प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 19 नवंबर, 2020
- 19 Nov 2020
- 12 min read
एचआईवी रोकथाम के लिये वैश्विक रोकथाम गठबंधन
Global Prevention Coalition for HIV Prevention
18 नवंबर, 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने एचआईवी रोकथाम के लिये वैश्विक निवारण गठबंधन (Global Prevention Coalition- GPC) की मंत्रिस्तरीय बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया।
प्रमुख बिंदु:
- यह बैठक ‘वैश्विक HIV रोकथाम गठबंधन’ (Global HIV Prevention Coalition) की ओर से यूएनएड्स (UNAIDS) और ‘संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष’ (United Nations Population Fund- UNFPA) द्वारा आयोजित की गई।
यूएनएड्स (UNAIDS):
- यूएनएड्स एक समस्या-समाधानकर्त्ता की भूमिका निभाता है।
- यूएनएड्स की स्थापना संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (United Nations Economic and Social Council- ECOSOC) द्वारा की गई थी और यह संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र संयुक्त कार्यक्रम है।
- UNAIDS वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) के हिस्से के रूप में एड्स को (सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरे को) समाप्त करने के वैश्विक प्रयास का नेतृत्त्व कर रहा है।
- अपनी 37वीं बैठक में ‘यूएनएड्स प्रोग्राम कोऑर्डिनेटिंग बोर्ड’ ने वर्ष 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरे के रूप में एड्स महामारी को समाप्त करने के लिये एक नई रणनीति अपनाई।
- यूएनएड्स (UNAIDS) वर्ष 2016-2021 की रणनीति संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में पहली है जो सतत् विकास लक्ष्यों से संबद्ध है, जिसने अगले 15 वर्षों में वैश्विक विकास नीति के लिये रूपरेखा तैयार की, इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक एड्स महामारी को समाप्त करना है।
- इस वर्ष का यह सम्मेलन वर्ष 2030 तक एड्स को समाप्त करने के लिये वर्ष 2016 की ‘UNGA प्रतिबद्धता’ (UNGA Commitment) के लक्ष्य को प्राप्त करने के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- GPC के सदस्य देशों ने वर्ष 2010 की तुलना में वयस्कों में HIV संक्रमण को वर्ष 2020 के अंत तक 75% तक कम करने पर सहमति व्यक्त की थी।
- GPC ने विश्व को एक ऐसा मॉडल उपलब्ध कराया है जहाँ कई सारे हितधारक एक साथ आ सकते हैं और एक समान लक्ष्य प्राप्त करने के लिये एकजुट होकर कार्य कर सकते हैं।
- दुनिया भर में भारत के जेनेरिक एंटी-रेट्रोवायरल ड्रग्स (Anti-Retroviral Drugs) के प्रावधानों का एचआईवी महामारी को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
- इस अवसर पर भारत के अद्वितीय एचआईवी निवारण मॉडल की सराहना की गई जो 'सामाजिक अनुबंध' (Social Contracting) की अवधारणा पर केंद्रित है जिसके माध्यम से लक्षित हस्तक्षेप (Targeted Interventions) कार्यक्रम को लागू किया जाता है।
- जिसके तहत गैर-सरकारी संगठनों के समर्थन से अनेक कार्यक्रम संचालित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसका उद्देश्य एचआईवी देखभाल के लिये आउटरीच, सेवा वितरण, परामर्श एवं परीक्षण तथा लिंकेज सुनिश्चित करना है।
गिल्लन बर्रे सिंड्रोम
Guillain Barre Syndrome
भारत में अगस्त 2020 से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें COVID-19 से संक्रमित कुछ रोगियों को गिल्लन बर्रे सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome- GBS) से पीड़ित पाया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- मुंबई में न्यूरोलॉजिस्ट का एक समूह अब इन मामलों एवं उनके लक्षणों की मैपिंग कर रहा है।
गिल्लन बर्रे सिंड्रोम (GBS):
- यह एक बहुत ही दुर्लभ ऑटोइम्यून विकार (Autoimmune Disorder) है।
- GBS बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण के कारण होता है।
- इस विकार से ग्रसित रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली कोरोनोवायरस को मारने के प्रयास में गलती से परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) पर हमला करना शुरू कर देती है, जिससे शरीर के अंगों की कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है।
