नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA)

  • 24 May 2024
  • 8 min read

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency- IAEA)ने परमाणु सुरक्षा पर अपना चौथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ( International Conference on Nuclear Security- ICONS) शुरू करते हुए पिछले तीन दशकों में 4,200 से अधिक घटनाओं का हवाला देते हुए परमाणु और रेडियोधर्मी सामग्रियों की तस्करी के खिलाफ अधिक सावधानी बरतने का आग्रह किया।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ( International Atomic Energy Agency- IAEA) क्या है?

  • IAEA एक अंतरसरकारी संगठन है जो परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना और परमाणु हथियारों सहित किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिये इसके उपयोग को रोकना चाहता है।
    • इसकी स्थापना वर्ष 1957 में संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत विश्व की "शांति के लिये परमाणु" संगठन के रूप में की गई थी और यह अपनी स्वयं की संस्थापक संधि - IAEA के कानून द्वारा शासित है।
    • यह UNGAUNSC दोनों को रिपोर्ट करता है और इसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया के विएना में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में है।
    • वर्ष 2005 में, इसे एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण विश्व के लिये किये गए काम के लिये नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
    • IAEA में 178 सदस्य देश हैं, भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक है।
  • परमाणु सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference on Nuclear Security- ICONS):
    • वैश्विक परमाणु सुरक्षा समुदाय के लिये, IAEA का परमाणु सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference on Nuclear Security- ICONS) एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है।
    • ICONS 2024 ऑस्ट्रिया के विएना में IAEA मुख्यालय में आयोजित किया गया था, जहाँ परमाणु अपशिष्ट के संबंध में निम्नलिखित चिंताओं पर प्रकाश डाला गया था:
      • वर्तमान में 145 राज्य IAEA को परमाणु या रेडियोधर्मी सामग्रियों के खो जाने, चोरी हो जाने, अनुचित तरीके से निपटान या उपेक्षित होने की घटनाओं की रिपोर्ट करते हैं।
      • विश्व भर में चिकित्सा सुविधाओं, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों में विभिन्न रेडियोधर्मी पदार्थों का उपयोग किया जाता है।
      • मुख्य चिंता चरमपंथियों द्वारा "डर्टी बम (Dirty Bomb)" में रेडियोधर्मी सामग्री का उपयोग करना है, जो परमाणु बम से कम घातक होने के बावजूद शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भय उत्पन्न कर सकता है।

सुरक्षित रेडियोधर्मी निर्वहन से संबंधित पहल:

  • अंतर्राष्ट्रीय पहल:
    • परमाणु दुर्घटना की पूर्व सूचना पर कन्वेंशन: यह वर्ष 1986 में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency- IAEA) द्वारा अपनाई गई एक संधि है। इसके अनुसार, सरकारों को ऐसी किसी भी परमाणु दुर्घटना की तत्काल सूचना देनी होगी जो अन्य देशों को प्रभावित कर सकती है।
    • परमाणु सुरक्षा पर सम्मलेन (CNS) 1994: इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। CNS एक प्रोत्साहन-आधारित संधि है जिसके लिये राज्यों को परमाणु सुरक्षा के लिये एक नियामक ढाँचा स्थापित करने और इसे बनाए रखने की आवश्यकता होती है। 
    • प्रयुक्त ईंधन प्रबंधन की सुरक्षा और रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन की सुरक्षा पर संयुक्त सम्मेलन, 2001:  यह वैश्विक स्तर पर रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन को निर्धारित करने वाली पहली संधि थी। इसका उद्देश्य दुर्घटनाओं की रोकथाम और संभावित रेडियोलॉज़िकल खतरों को कम करने के साथ-साथ प्रयुक्त ईंधन तथा रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन की सुरक्षा निर्धारित करना है।
  • भारत की पहल:
    • परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB): AERB भारत में परमाणु और विकिरण सुरक्षा के लिये नियामक निकाय के रूप में कार्य करती है। यह रेडियोधर्मी निर्वहन के उपायों सहित परमाणु सुविधाओं के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिये नियमों, दिशा-निर्देशों एवं मानकों को स्थापित कर उन्हें लागू करता है।
    • पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA): ऊर्जा संयंत्रों सहित परमाणु परियोजनाएँ पर्यावरणीय प्रभाव के सख्त आकलन के अधीन हैं। ये आकलन किसी परियोजना को मंज़ूरी देने से पूर्व रेडियोधर्मी अपशिष्ट के निर्वहन सहित संभावित पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभावों का भी मूल्यांकन करते हैं।
    • प्रवाह उपचार और तनुकरण (मंदन): परमाणु सुविधाएँ निर्वहन से पूर्व तरल रेडियोधर्मी अपशिष्ट का प्रबंधन करने के लिये प्रवाह उपचार प्रणाली का उपयोग करती हैं। निर्वहन प्रक्रिया में रेडियोधर्मी पदार्थों की सांद्रता को कम करने के लिये प्रायः तनुकरण और प्रकीर्णन तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में, क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर "आई. ए. ई. ए. सुरक्षा उपायों" के अधीन रखे जाते हैं जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020)

(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का
(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का 
(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा
(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत के संदर्भ में 'अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आई. ए. ई. ए.)' के 'अतिरिक्त नयाचार (एडीशनल प्रोटोकॉल)' का अनुसमर्थन करने का निहितार्थ क्या है? (2018)

(a) असैनिक परमाणु रिएक्टर आई. ए. ई. ए. के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं।
(b) सैनिक परमाणु अधिष्ठान आई. ए. ई. ए. के निरीक्षण के अधीन आ जाते हैं।
(c) देश के पास नाभिकीय पूर्तिकर्त्ता समूह (एन. एस. जी.) से यूरेनियम क्रय का विशेषाधिकार हो जाएगा।
(d) देश स्वतः एन. एस. जी. का सदस्य बन जाता है।

उत्तर: (a)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow