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जैव विविधता और पर्यावरण

अमेज़न वन की आग

  • 01 Jun 2024
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

वनाग्नि, अल नीनो जलवायु, अमेज़न वर्षावन, सूखा, जलवायु परिवर्तन

मेन्स के लिये:

अमेज़न वन आग की स्थिति, अमेज़न वन आग के कारण 

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में ब्राज़ील के अमेज़न वर्षावन ने वर्ष 2024 के पहले चार महीनों में रिकॉर्ड सबसे बड़ी वनाग्नि देखी गई।

  • अल नीनो जलवायु परिघटना और वैश्विक तापमान वृद्धि ने अमेज़न क्षेत्र में रिकॉर्ड सूखे को बढ़ावा दिया है, जिससे शुष्क परिस्थितियाँ आग के लिये ईंधन का स्रोत बन गई हैं।

अमेज़न वर्षावनों के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • ये वर्षावन लगभग आठ देशों में फैले हुए हैं, जो भारत के क्षेत्रफल से दोगुने क्षेत्रफल का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • ब्राज़ील के कुल क्षेत्रफल का लगभग 40% हिस्सा, उत्तर में गुयाना हाइलैंड्स, पश्चिम में एंडीज पर्वत, दक्षिण में ब्राज़ील का केंद्रीय पठार और पूर्व में अटलांटिक महासागर से घिरा है।
  • विशेषताएँ:
    • ये विशाल उष्णकटिबंधीय वर्षावन हैं जो उत्तरी दक्षिण अमेरिका में अमेज़न नदी और उसकी सहायक नदियों के जल निकासी बेसिन पर स्थित हैं तथा 6,000,000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं।
      • मौसमी या वर्ष भर 200 सेमी से अधिक वार्षिक वर्षा के साथ, ये अत्यधिक आर्द्र स्थान हैं।
      • तापमान समान रूप से उच्च, 20°C से 35°C के बीच रहता है।
      • ऐसे वन एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, मैक्सिको और कई प्रशांत द्वीपों में पाए जाते हैं।
  • महत्त्व:
    • इन वर्षावनों में 400 से अधिक विभिन्न मूलनिवासी समूह रहते हैं तथा लगभग 300 मूलनिवासी भाषाएँ बोली जाती हैं, जो इसकी सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को दर्शाती हैं।
    • पृथ्वी की सतह के केवल 1% हिस्से को कवर करने के बावज़ूद, अमेज़न वर्षावन पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी वन्यजीव प्रजातियों के 10% का घर है।
    • अमेज़न वर्षावन ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों को अवशोषित करता है।

अमेज़न वन में आग लगने के क्या कारण हैं?

  • वनों की कटाई और कर्तन एवं दहन  प्रणाली:
    • पशुपालक और किसान अक्सर पशु चराई या कृषि के लिये भूमि को साफ करने के लिये कर्तन एवं दहन की पद्धतियों का उपयोग करते हैं।
    • वे वृक्षों को काटने के बाद जानबूझकर आग लगाते हैं ताकि शेष वनस्पतियों को साफ किया  जा सके और भूमि तैयार की जा सके। शुष्क मौसम के दौरान, ये आग अक्सर अप्रत्याशित रूप से फैल सकती है।
  • अल-नीनो एवं सूखा:
    • शोध से पता चलता है कि अल-नीनो घटनाओं (प्रशांत महासागर के तापमान में वृद्धि की अवधि) और अमेज़न में आग की बढ़ती गतिविधि के बीच संबंध है।
    • अमेज़न में आग लगने का चरम मौसम अक्सर अल नीनो घटनाओं के अनुरूप है। उदाहरण के लिये, वर्ष 2019 और 2023 में भीषण आग की घटनाएँ अल नीनो से संबंधित सूखे के अनुरूप हैं।
  • जलवायु परिवर्तन और आकस्मिक प्रज्वलन:
    • जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है और मौसम के प्रतिरूप में बदलाव हो रहा है। शोध से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अमेज़न में शुष्क स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिससे आग लगने का संकट बढ़ सकता है।
    • फेंकी हुई सिगरेटों से दुर्घटनावश आग लगना, मशीनों से निकली चिंगारी या तड़ित आग लगने का कारण बन सकता है।
  • औद्योगिक खेती:
    • खाद्यान्न, विशेष रूप से माँस की बढ़ती वैश्विक मांग के कारण ब्राज़ील विश्व का सबसे बड़ा गोमाँस  निर्यातक तथा सोयाबीन का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से पशुओं के चारे के लिये किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप निर्यात की जरूरतों को पूर्ण करने हेतु और अधिक वनों की कटाई करनी पड़ती है।

