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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विश्व का पहला परमाणु ईंधन रिज़र्व

  • 30 Aug 2017
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

कज़ाकिस्तान (Kazakhstan) के ओस्केमेन (Oskemen) में दुनिया का पहला लॉ इनरिचड यूरेनियम बैंक (world’s first Low Enriched Uranium Bank) खोला जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency – IAEA) द्वारा वर्ष 2010 में इस परियोजना का शुभारंभ किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • तीन वर्षों के लिये एक बड़े रिएक्टर को पर्याप्त मात्रा में ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु इस बैंक में 90 टन यूरेनियम का भंडारण किया जाएगा। 
  • साथ ही यू.एन. के जिन सदस्य देशों द्वारा यहाँ से परमाणु ईंधन निकाला जाएगा, उन्हें इसके पुनर्भंडारण की लागत भी अदा करनी होगी।
  • इसके अतिरिक्त कज़ाकिस्तान तक परमाणु ईंधन को लाने-ले जाने हेतु परिवहन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये आई.ए.ई.ए. द्वारा रूस के साथ वर्ष 2015 में एक समझौते पर हस्ताक्षर भी  किये गए है।

इस बैंक की स्थापना का उद्देश्य क्या है?

  • भविष्य में जब आई.ए.ई.ए. के सदस्यों यूरेनियम का उत्पादन करने में असमर्थ हो जाते हैं या किसी अन्य कारण से यह अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अनुपलब्ध हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में यह बैंक कम-समृद्ध यूरेनियम के अंतिम स्रोत के रूप में सेवा करेगा।
  • एक तरह से देख जाए तो यह परियोजना परमाणु ऊर्जा के अप्रसार संबंधी प्रयासों में भी सहायता प्रदान करेगी। 
  • इसका कारण यह है कि यूरेनियम की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने का विकल्प बहुत से देशों को उनकी यूरेनियम संवर्धन क्षमताओं को विकसित करने से बाधित करेगा।
  • इसके अतिरिक्त यह बैंक यह भी सुनिश्चित करेगा कि किसी अंतर्राष्ट्रीय संकट या इसी तरह की किसी अन्य परिस्थिति में, परमाणु ऊर्जा पर निर्भर देशों की यूरेनियम तक पहुँच बनी रहे।

परमाणु ईंधन रिज़र्व के संबंध में निर्धारित प्रमुख मानदंड क्या है?

  • परमाणु ईंधन रिज़र्व के प्रबंधन का कार्य आई.ए.ई.ए. का है, स्पष्ट है कि इस रिज़र्व/बैंक की कार्यप्रणाली एवं व्यवस्था के संबंध में दिशा-निर्देश तय करने का अधिकार आई.ए.ई.ए. का है।
  •  यह तय करेगा कि किस सदस्य राष्ट्र की याचिका पर कार्यवाही करनी है तथा किसे कितनी मात्रा में यूरेनियम की आपूर्ति सुनिश्चित करनी है।
  • इस समस्त कार्यक्रम के लिये आई.ए.ई.ए. द्वारा कठोर मानदंडों की एक श्रृंखला स्थापित की गई है। 
  • इस श्रृंखला के अंतर्गत निम्नलिखित मानदंडों को शामिल किया गया हैं –

• सबसे पहले, यूरेनियम की आपूर्ति के संबंध  में "असाधारण परिस्थितियों के कारण" एक विघटन होना चाहिये, ताकि सामान्य तरीके से ईंधन प्राप्त करने में असमर्थ देशों की यूरेनियम प्राप्ति की असल मंशा को  जाँचा जा सके।
• इसके अलावा, आई.ए.ई.ए. द्वारा यह प्रमाणित किया जाएगा कि अतीत में उक्त देशों द्वारा परमाणु सामग्री का दुरुपयोग किया गया अथवा नहीं ।
• साथ ही यह इस संबंध में सभी प्रकार के सुरक्षा उपायों के अनुपालन संबंधी प्रावधानों को भी सुनिश्चित करेगा। 
• इसके अतिरिक्त यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि खरीददार देशों द्वारा यूरेनियम का उपयोग केवल ईंधन का उत्पादन करने के लिये किया जाए न कि हथियारों के लिये और न ही इसे समृद्ध किया जाए या तृतीय पक्ष को स्थानांतरित किया जाए। वस्तुतः आई.ए.ई.ए. द्वारा बनाए गए नियमों के अनुरूप ही इनका प्रयोग किया जाएगा।

  • यदि ये सभी शर्तें पूरी होती हैं तो यूरेनियम को मौजूदा बाज़ार मूल्य पर खरीदा जाएगा तथा इसे विशेष प्रकार के सिलेंडरों में संगृहित किया जाएगा ।
  • तत्पश्चात् इन सिलेंडरों को उत्तरी कज़ाकस्तान में जहाँ यह बैंक स्थित है, इन्हें स्थानांतरित किया जाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency - IAEA)

  • आई.ए.ई.ए. परमाणु क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु सहयोग केंद्र है। इसे वर्ष 1957 में दुनिया के "शांति के लिये परमाणु" संगठन (world´s “Atoms for Peace” organization) के रूप में स्थापित किया गया था। 
  • यह संगठन परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिये परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को रोकने का कार्य करता है।
  • ध्यातव्य है कि यह संगठन संयुक्त राष्ट्र के प्रत्यक्ष नियंत्रण में नहीं आता है 
  • हालाँकि, एक अंतर्राष्ट्रीय संधि (international treaty) के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसकी स्थापना की गई थी।
  • आई.ए.ई.ए. संधि के अनुसार, यह संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) और सुरक्षा परिषद् (Security Council) दोनों को रिपोर्ट करता है।
  • आई.ए.ई.ए. सचिवालय का मुख्यालय ऑस्ट्रिया (Austria) के विएना (Vienna) शहर में है।
  • आई.ए.ई.ए. दुनिया भर में परमाणु प्रौद्योगिकी और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग हेतु एक अंतर-सरकारी मंच के रूप में भी कार्य करता है।
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