प्रिलिम्स फैक्ट्स (21 Sep, 2024)



सुभेद्य राष्ट्रों की सहायता हेतु GCF

स्रोत: TH

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरित जलवायु कोष (GCF) के प्रमुख ने सुभेद्य राष्ट्रों को जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिये आवश्यक वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने हेतु प्रतिबद्धता जाहिर की है।

हरित जलवायु कोष (GCF) क्या है?

  • परिचय:
  • संचालन (शासन एवं नियंत्रण): 
    • यह कोष GCF बोर्ड द्वारा शासित है और पक्षकारों (पक्षकारों के सम्मेलन-COP) के प्रति जवाबदेह है तथा उनके मार्गदर्शन के अनुसार संचालित है।
    • यह विशिष्ट प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान देने के उद्देश्य से निर्दिष्ट विषयगत वित्तपोषण के माध्यम से विकासशील देश पक्षों में परियोजनाओं, कार्यक्रमों, नीतियों और विभिन्न गतिविधियों का समर्थन करता है।
  • कार्य:
    • GCF, विकासशील देशों को उत्सर्जन न्यूनीकरण, जलवायु-अनुकूलित मार्गों की दिशा में उनके राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) संबंधी महत्त्वाकांक्षाओं में वृद्धि करने के साथ साथ उन्हें साकार करने में सहायता करने हेतु अधिदेशित है
      • NDC जलवायु कार्य योजनाएँ हैं जो यह रेखांकित करती हैं कि देश किस प्रकार अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को न्यूनीकृत करना चाहते हैं तथा जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनना चाहते हैं। 
      • पेरिस समझौते के तहत सभी देशों को प्रत्येक पाँच वर्ष में अपने NDC निर्धारित करने, उन्हें संप्रेषित करने और अद्यतित करने की आवश्यकता होती है।

लवायु वित्तपोषण

  • परिचय:
    • यह एक प्रकार का वित्तपोषण है जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिये कार्य-योजनाओं का समर्थन करना है। यह सार्वजनिक, निजी और वैकल्पिक स्रोतों प्राप्त हो सकता है ।
  • महत्त्व:
    • यह उत्सर्जन न्यूनीकरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अनुकूलन हेतु महत्त्वपूर्ण है। यह देशों को न्यूनतम कार्बन अर्थव्यवस्थाओं में रूपांतरित करने और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिये भी महत्त्वपूर्ण है। 
  • भारत में आवश्यकता:
    • भारत को नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों को प्रोत्साहित करने, बुनियादी ढाँचे को आधुनिक बनाने एवं ऊर्जा दक्षता में सुधार लाने के लिये जलवायु वित्त की आवश्यकता है। 
  • वित्तीय तंत्र:
    • UNFCCC ने विकासशील देशों को जलवायु वित्त प्रदान करने के लिये कई वित्तीय तंत्र स्थापित किये हैं, जिनमें अनुकूलन कोष, हरित जलवायु कोष और वैश्विक पर्यावरण कोष शामिल आदि हैं।

GCF के उद्देश्य और महत्त्वाकांक्षाएँ क्या हैं?

  • यह विकासशील देशों को जलवायु वित्त प्रदान करने के लिये एक प्रमुख तंत्र है, जो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन हेतु सबसे कम ज़िम्मेदार होने के बावजूद जलवायु परिवर्तन से असमान रूप से प्रभावित हैं।
  • GCF ने 19 जलवायु संवेदनशील देशों को मान्यता प्रदान की है, जिन्हें बहुत कम या कोई वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं हुई है।
    • इसमें अल्जीरिया,मध्य-अफ्रीकी गणराज्य,चाड,इराक,लेबनान,मोज़ाम्बिक,पापुआ-न्यू- गिनी और दक्षिण सूडान शामिल हैं।
    • GCF,वर्तमान मे इन देशों को लक्षित जलवायु वित्तीयन और सहायता प्रदान करने को प्राथमिकता दे रहा है।
  • GCF द्वारा सुभेद्य राष्ट्रों के लिये "पसंदीदा साझेदार" बनने के लिये संगठन की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया तथा यह सुनिश्चित किया कि धनराशि उनको प्राप्त हो जहाँ इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
    • जलवायु संबंधी परियोजनाओं को समर्थन देने तथा भविष्य में और अधिक धन जुटाने के लिये, GCF द्वारा वर्ष 2025 तक सोमालिया में 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। इस देश ने हाल ही में भयावह बाढ़ तथा दशकों तक सूखे का सामना किया है।

