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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

परमाणु शस्त्रागार पर SIPRI की रिपोर्ट

  • 21 Jun 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स:

SIPRI रिपोर्ट, परमाणु अप्रसार संधि (NPT), व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT), परमाणु शस्त्रों के निषेध पर संधि (TPNW), परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG), मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR), बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के विरुद्ध हेग कोड ऑफ कंडक्ट, वासेनार अरेंजमेंट, नो-फर्स्ट-यूज पॉलिसी 

मेन्स:

नो-फर्स्ट-यूज़ पॉलिसी, परमाणु शस्त्रागार, परमाणु कूटनीति, निरस्त्रीकरण

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें विश्व भर में परमाणु शस्त्रागार के चल रहे आधुनिकीकरण और विस्तार से संबंधित बढ़ते जोखिम तथा अस्थिरता पर प्रकाश डाला गया।

रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?

  • वैश्विक परमाणु शस्त्र:
    • सभी नौ परमाणु-सशस्त्र देश (अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्राँस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इज़रायल) अपने परमाणु शस्त्रागार का आधुनिकीकरण जारी रखे हुए हैं।
    • जनवरी, 2024 तक परमाणु शस्त्रों की वैश्विक सूची में लगभग 12,121 शस्त्र शामिल थे, जिसमें से लगभग 9,585 सैन्य भंडारण में थे।
    • लगभग 2,100 शस्त्रों को मुख्य रूप से रूस और अमेरिका द्वारा उच्च परिचालन अलर्ट पर रखा गया था, हालाँकि इसमें चीन के पास कुछ अधिक शस्त्र होने की संभावना हैं।
  • देश-विशिष्ट विकास:
    • रूस और अमेरिका: दोनों के पास कुल परमाणु शस्त्रों का लगभग 90% हिस्सा है।
    • चीन: चीन ने जनवरी, 2024 तक अपने परमाणु शस्त्रागार को 410 से बढ़ाकर 500 कर दिया है और वह किसी भी अन्य देश की तुलना में अपने परमाणु शस्त्रागार का तीव्र विस्तार कर रहा है।
    • उत्तर कोरिया के पास लगभग 50 वारहेड, जबकि उसकी सामग्री को मिलाकर यह संख्या 90 तक है।
    • इज़रायल अपने शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहा है साथ ही प्लूटोनियम उत्पादन क्षमताओं को भी बढ़ा रहा है (हालाँकि आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार्य नहीं है)।
    •  भारत और पाकिस्तान:
      • जनवरी, 2024 तक भारत के पास 172 परमाणु शस्त्रागार हैं, जो विश्व स्तर पर पाकिस्तान (170) से अधिक छठे स्थान पर है, वह चीन पर निशाना साधने वाले लंबी दूरी के शस्त्रों पर ज़ोर दे रहा है।
  • परमाणु कूटनीति की चुनौतियाँ:
  • वैश्विक सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:
    • इसमें सैन्य व्यय, हथियारों के हस्तांतरण और संघर्षों में निजी सैन्य कंपनियों की भूमिका जैसे मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया ।
    • इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बाह्य अंतरिक्ष, साइबरस्पेस एवं युद्ध क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित जोखिमों पर भी प्रकाश डाला गया।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI)

  • यह एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो संघर्ष, युद्धक सामग्रियों, हथियार नियंत्रण तथा निरस्त्रीकरण पर अनुसंधान के लिये समर्पित है।
  • SIPRI एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जिसकी स्थापना वर्ष 1966 में हुई थी।
  • यह नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं, मीडिया एवं इच्छुक लोगों को आँकड़ों का विश्लेषण और सुझाव उपलब्ध कराती है।

भारत के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित चुनौतियाँ तथा आगे की राह क्या हैं?

  • चुनौतियाँ:
    • सीमा पर तनाव एवं आतंकवादी मुद्दों के कारण भारत को मुख्य रूप से पाकिस्तान तथा चीन से परमाणु खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
    • साइबर हमलों के बढ़ते खतरों के कारण परमाणु प्रणालियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि किसी भी शिथिलता के परिणामस्वरूप भारत के कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर वर्ष 2019 में हुए कथित साइबर हमले जैसे परिणाम हो सकते हैं।
    • हाइपरसोनिक मिसाइलों, स्वायत्त हथियारों तथा AI की तीव्र प्रगति द्वारा परमाणु निवारण रणनीतियों के लिये नई चुनौतियाँ प्रस्तुत की हैं।
    • भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को रेडियोधर्मी संदूषण, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

आगे की राह

  • विश्वसनीय न्यूनतम निवारण को बनाए रखते हुए, भारत को उन्नत वितरण प्रणाली विकसित करके अपने परमाणु शस्त्रागार का ज़िम्मेदारी से आधुनिकीकरण करना चाहिये और साथ ही  थोरियम-आधारित रिएक्टरों जैसी उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकियों में निवेश करना चाहिये। 
  • भारत को परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन तथा परमाणु आतंकवाद से निपटने के लिये वैश्विक पहल (GICNT) जैसी वैश्विक परमाणु शासन पहलों में शामिल होना चाहिये और विश्वास निर्माण उपायों के माध्यम से पाकिस्तान तथा चीन के साथ परमाणु जोखिमों को कम करने पर कार्य करना चाहिये।

परमाणु कार्यक्रमों के लिये अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ

भारत का परमाणु कार्यक्रम

  • भारत ने मई 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था तथा वह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) दोनों से बाहर है।
  • हालाँकि भारत ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सुविधा-विशिष्ट सुरक्षा समझौता किया है और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) से छूट प्राप्त की है, जो उसे वैश्विक असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी वाणिज्य में भाग लेने की अनुमति देती है।
  • इसे वर्ष 2016 में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR), वर्ष 2017 में वासेनार अरेंजमेंट तथा वर्ष 2018 में ऑस्ट्रेलिया समूह का सदस्य बनाया गया।
  • वर्ष 2024 में, भारत ने तमिलनाडु के कलपक्कम में भारत के प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR) की कोर लोडिंग शुरू की, जो भारत के परमाणु कार्यक्रम में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।
  • भारत परमाणु हथियारों का नो-फर्स्ट-यूज पॉलिसी की अपनी आधिकारिक प्रतिबद्धता पर कायम है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत के परमाणु शस्त्रागार की वर्तमान स्थिति पर चर्चा कीजिये और क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा गतिशीलता के संदर्भ में इसके सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर "आई. ए. ई. ए. सुरक्षा उपायों" के अधीन रखे जाते है जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020)

(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का
(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का 
(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा 
(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले 

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती हुई जरूरतों के परिपेक्ष्य में भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? नाभिकीय ऊर्जा से संबंधित तथ्यों और भयों की विवेचना कीजिये। (2018)

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