प्रारंभिक परीक्षा
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि
- 13 Oct 2023
- 7 min read
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
रूस ने हाल ही में संकेत दिया है कि वह व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty- CTBT) के अपने अनुसमर्थन को रद्द करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT):
- CTBT की उत्पत्ति:
- CTBT एक बहुपक्षीय संधि है जिसका उद्देश्य सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाना है, भले ही वे सैन्य अथवा शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये हों।
- CTBT की जड़ें शीत युद्ध के युग में निहित हैं जब संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ परमाणु हथियारों को प्राप्त करने में लगे थे तथा कई परमाणु परीक्षण कर रहे थे।
- वर्ष 1945 से लेकर वर्ष 1996 तक विश्व स्तर पर 2,000 से अधिक परमाणु परीक्षण हुए, जिनमें से अमेरिका ने 1,032 परीक्षण और सोवियत संघ ने 715 परीक्षण किये।
- परमाणु परीक्षणों के पर्यावरण और स्वास्थ्य प्रभावों के विषय में चिंताओं के जवाब में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने परीक्षण को सीमित करने के प्रयास किये।
- वर्ष 1963 की सीमित परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (Limited Nuclear Test-Ban Treaty- LTBT) ने वायुमंडल, बाह्य अंतरिक्ष और जल के भीतर परमाणु परीक्षण पर रोक लगा दी लेकिन भूमिगत परीक्षणों को अनुमति दी।
- वर्ष 1974 की थ्रेसहोल्ड टेस्ट प्रतिबंध संधि (TTBT), 150 किलोटन से अधिक की क्षमता वाले परीक्षणों पर रोक लगाकर एक परमाणु "सीमा" स्थापित करती है, फिर भी यह सभी परमाणु परीक्षणों पर व्यापक प्रतिबंध लगाने में विफल रही है।
- CTBT के साथ सफलता:
- शीत युद्ध की समाप्ति और सोवियत संघ के विघटन ने व्यापक हथियार नियंत्रण उपायों के लिये अनुकूल वातावरण तैयार किया।
- CTBT पर वर्ष 1994 में जिनेवा में निरस्त्रीकरण सम्मेलन में वार्त्ता की गई थी।
- वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र ने CTBT को अपनाया, जिसने पिछली संधियों द्वारा रिक्त अंतराल को समाप्त करते हुए परमाणु हथियारों के परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।
- CTBT सितंबर 1996 में हस्ताक्षर के लिये उपलब्ध हो गया, जो विश्व में परमाणु परीक्षण को रोकने के वैश्विक प्रयास में एक बड़ी प्रगति का प्रतीक है।
- इसके अनुसार, संधि के अनुलग्नक 2 में सूचीबद्ध सभी 44 देशों द्वारा अनुसमर्थन किये जाने के 180 दिन बाद CTBT लागू हो जाएगा, ये ऐसे राज्य हैं जिनके पास इसे अपनाते समय परमाणु या अनुसंधान रियेक्टर थे।
- वर्तमान स्थिति:
- इस पर 187 देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं और 178 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है। हालाँकि यह संधि तब तक औपचारिक रूप से लागू नहीं हो सकती जब तक कि इसे 44 विशिष्ट देशों द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है। इनमें से आठ देशों ने अभी तक संधि का अनुमोदन नहीं किया है, ये हैं:
- चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया, इज़राइल, ईरान, मिस्र व संयुक्त राज्य अमेरिका।
- इस पर 187 देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं और 178 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है। हालाँकि यह संधि तब तक औपचारिक रूप से लागू नहीं हो सकती जब तक कि इसे 44 विशिष्ट देशों द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता है। इनमें से आठ देशों ने अभी तक संधि का अनुमोदन नहीं किया है, ये हैं:
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