गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
भारत ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास-तमोर पिंगला (GGTP) टाइगर रिज़र्व को देश के 56वें टाइगर रिज़र्व के रूप में अधिसूचित किया है। यह देश के बाघ संरक्षण प्रयासों की दिशा में प्रमुख कदम है।
नोट: छत्तीसगढ़ में पहले तीन टाइगर रिज़र्व थे: बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती, गरियाबंद का उदंती-सीतानदी एवं मुंगेली का अचानकमार।
गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- अवस्थिति और आकार: GGTP टाइगर रिज़र्व छोटा नागपुर पठार के साथ आंशिक रूप से बघेलखंड पठार में स्थित है।
- GGTP टाइगर रिज़र्व का कोर क्षेत्र 2,049.2 वर्ग किमी (जिसमें गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान तथा तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं) है और इसके तहत 780.15 वर्ग किमी का बफर जोन शामिल है।
- यह नागार्जुनसागर-श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश) और मानस (असम) के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व है।
- जैवविविधता: भारतीय प्राणी सर्वेक्षण द्वारा 365 अकशेरुकी और 388 कशेरुकी सहित कुल 753 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया है, जो रिज़र्व की समृद्ध जैवविविधता को दर्शाता है।
- लैंडस्केप दृष्टिकोण: GGTP टाइगर रिज़र्व लैंडस्केप दृष्टिकोण को अपनाता है, जैवविविधता संरक्षण के लिये परस्पर जुड़े आवासों पर ज़ोर देता है। यह संजय दुबरी (मध्य प्रदेश), बांधवगढ़ (मध्य प्रदेश) और पलामू (झारखंड) जैसे पड़ोसी बाघ रिज़र्वों के साथ पारिस्थितिक संपर्क सुनिश्चित करता है।
- यह भारत की राष्ट्रीय वन्यजीव योजना (2017-2031) के अनुरूप है, जो आवास संरक्षण और सतत संरक्षण को बढ़ावा देती है।
टाइगर रिज़र्वों की अधिसूचना
- भारत में टाइगर रिज़र्वों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत राज्य सरकारों द्वारा अधिसूचित किया जाता है, जिसे बाद में वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 द्वारा संशोधित किया गया था। यह प्रक्रिया राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की सलाह पर की जाती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित आरक्षित क्षेत्रों पर विचार कीजिये: (2012) 1- बांदीपुर उपर्युक्त में से कौन-से बाघ आरक्षित क्षेत्र घोषित हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न. पारिस्थितिक दृष्टिकोण से पूर्वी घाटों और पश्चिमी घाटों के बीच एक अच्छा संपर्क होने के रूप में निम्नलिखित में से किसका महत्त्व अधिक है? (2017) (a) सत्यमंगलम बाघ आरक्षित क्षेत्र (सत्यमंगलम टाइगर रिज़र्व) उत्तर: (a) |
भारत ने महत्त्वपूर्ण खनिज सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
खान मंत्रालय ने हाल ही में महत्त्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में सहयोग को मज़बूत करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये।
समझौता ज्ञापन का महत्त्व क्या है?
- भारत की महत्त्वपूर्ण खनिज रणनीतियों को बढ़ावा देना: समझौता ज्ञापन भारत को महत्त्वपूर्ण खनिज क्षेत्र से संबंधित विश्वसनीय डेटा, विश्लेषण और नीति सिफारिशों तक पहुँच प्रदान करेगा।
- वैश्विक मानकों के अनुरूप: भारत महत्त्वपूर्ण खनिजों से संबंधित अपनी नीतियों, विनियमों और निवेश रणनीतियों को सुव्यवस्थित करेगा, तथा उन्हें वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप बनाएगा।
- क्षमता निर्माण और ज्ञान का आदान-प्रदान: यह सहयोग भारत और IEA सदस्य देशों के बीच तकनीकी विशेषज्ञता, प्रशिक्षण और संयुक्त अनुसंधान के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे भारत को खनिज निष्कर्षण , प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण तकनीकों में अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
महत्त्वपूर्ण खनिज क्या हैं और उनका महत्त्व क्या है?
