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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कोविड-19 वैक्सीन के दुष्प्रभाव

  • 11 May 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वैक्सीन के प्रकार, वायरस स्ट्रेन और उत्परिवर्तन, कोविशील्ड और कोवैक्सीन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)।

मेन्स के लिये:

वायरल संक्रमण के इलाज में वैक्सीन प्रणाली, वैक्सीन के प्रकार।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हुआ है, इसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा "कोविशील्ड" ब्रांड नाम के तहत बेचा जाता है।

  • इसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के साथ थ्रोम्बोसिस नामक एक दुर्लभ प्रतिकूल दुष्प्रभाव से जोड़ा जा रहा है।

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम क्या है?

  • परिचय: 
    • TTS को वैक्सीन-प्रेरित प्रोथ्रोम्बोटिक इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (VIPIT) अथवा वैक्सीन-प्रेरित इम्यून थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (VITT) भी कहा जाता है।
    • यह दुर्लभ सिंड्रोम उन व्यक्तियों में देखा गया है जिन्होंने एडेनोवायरल वेक्टर का उपयोग करके कोविड-19 वैक्सीन प्राप्त की हैं।
    • आम तौर पर यह माना जाता है कि यह इन वैक्सीन में प्रयुक्त एडेनोवायरस, वेक्टर द्वारा उत्पन्न प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण होता है।
      • एडेनोवायरस गैर-आच्छादित, डबल-स्ट्रैंडेड DNA वायरस हैं जो जन्मजात और अनुकूली प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करने की क्षमता के कारण स्तनधारी को टारगेट एंटीजन पहुँचाने के लिये उत्कृष्ट वेक्टर माने जाते हैं।
  • लक्षण:
    • TTS कई लक्षणों से जुड़ा है, जिनमें साँस लेने में परेशानी, सीने या अंग में दर्द, इंजेक्शन स्थल के बाहर छोटे लाल धब्बे अथवा चोट जैसी त्वचा, सिरदर्द, शरीर के अंगों में सुन्नता आदि शामिल हैं
      • थ्रोम्बोसिस रक्त के थक्कों के निर्माण को संदर्भित करता है, जबकि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया को कम प्लेटलेट काउंट की विशेषता है।
  • जोखिम-लाभ विश्लेषण:
    • जोखिम:
      • TTS आमतौर पर लगभग तीस वर्ष की आयु की स्वस्थ युवा महिलाओं में प्रति 100,000 में लगभग एक से दो मिलते हैं।
        • सामान्य जनसंख्या स्तर पर, प्रति दस लाख टीकाकरण वाले लोगों पर केवल दो से तीन मामले होने का अनुमान है। 
      • TTS का वार्षिक जोखिम अभी भी सड़क दुर्घटना में मरने के वार्षिक जोखिम से बहुत कम है।
    • लाभ: 
      • विभिन्न अध्ययनों में कोविशील्ड ने गंभीर कोविड-19 संक्रमण के विरुद्ध 80% से अधिक सुरक्षा तथा कोविड के डेल्टा वेरियंट लहर के समय भी संक्रमणों से होने वाली मृत्यु के विरुद्ध 90% से अधिक सुरक्षित पाया गया है।
      • कोविड-19 होने की 50% संभावना तथा मृत्यु के 0.1% जोखिम के लिये, यह टीका एक महत्त्वपूर्ण प्रतिरक्षा प्रदान करता है, जो जोखिमों से कहीं अधिक है।
      • इसने न केवल बीमारी की गंभीरता को कम किया है बल्कि रोगी की तात्कालिक पीड़ा और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर दबाव को कम किया है, तथा दीर्घकालिक विकलांगता एवं समय से पूर्व दिल के दौरे के जोखिम को भी कम किया है।
      • इस जोखिम को महामारी के आरंभ में ही, वैक्सीन उपलब्ध होने से पहले ही नोट कर लिया गया था, और टीकाकरण से इस जोखिम को कम होते देखा गया है।
  • कोविड-19 वैक्सीन के अन्य दुर्लभ दुष्प्रभाव:
    •   99 मिलियन लोगों पर किये  गए एक अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 के लिये  mRNA और ChAdOX1 (या कोविशील्ड) वैक्सीन प्राप्त करने के बाद गुइलेन बैरे सिंड्रोम, मायोकार्डिटिस, पेरीकार्डिटिस और सेरेब्रल वेनस साइनस थ्रोम्बोसिस (CVST) के मामले अपेक्षा से कम से कम 1.5 गुना अधिक थे।. 
    • अध्ययन ने पुष्टि की कि इन बीमारियों को कोविड-19 टीकाकरण के बाद 'दुर्लभ' दुष्प्रभावों के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
      • CVST, “सेरेब्रल वेनस साइनस थ्रोम्बोसिस” को संदर्भित करता है, जो मस्तिष्क में रक्त के थक्कों की उपस्थिति है।
      • गुइलेन-बैरे  सिंड्रोम एक प्रतिरक्षा प्रणाली विकार है जो तंत्रिकाओं पर आक्रमण करता है, जिससे मांसपेशियों को नुकसान होता है और लंबे समय तक उपचार की आवश्यकता होती है।
      • मायोकार्डिटिस और पेरीकार्डिटिस हृदय के ऊतकों के सूजन से जुड़ी स्थितियां हैं।

भारत में कोविड-19 टीकाकरण से संबंधित नियम और चिंताएँ क्या थीं?

  • भारत में कोविड-19 वैक्सीन से संबंधित नियम: 
    • भारत ने अपनी लगभग 80% टीकाकृत आबादी का पुनः टीकाकरण करने के लिये लगभग 1.75 बिलियन मात्रा का उपयोग किया है।
    • चरण-3 परीक्षणों को पूरा किये बिना ही कोविड-19 वैक्सीन लगाए गए और निर्माताओं के पास संभावित अल्पकालिक या दीर्घकालिक दुष्प्रभावों या मृत्यु से संबंधित पूर्ण जानकारी नहीं थी।
      • जैसे; कोवैक्सीन (भारत बायोटेक द्वारा) के लिये चरण 3 प्रोटोकॉल को चरण 2 के पूरा होने से पूर्व ही अनुमोदित किया गया था और अंतिम वैक्सीन उम्मीदवार को चरण 2 परीक्षण डेटा पर विचार किये बिना ही चुना गया था।
    • कॉर्बेवैक्स वैक्सीन (बायोलॉजिकल E द्वारा) को 12-14 वर्ष के बच्चों के टीकाकरण के लिये ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से आपातकालीन उपयोग अनुमति प्राप्त हुई।
  • कोविड-19 वैक्सीन से संबंधित चिंताएँ:
    • मार्च 2021 में कई यूरोपीय देशों ने रक्त के थक्के जमने के कथित मामलों के कारण एस्ट्राज़ेनेका के वैक्सीन के उपयोग को अस्थायी रूप से रोक दिया था।
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि कोविशील्ड और वैक्सज़ेवरिया के टीकाकरण के बाद भी कुछ मामलों में TTS के मामले मिल रहे थे, लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया कि उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर जोखिम काफी कम है।
    • UK सहित कई यूरोपीय देशों, USA और ऑस्ट्रेलिया ने भी TTS रिपोर्ट के कारण कोविशील्ड के उपयोग को रोक दिया गया, हालाँकि इसके द्वारा होने वाले लाभ जोखिमों से अधिक थे।
      • उनके पास पर्याप्त mRNA (जैसे फाइज़र-बायोएनटेक और मॉडर्ना कोविड-19) वैक्सीन उपलब्ध थे, जो अधिक इम्युनोजेनिक थे तथा TTS से जुड़े नहीं थे, हालाँकि इस कारण गैर-घातक मायोकार्डिटिस के मामले देखे गए थे।
    • वर्ष 2023 में WHO ने थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के साथ थ्रोम्बोसिस के वर्गीकरण में वैक्सीन-प्रेरित प्रतिरक्षा थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (VITT) को शामिल किया गया।
  • भारत का रुख:
    • भारत में कोविड-19 वैक्सीन शुरू होने से पूर्व, भारत सरकार ने जनवरी 2021 में एक तथ्य पत्र जारी किया था जिसमें कम प्लेटलेट्स काउंट वाले व्यक्तियों के लिये कोविशील्ड के उपयोग की चेतावनी दी गई थी।
    • मई 2021 में भारत सरकार ने प्रति मिलियन मात्रा पर 0.61 मामलों की दर के साथ, कोविशील्ड वैक्सीन से संबंधित रक्त के थक्कों के 26 संभावित मामलों की सूचना दी।
    • सरकार द्वारा स्पष्ट किया गया है, कि इससे जोखिम न्यूनतम है और साथ ही यह कोविशील्ड के सकारात्मक लाभ का जोखिम पार्श्वचित्र भी है। हालाँकि स्वदेशी वैक्सीन, कोवैक्सिन (भारत बायोटेक द्वारा) के लिये ऐसी कोई घटना रिपोर्ट नहीं की गई।
    • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यूरोपीय मूल के लोगों की तुलना में दक्षिण एवं दक्षिण पूर्व एशियाई मूल के व्यक्तियों में रक्त के थक्के जमने का जोखिम काफी कम है।

FLiRT-कोविड-19 का एक नवीन संस्करण:

  • यह ओमिक्रॉन JN.1 का एक नवीन संस्करण है।
    • यह अमेरिका में पाया गया है और तीव्रता से फैल रहा है।
    • यह वैरिएंट स्पाइक (S) प्रोटीन संरचना में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन और मौजूदा वैक्सीन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि दर्शाता है।
  • इसके लक्षण ओमिक्रॉन के समान हैं, जिनमें गले में खराश, खाँसी, कंजेशन, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों या शरीर में दर्द, नाक बहना, बुखार या ठंड लगना, गंध और स्वाद की हानि तथा गंभीर परिस्थितियों में साँस फूलना शामिल हैं।
  • यह वैरिएंट अत्यधिक संक्रामक है और श्वसन बूंदों या संक्रमित सतहों को छूने से फैल सकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कोविड-19 विश्वमहामारी को रोकने के लिये बनाई जा रही वैक्सीनों के प्रसंग में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. भारतीय सीरम संस्थान ने mRNA प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर कोविशील्ड नामक कोविड-19 वैक्सीन निर्मित की। 
  2. स्पुतनिक V वैक्सीन रोगवाहक (वेक्टर) आधारित प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर बनाई गई है। 
  3. कोवैक्सीन एक निष्कृत रोगजनक आधारित वैक्सीन है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

(a)  केवल 1 और 2
(b)  केवल 2 और 3
(c)  केवल 1 और 3
(d)  1, 2 और 3

उत्तर: (b)

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