जलवायु वित्त के संबंध में सरकारी पहल

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न 'हरित जलवायु निधि (ग्रीन क्लाइमेट फण्ड) के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)

  1.  यह विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन का सामना करने हेतु अनुकूलन और न्यूनीकरण पद्धतियों में सहायता देने के आशय से बनी है।
  2. इसे UNEP, OECD, एशिया विकास बैंक और विश्व बैंक के तत्वाधान में स्थापित किया गया है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: a


NCERT के पाठ्यक्रम में ‘वीर अब्दुल हमीद’ पर अध्याय

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'वीर अब्दुल हमीद' शीर्षक से एक अध्याय और 'राष्ट्रीय युद्ध स्मारक' शीर्षक से एक कविता को कक्षा VI के NCERT पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

NCERT पाठ्यपुस्तक में हुए परिवर्तनों से जुड़े प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • 'वीर अब्दुल हमीद' पर अध्याय: यह कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार (CQMH) अब्दुल हमीद को सम्मानित करता है। वह वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के एक युद्ध नायक हैं जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
    • उनकी बहादुरी और सर्वोच्च बलिदान की कहानी का उद्देश्य छात्रों को देशभक्ति और कर्तव्य के प्रति समर्पण के वास्तविक जीवन के उदाहरणों से प्रेरित करना है।
  • 'राष्ट्रीय युद्ध स्मारक' पर कविता: इसका उद्देश्य राष्ट्र के लिये अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देना तथा उनकी बहादुरी के प्रति राष्ट्रीय गौरव एवं स्मरण की भावना को प्रोत्साहित करना है।
  • NEP 2020 और NCF 2023 के अनुरूप: ये परिवर्तन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) 2023 के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। 
    • NEP 2020 और NCF 2023 समग्र शिक्षा पर ज़ोर देते हैं जो नैतिक मूल्यों, देशभक्ति तथा ज़िम्मेदार नागरिकों के विकास को प्रोत्साहित करती है।

वीर अब्दुल हमीद के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • अब्दुल हमीद के बारे में: उन्होंने भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर्स बटालियन के साथ सेवा की और वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान असल उत्तर की लड़ाई में भारत के रक्षा बल का हिस्सा थे।
  • असल उत्तर की लड़ाई: असल उत्तर की लड़ाई सितंबर 1965 की शुरुआत में पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास, खेमकरण शहर के पास हुई थी।
    • पाकिस्तान का लक्ष्य भारत पर आक्रमण करना, खेमकरण पर कब्जा करना तथा अमृतसर जैसे रणनीतिक क्षेत्रों को अलग-थलग करने के लिये व्यास नदी पुल की ओर बढ़ना था।
    • बड़ी संख्या में बेहतर पैटन टैंकों का उपयोग करते हुए पाकिस्तान के आक्रमण ने भारतीय सेना को आश्चर्यचकित कर दिया, जिससे शुरू में उन्हें पीछे हटने पर मज़बूर होना पड़ा। 
      • यह वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के सबसे बड़े टैंक युद्धों में से एक थी।
  • अब्दुल हमीद की भूमिका: अब्दुल हमीद अमृतसर-खेम करण रोड पर चीमा गाँव के पास तैनात थे , जहाँ वह दुश्मन के टैंकों को निशाना बनाने के लिये रिकोइललेस गन (Recoilless Guns) की एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। 
    • 10 सितंबर, 1965 को उन्होंने चार पाकिस्तानी पैटन टैंक देखे, जिनमें से तीन को नष्ट कर दिया और एक को क्षतिग्रस्त कर दिया। बाद में दूसरे टैंक से हुई गोलीबारी में उनकी मृत्यु हो गई।
  • सम्मान: उनकी मृत्यु का स्थान अब युद्ध स्मारक का हिस्सा है। 
    • एक पाकिस्तानी पैटन टैंक जिस पर युद्ध के दौरान कब्ज़ा कर लिया गया था भवन के प्रवेश द्वार पर स्थित है, जो युद्ध में लड़ने और शहीद होने वाले भारतीय सैनिकों के प्रति श्रद्धांजलि है।