- परिधीय तंत्रिका तंत्र, तंत्रिकाओं का एक नेटवर्क है जो मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी द्वारा शरीर के विभिन्न हिस्सों से संबद्ध होता है।
- अतीत में ‘मिडिल-ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (Middle East Respiratory Syndrome) के मरीज़ों में GBS के लक्षण दिखाई दिये थे जैसा कि ज़ीका, एचआईवी, हर्पीस वायरस (Herpes Virus) और कैंपिलोबैक्टर जेजुनी (Campylobacter Jejuni) से संक्रमित लोगों में देखा गया था।
लक्षण:
- इसके प्रमुख लक्षण- त्वचा में खुजली, मांसपेशियों में कमज़ोरी, दर्द एवं सुन्न हो जाना हैं।
- ये लक्षण सबसे पहले पैरों एवं हाथों में उभर सकते हैं। इसमें व्यक्ति को पैरालिसिस का अनुभव होने लगता है जो अस्थायी हो सकता है, किंतु 6-12 महीने या उससे अधिक समय तक रह सकता है।
हरिकेन ईओटा
Hurricane Iota
16 नवंबर, 2020 को हरिकेन ईओटा (Hurricane Iota) मध्य अमेरिका के निकारागुआ (Nicaragua) के तट से टकराया और श्रेणी 5 (Category 5) के हरिकेन के रूप में विकसित हो गया।
प्रमुख बिंदु:
- गौरतलब है कि हरिकेन या उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical cyclone) को सैफिर-सिंपसन विंड स्केल (Saffir-Simpson Hurricane Wind Scale) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इसमें हवा की गति के आधार पर 1 से 5 तक की रेटिंग दी जाती है।
- ‘सैफिर-सिंपसन विंड स्केल’ के आधार पर श्रेणी 5 (Category 5) के अंतर्गत आने वाले हरिकेन ईओटा (Hurricane Iota) को गंभीर (Severe) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है जिसमें वायु की गति 252 किलोमीटर/घंटा या अधिक होती है।
- श्रेणी 5 के हरिकेन से स्थल क्षेत्र में ‘प्रलयकारी नुकसान’ होता है।
हरिकेन कब आते हैं?
- अटलांटिक हरिकेन मौसम की अवधि 1 जून से 30 नवंबर के मध्य होती है जो अटलांटिक महासागर, कैरेबियन सागर और मेक्सिको की खाड़ी को कवर करता है।
- जबकि पूर्वी प्रशांत तट पर हरिकेन मौसम की अवधि 15 मई से 30 नवंबर के मध्य होती है।
- ‘नेशनल ओशनिक एंड एटमाॅस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (National Oceanic and Atmospheric Administration- NOAA) के अनुसार, एक औसत हरिकेन मौसम में लगभग 12 हरिकेन आते हैं जिनमें से तीन प्रमुख हरिकेन के साथ छह सामान्य हरिकेन बन जाते हैं।
केरल फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क प्रोजेक्ट
Kerala Fibre Optic Network Project
केरल सरकार ने केरल फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क प्रोजेक्ट (Kerala Fibre Optic Network Project-KFON) द्वारा दिसंबर 2020 तक गरीब परिवारों, सार्वजनिक कार्यालयों के लिये मुफ्त इंटरनेट प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
प्रमुख बिंदु:
- इस परियोजना का उद्देश्य, केरल सरकार द्वारा ‘इंटरनेट एक्सेस को नागरिक अधिकार‘ बनाने संबंधी अवधारणा को पूरा करना है।
- इस परियोजना का लक्ष्य गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line- BPL) जीवन जीने वाले 20 लाख से अधिक परिवारों को मुफ्त उच्च गति के इंटरनेट की सुविधा प्रदान करना है।
- यह केरल राज्य बिजली बोर्ड (Kerala State Electricity Board) और केरल राज्य आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (Kerala State IT Infrastructure Ltd) की एक संयुक्त पहल है।
- 1548 करोड़ रुपए की KFON परियोजना में 50% हिस्सेदारी KSEB के पास बाकी हिस्सेदारी केरल राज्य आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के पास है।
- इंटरनेट सेवा प्रदाता और केबल टेलीविज़न ऑपरेटर भी अपनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये इस परियोजना में शामिल हो सकते हैं।
- यह परियोजना भारतीय राज्यों के बीच अपनी तरह की पहली किंतु भारत सरकार की भारतनेट परियोजना (BharatNet Project) के समान है।
- यह परियोजना 20 लाख से अधिक गरीब परिवारों एवं कार्यालयों, स्कूलों, आईटी पार्कों, हवाई अड्डों तथा बंदरगाहों सहित 30,000 से अधिक सरकारी संस्थानों के लिये मुफ्त इंटरनेट सेवाएँ प्रदान करेगी।
महत्त्व:
- जब यह परियोजना लॉन्च की जाएगी तो यह केरल के लिये एक और मील का पत्थर साबित होगी जिसने कई मानव विकास संकेतकों (HDI) में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। जैसे- स्वास्थ्य के क्षेत्र में।