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राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन

  • 16 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद,  मिशन का प्रमुख केंद्रबिंदु

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोकसभा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science & Technology) द्वारा राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (National Biopharma Mission-NBM) से संबंधित सूचना जारी की गई। 

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन

(National Biopharma Mission-NBM)

  • NBM देश के बायोफार्मास्यूटिकल क्षेत्र के विकास हेतु एक उद्योग-अकादमिक सहयोग मिशन (Industry-Academia Collaborative Mission) है।
  • इस मिशन के तहत सरकार ने बायोफार्मास्यूटिकल क्षेत्र में उद्यमिता और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु एक सक्षम तंत्र बनाने के लिये नवाचार-3 (i3) कार्यक्रम प्रारंभ किया है।
  • इस मिशन का कार्यान्वयन जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (Biotechnology Industry Research Assistance Council-BIRAC) द्वारा किया जाता है।
  • BIRAC एक ‘प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट (Program Management Unit-PMU)’ के माध्यम से इस मिशन का संचालन करती है।
  • मिशन की गतिविधियों का निरीक्षण जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology-DBT) के सचिव की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालय संचालन समिति द्वारा किया जाता है।
  • तकनीकी सलाहकार समूह (Technical Advisory Group-TAG) वैज्ञानिक प्रगति की स्वीकृति के साथ ही उसकी समीक्षा करता है।
  • मिशन का प्रमुख केंद्रबिंदु:
    • किफायती उत्पादों का विकास:
      • सार्वजनिक और निजी संस्थानों, शोधकर्त्ताओं, स्टार्टअप कंपनियों तथा उद्यमियों की मदद से भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य ज़रूरतों की पूर्ति करने हेतु सस्ते एवं सुलभ बायोफार्मास्यूटिकल (टीका, बायोसिमिलर्स-Biosimilars और चिकित्सा संबंधी उपकरण) का विकास करना।
      • हैजा, इन्फ्लूएंज़ा, डेंगू, चिकनगुनिया और न्यूमोकोकल बीमारी हेतु टीके का विकास करना।
      • मधुमेह, सोरायसिस, आपातकालीन स्थिति और ऑन्कोलॉजी हेतु बायोसिमिलर्स उत्पाद का विकास करना।
      • डायलिसिस, एमआरआई और आणविक जीवविज्ञान उपकरणों के लिये मेडटेक उपकरण (MedTech Devices)  का विकास करना।
    • साझा बुनियादी ढाँचे की स्थापना और उसे मज़बूती प्रदान करना:
      • मौजूदा साझा बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना।
      • तकनीकी विकास हेतु सहभागिता को बढ़ावा देना।
      • साझा बुनियादी ढाँचे का अभ्युत्थान एवं उसे उत्पाद की खोज एवं विनिर्माण के केंद्र के रूप में स्थापित करना।
      • 15 साझा बुनियादी ढाँचों का वित्तपोषण किया गया है, जो इस प्रकार हैं-
        • बायोफार्मास्यूटिकल विकास- 7
        • मेडटेक उपकरण- 6
        • टीकाकरण- 2
    • ज्ञान और प्रबंधन कौशल को मज़बूत करना:
      • इस मिशन का उद्देश्य मौजूदा एवं अगली पीढ़ी में अनुशासनात्मक कौशल का विकास करना है।
      • उत्पाद विकास, बौद्धिक संपदा पंजीकरण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और नियामक मानकों जैसे क्षेत्रों में उत्पाद के विकास हेतु नई जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों को महत्त्वपूर्ण कौशल के लिये विशिष्ट प्रशिक्षण प्रदान करना भी इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य है।
    • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का विकास करना:
      • टेक्नोलॉजी हस्तांतरण कार्यालयों की स्थापना करना।
      • टेक्नोलॉजी हस्तांतरण और बौद्धिक संपदा के प्रबंधन हेतु प्रशिक्षण देना।
      • टेक्नोलॉजी के अधिग्रहण हेतु सहायता प्रदान करना।
      • शैक्षणिक क्षेत्र संबंधी उद्योगों को बढ़ाने में मदद करना एवं टेक्नोलॉजी के माध्यम से उत्पादों के विकास हेतु शिक्षाविदों, नवप्रवर्तकों और उद्यमियों को अवसर प्रदान करना।

जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद

(Biotechnology Industry Research Assistance Council-BIRAC)

  • BIRAC एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जिसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology-DBT) द्वारा स्थापित किया गया है।
  • इसका उद्देश्य रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार से उभरते बायोटेक उद्यम को मजबूत और सशक्त बनाना है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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