- परिभाषा और भूमिका: महत्त्वपूर्ण खनिज आवश्यक कच्चे माल हैं जो ऊर्जा प्रौद्योगिकियों (जैसे बैटरी, सौर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहन), उन्नत विनिर्माण और राष्ट्रीय सुरक्षा के उत्पादन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- इनमें लिथियम, कोबाल्ट, दुर्लभ पृथ्वी तत्त्व और निकल जैसे खनिज शामिल हैं।
- भारत के लिये सामरिक महत्त्व: भारत का नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण तथा विद्युत गतिशीलता और हरित प्रौद्योगिकियों के प्रति उसका प्रोत्साहन, इन महत्त्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता पर बहुत अधिक निर्भर करता है।
- ऐसे खनिजों के पर्याप्त घरेलू भंडार की कमी के कारण भारत को प्रायः भू-राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों से आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
- महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहचान: भारत ने उनकी विघटन क्षमता, प्रतिस्थापना, क्रॉस-कटिंग उपयोग, आयात निर्भरता और पुनर्चक्रण दरों के आधार पर 30 महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहचान की है।
- सूची: पहचाने गए खनिजों में एंटीमनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट, ताँबा, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हैफनियम, इंडियम, लिथियम, मोलिब्डेनम, नियोबियम, निकल, PGE, फॉस्फोरस, पोटाश, REE, रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंटियम, टैंटालम, टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, ज़िरकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम शामिल हैं।
- महत्त्वपूर्ण खनिजों वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश: इन खनिजों वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बिहार, गुजरात, झारखंड, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और जम्मू और कश्मीर हैं।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA)
- अवलोकन: IEA एक स्वायत्त एजेंसी है जो आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के ढाँचे के तहत कार्य करती है।
- इसकी स्थापना ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये की गई थी।
- IEA का फोकस क्षेत्र: IEA ऊर्जा नीति, डेटा संग्रहण, ऊर्जा बाज़ार विश्लेषण और ऊर्जा सुरक्षा एवं स्थिरता में सुधार के लिये सिफारिशों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- यह ऊर्जा संकट के प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने को बढ़ावा देने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- सदस्य:
- IEA संगठन 31 सदस्य देशों (भारत सहित) 13 सहयोगी देशों और 5 परिग्रहण देशों से बना है।
- IEA के लिये एक उम्मीदवार देश को OECD का सदस्य देश होना चाहिये।
- प्रमुख रिपोर्ट:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित खनिजों पर विचार कीजिये- (2020)
भारत में, उपर्युक्त में से कौन-सा/से आधिकारिक रूप से नामित प्रमुख खनिज (Major Minerals) है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: d प्रश्न. हाल में तत्त्वों के एक वर्ग, जिसे 'दुर्लभ मृदा धातु' कहते हैं, की कम आपूर्ति पर चिन्ता जताई गई। क्यों?(2012)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a). केवल 1 उत्तर: c |
SpaceX द्वारा भारत का उपग्रह प्रक्षेपण
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारत के GSAT-N2 (GSAT-20) संचार उपग्रह को SpaceX के फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा केप कैनावेरल, फ्लोरिडा, अमेरिका से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
- फाल्कन-9 ने GSAT-N2 को भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (Geosynchronous Transfer Orbit- GTO) में प्रक्षेपित किया, जो लगभग 37,000 किमी. की ऊँचाई वाली एक अण्डाकार कक्षा है, जो भू-समकालिक या भूस्थिर कक्षा (Geosynchronous or Geostationary Orbit- GSO) तक पहुँचने की दिशा में पहला कदम है।
- अंतरिक्ष यान भूमध्य रेखा के समानांतर घूमकर तथा GSO तक पहुँचने के लिये अपने रॉकेट इंजन को चलाकर GTO कक्षा का वृत्ताकारीकरण करता है।
- Apoapsis किसी कक्षा में वह बिंदु है जब कोई वस्तु उस पिंड से सबसे अधिक दूर होती है जिसकी वह परिक्रमा कर रही है।
