प्रिलिम्स फैक्ट्स (26 Jul, 2024)



हुमायूँ का मकबरा विश्व धरोहर स्थल संग्रहालय

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हुमायूँ का मकबरा, विश्व धरोहर स्थल संग्रहालय, आगंतुकों के लिये खुलने वाला है। दिल्ली के निज़ामुद्दीन में सुंदर नर्सरी और हुमायूँ के मकबरे के बीच स्थित यह संग्रहालय आगंतुकों को दूसरे मुगल सम्राट हुमायूँ के जीवन एवं समय के बारे में एक अनूठी जानकारी प्रदान करता है।

हुमायूँ के मकबरे स्थल संग्रहालय की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • भूमिगत डिज़ाइन: संग्रहालय को एक बावली की तरह डिज़ाइन किया गया है और इसमें 100 सीटों वाला सभागार, अस्थायी गैलरी, कैफे, बैठक कक्ष एवं एक पुस्तकालय शामिल हैं।
  • अद्वितीय व्यक्तिगत वस्तुएँ: कलाकृतियाँ जैसे कि हुमायूँ के जीवनी लेखक जौहर आफताबची (Jauhar Aftabchi) का नाशपाती के आकार का पानी का बर्तन तथा हुमायूँ द्वारा फारस यात्रा के दौरान खाना पकाने के बर्तन के रूप में उपयोग किया गया हेलमेट।
    • संग्रहालय में प्रदर्शित कलाकृतियाँ राष्ट्रीय संग्रहालय से 10 वर्षों के लिये उधार पर ली गई हैं, जिससे आगंतुकों हेतु एक समृद्ध और विविध प्रदर्शन सुनिश्चित होता है।
  • मुगल सिक्के और सिंहासन: प्रदर्शनी में 18 मुगलकालीन राजाओं के शासनकाल के सिक्के और अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर का सिंहासन शामिल हैं।
    • मुख्य आकर्षणों में शामिल हैं: अकबर के काल के सिक्के, जिनके एक तरफ ‘अल्लाह’ और दूसरी तरफ ‘राम’ लिखा है। जहाँगीर के काल के कीमती सिक्के। बहादुर शाह ज़फ़र द्वारा ढाले गए दुर्लभ सिक्के।
  • वास्तुकला और व्यक्तित्व: हुमायूँ के मकबरे की वास्तुकला तथा सम्राट के व्यक्तित्व पर ध्यान केंद्रित करता है। प्रदर्शनी में हुमायूँ की यात्रा, प्रशासन, पढ़ने में रुचि, ज्योतिष, कला एवं वास्तुकला के प्रति उनके संरक्षण की कहानियाँ बताई गई हैं।
  • सांस्कृतिक हस्तियाँ: 14वीं शताब्दी से निज़ामुद्दीन क्षेत्र से जुड़ी चार सांस्कृतिक व्यक्तित्त्व पर प्रकाश डाला गया है : सूफी संत हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया, कवि अमीर खुसरो देहलवी, अकबर की सेना के सेनापति और कवि रहीम एवं उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करने के लिये जाने जाने वाले दारा शिकोह। 
  • संरक्षण प्रयास: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा प्रबंधित, यह संग्रहालय 300 एकड़ के हुमायूँ के मकबरे-सुंदर नर्सरी-निज़ामुद्दीन बस्ती क्षेत्र को शामिल करते हुए एक बड़े संरक्षण प्रयास का हिस्सा है।

हुमायूँ का मकबरा

  • वर्ष 1570 में निर्मित, हुमायूँ का मकबरा भारतीय उपमहाद्वीप में पहला प्रमुख उद्यान मकबरा है, जो मुगल वास्तुकला के लिये एक मिसाल कायम करता है, जिसकी परिणति ताजमहल में हुई। इसे उनकी पहली पत्नी, महारानी बेगा बेगम ने वर्ष 1569-70 में बनवाया था और इसे फारसी वास्तुकारों द्वारा डिज़ाइन किया गया था।
    • इसमें नीला गुम्बद और अफगान कुलीन ईसा खान नियाज़ी जैसे 16वीं सदी के अन्य मुगल मकबरे शामिल हैं।
  • मकबरे में एक चारबाग उद्यान, एक ऊँची सीढ़ीदार चबूतरा और संगमरमर से बना गुंबद है। 'मुगलों के शयनगृह' के रूप में जाना जाने वाला मकबरा 150 से अधिक मुगल परिवार के सदस्यों का आवास रहा है।
    • मकबरा 14वीं सदी के सूफी संत, हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह के आसपास केंद्रित है। इस मान्यता के कारण कि संत की कब्र के पास दफन होना सौभाग्य की बात है।
  • इसे वर्ष 1993 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था और इसके जीर्णोद्धार का व्यापक कार्य किया गया है। 
  • ASI और आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर इस स्थल का प्रबंधन करते हैं, तथा विभिन्न कानूनों के तहत इसके संरक्षण और सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं।

हुमायूँ

  • प्रारंभिक शासनकाल: बाबर के सबसे बड़े बेटे हुमायूँ को अपने उत्तराधिकार के तुरंत बाद चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उसके शासन में प्रशासनिक और वित्तीय अस्थिरता थी।
  • प्रमुख युद्ध: चुनार की घेराबंदी (वर्ष 1532) हुमायूँ ने अफगानों के खिलाफ जीत हासिल की और चुनार किले की घेराबंदी की। चौसा की लड़ाई (वर्ष 1539) हुमायूँ को शेर शाह सूरी से हार का सामना करना पड़ा, वह युद्ध के मैदान से बाल-बाल बच गया। कन्नौज की लड़ाई (वर्ष 1540) जिसे बिलग्राम की लड़ाई के रूप में भी जाना जाता है शेर शाह सूरी की पूर्ण जीत ने हुमायूँ को निर्वासन में जाने के लिये मजबूर कर दिया।
    • हुमायूँ के भाई हिंडाल द्वारा विद्रोह तथा कामरान की योजनाओं सहित आंतरिक संघर्षों ने उसकी स्थिति को और कमज़ोर कर दिया।
    • हुमायूँ पंद्रह वर्ष के लिये निर्वासित हो गया। इस दौरान, उसने हमीदा बानू बेगम से निकाह किया और उससे उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम अकबर था ।
    • हुमायूँ ने फारस के शाह से सहायता मांगी, जो कुछ शर्तों के बदले में उसका समर्थन करने के लिये सहमत हुआ। फारसी सहायता से हुमायूँ ने वर्ष 1545 में कंधार और काबुल पर कब्ज़ा कर लिया।
  • फारसी प्रभाव: हुमायूँ ने फारसी प्रशासनिक प्रथाओं की शुरुआत की, राजस्व प्रणालियों में सुधार किया और फारसी कला एवं संस्कृति को बढ़ावा दिया।
  • वास्तुशिल्प उपलब्धियाँ: उसने दीनापनाह की स्थापना की, जमाली मस्जिद का निर्माण किया और हुमायूँ के मकबरे का निर्माण शुरू किया, जिसे उसकी पत्नी हमीदा बानू बेगम ने पूरा किया।
  • सांस्कृतिक प्रभाव: हुमायूँ ने मीर सैय्यद अली और अब्दल समद जैसे फारसी कलाकारों को भारत लाकर मुगल चित्रकला के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • उसने निगार खाना (चित्रकला कार्यशाला) की स्थापना की और हमज़ा नामा को चित्रित करने की परियोजना शुरू की, जिसे उसके उत्तराधिकारी अकबर ने जारी रखा।
  • साहित्यिक योगदान: उसकी बहन गुल बदन बेगम ने "हुमायूँ-नामा" लिखा, जिसमें उनके शासनकाल और विरासत का दस्तावेज़ीकरण किया गया।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स  

प्रश्न. मुगल भारत के संदर्भ में, जागीरदार और ज़मींदार के बीच क्या अंतर है/हैं?(2019)

1. जागीरदारों के पास न्यायिक और पुलिस दायित्वों के एवज़ में भूमि आवंटनों का अधिकार होता था, जबकि ज़मींदारों के पास राजस्व अधिकार होते थे तथा उन पर राजस्व उगाही को छोड़कर अन्य कोई दायित्व पूरा करने की बाध्यता नहीं होती थी।
2. जागीरदारों को किये गए भूमि आवंटन वंशानुगत होते थे और ज़मींदारों के राजस्व अधिकार वंशानुगत नहीं होते थे।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1       
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


AIM और WIPO के बीच आशय पत्र

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) ने अटल नवाचार मिशन (AIM) के साथ एक संयुक्त आशय पत्र (JLoI) पर हस्ताक्षर किये। JLoI का उद्देश्य वैश्विक दक्षिण के देशों के लिये नवाचार, उद्यमिता और बौद्धिक संपदा (IP) हेतु कार्यक्रम विकसित करना है।

  • इस साझेदारी का उद्देश्य स्कूल स्तर से बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के विषय में समझ और जागरूकता बढ़ाना, विश्व की नवाचार क्षमता को उजागर करना तथा समावेशी एवं सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

नोट: 

  • भारत का नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र: भारत ने अपनी उद्यमशीलता की यात्रा में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है तथा अंतर्राष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने के लिये अपने विशाल प्रतिभा पूल और गतिशील बाज़ार का लाभ उठाते हुए नवाचार में वैश्विक अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित हुआ है।

अटल नवाचार मिशन (AIM) क्या है?

  • वर्ष 2016 में शुरू किया गया अटल नवाचार मिशन (AIM) भारत सरकार की प्रमुख पहल है, जिसे देश में नवाचार और उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये नीति आयोग द्वारा स्थापित किया गया है।
    • अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने हेतु नए कार्यक्रम और नीतियांँ विकसित करना, विभिन्न हितधारकों के लिये मंच एवं सहयोग के अवसर प्रदान करना, जागरूकता पैदा करना तथा देश के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी हेतु एक छत्र संरचना (Umbrella Structure) निर्मित करना।
  • प्रमुख पहलें:
    • अटल टिंकरिंग लैब्स: भारतीय स्कूलों में समस्या समाधान मानसिकता विकसित करना।
    • अटल इनक्यूबेशन सेंटर: विश्व स्तर पर स्टार्टअप को बढ़ावा देना और इनक्यूबेटर मॉडल में एक नया आयाम जोड़ना।
    • अटल न्यू इंडिया चैलेंज: उत्पाद नवाचारों को बढ़ावा देना और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों/मंत्रालयों की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना।
    • मेंटर इंडिया कैंपेन: मिशन की सभी पहलों का समर्थन करने हेतु यह सार्वजनिक क्षेत्र, कॉरपोरेट्स और संस्थानों के सहयोग से शुरू किया गया एक राष्ट्रीय मेंटर नेटवर्क है।
    • अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर: टियर-2 और टियर-3 शहरों सहित देश के असेवित क्षेत्रों में समुदाय केंद्रित नवाचार एवं विचारों को प्रोत्साहित करना।
    • लघु उद्यमों हेतु अटल अनुसंधान और नवाचार (ARISE): सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में नवाचार एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।

Intellectual _Property _Rights World _Intellectual _Property Organization

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. अटल नवप्रवर्तन (इनोवेशन) मिशन किसके अधीन स्थापित किया गया है? (2019)

(a) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
(b) श्रम और रोज़गार मंत्रालय
(c) नीति (NITI) आयोग
(d) कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय

उत्तर: (c)


प्रश्न.  'राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. यह दोहा विकास एजेंडा और ट्रिप्स समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराता है। 
  2.  औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग भारत में बौद्धिक संपदा अधिकारों को विनियमित करने के लिये नोडल एजेंसी है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


