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गुइलेन बैरे सिंड्रोम

  • 13 Jul 2023
  • 5 min read

पेरू ने GBS और कोविड-19 के बीच संभावित संबंध के विषय में चिंता व्यक्त करते हुए गुइलेन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि को देखते हुए 90 दिनों के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की है।

  • विशेष रूप से पेरू ने वर्ष 2019 में भी GBS के बड़े प्रकोप का अनुभव किया, एक विशिष्ट अवधि के दौरान 683 संदिग्ध या पुष्ट मामले सामने आए।

 गुइलेन बैरे सिंड्रोम:

  • परिचय: GBS एक बहुत ही दुर्लभ ऑटोइम्यून विकार (Autoimmune Disorder) है जो परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) को प्रभावित करता है। इसमें शुरुआत में मांसपेशियों में कमज़ोरी, दर्द एवं सुन्नता जैसे लक्षण देखे जाते है, जो 6-12 माह या उससे अधिक समय तक चलने वाले पक्षाघात (Paralysis) में परिवर्तित हो सकते हैं।
    • यह सिंड्रोम मांसपेशियों की गति, दर्द, तापमान और स्पर्श संवेदनाओं के लिये ज़िम्मेदार तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है।
    • हालाँकि यह वयस्कों और पुरुषों में अधिक सामान्य है, GBS सभी उम्र के व्यक्तियों में हो सकता है।
  • कारण: GBS का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, GBS प्राय: संक्रमण से पहले होता है। यह जीवाणु या विषाणु संक्रमण हो सकता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को शरीर पर ही आक्रमण करने के लिये प्रेरित करता है।
    • दुर्लभ मामलों में टीकाकरण एवं सर्जरी से GBS विकसित होने का जोखिम थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन ऐसा होने की संभावना बहुत कम है।
    • अध्ययनों से जानकारी प्राप्त होती है कि फ्लू जैसे संक्रमणों से GBS होने का जोखिम फ्लू के टीके से होने वाले जोखिम से कहीं अधिक है।
  • उपचार: GBS उपचार में प्लास्मफेरेसिस जैसी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जो प्लाज़्मा को हटा देती है और इसे अन्य तरल पदार्थों से परिवर्तित कर देती है।
  • GBS और कोविड-19: कोविड-19 से पीड़ित वयस्कों और बच्चों दोनों में GBS के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा कोविड-19 टीकों के प्रशासन के बाद GBS के मामलों पर भी चिंता जताई गई है।
    • जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन (वायरल वेक्टर वैक्सीन) प्राप्त करने वाले 12.8 मिलियन लोगों में से GBS के लगभग 100 संदिग्ध मामलों की पहचान की गई थी।
      • फाइज़र (mRNA वैक्सीन) और एस्ट्राजेनेका (वायरल वेक्टर वैक्सीन) लेने के बाद भी GBS के कुछ मामले सामने आए हैं।
    • WHO की एक उपसमिति ने पाया कि एडेनोवायरस वेक्टर कोविड-19 टीकों के साथ जीबीएस के दुर्लभ मामले सामने आए हैं, लेकिन mRNA टीकों के साथ नहीं।
    • हालाँकि वर्तमान के अध्ययनों से पता चलता है कि इन संभावित दुष्प्रभावों के बावजूद कोविड-19 टीकाकरण के लाभ जोखिमों से कहीं अधिक हैं।
      • SARS-CoV-2 संक्रमण या टीकाकरण के बाद GBS की घटना दर कम है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. कोविड-19 विश्वमहामारी को रोकने के लिये बनाई जा रही वैक्सीनों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)  

  1. भारतीय सीरम संस्थान ने mRNA प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर कोविशील्ड नामक कोविड-19 वैक्सीन निर्मित की।
  2. स्पुतनिक V वैक्सीन रोगवाहक (वेक्टर) आधारित प्लेटफॉर्म का प्रयोग कर बनाई गई है।
  3. कोवैक्सीन एक निष्कृत रोगजनक-आधारित वैक्सीन है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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