जैव विविधता और पर्यावरण
प्रोजेक्ट डॉल्फिन
- 16 Mar 2022
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, गंगा डॉल्फिन, डॉल्फिन के संरक्षण हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम। मेन्स के लिये:संरक्षण, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, प्रोजेक्ट डॉल्फिन और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ हेतु अनुमोदन प्रक्रिया की धीमी गति पर नाराज़गी व्यक्त की है।
क्या है ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’?
- इस पहल को वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय गंगा परिषद’ (NGC) की पहली बैठक में सैद्धांतिक मंज़ूरी मिली थी।
- ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ वर्ष 2019 में स्वीकृत सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी अंतर-मंत्रालयी पहल- ‘अर्थ गंगा’ के तहत नियोजित गतिविधियों में से एक है।
- ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ को ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की तर्ज़ पर शुरू किया गया है, ज्ञात हो कि ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ का उद्देश्य बाघों की आबादी बढ़ाने में मदद करना है।
- इसे पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है।
- गंगा डॉल्फिन, जो कि एक राष्ट्रीय जलीय जानवर है और कई राज्यों में विस्तृत गंगा नदी के लिये संकेतक प्रजाति भी है, के लिये एक विशेष संरक्षण कार्यक्रम शुरू किये जाने की आवश्यकता है।
- संकेतक प्रजातियाँ अक्सर सूक्ष्मजीव या पौधा होते हैं, जो किसी विशिष्ट क्षेत्र में मौजूद पर्यावरणीय परिस्थितियों की माप के रूप में कार्य करते हैं।
- चूँकि गंगा डॉल्फिन खाद्य शृंखला के शीर्ष पर है, प्रजातियों और उसके आवास की रक्षा करने से नदी के जलीय जीवन का संरक्षण सुनिश्चित होगा।
- अब तक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG), जो सरकार की प्रमुख योजना नमामि गंगे को लागू करती है, डॉल्फिन को बचाने हेतु पहल कर रहा है।
- गंगा डॉल्फिन, जो कि एक राष्ट्रीय जलीय जानवर है और कई राज्यों में विस्तृत गंगा नदी के लिये संकेतक प्रजाति भी है, के लिये एक विशेष संरक्षण कार्यक्रम शुरू किये जाने की आवश्यकता है।
- वैश्विक अनुभव: राइनो संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय आयोग (ICPR) के राइनो एक्शन प्लान (1987), जिसमें स्विट्ज़रलैंड, फ्राँस, जर्मनी, लक्ज़मबर्ग और नीदरलैंड शामिल हैं, के कारण सैल्मन मछली (एक संकेतक प्रजाति) के संरक्षण में मदद मिली।
विगत वर्षों के प्रश्ननिम्नलिखित में से कौन-सा एक भारत का राष्ट्रीय जलीय प्राणी है? (2015) (a) खारे पानी का मगर उत्तर: (c) |
गंगा डॉल्फिन से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु:
- वैज्ञानिक नाम: प्लैटनिस्टा गैंगेटिका (Platanista gangetica)
- खोज: आधिकारिक तौर पर इसकी खोज वर्ष 1801 में की गई थी।
- आवास: ये नेपाल, भारत और बांग्लादेश की गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली-सांगु नदी प्रणालियों में रहती हैं।
- गंगा नदी डॉल्फिन केवल मीठे/ताज़े जल में रह सकती है और यह वास्तव में दृष्टिहीन होती है।
- ये पराश्रव्य ध्वनियों का उत्सर्जन करके शिकार करती हैं, जो मछलियों और अन्य शिकार से टकराकर वापस लौटती है तथा उन्हें अपने दिमाग में एक छवि "देखने" में सक्षम बनाती है। इन्हें 'सुसु' (Susu) भी कहा जाता है।
- आबादी: इस प्रजाति की वैश्विक आबादी अनुमानतः 4,000 है और इनमें से लगभग 80% भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है।
- महत्त्व:
- यह संपूर्ण नदी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का एक विश्वसनीय संकेतक है।
- खतरा:
- अवांछित शिकार: लोगों की तरह ही ये डॉल्फिन नदी के उन क्षेत्रों में रहना पसंद करती हैं जहाँ मछलियाँ बहुतायत मात्रा में हों और पानी का प्रवाह धीमा हो।
- इसके कारण लोगों को मछलियाँ कम मिलती हैं और मछली पकड़ने के जाल में गलती से फँस जाने के कारण गंगा डॉल्फिन की मृत्यु हो जाती है, जिसे बायकैच (Bycatch) के रूप में भी जाना जाता है।
- प्रदूषण: औद्योगिक, कृषि एवं मानव प्रदूषण इनके प्राकृतिक निवास स्थान के क्षरण का एक और गंभीर कारण है।
- बाँध: बाँधों और सिंचाई से संबंधित अन्य परियोजनाओं का निर्माण उन्हें सजातीय प्रजनन (Inbreeding) के लिये संवेदनशील बनाने के साथ अन्य खतरों के प्रति भी सुभेद्य बनाता है क्योंकि ऐसे निर्माण के कारण वे अन्य क्षेत्रों में नहीं जा सकती हैं।
- एक बाँध के अनुप्रवाह में भारी प्रदूषण, मछली पकड़ने की गतिविधियों में वृद्धि और पोत यातायात से डॉल्फिन के लिये खतरा उत्पन्न होता है। इसकी वजह से उनके लिये भोजन की भी कमी होती है क्योंकि बाँध मछलियों और अन्य शिकारों के प्रवासन, प्रजनन चक्र तथा निवास स्थान को प्रभावित करता है।
- अवांछित शिकार: लोगों की तरह ही ये डॉल्फिन नदी के उन क्षेत्रों में रहना पसंद करती हैं जहाँ मछलियाँ बहुतायत मात्रा में हों और पानी का प्रवाह धीमा हो।
- संरक्षण स्थिति:
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
- IUCN रेड लिस्ट: संकटग्रस्त (Endangered)
- ‘वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय’ (CITES): परिशिष्ट-I
- वन्यजीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS): परिशिष्ट II (प्रवासी प्रजातियाँ जिन्हें संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता है या जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से काफी लाभ होगा)।
- संरक्षण हेतु अन्य पहल:
- राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र (NDRC): लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फिन के संरक्षण के लिये पटना विश्वविद्यालय के परिसर में 4,400 वर्ग मीटर भूमि के भूखंड पर NDRC की स्थापना की जा रही है।
- डॉल्फिन अभयारण्य: बिहार के भागलपुर ज़िले में विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य की स्थापना की गई है।
- राष्ट्रीय गंगा डॉल्फिन दिवस: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा प्रतिवर्ष 5 अक्तूबर को गंगा डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- संरक्षण योजना: ‘गंगा डॉल्फिन संरक्षण कार्य योजना 2010-2020’ गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के प्रयासों में से एक है, इसके तहत गंगा डॉल्फिन और उनकी आबादी के लिये प्रमुख खतरों के रूप में नदी में यातायात, सिंचाई नहरों और शिकार की कमी आदि की पहचान की गई है।
विगत वर्षों के प्रश्नप्र. गंगा नदी डॉल्फिन की समष्टि में ह्रास के लिये शिकार-चोरी के अलावा और क्या संभव कारण हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) |