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मसौदा विस्फोटक विधेयक, 2024

  • 08 May 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, विस्फोटक अधिनियम 1884, शस्त्र अधिनियम, 1959

मेन्स के लिये:

विस्फोटकों का विनियमन, राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाना और विस्फोटकों से जुड़े जोखिमों को कम करना

स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड 

चर्चा में क्यों ?

भारत सरकार का उद्देश्य विस्फोटक अधिनियम, 1884 को नए विस्फोटक विधेयक, 2024 से परिवर्तित करना है।

प्रस्तावित विस्फोटक विधेयक, 2024 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?

  • लाइसेंसिंग प्राधिकारी का पदनाम: प्रस्तावित विधेयक के तहत, केंद्र सरकार लाइसेंस देने, लाइसेंस  को निलंबित अथवा रद्द करने के लिये ज़िम्मेदार प्राधिकारी को नामित करेगी। 
  • लाइसेंसों में निर्दिष्ट मात्रा: लाइसेंस में विस्फोटकों की मात्रा निर्दिष्ट होगी जिसका कोई लाइसेंसधारक एक निश्चित अवधि के लिये निर्माण, स्वामित्व, बिक्री, परिवहन, आयात या निर्यात कर सकता है।
  • उल्लंघन के लिये दंड: प्रस्तावित विधेयक में उल्लंघनों के लिये सख्त दंड की रूपरेखा निर्धारित की गई है। नियमों का उल्लंघन करके विस्फोटकों के निर्माण, आयात अथवा निर्यात के लिये अपराधियों को तीन वर्ष तक की कैद, 1,00,000 रुपए का ज़ुर्माना अथवा दोनों सकते हैं।
    • नियमों का उल्लंघन करके विस्फोटकों को रखने, उपयोग करने, विक्रय अथवा परिवहन करने पर दो वर्ष तक की कैद, 50,000 रुपए का ज़ुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं, हालाँकि इसके लिये मौज़ूदा ज़ुर्माना 3,000 रुपए है।
  • सुव्यवस्थित लाइसेंसिंग प्रक्रियाएँ: लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं की दक्षता को बढ़ाने के प्रयास चल रहे हैं, जिससे व्यवसायों के लिये कड़े सुरक्षा मानकों को बनाए रखते हुए आवश्यक परमिट प्राप्त करना सरल हो जाएगा।

पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन: 

  • PESO, जिसे पहले विस्फोटक विभाग के नाम से जाना जाता था, वर्ष 1898 में अपनी स्थापना के पश्चात से विस्फोटक, संपीड़ित गैस और पेट्रोलियम जैसे हानिकारक पदार्थों की सुरक्षा को विनियमित करने हेतु एक नोडल एजेंसी के रूप में देश की सेवा कर रहा है।
  • PESO का प्रमुख कार्य विस्फोटक अधिनियम 1884 और पेट्रोलियम अधिनियम, 1934 के तहत सौंपी गई ज़िम्मेदारियों का प्रबंधन करना है तथा नियम विस्फोटक, पेट्रोलियम उत्पादों तथा संपीड़ित गैसों के निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, कब्ज़े, बिक्री व उपयोग से संबंधित नियमों को बनाना है।
  • यह DPIIT, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत संचालित होता है।
  • संगठन ने कानून प्रवर्तन, सुरक्षा और सुरक्षा जाँच कर्मियों को विस्फोटकों को सुरक्षित रूप से संभालने हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया है, यह राष्ट्र के प्रशिक्षण बुनियादी ढाँचे में मौज़ूद एक महत्त्वपूर्ण कमी को दूर करने में सहायक होगाI 

विस्फोटक अधिनियम, 1884 क्या है?

