के निर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • अमेरिका ने 300 से अधिक कंपनियों को काली सूची में डाल दिया है तथा दावा किया है कि चीन रूस को प्रमुख दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं का प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता है।
    • ईरान ने रूस को गोला-बारूद, तोप के गोले और ड्रोन की आपूर्ति की है।

नोट:

भारत की सामरिक व्यापार नियंत्रण प्रणाली क्या है?

निष्कर्ष

दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के निर्यात नियंत्रण को राष्ट्रीय हितों के साथ संतुलित करना भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करना और प्रतिबंधों से बचना आवश्यक है, विशेष रूप से रूस से जुड़े संवेदनशील भू-राजनीतिक संदर्भों मेंभारत को अपने आर्थिक हितों की रक्षा भी करनी चाहिये तथा सामरिक स्वायत्तता बनाए रखनी चाहिये। निगरानी और उद्योग जागरूकता को मज़बूत करना यह सुनिश्चित करता है कि निर्यात नीतियाँ अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों, जिससे नवाचार और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों को बढ़ावा मिले।

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न. दोहरे उपयोग वाली वस्तुएँ और प्रौद्योगिकियाँ क्या हैं? दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं तथा प्रौद्योगिकियों के अप्रसार में भारत की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता पर चर्चा कीजिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. हाल ही मेंयूएसए ने "ऑस्ट्रेलिया समूह" और "वासेनार व्यवस्था" नामक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत की सदस्यता का समर्थन करने का निर्णय लिया। उनके बीच क्या अंतर है?

  1. ऑस्ट्रेलिया समूह एक अनौपचारिक व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य निर्यात करने वाले देशों को रासायनिक और जैविक हथियारों के प्रसार में सहायता करने के जोखिम को कम करने की अनुमति देना है, जबकि वासेनार अरेंजमेंट OECD के तहत एक समान उद्देश्य रखने वाला एक औपचारिक समूह है।
  2. ऑस्ट्रेलिया समूह में मुख्य रूप से एशियाई, अफ्रीकी और उत्तरी अमेरिकी देश शामिल हैं, जबकि वासेनार अरेंजमेंट के सदस्य देश मुख्य रूप से यूरोपीय संघ तथा अमेरिकी महाद्वीपों से हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2008)

  1. परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह के 24 देश सदस्य हैं।
  2. भारत परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह का सदस्य है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


प्रश्न. किसी देश के 'नाभिकीय पूर्तिकर्त्ता समूह' के सदस्य बनने का/के क्या परिणाम है/हैं? (2018)

  1. इसकी पहुँच नवीनतम और सबसे कुशल परमाणु प्रौद्योगिकियों तक हो जाएगी।
  2. यह स्वमेव "नाभिकीय आयुध अप्रसार संधि" (एन.पी.टी.) का सदस्य बन जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (a)

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