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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-रूस द्विपक्षीय बैठक

  • 29 Dec 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-रूस द्विपक्षीय बैठक, क्षेत्रीय स्थिरता, आतंकवाद, रूस निर्मित परमाणु संयंत्र, कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र

मेन्स के लिये:

भारत-रूस द्विपक्षीय बैठक, भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और समझौते।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय बैठक के लिये रूस का दौरा किया जहाँ दोनों देशों ने परमाणु ऊर्जा व दवाओं, फार्मास्युटिकल पदार्थों व चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

भारत-रूस द्विपक्षीय बैठक के प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • आर्थिक सहयोग:
    • रक्षा, अंतरिक्ष अन्वेषण, परमाणु ऊर्जा और प्रौद्योगिकी साझाकरण में रणनीतिक सहयोग पर ज़ोर, लंबे समय से चली आ रही साझेदारी की दृढ़ता को दर्शाता है तथा गहरे सहयोग के रास्ते तलाशता है।
    • दोनों देश भारतीय बाज़ार में रूसी हाइड्रोकार्बन के निर्यात के विस्तार के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग पर सहमत हुए
    • दोनों पक्षों ने सुदूर पूर्व में सहयोग के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया और EaEU-India FTA वार्ता की शीघ्र बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर समझौता:
    • भारत और रूस ने तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना की भविष्य की इकाइयों को आगे बढ़ाने के लिये समझौते पर हस्ताक्षर किये।
    • भारत पहले से ही दो रूस निर्मित परमाणु संयंत्रों का संचालन कर रहा है जबकि अन्य चार तमिलनाडु के कुडनकुलम में निर्माणाधीन हैं।
      • भारत का सबसे बड़ा कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र रूस की तकनीकी सहायता से तमिलनाडु में बनाया जा रहा है। निर्माण मार्च 2002 में शुरू हुआ। फरवरी 2016 से, कुडनकुलम NPP की पहली ऊर्जा इकाई 1,000 मेगावाट की अपनी डिज़ाइन क्षमता पर लगातार काम कर रही है।
      • रूसी मीडिया के अनुसार संयंत्र के वर्ष 2027, में पूरी क्षमता से काम शुरू करने की उम्मीद है।
  • कूटनीतिक पहल: 

भारत-रूस संबंधों का इतिहास कैसा रहा है?

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
    • शीत युद्ध के दौरान, भारत और सोवियत संघ के बीच मज़बूत रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक संबंध थे। सोवियत संघ के विघटन के बाद, रूस को भारत के साथ घनिष्ठ संबंध विरासत में मिले, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों ने एक विशेष रणनीतिक संबंध साझा किया।
    • हालाँकि, कोविड के बाद के परिदृश्य में, खासकर पिछले कुछ वर्षों में संबंधों में भारी गिरावट आई है। इसका सबसे बड़ा कारण रूस के चीन और पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसने पिछले कुछ वर्षों में भारत के लिये कई भू-राजनीतिक मुद्दे उत्पन्न किये हैं।
  • राजनीतिक संबंध:
    • दो अंतर-सरकारी आयोग– एक व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर (IRIGC-TEC) तथा दूसरा सैन्य-तकनीकी सहयोग पर (RIGC- MTC), हर साल मिलते हैं।
  • द्विपक्षीय व्यापार:
    • रूस के साथ भारत का कुल द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021-22 में 13 बिलियन डॉलर और वर्ष 2020-21 में 8.14 बिलियन डॉलर रहा।
    • रूस भारत का सातवाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो वर्ष 2021 में 25वें स्थान पर था।
      • वर्ष 2022-23 के पहले पाँच महीनों के दौरान-भारत के साथ सबसे अधिक व्यापार मात्रा वाले छह देश अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक और इंडोनेशिया थे।
  • रक्षा और सुरक्षा संबंध:
  • विज्ञान और तकनीक: 
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने द्विपक्षीय भारत-रूस (तथा भारत-सोवियत) साझेदारी में अहम भूमिका निभाई है, विशेषकर भारत की आज़ादी के बाद के शुरुआती दिनों में जहाँ भिलाई स्टील प्लांट, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे एवं भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम की स्थापना के लिये तत्कालीन सोवियत संघ की सहायता महत्त्वपूर्ण थी।
    • भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के शुरुआती चरणों के दौरान, सोवियत संघ की सहायता ने वर्ष 1984 में पहले भारतीय उपग्रहों-आर्यभट्ट तथा भास्कर के प्रक्षेपण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • वर्तमान में भारत और रूस मूल विज्ञान, सामग्री विज्ञान, गणित तथा भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (गगनयान), नैनोटेक्नोलॉजी एवं क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों पर संयुक्त रूप से कार्य करते हैं।