भारत में वनाग्नि: 

  • हालिया स्थिति:
    • भारतीय वन सर्वेक्षण के आँकड़ों के अनुसार, 2024 में, मिज़ोरम (3,738), मणिपुर (1,702), असम (1,652), मेघालय (1,252) और महाराष्ट्र (1,215) में वनाग्नि लगने की सबसे अधिक घटनाएँ दर्ज़ की गई हैं।
    • मार्च 2024 की शुरुआत से, उपग्रह डेटा महाराष्ट्र, दक्षिण तटीय गुजरात, दक्षिणी राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में कोंकण बेल्ट में आग की कई घटनाएँ देखी गईं हैं।
    • इसके अलावा, मई 2024 में, शिमला (हिमाचल प्रदेश) के टूटी कंडी क्षेत्र के साथ-साथ उत्तराखंड में भी वनाग्नि भड़क उठी, जिससे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हिमालयी जीवों को जोखिम उत्पन्न हो गया।
  • कारण:
    • अधिकांश वनाग्नि का कारण मानवीय गतिविधियाँ हैं, जैसे सिगरेट जलाना, कैम्प फायर, मलबे को जलाना तथा अन्य ऐसी प्रक्रियाएँ।
    • दक्षिणी भारत में, विशेष रूप से ग्रीष्म ऋतु के शुरुआती चरण के दौरान, अत्यधिक गर्म और शुष्क मौसम की स्थिति ने वनों में आग फैलने के लिये अनुकूल वातावरण उत्पन्न कर दिया है।
    • चीड़ वनों की पत्तियों सहित वनों की सूखी वनस्पति विशेष रूप से आग लगने और फैलने के प्रति संवेदनशील होती है।

आगे की राह

  • वनाग्नि की रोकथाम से संबंधित कानूनों एवं विनियमों को लागू करने से, जैसे कि मलबे को जलाने पर प्रतिबंध तथा शुष्क अवधि के दौरान कैम्प फायर पर प्रतिबंध तथा आकस्मिक आग के जोखिम को कम करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
    • गैर-उत्तरदायीपूर्ण व्यवहार की रोकथाम करने हेतु अग्नि सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने की दशा में दंड के प्रावधान का सख्ती से कार्यान्वन किया जाना चाहिये।
  • अनुवीक्षण कैमरे, उपग्रह निगरानी और लुकआउट टावरों जैसे त्वरित जाँच प्रणालियों के कार्यान्वन से अग्नि का शुरुआती चरण में ही पता लगाने में सहायता मिल सकती है जिससे उसका शमन करना सरल हो जाता है।
    • अग्नि का शीघ्रता से पता लगाने से इसकी व्यापकता और प्रभाव को कम करते हुए त्वरित कार्रवाई करने में सहायता मिलती है।
  • सतत् वन प्रबंधन का लंबा इतिहास रखने वाले स्वदेशी समुदायों को अग्नि की रोकथाम में प्रमुख भूमिका निभाने के लिये शामिल किया जाना चाहिये।
    • उदाहरण के लिये: संयुक्त वन प्रबंधन (Joint Forest Management- JFM) कार्यक्रम में स्थानीय समुदायों को नियंत्रित जलावन और अग्नि रेखा निर्माण सहित स्थायी वन प्रबंधन प्रथाओं में शामिल किया जाता है।
  • अमेज़न में सूखे के जोखिम को कम करने के लिये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने हेतु वैश्विक स्तर पर प्रयास किये जाने चाहिये।
    • उदाहरण के लिये: अमेज़न फंड, अमेज़न में संरक्षण और सतत् विकास परियोजनाओं का समर्थन करने हेतु विकसित देशों से प्राप्त अनुदान का उपयोग करता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. अमेज़न वनाग्नि की स्थिति का उल्लेख करते हुए, अमेज़न वनाग्नि से संबंधित विभिन्न कारणों पर चर्चा कीजिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

मेन्स:

प्रश्न. असामान्य जलवायवी घटनाओं में से अधिकांश अल-नीनो प्रभाव के परिणाम के तौर में स्पष्ट की जाती है। क्या आप सहमत हैं? (2014)

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