- अंतरिक्ष यान भूमध्य रेखा के समानांतर घूमकर तथा GSO तक पहुँचने के लिये अपने रॉकेट इंजन को चलाकर GTO कक्षा का वृत्ताकारीकरण करता है।
- यह एलन मस्क की SpaceX के साथ भारत का पहला सहयोग है।
- यह उपग्रह न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NewSpace India Limited- NSIL) का है, जो इसरो की वाणिज्यिक शाखा है।
- NSIL को उपयोगकर्त्ता की सेवा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये "मांग-संचालित मोड" में उपग्रहों का निर्माण, प्रक्षेपण, स्वामित्व और संचालन करने का अधिकार दिया गया है ।
- GSAT-N2, NSIL का दूसरा मांग-संचालित उपग्रह है। इसका पहला मांग-संचालित उपग्रह GSAT-24 था जिसे जून 2022 में प्रक्षेपित किया जाएगा।
अधिक पढ़ें: SSLV विकास परियोजना का समापन
एफैंटासिया
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
ग्लासगो विश्वविद्यालय द्वारा किये गए एक अध्ययन में एफैंटासिया पर शोध किया गया, जो एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने दिमाग में छवियों की कल्पना नहीं कर सकता।
- एफैंटासिया, पहली बार 1880 के दशक में फ्राँसिस गाल्टन द्वारा उल्लेख किया गया था; "एफैंटासिया" शब्द वर्ष 2015 में न्यूरोलॉजिस्ट एडम ज़ेमन द्वारा गढ़ा गया था।
- यह लगभग 2% आबादी को प्रभावित करता है, तथा इसके कारणों और प्रभावों को समझने के लिये निरंतर शोध की आवश्यकता है।
- स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर हाइपरफैंटासिया से पीड़ित व्यक्ति होते हैं, जिनकी कल्पना शक्ति असाधारण रूप से ज्वलंत होती है, तथा वे प्रायः मानसिक छवियों का अनुभव करते हैं, जैसे कि वे वास्तविक हों।
और पढ़ें: कॉग्निटिव टेस्ट
संयुक्त विमोचन 2024
स्रोत: पीआईबी
हाल ही में भारतीय सेना ने गुजरात के अहमदाबाद और पोरबंदर में 'संयुक्त विमोचन 2024' मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR) अभ्यास आयोजित किया।
- फोकस: यह 'गुजरात के तटीय क्षेत्र में चक्रवात' की थीम पर केंद्रित था।
- उद्देश्य: आपदा प्रतिक्रिया के लिये भारत की तत्परता को प्रदर्शित करना और मानवीय सहायता में बहुपक्षीय सहयोग को मज़बूत करना।
- भागीदारी: भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय तटरक्षक, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा मोचन बल और अन्य केंद्रीय एवं राज्य एजेंसियाँ।
- इसमें नौ मित्र देशों के 15 संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे ।
- स्वदेशी क्षमताएँ: इस अभ्यास में भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप अग्निरोधी कपड़ों जैसे स्वदेशी HADR उपकरणों का उपयोग किया गया।
और पढ़ें: HADR अभ्यास समन्वय-2022
उष्णकटिबंधीय वर्षावन ग्लोबल वार्मिंग से बच सकते हैं
स्रोत: द हिंदू
IIT खड़गपुर द्वारा हाल ही में किये गए एक अध्ययन से उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की ग्लोबल वार्मिंग के प्रति संभावित लचीलेपन का पता चला है।
- अध्ययन में गुजरात के वस्तान कोयला खदानों से प्राप्त जीवाश्म उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की जाँच की गई, जो 56 मिलियन वर्ष पुराने पैलियोसीन -इओसीन थर्मल मैक्सिमम (PETM) काल के हैं, जो अत्यधिक वैश्विक तापमान वृद्धि का युग था।
- वस्तान में कोयला परतें जीवाश्म उष्णकटिबंधीय वर्षावन हैं जिनमें PETM युग से समृद्ध पौधे, पराग , स्तनपायी और कीट अवशेष हैं, जब भारत उच्च CO2 स्तरों वाला एक उष्णकटिबंधीय द्वीप था।
- PETM, अंतिम पेलियोसीन और प्रारंभिक इओसीन युगों (लगभग 55 मिलियन वर्ष पूर्व) के दौरान लगभग 100,000 वर्षों तक चलने वाला अधिकतम तापमान का एक छोटा अंतराल है।
- PETM के दौरान वायुमंडलीय CO₂ की उच्च मात्रा के बावजूद, उष्णकटिबंधीय वर्षावन न केवल सुरक्षित रहे, बल्कि विविधतापूर्ण भी हुए, जो संभवतः "वर्षा-संरक्षित तापमान" के कारण कायम रहे।
- वर्षा-संरक्षित तापमान: तापमान वृद्धि के दौरान वर्षा में वृद्धि से संभवतः तापमान में कमी आई, जिससे वर्षावनों को संरक्षण मिला।
- वर्षावन: वर्षावन ऊँचे, अधिकतर सदाबहार वृक्षों (जैसे अमेज़न और पश्चिमी घाट ) से घनी आबादी वाला क्षेत्र है, तथा जहाँ पर्याप्त वर्षा होती है।
- वे मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय (कर्क और मकर) के बीच स्थित हैं। ये वर्षावन मध्य और दक्षिण अमेरिका, पश्चिमी और मध्य अफ्रीका, पश्चिमी भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, न्यू गिनी द्वीप और ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं।