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यूरेनियम की अवैध बिक्री

  • 12 May 2021
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 (Atomic Energy Act, 1962) के तहत दो लोगों को बिना लाइसेंस के यूरेनियम रखने और इसे अवैध रूप से बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

  • ज़ब्त किये गए यूरेनियम के नमूनों की जांँच, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (Bhabha Atomic Research Centre- BARC) द्वारा की गई, जिसमें इस बात की पुष्टि हुई कि यह प्राकृतिक यूरेनियम (Natural Uranium) है।

प्रमुख बिंदु: 

 यूरेनियम:

  • यूरेनियम, प्राकृतिक रूप से कम सांद्रता में मिट्टी, चट्टान और जल में पाया जाता है। यह एक कठोर, सघन, लचीली, चांदी के समान सफेद  रेडियोधर्मी धातु (Radioactive Metal) है।
    • यूरेनियम धातु का घनत्व बहुत अधिक होता है। 
  • यदि इसे सूक्ष्म रूप से विभाजित किया जाए तो यह ठंडे जल के साथ प्रतिक्रिया कर सकता है। वायु में यूरेनियम ऑक्साइड द्वारा लेपित करने पर यह तीव्र गति से धूमिल/दूषित (Tarnishing) होता है।
  • यह कई धातुओं के साथ ठोस विलयन (Solids Solutions) और अंतःधात्विक यौगिकों (Intermetallic Compounds) का निर्माण करने में सक्षम है।

अनुप्रयोग:

  • ऊर्जा उत्पादन: नागरिक या असैन्य क्षेत्र में यूरेनियम का मुख्य उपयोग परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) उत्पादन हेतु वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में ईंधन के रूप में किया जाता है।
    • इस कार्य हेतु यूरेनियम को यूरेनियम-235 समस्थानिक के साथ  संवर्द्धित किये जाने की आवश्यकता होती है साथ ही इसमें शृंखला अभिक्रिया को भी नियंत्रित किया जाना महत्त्वपूर्ण होता है, जिससे प्रबंधकीय तरीके से ऊर्जा प्राप्त की जा सके।
  • परमाणु बम बनाने में: युद्ध में प्रयुक्त पहला परमाणु बम एक यूरेनियम बम था।
    • इस बम में शृंखला अभिक्रिया को शुरू करने हेतु यूरेनियम-235 समस्थानिक का प्रयोग किया गया था, जिसके कारण कुछ ही समय के भीतर यूरेनियम परमाणुओं का विखंडन हुआ और नतीजतन आग के गोले के रूप ऊर्जा (Fireball Of Energy) मुक्त हुई।
  • विकिरण से सुरक्षा: क्षीण यूरेनियम का उपयोग विकिरण चिकित्सा के समय  चिकित्सा प्रक्रियाओं में विकिरण से सुरक्षा हेतु एक शील्ड के रूप में भी किया जाता है, इसके अलावा रेडियोधर्मी सामग्री के परिवहन के दौरान भी इसका उपयोग किया जाता है।
    • यद्यपि यूरेनियम स्वयं रेडियोधर्मी होता है, किंतु उसका उच्च घनत्व विकिरण को रोकने में काफी कारगर है।
  • काउंटरवेट के रूप में उपयोगी: अपने उच्च घनत्व के कारण यूरेनियम, एयरक्राफ्ट और औद्योगिक मशीनरी के लिये काउंटरवेट के रूप में भी उपयोगी होता है।
  • रेडियोमेट्रिक डेटिंग: यूरेनियम-238 समस्थानिक का उपयोग आग्नेय चट्टानों की आयु का पता लगाने और अन्य प्रकार के रेडियोमेट्रिक डेटिंग (Radiometric Dating) कार्यों में किया जाता है।
  • उर्वरक: आमतौर पर फास्फेट उर्वरकों के निर्माण में प्रयोग की जाने वाली सामग्रियों में यूरेनियम की उच्च मात्रा विद्यमान होती है, जिस कारण फास्फेट उर्वरकों में यूरेनियम की उच्च मात्रा पाई जाती है।

स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव:

  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: संभावित रूप से क्षीण यूरेनियम रासायनिक और रेडियोलॉजिकल दोनों ही प्रकार से विषाक्त होता है, जो शरीर के दो महत्त्वपूर्ण अंगों- गुर्दे और फेफड़ों को प्रभावित करता है।
  • पर्यावरण पर प्रभाव: यूरेनियम संबंधी खनन गतिविधियों से यूरेनियम अपशिष्ट का भी उत्पादन होता है,  जिसका निपटान प्रायः खदान के आसपास ही कर दिया जाता है।
    • यह अपशिष्ट रेडॉन उत्सर्जन, विंड ब्लास्ट डस्ट डिस्पर्स और भारी धातुओं तथा पानी में आर्सेनिक सहित दूषित पदार्थों के निक्षालन (Leaching) के रूप में गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।

भारत में यूरेनियम भंडार: 

  • भारत में यूरेनियम के भंडार धारवाड़ चट्टानों (Dharwar Rocks) में पाए जाते हैं।
  • झारखंड के सिंहभूम कॉपर बेल्ट (Singhbhum Copper Belt) के अलावा राजस्थान के उदयपुर, अलवर और झुंझुनू ज़िले, छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले, महाराष्ट्र के भंडारा ज़िले तथा  हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में भी यूरानियम के भंडार पाए जाते हैं।
  • हाल ही में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के शेषचलम वन (Seshachalam Forest) और श्रीशैलम (आंध्र के दक्षिणी छोर से तेलंगाना के दक्षिणी छोर) के मध्य महत्त्वपूर्ण यूरेनियम भंडार का पता चला है।

भारत में वैधानिक ढाँचा:

  • संसद ने सूची I (संघ सूची) के क्रमांक 54 का अनुसरण  करते हुए,  'खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 (MMDR Act) पारित किया है।
    • हालांँकि, इस अधिनियम के माध्यम से सूक्ष्म खनिजों (Minor Minerals) के संबंध में, राज्यों को नियम बनाने वाली शक्तियांँ सौंपी गई हैं।
    • चूंँकि यूरेनियम एक प्रमुख खनिज है, इसे केंद्र सरकार द्वारा MMDR अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रबंधित किया जाता है।
  • यद्यपि देश में प्रमुख खनिजों से संबंधित नीति और कानून का प्रबंधन खान मंत्रालय द्वारा किया जाता है, लेकिन यूरेनियम एक परमाणु खनिज है, जिसका प्रबंधन परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy- DAE) द्वारा किया जाता है।
    • परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 (Atomic Energy Act, 1962) रेडियोधर्मी पदार्थों और संयंत्रों को नियंत्रित करने, विकिरण से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने हेतु उपाय करने, सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने और रेडियोधर्मी कचरे के सतर्क निपटान हेतु मानक निर्धारित करता है।
  • इनमें से कई खनिज भंडार, समृद्ध वन क्षेत्रों में पाए जाते हैं तथा जिनके उत्खनन हेतु  केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंज़ूरी आवश्यक होती है।

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र:

  • डॉ. होमी भाभा द्वारा भारत में परमाणु कार्यक्रम की संकल्पना की गई थी। वर्ष 1945 में डॉ. भाभा ने परमाणु विज्ञान अनुसंधान हेतु टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (Tata Institute of Fundamental Research- TIFR) की स्थापना की।
  •  जनवरी 1954 में राष्ट्र हित को बढ़ावा देने तथा परमाणु ऊर्जा के दोहन के प्रयास को तीव्रता प्रदान करने के उद्देश्य डॉ. भाभा ने भारत के महत्त्वाकांक्षी परमाणु कार्यक्रम की आवश्यक को ध्यान में रखते हुए बहु-विषयक अनुसंधान कार्यक्रम हेतु ‘परमाणु ऊर्जा संस्थान ट्रॉम्बे’ (Atomic Energy Establishment, Trombay- AEET) की स्थापना की।
  • वर्ष 1966 में AEET का नाम परिवर्तित कर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (Bhabha Atomic Research Center- BARC) कर दिया गया।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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