भारत के लिये रूस का क्या महत्त्व है?

  • चीन के साथ संतुलन:
    • पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी आक्रामकता ने भारत-चीन संबंधों को न केवल निर्णायक मोड़ पर ला दिया बल्कि यह भी प्रदर्शित किया कि रूस चीन के साथ तनाव कम करने में योगदान दे सकता है।
    • लद्दाख के विवादित क्षेत्र में गलवान घाटी में घातक झड़पों के बाद रूस ने रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक आयोजित की। 
  • आर्थिक भागीदारी के उभरते नए क्षेत्र:
    • हथियार, हाइड्रोकार्बन, परमाणु ऊर्जा और हीरे जैसे सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों के अतिरिक्त आर्थिक साझेदारी के नए क्षेत्र के उभरने की संभावना है जिसमें खनन, कृषि-औद्योगिक तथा रोबोटिक्स, नैनोटेक एवं बायोटेक सहित उच्च प्रौद्योगिकी शामिल हैं।
    • रूस के सुदूर-पूर्व तथा आर्कटिक में भारत की पहुँच का विस्तार होना तय है और साथ ही कनेक्टिविटी परियोजनाओं को भी बढ़ावा मिल सकता है।
  • आतंकवाद से मुकाबला:
  • बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग:
  • रूस का सैन्य निर्यात:
    • स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के ट्रेंड्स इन इंटरनेशनल आर्म्स ट्रांसफर्स, 2022 शोध में कहा गया है, हालाँकि रूस वर्ष 2013 से 2017 एवं वर्ष 2018 से 2022 तक भारत का शीर्ष हथियार आपूर्तिकर्त्ता था, लेकिन भारत में हथियारों के आयात का प्रतिशत 64% से घटकर 45% हो गया।

आगे की राह:

  • रूस आने वाले दशकों तक भारत का एक प्रमुख रक्षा भागीदार बना रहेगा।
  • दोनों देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि वे तीसरे देशों को रूसी मूल के उपकरण एवं सेवाओं के निर्यात के लिये उत्पादन आधार के रूप में भारत का उपयोग करने में कैसे सहयोग कर सकते हैं।
    • इसे संबोधित करने के लिये, रूस द्वारा वर्ष 2019 में हस्ताक्षरित एक अंतर-सरकारी समझौते के बाद अपनी कंपनियों को भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित करने की अनुमति देते हुए विधायी परिवर्तन किये हैं।
    • इस समझौते को समयबद्ध तरीके से लागू करने की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न1. हाल ही में भारत ने निम्नलिखित में से किस देश के साथ ‘नाभिकीय क्षेत्र में सहयोग क्षेत्रों के प्राथमिकीकरण और कार्यान्वयन हेतु कार्ययोजना’ नामक सौदे पर हस्ताक्षर किये हैं? (2019)

(A) जापान
(B) रूस
(C) यूनाइटेड किंगडम
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका

उत्तर: B


मेन्स:

प्रश्न1. भारत-रूस रक्षा समझौतों की तुलना में भारत-अमेरिका रक्षा समझौतों की क्या महत्ता है? हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थायित्व के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020)

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