भारतीय राजव्यवस्था
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
- 21 Feb 2024
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प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC), भारत के संविधान का अनुच्छेद 338, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST)। मेन्स के लिये:राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC), केंद्र तथा राज्यों द्वारा आबादी के कमज़ोर वर्गों के लिये कल्याण योजनाएँ और इन योजनाओं का प्रदर्शन। |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भारत के राष्ट्रपति को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) की वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 सौंपी।
- रिपोर्ट में भारत के संविधान में निहित अनुसूचित जातियों (SC) के संवैधानिक सुरक्षा उपायों की सुरक्षा के संबंध में आयोग को सौंपे गए मुद्दों पर विभिन्न सिफारिशें शामिल हैं।
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के अंर्तगत NCSC को दिये गए आदेश के अनुसार, यह आयोग का कर्त्तव्य है कि वह राष्ट्रपति को वार्षिक तथा अन्य किसी भी समय पर जैसा अनुसूचित जाति आयोग उचित समझे संवैधानिक सुरक्षा उपायों के कामकाज पर रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) क्या है ?
- परिचय:
- NCSC एक संवैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना अनुसूचित जातियों के शोषण के विरुद्ध सुरक्षा उपाय प्रदान करने तथा उनके सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक हितों को बढ़ावा देने के साथ उनकी रक्षा करने के उद्देश्य से की गई है।
- इतिहास:
- विशेष पदाधिकारी:
- प्रारंभ में संविधान में अनुच्छेद 338 के तहत एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान था। विशेष अधिकारी को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आयुक्त के रूप में नामित किया गया था।
- 65वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1990:
- इसने संविधान के अनुच्छेद 338 में संशोधन किया और साथ ही एक सदस्यीय प्रणाली के स्थान पर अनुसूचित जाति (SC) तथा अनुसूचित जनजाति (ST) के लिये बहु-सदस्यीय राष्ट्रीय आयोग स्थापित किया।
- 89वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2003:
- अनुच्छेद 338 में संशोधन किया गया, साथ ही SC तथा ST के लिये तत्कालीन राष्ट्रीय आयोग को वर्ष 2004 से दो अलग-अलग आयोगों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जो थे:
- अनुच्छेद 338 के अंर्तगत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC)।
- अनुच्छेद 338A के अंर्तगत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST)।
- अनुच्छेद 338 में संशोधन किया गया, साथ ही SC तथा ST के लिये तत्कालीन राष्ट्रीय आयोग को वर्ष 2004 से दो अलग-अलग आयोगों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जो थे:
- विशेष पदाधिकारी:
- संरचना:
- NCSC में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष एवं तीन अतिरिक्त सदस्य शामिल हैं।
- राष्ट्रपति इन पदों की नियुक्ति करते हैं, जैसा कि उनके हस्ताक्षर एवं मुहर वाले वारंट द्वारा स्वीकार होता है।
- उनकी सेवा की शर्तें एवं कार्यकाल भी राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है।
- कार्य:
- अनुसूचित जाति के लिये संवैधानिक तथा अन्य कानूनी सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जाँच एवं निगरानी करना और साथ ही उनके कामकाज का मूल्यांकन भी करना;
- अनुसूचित जाति के अधिकारों एवं सुरक्षा उपायों से वंचित होने से संबंधित विशिष्ट शिकायतों की जाँच करना;
- अनुसूचित जाति के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना तथा सलाह देना एवं संघ या राज्य के तहत उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना;
- राष्ट्रपति को वार्षिक रूप से तथा ऐसे अन्य समय पर जब वह उचित समझे, उन सुरक्षा उपायों के कामकाज पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना;
- अनुसूचित जाति के संरक्षण, कल्याण एवं सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये उन सुरक्षा उपायों के साथ-साथ अन्य उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये संघ या राज्य द्वारा उठाए जाने वाले उपायों के बारे में सिफारिशें करना।
- वर्ष 2018 तक आयोग को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के संबंध में भी समान कार्य करने की आवश्यकता थी। 102वें संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा इसे इस ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया।
- NCSC की शक्ति:
- आयोग को अपनी संचालन प्रक्रिया को विनियमित करने की शक्ति प्राप्त है।
- किसी भी मामले की जाँच करते समय अथवा किसी शिकायत की जाँच करते समय आयोग को किसी वाद का विचारण करने वाले सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त हैं। आयोग की शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं–
- भारत के किसी भाग के किसी व्यक्ति को सम्मन करना और हाज़िर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना,
- दस्तावेज़ों के प्रकटीकरण और पेश किये जाने की अपेक्षा करना,
- शपथ-पत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना, और
- किसी न्यायालय अथवा कार्यालय से किसी सार्वजनिक रिकॉर्ड की प्रति की अपेक्षा करना।
- केंद्र और राज्य सरकारों को अनुसूचित जाति को प्रभावित करने वाले सभी प्रमुख नीतिगत मामलों पर आयोग से परामर्श करना आवश्यक है।
- किसी भी मामले की जाँच करते समय अथवा किसी शिकायत की जाँच करते समय आयोग को किसी वाद का विचारण करने वाले सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त हैं। आयोग की शक्तियों में निम्नलिखित शामिल हैं–
- आयोग को अपनी संचालन प्रक्रिया को विनियमित करने की शक्ति प्राप्त है।
अनुसूचित जाति के उत्थान के लिये अन्य संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?
