विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
बूस्टर डोज़: कॉर्बेवैक्स
- 12 Aug 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:वैक्सीन और प्रकार, कॉर्बेवैक्स, स्पाइक प्रोटीन। मेन्स के लिये:वायरल संक्रमण के इलाज में वैक्सीन की क्रियाविधि , वैक्सीन के प्रकार |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार ने घोषणा की कि जिन लोगों को कोविड–19 के लिये पहली या दूसरी खुराक के रूप में कोविशील्ड या कोवैक्सिन मिला है, वे तीसरे बूस्टर शॉट/डोज़ के रूप में कॉर्बेवैक्स ले सकते हैं।
- कॉर्बेवैक्स अभी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपातकालीन उपयोग सूची (EUL) में शामिल होने की प्रतीक्षा कर रहा है।
- अब तक तीसरी डोज़ वही वैक्सीन होनी चाहिये थी, जिसका उपयोग पहली और दूसरी डोज़ के लिये किया जाता था।
- यह निर्णय भारत के दवा नियामक द्वारा 18 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के लिये विषम कोविड बूस्टर खुराक के रूप में कॉर्बेवैक्स को मंज़ूरी देने के बाद लिया गया है।
WHO की आपातकालीन उपयोग सूची (EUL):
- EUL सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल से प्रभावित लोगों के लिये उत्पादों की उपलब्धता में तेज़ी लाने के अंतिम उद्देश्य के साथ बिना लाइसेंस वाले टीकों, चिकित्सीय और इन-विट्रो डायग्नोस्टिक्स का आकलन और सूचीबद्ध करने हेतु जोखिम-आधारित प्रक्रिया है।
- कई देशों में अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के लिये लोगों को वैक्सीन प्राप्त करने की आवश्यकता होती है जो WHO की अनुमोदित सूची में है।
कॉर्बेवैक्स वैक्सीन
- परिचय:
- कॉर्बेवैक्स भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (RBD) प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है, 28 दिन के अंदर इसकी 2 डोज़ लेनी होंगी।
- इसे 2-8 डिग्री सेल्सियस पर भंडारित किया जा सकता है, जो भारत की आवश्यकताओं के लिये सबसे उपयुक्त है।
- कार्यविधि:
- यह एक ’रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन सब-यूनिट’ वैक्सीन है। इसका अर्थ है कि यह ‘SARS-CoV-2’ के एक विशिष्ट भाग यानी वायरस की सतह पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन से बना है।
- स्पाइक प्रोटीन वायरस को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने की अनुमति देता है, जिससे वह रेप्लिकेट होता है यानी उसकी संख्या में वृद्धि होती है और बीमारी का कारण बनता है।
- हालाँकि जब अकेले स्पाइक प्रोटीन शरीर में प्रवेश करता है तो इसके हानिकारक होने की उम्मीद नहीं होती है, क्योंकि वायरस के शेष हिस्से अनुपस्थित होते हैं।
- इस तरह जब स्पाइक प्रोटीन को मानव शरीर में इंजेक्ट किया जाता है तो शरीर में एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित होने की उम्मीद होती है।
- एक बार जब मानव प्रतिरक्षा प्रणाली प्रोटीन को पहचान लेती है तो यह संक्रमण से लड़ने के लिये श्वेत रक्त कणिकाओं के रूप में एंटीबॉडी का उत्पादन करती है।
- इसके पश्चात् जब वास्तविक वायरस शरीर को संक्रमित करने का प्रयास करता है, तो शरीर के पास पहले से ही एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया तैयार होती है, जिससे उस व्यक्ति के गंभीर रूप से बीमार पड़ने की संभावना कम हो जाती है।
- इस तरह जब स्पाइक प्रोटीन को मानव शरीर में इंजेक्ट किया जाता है तो शरीर में एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित होने की उम्मीद होती है।
- यह एक ’रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन सब-यूनिट’ वैक्सीन है। इसका अर्थ है कि यह ‘SARS-CoV-2’ के एक विशिष्ट भाग यानी वायरस की सतह पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन से बना है।
अन्य प्रकार के वैक्सीन:
- निष्क्रिय वैक्सीन:
- निष्क्रिय वैक्सीन में मृत रोगाणु का उपयोग होता है जो एक बीमारी का कारण बनता है।
- इस प्रकार की वैक्सीन एक रोगज़नक़ को निष्क्रिय करके बनाए जाते हैं, आमतौर पर ऊष्मा या रसायनों जैसे कि फॉर्मलाडेहाइड या फॉर्मेलिन का उपयोग करके।
- यद्यपि रोगजनक को निष्क्रिय कर दिया जाता है या इनकी प्रजनन क्षमता को समाप्त कर दिया जाता है, रोगजनक के विभिन्न हिस्से बरकरार रहते हैं, जैसे-एंटीजन (रासायनिक संरचना) जिसकी पहचान प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा की जाती है, को अछूता रखा जाता है।
- सक्रिय वैक्सीन:
- इसमें किसी रोगाणु के कमज़ोर (अथवा क्षीण) रूप का उपयोग किया जाता है।
- यह वैक्सीन प्राकृतिक संक्रमण से इतनी मिलती-जुलती है कि एक शक्तिशाली एवं दीर्घकालीन प्रतिरक्षा प्रदान करती है।
- मैसेंजर (एम) आरएनए वैक्सीन:
- एमआरएनए वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिये प्रोटीन का निर्माण करते हैं। एमआरएनए वैक्सीन अन्य प्रकार के वैक्सीन की अपेक्षा अधिक प्रभावी हैं, जिसमें कम समय में इसका निर्माण भी शामिल है, क्योंकि इनमें एक जीवित वायरस नहीं होता है, अतः टीकाकरण करने वाले व्यक्ति में बीमारी पैदा होने का जोखिम नहीं होता है।
- टीकों का उपयोग कोविड–19 से बचाव के लिये किया जाता है।
- टॉक्सोइड वैक्सीन:
- ये रोग का कारण बनने वाले रोगाणु के विष द्वारा (हानिकारक उत्पाद) द्वारा बनाए जाते हैं।
- वे रोगाणु के उन हिस्सों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा करते हैं जो रोगाणु के बजाय रोग का कारण बनते हैं। इसका अर्थ है कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पूरे रोगाणु के बजाय सिर्फ विष को लक्षित करती है।
- ये रोग का कारण बनने वाले रोगाणु के विष द्वारा (हानिकारक उत्पाद) द्वारा बनाए जाते हैं।
- वायरल वेक्टर वैक्सीन:
- वायरल वेक्टर वैक्सीन सुरक्षा प्रदान करने के लिये एक वेक्टर के रूप में एक अलग वायरस के संशोधित संस्करण का उपयोग करते हैं।
- कई अलग-अलग वायरस को वैक्टर के रूप में इस्तेमाल किया गया है, जिनमें इन्फ्लूएंजा, वेसिकुलर स्टामाटाइटिस वायरस (VSV), खसरा वायरस और एडेनोवायरस शामिल हैं, जो सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):प्रारंभिक परीक्षा: प्रश्न. 'रिकॉम्बिनेंट वेक्टर वैक्सीन' के संबंध में हाल के घटनाक्रमों के संदर्भ मे निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c) व्याख्या:
प्रश्न. COVID-19 महामारी ने दुनिया भर में अभूतपूर्व तबाही मचाई है। हालाँकि संकट पर विजय प्राप्त करने के लिये तकनीकी प्रगति का आसानी से लाभ उठाया जा रहा है। महामारी के प्रबंधन में सहायता हेतु प्रौद्योगिकी की मांग कैसे की गई, इसका विवरण दीजिये। (मुख्य परीक्षा 2020) |