  • ऐतिहासिक संदर्भ: ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान अधिनियमित, 1884 के विस्फोटक अधिनियम का उद्देश्य विस्फोटकों के विभिन्न पहलुओं को विनियमित करना था।
  • सुरक्षा विनियम: अधिनियम विभिन्न प्रकार के विस्फोटकों पर लागू होता है, जिनमें बारूद, डायनामाइट, नाइट्रोग्लिसरीन और अन्य विस्फोटक पदार्थ शामिल हैं।
    • इस अधिनियम में विस्फोटकों से संबंधित जोखिमों को कम करने के लिये सुरक्षा मानकों और प्रक्रियाओं को अनिवार्य किया गया है, जिसमें दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिये हैंडलिंग, परिवहन एवं भंडारण दिशानिर्देश शामिल हैं।
    • यह अधिनियम केंद्र सरकार को विस्फोटकों के निर्माण, कब्ज़े, उपयोग, बिक्री, परिवहन, आयात एवं निर्यात को विनियमित करने के लिये नियम बनाने का अधिकार देता है।
      • ये नियम लाइसेंस जारी करने, शुल्क, शर्तों और छूट को नियंत्रित करते हैं।
  • खतरनाक विस्फोटकों का निषेध:
    • केंद्र सरकार सार्वजनिक सुरक्षा के हित में विशेष रूप से खतरनाक विस्फोटकों को तैयार करने, कब्ज़े या आयात पर नियंत्रण लगा सकती है।
  • अधिनियम से छूट:
    • यह अधिनियम शस्त्र अधिनियम, 1959 के प्रावधानों को प्रभावित नहीं करता है तथा विस्फोटक अधिनियम के तहत जारी किये गए लाइसेंस के लिये शस्त्र अधिनियम में लाइसेंस के प्रभाव के प्रावधान किये गए हैं।
      • शस्त्र अधिनियम, 1959 गोला-बारूद एवं आग्नेयास्त्रों के कब्ज़े, अधिग्रहण और इसे साथ ले जाने को नियंत्रित करता है। इसका उद्देश्य अवैध हथियारों और हिंसा पर अंकुश लगाना भी है। इस अधिनियम ने वर्ष 1878 के भारतीय शस्त्र अधिनियम का स्थान भी ले लिया।
  • विकास तथा संशोधन: समय के साथ विस्फोटक अधिनियम में तकनीकी प्रगति और उभरती चुनौतियों के अनुकूल हेतु कई संशोधन किये गए, मुख्य रूप से सुरक्षा मानकों एवं नियामक तंत्र को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

नोट: 

  • कर्नाटक के कोडागु (कूर्ग) ज़िले की एक मार्शल जाति, कोडावा, भारत की उन कुछ जनजातियों में से एक है, जिन्हें बिना लाइसेंस के बंदूक रखने की अनुमति है।
    • वर्ष 1834 से भारतीय शस्त्र अधिनियम के नियमों से स्वतंत्र कोडावा, टीपू सुल्तान के विरूद्ध अंग्रेज़ों को दिये गए समर्थन के लिये जाने जाते हैं तथा उन्हें सरकार से छूट प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक है।

प्रचलित विस्फोटक:

  • डायनामाइट:
    • डायनामाइट एक प्रकार का विस्फोटक है जो मुख्य रूप से नाइट्रोग्लिसरीन को मिट्टी जैसे अवशोषक पदार्थ के साथ मिलाकर बनाया जाता है।
      • यह मिश्रण अत्यधिक अस्थिर नाइट्रोग्लिसरीन की मात्रा को स्थिर करता है, जिससे इसे नियंत्रित करना और इसका परिवहन करना सुरक्षित हो जाता है।
  • अमोनियम नाइट्रेट:
    • अमोनियम नाइट्रेट एक अकार्बनिक यौगिक है जिसमें अमोनियम आयन (NH4) और नाइट्रेट आयन (NO3) शामिल हैं।
      • सामान्यतः इसका उपयोग कृषि उर्वरक के रूप में किया जाता है, परंतु कुछ स्थितियों में इसका उपयोग विस्फोटकों के रूप में भी किया जा सकता है, विशेषतः जब इसे ईंधन स्रोत के साथ जोड़ दिया जाता है।
  • TNT (ट्राई-नाइट्रो टालुइन):
    • TNT एक कार्बनिक यौगिक है जो टालूइन नामक एक सुगंधित हाइड्रोकार्बन से प्राप्त होता है।
      • एक पीला, गंधहीन एवं स्थिर ठोस पदार्थ है जो घर्षण के प्रति अक्रियाशील है, यह विशेषता इसे सैन्य एवं औद्योगिक उपयोग तथा जल के अंदर विस्फोट में प्रयुक्त होने वाले विस्फोटक के रूप में एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है।
  • TNE (ट्राईनाइट्रोएथिलीनर):
    • TNE एक कार्बनिक नाइट्रेट यौगिक है। जिसका उपयोग विस्फोटक के रूप में किया जाता है, परंतु TNT जैसे अन्य विस्फोटकों की तुलना में यह कम प्रचलित है।
  • RDX (रॉयल डिमोलिशन एक्सप्लोसिव):
    • RDX एक कार्बनिक यौगिक है, जो दिखने में सफेद पाउडर जैसा होता है। इसकी उच्च विस्फोटक शक्ति एवं स्थिरता के कारण यह विस्फोटक सैन्य तथा सामान्य अनुप्रयोगों में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।
    • इसे साइक्लोनाइट या हेक्सोज़न के नाम से भी जाना जाता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्र. विस्फोटकों एवं खतरनाक सामग्रियों के लिये भारत के वर्तमान नियामक परिदृश्य पर 1884 के विस्फोटक अधिनियम जैसे औपनिवेशिक युग के कानून के प्रभाव का विश्लेषण करें।

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