अमोनियम नाइट्रेट के आयात संबंधी चिंताएँ

स्रोत: द हिंदू

रूस से अमोनियम नाइट्रेट (AN) के आयात में तीव्र वृद्धि से भारत के घरेलू उर्वरक उद्योग के समक्ष चिंताएँ बढ़ गई हैं और इसे सस्ते आयातों से प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ रहा है। 

  • भारतीय उर्वरक कंपनियाँ AN संबंधी क्षमता को बढ़ाने के लिये 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर रही हैं जो कोयला, लौह अयस्क और चूना पत्थर के खनन के लिये महत्त्वपूर्ण है। 
  • अमोनियम नाइट्रेट (AN):
    • अमोनियम नाइट्रेट (NH₄NO₃) अमोनियम आयन का नाइट्रेट साल्ट है जिसमें अमोनिया और नाइट्रिक एसिड होता है। यह एक सफ़ेद क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है जो जल में अत्यधिक घुलनशील है।
  • उपयोग:
    • उर्वरक: उच्च नाइट्रोजन सामग्री के कारण इसका कृषि में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
    • विस्फोटक: ईंधन तेल के साथ मिलाकर अमोनियम नाइट्रेट ईंधन तेल (ANFO) बनाया जाता है जिसका उपयोग आमतौर पर खनन में किया जाता है।
    • कोल्ड पैक: ये तत्काल कोल्ड पैक के रूप में पाए जाते हैं और चोट के उपचार के लिये उपयोगी होते हैं।
    • माचिस: AN का प्रयोग सेफ्टी माचिस में किया जाता है।
  • भारत का उर्वरक उद्योग:
    • भारत, चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा यूरिया उपभोक्ता और नाइट्रोजन उर्वरकों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
    • उर्वरक उद्योग भारत के 8 प्रमुख उद्योगों में से एक है।
    • सब्सिडी के मामले में यह खाद्यान्न के बाद दूसरे स्थान पर है।
    • भारत अपनी पोटाश की 100% आवश्यकता बेलारूस, रूस, इज़रायल और जॉर्डन जैसे देशों से आयात के माध्यम से पूरी करता है

और पढ़ें: भारत में उर्वरक की खपत


पर्यावरण पर आगामी वैश्विक शिखर सम्मेलन

स्रोत: द हिंदू

वर्ष 2024 में,संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी के सबसे बड़े खतरों पर चर्चा करने के लिये चार महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित करने जा रहा है।

  • ग्रह के लिये प्रमुख खतरों में ग्लोबल वार्मिंग,लुप्त होती वनस्पति और पशु प्रजातियाँ, उपजाऊ भूमि का रेगिस्तान में बदलना तथा महासागरों,वायु और भूमि में प्लास्टिक प्रदूषण शामिल हैं।
  • आगामी चार प्रमुख सत्र:
    • जैवविविधता पर सम्मेलन (CBD COP16): CBD COP16 कैली, कोलंबिया में आयोजित किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य यह आकलन करना है कि देश वर्ष 2030 तक ग्रह के 30% भूमि और समुद्री क्षेत्रों की रक्षा करने के लिये वर्ष 2022 के मॉन्ट्रियल प्रतिबद्धता की दिशा में कैसे आगे बढ़ रहे हैं।
    • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC COP 29): UNFCCC COP 29 बाकू,अज़रबैजान में आयोजित किया जाएगा। इसका उद्देश्य जलवायु वित्त पर समझौतों को अंतिम रूप देने के साथ-साथ वित्तीय सहायता की गुणवत्ता एवं व्यापकतार में सुधार करना है। 
    • मरुस्थलीकरण से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD COP16): UNCCD COP16 रियाद,सऊदी अरब में आयोजित किया जाएगा। चर्चा का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 1.5 बिलियन हेक्टेयर भूमि को बहाल करना और विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले चल रहे सूखे का प्रबंधन करना होगा।
    • प्लास्टिक प्रदूषण संधि वार्ता: यह दक्षिण कोरिया में आयोजित की जाएगी। वार्ता का अंतिम सत्र प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिये एक वैश्विक संधि के निर्माण पर केंद्रित होगा। इस संधि का उद्देश्य सभी वातावरणों - महासागरों,नदियों, झीलों और स्थलीय क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरे की समस्या से निपटना है। 

