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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जैव हथियारों पर रूस के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव से भारत अनुपस्थित

  • 04 Nov 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जैविक हथियार सम्मेलन, जिनेवा प्रोटोकॉल 1925, संयुक्त राष्ट्र संकल्प, रूस-यूक्रेन संघर्ष, सामूहिक विनाश के हथियार (WMD)।

मेन्स के लिये:

रूस-यूक्रेन संकट पर भारत का रुख, जैविक हथियार सम्मेलन- विशेषताएँ और इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

भारत, रूस द्वारा प्रस्तावित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव से अनुपस्थित रहा जिसमें अमेरिका और यूक्रेन पर जैविक हथियार सम्मेलन (BWC) का उल्लंघन करने के लिये "सैन्य जैविक गतिविधियों" को अंजाम देने का आरोप लगाया गया है।

  • इस प्रस्ताव से पहले भारत हाल ही में UNSC के एक अन्य प्रस्ताव से अनुपस्थित रहा, जिसमें रूस के चार यूक्रेनी क्षेत्रों के कब्ज़े को अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी।

जैविक हथियार सम्मेलन:

  • परिचय:
    • जैविक हथियार सूक्ष्मजीवविज्ञानी एजेंटों (जैसे बैक्टीरिया, वायरस या कवक) या विषाक्त पदार्थों का उपयोग जान-बूझकर मनुष्यों, जानवरों या पौधों की मौत या उन्हें नुकसान पहुँचाने के लिये किया जाता है।
  • जैविक हथियार अभिसमय:
    • परिचय:  
      • औपचारिक रूप से "बैक्टीरियोलॉजिकल (जैविक) और विषाक्त हथियारों के विकास, उत्पादन तथा भंडारण एवं उनके विनाश के निषेध पर अभिसमय" के रूप में जाना जाता है, अभिसमय पर जिनेवा, स्विट्रज़लैंड में निरस्त्रीकरण समिति के सम्मेलन में वार्ता की गई थी।
      • यह 26 मार्च, 1975 को लागू हुआ।
    • दायरा:
      • यह जैविक और विषाक्त हथियारों के विकास, उत्पादन, अधिग्रहण, हस्तांतरण, भंडारण एवं उपयोग को प्रभावी ढंग से प्रतिबंधित करता है।
    • महत्त्व:
      • यह सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) के प्रसार को सीमित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों में एक प्रमुख तत्त्व है और इसने जैविक हथियारों के खिलाफ एक मज़बूत मानदंड स्थापित किया है।
      • WMD की सभी श्रेणियों पर प्रतिबंध लगाने वाली यह पहली बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण संधि थी।
      • यह वर्ष 1925 के जिनेवा प्रोटोकॉल का पूरक है, जिसके द्वारा युद्ध में जैविक (और रासायनिक) हथियारों के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया था।
        • लीग ऑफ नेशन के तत्त्वाधान में जिनेवा में आयोजित एक सम्मेलन में जिनेवा प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये गए थे।
        • यह वर्ष 1928 में प्रभावी हुआ।
        • भारत ने इस प्रोटोकॉल की पुष्टि की है।
    • सदस्य:
      • 184 भागीदार देशों और चार हस्ताक्षरकर्त्ताओं के साथ इसकी लगभग सार्वभौमिक सदस्यता है।
      • भारत इस कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्त्ता देश है।

UNGA का प्रस्ताव:

  • परिचय: संयुक्त राष्ट्र के संकल्प और निर्णय संयुक्त राष्ट्र के अंगों की राय या इच्छा की औपचारिक अभिव्यक्ति हैं।
    • संकल्प की प्रकृति निर्धारित करती है कि क्या इसे राज्यों के लिये बाध्यकारी माना जाता है।
  • UNGA प्रस्ताव: संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 10 और 14 में महासभा के प्रस्तावों को "सिफारिशें" कहा गया है।
    • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) द्वारा महासभा के प्रस्तावों की ‘सिफारिशी प्रकृति’ पर बार-बार ज़ोर दिया गया है।
    • हालाँकि संयुक्त राष्ट्र के आंतरिक मामलों से संबंधित महासभा के कुछ प्रस्ताव- जैसे कि बजटीय निर्णय या निम्न-श्रेणी के निकायों को निर्देश देना, स्पष्ट रूप से बाध्यकारी हैं।
  • UNSC प्रस्ताव: सामान्य तौर पर चार्टर के अध्याय VII के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अपनाए गए प्रस्तावों को चार्टर के अनुच्छेद 25 के अनुसार बाध्यकारी माना जाता है।
    • हालाँकि वे UNSC के स्थायी सदस्यों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले वीटो के अधीन हैं।

रूस और यूक्रेन से जुड़े संयुक्त राष्ट्र के पिछले प्रस्तावों पर भारत का रुख:

  • भारत ने संयुक्त राष्ट्र के निम्नलिखित प्रस्तावों का बहिष्कार किया:
    • यूएस-प्रायोजित UNSC प्रस्ताव जिसने यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की।
    • रूस ने यूक्रेन में मानवीय स्थिति पर UNSC के प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया, जिसमें नागरिकों की सुरक्षित, तीव्र, स्वैच्छिक और निर्बाध निकासी सुनिश्चित करने के लिये बातचीत के ज़रिये संघर्ष विराम का आह्वान किया गया।
    • यूक्रेन में रूस के कार्यों की जाँच के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय आयोग की स्थापना हेतु संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में प्रस्ताव पारित किया गया।
    • UNGA का प्रस्ताव, जिसने यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाइयों के लिये उसकी निंदा की।
      • इस प्रस्ताव से अनुपस्थित रहने वाले 34 अन्य देश भी थे जिनमें चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के अलावा मध्य एशियाई और कुछ अफ्रीकी देश शामिल थे।
    • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) का प्रस्ताव चार परमाणु ऊर्जा स्टेशनों और चेरनोबिल सहित कई परमाणु अपशिष्ट स्थलों पर सुरक्षा से संबंधित है, क्योंकि रूसियों ने उन पर नियंत्रण कर लिया था।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ तथा ‘वासेनार व्यवस्था’ के नाम से ज्ञात बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत को सदस्य बनाए जाने का समर्थन करने का निर्णय लिया है। इन दोनों व्यवस्थाओं के बीच क्या अंतर है? (2011)

  1. ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ एक अनौपचारिक व्यवस्था है जिसका लक्ष्य निर्यातक देशों द्वारा रासायनिक तथा जैविक हथियारों के प्रगुणन में सहायक होने के जोखिम को न्यूनीकृत करना है, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ OECD के अंतर्गत गठित औपचारिक समूह है जिसके समान लक्ष्य हैं।
  2. ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ के सहभागी मुख्यतः एशियाई, अफ्रीकी और उत्तरी अमेरिका के देश हैं, जबकि ‘वासेनार व्यवस्था’ के सहभागी मुख्यतः यूरोपीय संघ और अमेरिकी महाद्वीप के देश हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न.  संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट प्राप्त करने में भारत के सामने आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिये। (2015)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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