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भारतीय अर्थव्यवस्था

कोर सेक्टर उद्योग

  • 01 Apr 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कोर सेक्टर, कोयला, प्राकृतिक गैस, आठ कोर उद्योग सूचकांक (ICI) , भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), औद्योगिक उत्पादन सूचकांक

मेन्स के लिये:

वृद्धि और विकास, कोर सेक्टर की वृद्धि और इसका व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

स्रोत: हिंदू

चर्चा में क्यों? 

फरवरी 2024 में भारत के कोर सेक्टर आउटपुट में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई और विकास दर तीन महीने के उच्चतम स्तर 6.7% पर पहुँच गई। यह वृद्धि मुख्य रूप से कोयला, प्राकृतिक गैस और सीमेंट उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि से प्रेरित थी।

कोर सेक्टर क्या है?

  • परिचय:
    • भारत के मुख्य क्षेत्र में आठ कोर सेक्टर शामिल हैं: कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली।
      • कोर सेक्टर की विकास दर भारतीय अर्थव्यवस्था के समग्र स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है। मुख्य क्षेत्र में मज़बूत विकास दर अक्सर सकारात्मक आर्थिक दृष्टिकोण का संकेत देती है।
    • ICI राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, एनएसओ द्वारा आईआईपी जारी करने से पहले 'कोर' प्रकृति के उद्योगों के उत्पादन प्रदर्शन पर अग्रिम संकेत प्रदान करता है। 
    • आठ प्रमुख उद्योगों से सामान्य आर्थिक गतिविधियों और औद्योगिक गतिविधियों के प्रभावित होने की संभावना है। 
  • महत्त्व:
    • कोर सेक्टर के प्रदर्शन को देश के समग्र औद्योगिक और आर्थिक प्रदर्शन का एक प्रमुख संकेतक माना जाता है, जो अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को मापने तथा भविष्य के आर्थिक रुझानों के पूर्वानुमान हेतु बैरोमीटर के रूप में कार्य करता है। उदाहरणतः स्टील निर्माण, ऑटोमोबाइल एवं मशीनरी के लिये एक महत्त्वपूर्ण सामग्री है। बिजली कारखानों, घरों व व्यवसायों को बिजली देने के लिये आवश्यक है।
      • कोर सेक्टर के उद्योगों का अन्य क्षेत्रों के साथ महत्त्वपूर्ण अंतर्संबंध होता है। यह परस्पर निर्भरता एक गुणक प्रभाव पैदा करती है, जहाँ मुख्य क्षेत्र की वृद्धि या संकुचन में परिवर्तन पूरी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
      • किसी देश के बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये सेक्टर उद्योग आवश्यक हैं। सड़कों, पुलों और बिजली संयंत्रों के निर्माण हेतु स्टील, सीमेंट तथा बिजली का उत्पादन आवश्यक है।

कोर सेक्टर ग्रोथ क्या है?

  • कोर सेक्टर ग्रोथ से तात्पर्य किसी निश्चित अवधि में किसी अर्थव्यवस्था के प्रमुख उद्योगों से होने वाली वृद्धि दर अथवा आउटपुट/उत्पादन में वृद्धि से है जिसे प्रायः वार्षिक अथवा मासिक आधार पर मापा जाता है।
  • कोर उद्योग के समग्र सूचकांक (ICI) में उक्त संबंधित भार का उपयोग करके, इन व्यक्तिगत उद्योगों की विकास दर को मिलाकर कोर सेक्टर की वृद्धि की गणना की जाती है।
  • कोर सेक्टर की वृद्धि की गणना करने के लिये कोर इंडस्ट्रीज़ के समग्र सूचकांक (ICI) में प्रत्येक के विकास को ध्यान में रखते हुए इन अलग-अलग उद्योगों की विकास दर को संयोजित किया जाता है।
  • आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक (ICI):
    • आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक (Index of Eight Core Industries- ICI) प्रत्येक माह तैयार किया जाता है और आर्थिक सलाहकार (OEA), उद्योग संवर्धन तथा आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) एवं वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है।
    • ICI में विभिन्न घटक शामिल हैं जो सामूहिक रूप से भारत के औद्योगिक क्षेत्र के प्रदर्शन को दर्शाते हैं। इसमें निम्नलिखित घटक शामिल हैं:
      • कोयला: कोकिंग कोल के अतिरिक्त कोयला उत्पादन।
      • विद्युत: थर्मल, परमाणु, जल स्रोतों से विद्युत उत्पादन और भूटान से किया गया आयात।
      • कच्चा तेल: कच्चे तेल का कुल उत्पादन।
      • सीमेंट: बड़े संयंत्रों और लघु संयंत्रों दोनों में सीमेंट का कुल उत्पादन।
      • प्राकृतिक गैस: प्राकृतिक गैस का कुल उत्पादन।
      • इस्पात: केवल मिश्र धातु और गैर-मिश्र धातु इस्पात का उत्पादन।
      • रिफाइनरी उत्पाद: कुल रिफाइनरी उत्पादन।
      • उर्वरक: यूरिया, अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, जटिल ग्रेड उर्वरक, एकल सुपरफॉस्फेट, आदि का उत्पादन।
    • आठ प्रमुख उद्योगों का वर्तमान योगदान इस प्रकार है: पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद (28.04%), विद्युत (19.85%), इस्पात (17.92%), कोयला (10.33%), कच्चा तेल (8.98%), प्राकृतिक गैस (6.88%), सीमेंट (5.37%), उर्वरक (2.63%)।
    • किसी संदर्भ माह के लिये ICI एक महीने के समय अंतराल के साथ अगले महीने के आखिरी दिन जारी किया जाता है, जो संदर्भ माह के लिये औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) जारी होने से लगभग बारह दिन पूर्व होता है।
    • ICI के आधार वर्ष का चुनाव IIP के लिये आधार वर्ष की पसंद के अनुसार होता है।
      • ICI की वर्तमान शृंखला में आधार वर्ष 2011-12 है।
    • ICI का व्यापक रूप से नीति निर्माताओं द्वारा उपयोग किया जाता है, जिसमें वित्त मंत्रालय, अन्य मंत्रालय और विभाग, बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का वित्तपोषण करने वाले बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) तथा रेलवे बोर्ड शामिल हैं।