और पढ़ें: UNFCCC


बायो-राइड योजना

स्रोत: पीआईबी

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान नवाचार और उद्यमिता विकास (Bio-RIDE) योजना को मंजूरी दी है। 

  • बायो-राइड:
    • इसका उद्देश्य जैव प्रौद्योगिकी में अनुसंधान, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है तथा भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाना है।
    • यह वर्ष 2030 तक भारत को 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जैव अर्थव्यवस्था बनाने और विकसित भारत 2047 के विजन को प्राप्त करने पर केंद्रित है।
    • इस योजना के कार्यान्वयन के लिये 15वें वित्त आयोग की अवधि (वर्ष 2021-22 से 2025-26 ) हेतु 9,197 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया है।
  • आवश्यक तत्त्व:
    • जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास: अनुदान और प्रोत्साहन के माध्यम से सिंथेटिक जीव विज्ञान, जैव फार्मास्यूटिकल्स, जैव ऊर्जा आदि में नवाचार का समर्थन करता है।
    • औद्योगिक एवं उद्यमिता विकास: वित्तपोषण, इनक्यूबेशन और मार्गदर्शन के साथ स्टार्टअप्स को पोषित करता है।
    • जैव विनिर्माण और जैव फाउंड्री: जैव विनिर्माण में संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
      • यह जलवायु परिवर्तन से निपटने, स्वास्थ्य सेवा में सुधार, कृषि को बढ़ावा देने और जैव-आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये पर्यावरण अनुकूल समाधान विकसित करने हेतु 'लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट (LiFE)' पहल के अनुरूप एक सर्कुलर बायो-इकॉनमी का समर्थन करता है।

और पढ़ें: भारत की जैव प्रौद्योगिकी क्रांति ,राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन


न्यूरालिंक का ब्लाइंडसाइट इम्प्लांट

स्रोत: TOI

हाल ही में, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा एलन मस्क की न्यूरालिंक ब्लाइंडसाइट को "अभूतपूर्व उपकरण" का दर्जा दिया। 

  • इसका उद्देश्य गंभीर स्थितियों से निपटने वाले नवीन चिकित्सा उपकरणों के विकास और समीक्षा में तेज़ी लाना है।
  • ब्लाइंडसाइट,एक प्रायोगिक दृष्टि-पुनर्स्थापना प्रत्यारोपण है। यह उन व्यक्तियों की दृष्टि पुनर्प्राप्ति में सहायता प्रदान कर सकता है जिन्होंने दोनों आँखें और ऑप्टिक तंत्रिका खो दी है।
    • यह जन्म से अंधे लोगों के लिये भी दृष्टि की संभावना प्रदान करता है,बशर्ते कि उनकी दृष्टि के लिये कोर्टेक्स अभी भी मौजूद हो।
  • शुरुआत में,दृश्य अनुभव कम रिज़ॉल्यूशन वाला होगा,जो शुरुआती वीडियो गेम ग्राफिक्स के समान होगा। हालाँकि,भविष्य की प्रगति के साथ ब्लाइंडसाइट प्राकृतिक दृष्टि से आगे निकल सकता है।
    • दृष्टि बहाल करने के अलावा, यह उपकरण उपयोगकर्त्ताओं को दृश्यमान स्पेक्ट्रम से उच्च तरंगदैर्घ्य, जैसे कि अवरक्त, पराबैंगनी या रडार को देखने में सक्षम कर सकता है, जिससे उन्हें अलौकिक जैसी दृष्टि क्षमताएँ प्राप्त होंगी।
  • ब्लाइंडसाइट के अतिरिक्त,कंपनी एक ऐसे उपकरण पर भी कार्य कर रही है जो लकवाग्रस्त व्यक्तियों को केवल अपने विचारों का उपयोग करके डिजिटल उपकरणों को नियंत्रित करने में मदद करेगा।
  • एलन मस्क ने वर्ष 2016 में न्यूरालिंक की स्थापना की थी, जिसका लक्ष्य ऐसे ब्रेन चिप इंटरफेस बनाना था जो दृष्टिबाधित लोगों को उनकी दृष्टि वापस पाने, अधिक आसानी से चलने-फिरने और अधिक प्रभावी ढंग से संवाद करने में सहायता कर सके।

और पढ़ें: पहला मानव न्यूरालिंक प्रत्यारोपण