- अनुच्छेद 15: यह अनुच्छेद विशेष रूप से जाति के आधार पर भेदभाव के मुद्दे को संबोधित करता है, अनुसूचित जातियों (SC) के संरक्षण और उत्थान पर बल देता है।
- अनुच्छेद 17: यह अनुच्छेद अस्पृश्यता को समाप्त करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास पर रोक लगाता है। यह सामाजिक भेदभाव को खत्म करने तथा सभी व्यक्तियों की समानता एवं सम्मान को बढ़ावा देता है।
- अनुच्छेद 46: यह अनुच्छेद राज्य को अनुसूचित जातियों और समाज के अन्य कमज़ोर वर्गों के शैक्षिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा देने तथा उन्हें सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से बचाने का निर्देश देता है।
- अनुच्छेद 243D(4): यह प्रावधान क्षेत्र में उनकी आबादी के अनुपात में पंचायतों (स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों) में अनुसूचित जाति के लिये सीटों के आरक्षण को अनिवार्य करता है।
- अनुच्छेद 243T(4): यह प्रावधान क्षेत्र में उनकी आबादी के अनुपात में नगर पालिकाओं (शहरी स्थानीय निकायों) में अनुसूचित जाति के लिये सीटों का आरक्षण सुनिश्चित करता है।
- अनुच्छेद 330 और अनुच्छेद 332 में लोकसभा तथा राज्यों की विधानसभाओं (क्रमशः) में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के पक्ष में सीटों के आरक्षण का प्रावधान है।
आगे की राह
- कुछ आलोचकों का तर्क है कि नौकरशाही बाधाओं, राजनीतिक हस्तक्षेप और अपर्याप्त प्रवर्तन तंत्र ने NCSC की प्रभावशीलता को सीमित कर दिया है।
- इसके अतिरिक्त, शिकायतों के समाधान में देरी और SC समुदायों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के बारे में भी चिंताएँ हैं।
- इन मुद्दों के समाधान के लिये, NCSC को बढ़ी हुई स्वायत्तता, बढ़े हुए संसाधनों और प्रणालीगत भेदभाव को दूर करने के लिये अधिक सक्रिय उपायों से लाभ हो सकता है।
- आउटरीच कार्यक्रमों को मज़बूत करना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और नागरिक समाज संगठनों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना भी अनुसूचित जाति के अधिकारों की सुरक्षा में इसकी प्रभावशीलता में योगदान दे सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'स्टैंड अप इंडिया स्कीम' के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c)
अतः विकल्प (c) सही है। मेन्स:प्रश्न.1 स्वतंत्रता के बाद अनुसूचित जनजातियों (एस.टी) के पार्टी भेदभाव को दूर करने के लिये, राज्य द्वारा की गई दो मुख्य विधिक पहलें क्या हैं? (2017) प्रश्न.2 बहु-सांस्कृतिक भारतीय समाज को समझने में क्या जाति की प्रासंगिकता समाप्त हो गई है? उदाहरणों सहित विस्तृत उत्तर दीजिये। (2020) प्रश्न.3 “जाति व्यवस्था नई-नई पहचानों और सहचारी रूपों को धारण कर रही है। अतः भारत में जाति व्यवस्था का उन्मूलन नहीं किया जा सकता है।” टिप्पणी कीजिये। (2018) प्रश्न.4 इस मुद्दे पर चर्चा कीजिये कि क्या और किस प्रकार दलित प्राख्यान (एसर्शन) के समकालीन आंदोलन जाति विनाश की दिशा में कार्य करते हैं। (2015) |