नोट:

  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) एक निश्चित अवधि में अर्थव्यवस्था के विभिन्न उद्योग समूहों में विकास दर को मापने के लिये एक प्रमुख संकेतक है।
    • यह एक समग्र सूचकांक है जो चयनित आधार अवधि की तुलना में औद्योगिक उत्पादों के उत्पादन की मात्रा में अल्पकालिक परिवर्तन दिखाता है।
    • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में शामिल वस्तुओं का भार 40 प्रतिशत से अधिक आठ कोर उद्योगों से आता है।
  • संदर्भ माह समाप्त होने के छह सप्ताह बाद केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) द्वारा मासिक रूप से सूचकांक संकलित और प्रकाशित किया जाता है। यह सरकार के लिये नीति नियोजन और विश्लेषण हेतु महत्त्वपूर्ण है।
    • IIP का स्तर वर्तमान आधार वर्ष 2011-12 के साथ एक संदर्भ अवधि की तुलना में औद्योगिक उत्पादन की स्थिति को दर्शाने वाली एक अमूर्त संख्या है।

कोर सेक्टर में हालिया रुझान क्या हैं?

  • फरवरी 2024 में भारत के आठ प्रमुख क्षेत्रों की उत्पादन वृद्धि में 6.7% की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
    • यह वृद्धि मुख्य रूप से कोयला, प्राकृतिक गैस एवं सीमेंट उत्पादन में दोहरे अंक की वृद्धि के कारण हुई।
  • समग्र वृद्धि के बावजूद, फरवरी 2024 में उर्वरकों के उत्पादन में 9.5% की गिरावट आई, जो मई 2021 के बाद से सर्वाधिक तीव्र गिरावट है।
  • वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिये मुख्य क्षेत्र में संचयी वृद्धि 7.7% पर मज़बूती के साथ रही है, जो वर्ष 2022-2023 में दर्ज 6.8% की वृद्धि दर को पार कर गई है। यह औद्योगिक गतिविधि में समग्र लचीलेपन एवं सकारात्मक गति को दर्शाता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'आठ मूल उद्योगों के सूचकांक (इंडेक्स ऑफ एट कोर इंडस्ट्रीज़)' में निम्नलिखित में से किसको सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है? (2015)

(a) कोयला उत्पादन
(b) विद्युत् उत्पादन
(c) उर्वरक उत्पादन
(d) इस्पात उत्पादन

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. "सुधार के बाद की अवधि में औद्योगिक विकास दर सकल-घरेलू-उत्पाद (जीडीपी) की समग्र वृद्धि से पीछे रह गई है" कारण बताइये। औद्योगिक नीति में हालिया बदलाव औद्योगिक विकास दर को बढ़ाने में कहाँ तक ​​सक्षम हैं? (2017)

प्रश्न. आम तौर पर देश कृषि से उद्योग और फिर बाद में सेवाओं की ओर स्थानांतरित हो जाते हैं, लेकिन भारत सीधे कृषि से सेवाओं की ओर स्थानांतरित हो गया। देश में उद्योग की तुलना में सेवाओं की भारी वृद्धि के क्या कारण हैं? क्या मज़बूत औद्योगिक आधार के बिना भारत एक विकसित देश बन सकता है? (2014)

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