ऊर्जा संचयन और विद्युत उत्पादन हेतु सामग्री

स्रोत : पीआई बी

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने एक नया अध्ययन किया है जो आरंभिक धातुओं नामक सामग्रियों के एक नए वर्ग में रासायनिक बंधन को नियंत्रित करने वाले इलेक्ट्रॉनिक तंत्र को उजागर करता है, जिसमें समूह IV चाल्कोजनाइड्स की एक एकल 2D परत के भीतर मेटावेलेंट बॉन्डिंग (MVB) पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 

अध्ययन के मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • परिचय:
    • यह अध्ययन जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (JNCASR) में सैद्धांतिक विज्ञान इकाई में आयोजित किया गया था।
  • जाँच - परिणाम:
    • इस अध्ययन में पाया गया कि समूह IV चाल्कोजनाइड्स पदार्थ गर्म करने या ठंडा होने पर 100 नैनोसेकंड से भी कम समय में काँच जैसी अनाकार संरचना से क्रिस्टलीय रूप में परिवर्तित हो सकते है ।
  • महत्त्व:
    • नई सामग्री के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कुशल ऊर्जा संचयन और विद्युत उत्पादन में अनुप्रयोग हो सकते हैं।
    • साथ ही, यह शोध क्वांटम सामग्रियों के उभरते क्षेत्र से जुड़ता है जो भारत के राष्ट्रीय क्वांटम प्रौद्योगिकी मिशन में मदद करेगा।
  • संबंधित शब्द:
    • प्रारंभिक धातुएँ:
      • वे धातुओं के समान विद्युत चालकता प्रदर्शित करती हैं, जिनमें अर्धचालकों की विशेषता वाली उच्च तापविद्युत दक्षता और असामान्य रूप से कम तापीय चालकता होती है, जो गुणों का एक ऐसा समूह बनाती है जिसे पारंपरिक रासायनिक बंधन अवधारणाओं द्वारा समझाया नहीं जा सकता है।
    • चाल्कोजनाइड्स: 
      • चाल्कोजनाइड्स ऐसे यौगिक हैं जिनमें कम से कम एक चाल्कोज़न तत्त्व आयन (जैसे सल्फर, सेलेनियम और टेल्यूरियम) और कम से कम एक धातु तत्त्व होता है। 
        • समूह IV चाल्कोजनाइड्स में आकर्षक गुण होते हैं जो उन्हें तकनीकी अनुप्रयोगों के लिये उपयुक्त बनाते हैं। 
      • चाल्कोजनाइड्स अपनी उच्च विद्युत चालकता और प्रभावी थर्मल-टू-इलेक्ट्रिकल ऊर्जा रूपांतरण के कारण ऊर्जा संचयन और विद्युत  उत्पादन में महत्त्वपूर्ण हैं। 
      • चाल्कोजनाइड्स का उपयोग पहले से ही कंप्यूटर फ्लैश मेमोरी में किया जाता है, जो क्रिस्टलीय और अनाकार अवस्थाओं के बीच संक्रमण के दौरान ऑप्टिकल गुणों को बदलने की उनकी क्षमता का लाभ उठाते हैं।
    • मेटावेलेंट बॉन्डिंग:
      •  रसायन विज्ञान में परमाणुओं की वैलेंस/संयोजी शेल में आठ इलेक्ट्रॉनों को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति जिसे चिरसम्मत अष्टक नियम (Classical Octet Rule) कहा जाता है, को चुनौती देने वाले बंधन में धातुओं और ग्लास दोनों में बंधन बनाने के गुण होते हैं।

National Quantum Mission

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स 

प्रश्न.  CFL और LED लैंप में क्या अंतर है?  (2011)

  1. प्रकाश उत्पन्न करने के लिये CFL में पारद वाष्प और फॉस्फोर का प्रयोग किया जाता है जबकि LED लैंप में अर्द्धचालक पदार्थ का प्रयोग किया जाता है।
  2. CFL की औसत आयु LED लैंप की तुलना में बहुत लंबा होता है
  3. LED लैंप की तुलना CFL कम ऊर्जा कुशल है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. भारत प्रकाश-वोल्टीय इकाइयों में प्रयोग में आने वाले सिलिकॉन वेफर्स का विश्व में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  2. सौर ऊर्जा शुल्क का निर्धारण भारतीय सौर ऊर्जा निगम के द्वारा किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (d)


बाल गंगाधर तिलक की 168वीं जयंती

स्रोत: पी.आई.बी

23 जुलाई को भारत ने बाल गंगाधर तिलक की जयंती मनाई तथा एक स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् के रूप में उनकी विरासत का सम्मान किया।

  • व्यक्तिगत जीवन और विचारधारा:
    • बाल गंगाधर तिलक का जन्म जुलाई 1856 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था और उन्हें भारतीय अशांति के जनक  की उपाधि दी गई थी । 
    • लोकमान्य तिलक पूर्ण स्वतंत्रता या स्वराज्य (स्व-शासन) के सबसे प्रारंभिक एवं सबसे मुखर प्रस्तावकों में से एक है।
    • लाला लाजपत राय तथा बिपिन चंद्र पाल के साथ ये लाल-बाल-पाल की तिकड़ी (गरम दल/उग्रपंथी दल) का हिस्सा थे।
  • सूरत विभाजन, 1907:
    • लेकिन रास बिहारी घोष के निर्वाचित होने पर इसका विभाजन हो गया।
    • वर्ष 1907 में सूरत में हुए विभाजन के बाद भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (Indian National Congress- INC) उग्रवादी और उदारवादी दल में विभाजित हो गई। मुख्यतः बॉम्बे प्रेसीडेंसी के उग्रवादियों ने अध्यक्ष के पद के लिये तिलक या लाजपत राय का समर्थन किया।
  • शिक्षा में योगदान:
    • तिलक डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के संस्थापक (वर्ष 1884) थे, इसके संस्थापक सदस्यों में गोपाल गणेश अगरकर और अन्य भी शामिल थे।
    • इस सोसाइटी के माध्यम से तिलक ने वर्ष 1885 में पुणे में फर्ग्यूसन कॉलेज की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Bal_ Gangadhar _Tilak

और पढ़ें: बाल गंगाधर तिलक


बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन

स्रोत: लाइव मिंट 

बांग्लादेश एक बड़े संकट से गुज़र रहा है क्योंकि सरकारी नौकरी में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप कम से कम 130 लोगों की मृत्यु हो गई।

  • विरोध की वर्तमान लहर बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के उच्च न्यायालय खंड द्वारा सिविल सेवा कोटा प्रणाली को पुनः लागू करने के बाद शुरू हुई, जिसने प्रधानमंत्री के कार्यकारी आदेश को निरस्त कर दिया था।
    • उच्च न्यायालय के निर्णय को रोकने के लिये सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय प्रभाग के आदेश ने अनिश्चितता को बढ़ा दिया है, क्योंकि छात्र अधिक समावेशी और योग्यता आधारित कोटा प्रणाली की मांग कर रहे हैं।
    • ये विरोध प्रदर्शन बांग्लादेश के लिये विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण समय पर हो रहे हैं क्योंकि वह पहले से ही उच्च मुद्रास्फीति और बेरोज़गारी से जूझ रहा है।
  • प्रारंभ में स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों, महिलाओं, वंचित क्षेत्रों और जातीय अल्पसंख्यकों को लाभ पहुँचाने के लिये स्थापित बांग्लादेश के सरकारी नौकरी कोटे को वर्षों से पुराना होने एवं दुरुपयोग की आशंका के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
  • मौजूदा संकट के कारण भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि बंदरगाहों के माध्यम से व्यापार रुक गया है। सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने भी बांग्लादेश में अशांति के संभावित प्रभावों की चिंताओं के जवाब में भारत-बांग्लादेश सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी है।
  • भारत बांग्लादेश की सिविल सेवाओं में क्षमता निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल रहा है।

और पढ़ें: भारत-बांग्लादेश


बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली का द्वितीय चरण का सफल परीक्षण

स्रोत : द हिंदू

 रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अपने चरण-II बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जो लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल खतरों से बचाव में भारत की उन्नत क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।

  • चरण-II प्रणाली 5,000 किलोमीटर तक की दूरी तक की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोक सकती है, जिससे भारत की सामरिक सुरक्षा मज़बूत होगी।
    • 2,000 किलोमीटर तक की दूरी तक की मिसाइलों को रोकने में सक्षम चरण-I की BMD पहले ही तैनात की जा चुकी है।
  • चरण-II मिसाइल एक दो-चरणीय ठोस प्रणोदन वाली ज़मीन से प्रक्षेपित की जाने वाली प्रणाली है, जिसे अंतः से लेकर निम्न बाह्य-वायुमंडलीय अवरोधन हेतु डिज़ाइन किया गया है।
    • परीक्षण में लंबी दूरी के सेंसर, कम विलंबता संचार और उन्नत इंटरसेप्टर मिसाइलों सहित नेटवर्क-केंद्रित युद्ध हथियार प्रणाली का प्रदर्शन किया गया।
  • कारगिल युद्ध के बाद वर्ष 2000 में शुरू किये गए भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन से आने वाले मिसाइल खतरों से बचाना है।
    • यह पृथ्वी एयर डिफेंस और एडवांस्ड एयर डिफेंस जैसी इंटरसेप्टर मिसाइलों के साथ बहुस्तरीय दृष्टिकोण अपनाता है। हाल के प्रयासों में वैश्विक सहयोग के माध्यम से क्षमताओं को बढ़ाने और रूसी S-400 ट्रायम्फ जैसी प्रणालियों को हासिल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • DRDO चरण 1 और 2 में क्रमशः 2000 किमी और 5000 किमी तक की रेंज वाली मिसाइलों का मुकाबला करने के लिये एक स्वदेशी बहु-स्तरीय नेटवर्क विकसित कर रहा है।
      • इस नेटवर्क में आने वाली मिसाइलों का पता लगाने और उन पर नज़र रखने के लिये निगरानी रडार भी शामिल हैं।
  •   भारत की बैलिस्टिक मिसाइलें अग्नि, K-4 (SLBM), प्रहार, धनुष, पृथ्वी और त्रिशूल हैं।

और पढ़ें: शौर्य मिसाइल


सतत् विकास पर ECOSOC फोरम

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में, न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सतत् विकास पर उच्च स्तरीय राजनीतिक फोरम में राजस्थान के स्वदेशी जनजातीय समुदायों ने वैश्विक चुनौतियों के प्रभावी समाधान के रूप में अपनी पारंपरिक प्रथाओं का प्रदर्शन किया।

  • यह फोरम संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) के तत्त्वावधान में आयोजित किया गया था, जिसकी थीम थी - ‘वर्ष 2030 के एजेंडे को सुदृढ़ बनाना और विभिन्न संकटों में गरीबी उन्मूलन: सतत्, लचीले एवं नवीन समाधानों का प्रभावी क्रियान्वयन’ (‘Reinforcing the 2030 agenda and eradicating poverty in times of multiple crises: The effective delivery of sustainable, resilient and innovative solutions’)।
    • वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा स्थापित ECOSOC आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर समन्वय, नीति समीक्षा, नीति संवाद तथा सिफारिशों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहमत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन हेतु यह एक प्रमुख निकाय है।
    • यह सतत् विकास पर अध्ययन, चर्चा और नवीन सोच के लिये संयुक्त राष्ट्र का केंद्रीय मंच है।
    • इसके 54 सदस्य संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा तीन-वर्षीय कार्यकाल के लिये चुने जाते हैं।
  • राजस्थान स्थित स्वैच्छिक समूह वाग्धारा ने कृषि और संसाधन प्रबंधन में स्वदेशी प्रथाओं के लचीलेपन व स्थायित्व पर ज़ोर दिया।
  • मंच ने जनजातीय समुदायों द्वारा बीज संरक्षण, जल संरक्षण और सतत् कृषि जैसी पहलों को मान्यता दी, जिससे कोविड-19 महामारी के प्रभावों सहित आर्थिक तथा पर्यावरणीय चुनौतियों में कमी आई है।
    • भील, डामोर, दमरिया, धानका, तड़वी, तेतरिया, वलवी, सहरिया, कोली और तुरी राजस्थान में पाई जाने वाली कुछ अनुसूचित जनजातियाँ हैं।

और पढ़ें:  संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC), सतत् विकास


भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करने हेतु राष्ट्रपति भवन हॉल का नाम परिवर्तन

स्रोत: पी.आई.बी.

भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के साथ तालमेल बिठाने और औपनिवेशिक प्रभाव को कम करने के लिये राष्ट्रपति भवन ने आधिकारिक तौर पर अपने दो प्रमुख हॉल का नाम परिवर्तित कर दिया है।

  • ‘दरबार हॉल’ अब गणतंत्र मंडप है, जो औपनिवेशिक शब्द ‘दरबार’ (भारतीय शासकों और अंग्रेज़ों के न्यायालय व सभाएँ) की जगह गणतंत्र की अवधारणा को दर्शाता है। 
  • सम्राट अशोक और भारतीय सांस्कृतिक महत्त्व को सम्मान देते हुए अशोक हॉल का नाम बदलकर अशोक मंडप कर दिया गया है। इस परिवर्तन का उद्देश्य पाश्चात्य प्रभावों को हटाना और 'अशोक' शब्द से जुड़े लोकाचार के साथ तालमेल बैठाना है। 
    • राष्ट्रपति भवन के बयान में उल्लेख किया गया है कि अशोक हॉल मूल रूप से एक बॉलरूम था। 'अशोक' शब्द दुख या पीड़ा से मुक्त होने का प्रतीक है और यह एकता एवं शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रतीक सम्राट अशोक को भी संदर्भित करता है।
    • यह शब्द अशोक वृक्ष को भी संदर्भित करता है, जिसका भारतीय धार्मिक परंपराओं, कलाओं और संस्कृति में गहरा महत्त्व है।
  • नई दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन विश्व में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष का सबसे बड़ा निवास स्थान है। इसे मूल रूप से भारत के ब्रिटिश वायसराय के लिये 'वायसराय हाउस' के रूप में बनाया गया था और बाद में वर्ष 1950 में भारत के गणतंत्र बनने पर इसका नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया गया।
    • इसका डिज़ाइन ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लैंडसीर लुटियंस ने तैयार किया था, जिन्होंने भारतीय, मुगल और यूरोपीय स्थापत्य शैली का संयोजन किया था।
  • वर्ष 2023 में राष्ट्रपति भवन स्थित विश्व प्रसिद्ध ‘मुगल गार्डन’ का नाम भी बदलकर ‘अमृत उद्यान’ कर दिया गया।
    • इससे पहले वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री ने 'कर्त्तव्य पथ' का उद्घाटन किया था, जो कि सत्ता के प्रतीक तत्कालीन राजपथ से सार्वजनिक स्वामित्व और सशक्तीकरण के उदाहरण के रूप में कर्त्तव्य पथ में बदलाव का प्रतीक है।

और पढ़ें: कर्त्तव्य पथ


अभिनव बिंद्रा को प्रतिष्ठित ओलंपिक ऑर्डर से किया गया सम्मानित

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एथलीट अभिनव बिंद्रा को ओलंपिक ऑर्डर से सम्मानित किये जाने पर शुभकामनाएँ दी। अभिनव बिंद्रा को यह सम्मान ओलंपिक मूवमेंट (Olympic Movement) में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिये दिया गया।

  • ओलंपिक ऑर्डर अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (International Olympic Committee) का सर्वोच्च पुरस्कार है, जो ओलंपिक मूवमेंट में उत्कृष्ट योगदान के लिये व्यक्तियों को दिया जाता है, जो ओलंपिक के मूल्यों और आदर्शों को बढ़ावा देने के लिये असाधारण समर्पण को मान्यता देता है।
    • इसकी शुरुआत वर्ष 1975 में हुई तथा इसने ओलंपिक डिप्लोमा ऑफ मेरिट को प्रतिस्थापित किया।
    • ओलंपिक ऑर्डर के तीन ग्रेड हैं: स्वर्ण (गोल्ड), रजत (सिल्वर) और काँस्य (ब्रोन्ज़)। गोल्ड ऑर्डर राज्य के प्रमुखों और असाधारण परिस्थितियों हेतु आरक्षित है। 
    • ओलंपिक ऑर्डर के अन्य उल्लेखनीय प्राप्तकर्त्ताओं में इंदिरा गांधी और नेल्सन मंडेला शामिल हैं।
  • यह पुरस्कार पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के 142वें सत्र के दौरान प्रस्तुत किया गया था।
    • जून 1894 में स्थापित IOC ओलंपिक खेलों का संरक्षक है। यह एक गैर-लाभकारी स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
    • इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के लुसाने में है, जो ओलंपिक राजधानी है।
  • अभिनव बिंद्रा भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हैं, जिन्होंने वर्ष 2008 बीजिंग खेलों में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्द्धा जीती थी।

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SHREYAS योजना

स्रोत: पी.आई.बी.

युवा अचीवर्स हेतु उच्च शिक्षा के लिये छात्रवृत्ति योजना श्रेयस (Scholarships for Higher Education for Young Achievers Scheme- SHREYAS) हाशिये पर पड़े समुदायों के लिये उच्च शिक्षा का समर्थन करने की दिशा में भारतीय सरकार की एक महत्त्वपूर्ण पहल रही है।

  • SHREYAS योजना में हाल के अपडेट से पर्याप्त निवेश और योजना की व्यापक पहुँच का पता चलता है, जो अनुसूचित जातियों (SC), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (EBC) के लिये शैक्षिक उन्नति को बढ़ावा देने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
  • SHREYAS योजना में दो विभिन्न कार्यक्रम शामिल हैं, जो अलग-अलग वर्ग के शिक्षार्थियों की उच्च शिक्षा का समर्थन करने के लिये डिज़ाइन किये गए हैं, जैसे: 
    (i) SC के लिये SHREYAS और 
    (ii) OBC एवं EBC के लिये SHREYAS 
    • कुल व्यय: सत्र 2014-15 से सत्र 2023-24 तक 97,928 SC शिक्षार्थियों के लिये 2708.64 करोड़ रुपए खर्च किये गए। 
      • इसी अवधि में OBC शिक्षार्थियों के लिये 38,011 और EBC शिक्षार्थियों के लिये 585.02 करोड़ रुपए खर्च किये गए।
    • SC के लिये SHREYAS: IIT, IIIT, IIM और AIIMS जैसे 266 प्रमुख संस्थानों में अध्ययन के लिये SC छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
    • OBC और EBC के लिये SHREYAS: प्रत्येक वर्ष 3500 आर्थिक रूप से वंचित SC और OBC उम्मीदवारों को निःशुल्क कोचिंग प्रदान की गई, जिससे प्रतियोगी परीक्षाओं एवं उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षा में सहायता मिली।
  • भारत में अन्य शिक्षा योजनाओं में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संवर्द्धित शिक्षा कार्यक्रम, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, PM SHRI स्कूल और राष्ट्रीय साधन सह योग्यता छात्रवृत्ति (NMMS) शामिल हैं।

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