कोविशील्ड और कोवैक्सीन के सीमित उपयोग की मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने देश में कोरोना वायरस के विरुद्ध वैक्सीन के सीमित उपयोग के लिये कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) को मंज़ूरी दे दी है।
- कोविशील्ड, कोवैक्सीन और BNT162b2 ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के समक्ष आपातकालीन उपयोग हेतु मंज़ूरी के लिये आवेदन किया था।
प्रमुख बिंदु
वैक्सीन की मंज़ूरी का अर्थ
- आपात्कालिक स्थिति में दोनों टीकों के सीमित उपयोग की मंज़ूरी मिली है।
- इसका अर्थ है कि कंपनियों द्वारा नैदानिक परीक्षण पूरा नहीं किये जाने के बावजूद टीकों के इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी गई है।
- हालाँकि मंज़ूरी पाने वाली कंपनियों के लिये परीक्षणों के दौरान सुरक्षा, प्रभावकारिता और प्रतिरक्षाजनकता (Immunogenicity) से संबंधित डेटा को नियमित रूप से प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
- किसी टीके की प्रतिरक्षाजनकता (Immunogenicity) का आशय उसकी प्रतिरक्षा अनुक्रिया शुरू करने की प्रक्रिया से है।
- टीके की प्रभावकारिता से आशय कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को कम करने की उसकी क्षमता से है।
आपात्कालिक मंज़ूरी का कारण
- महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार जल्द-से-जल्द उपयोग के लिये टीका चाहती थी ताकि संक्रमण के बढ़ते मामलों पर काबू पाया जा सके।
- एक और बढ़ती चिंता ब्रिटेन जैसे देशों में SARS-CoV-2 वायरस का उत्परिवर्तन है, जो कि अब भारत समेत विश्व के अन्य हिस्सों में फैलने लगा है।
कोविशील्ड (Covishield): यह ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका द्वारा विकसित कोरोना वायरस वैक्सीन को दिया गया नाम है, जिसे तकनीकी रूप से AZD1222 या ChAdOx 1 nCoV-19 कहा जाता है।
विकास
- यह स्वीडिश-ब्रिटिश दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राज़ेनेका के सहयोग से ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित टीके का एक संस्करण है।
- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) भारत में इस टीके का विनिर्माण भागीदार है।
कार्यप्रणाली
- यह एक सामान्य कोल्ड वायरस या एडेनोवायरस के कमज़ोर संस्करण पर आधारित है जो चिंपांज़ी में पाया जाता है।
- इस वायरल वेक्टर में वायरस की बाहरी सतह पर मौजूद SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन (प्रोट्रूशियंस) का आनुवंशिक पदार्थ शामिल होता है, जो इसे मानव कोशिका के साथ आबद्ध करने में सहायता करता है।
- शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इस प्रोटीन को एक खतरे के रूप में पहचानती है और इसके विरुद्ध एंटीबॉडी का निर्माण करती है।
महत्त्व
- ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन ने कोरोना वायरस के विरुद्ध प्रतिरक्षा अनुक्रिया शुरू करने में कामयाबी हासिल की थी और इसे संक्रमण के विरुद्ध सबसे अग्रणी टीकों में से एक माना जाता है।
कोवैक्सीन (Covaxin): यह भारत की एकमात्र स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है।
विकास
- भारत बायोटेक कंपनी द्वारा इस वैक्सीन को ‘भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद’ (ICMR) तथा ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’ (NIV) के सहयोग से विकसित किया गया है।
कार्यपद्धति
- यह एक निष्क्रिय टीका (Inactivated Vaccine) है, जिसे रोग पैदा करने वाले जीवित सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय कर विकसित किया जाता है।
- इस टीके को विकसित करने के दौरान रोगजनक अथवा सूक्ष्मजीवों की स्वयं की प्रतिकृति बनाने की क्षमता को समाप्त कर दिया जाता है, हालाँकि उसे जीवित रखा जाता है, ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली उसकी पहचान कर सके और उसके विरुद्ध प्रतिरक्षा अनुक्रिया उत्पन्न कर सके।
- इसका उद्देश्य न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन (वायरस के आनुवंशिक पदार्थ का आवरण) के विरुद्ध प्रतिरक्षा अनुक्रिया विकसित करना है।
महत्त्व
- भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन (Covaxin) के ब्रिटेन में उत्परिवर्तित वायरस समेत कई अन्य नए प्रकारों के विरुद्ध प्रभावी होने की संभावना है, क्योंकि इसमें स्पाइक प्रोटीन के अलावा अन्य जीनों के इम्युनोजेन्स (Immunogens) भी शामिल हैं।
- इम्युनोजेन एक उत्प्रेरक है जो तरल प्रतिरक्षा (Humoral Immune) तथा कोशिका-माध्यित प्रतिरक्षा (Cell-Mediated Immune) अनुक्रिया उत्पन्न करता है।
- कोवैक्सीन (Covaxin) को मिली मंज़ूरी यह सुनिश्चित करती है कि भारत के पास एक अतिरिक्त वैक्सीन सुरक्षा मौजूद है, जो विशेष रूप से महामारी की गतिशील स्थिति में संभावित उत्परिवर्ती उपभेदों के विरुद्ध हमारी रक्षा करेगा।