प्रारंभिक परीक्षा
शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल 'Agni-1' का सफल प्रशिक्षण प्रक्षेपण
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल 'अग्नि-1 (Agni-1)' का प्रशिक्षण प्रक्षेपण सफलतापूर्वक किया गया। सामरिक बल कमान के तत्त्वावधान में किये गए प्रक्षेपण ने सभी परिचालन और तकनीकी मानकों को सफलतापूर्वक मान्य किया।
क्या है बैलिस्टिक मिसाइल 'Agni-1'?
- परिचय:
- Agni-1 एक शॉर्ट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) है जिसे भारत ने अपनी अग्नि शृंखला की मिसाइलों के हिस्से के रूप में विकसित किया है। यह अग्नि शृंखला की पहली मिसाइल है और इसे परमाणु पेलोड ले जाने में सक्षम रणनीतिक हथियार के रूप में डिज़ाइन किया गया है।
- Agni-1 मुख्य रूप से संभावित विरोधियों के खिलाफ रक्षा/प्रतिवारक के रूप में उपयोग के लिये है और इसे क्विक रिस्पॉन्स टाइम के लिये जाना जाता है।
- यह इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) के तहत अग्नि शृंखला की मिसाइलों का पहला संस्करण है।
- तकनीकी विशेषता:
- Agni-1 एकल चरण, ठोस ईंधन वाली मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 700 से लगभग 1200 किलोमीटर है और यह 1,000 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकती है, जो इसे शॉर्ट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल बनाती है। इसमें पारंपरिक एवं परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने की क्षमता है।
- ठोस-ईंधन प्रणोदन प्रणाली इसके परिचालन लचीलेपन को बढ़ाती है और प्रक्षेपण हेतु तैयारी के समय को कम करती है।
- विकास एवं परीक्षण:
- अग्नि-1 को भारत में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया था। मिसाइल ने अपने प्रदर्शन और विश्वसनीयता को प्रमाणित करने के लिये कई सफल परीक्षण किये हैं।
- अग्नि-1 का पहली बार परीक्षण वर्ष 1989 में चाँदीपुर के परीक्षण रेंज में किया गया था। भारतीय सेना ने अग्नि-1 को 2007 में सेवा में स्वीकार किया।
अग्नि श्रेणी की अन्य मिसाइलें कौन सी हैं?
अग्नि शृंखला भारत द्वारा विकसित बैलिस्टिक मिसाइलों का एक समूह है, जिसका प्रत्येक संस्करण विशिष्ट रेंज और उद्देश्यों के लिये डिज़ाइन किया गया है। अग्नि-1 के अलावा शृंखला में शामिल अन्य उल्लेखनीय मिसाइलें हैं:
- अन्य अग्नि मिसाइलों की रेंज:
- अग्नि II: रेंज 2000 किमी. से अधिक।
- अग्नि III: 2,500 किमी. से अधिक की रेंज।
- अग्नि IV: रेंज 3,500 किमी. से अधिक और सड़क-मोबाइल लॉन्चर से फायर करने में सक्षम।
- अग्नि-V: अग्नि शृंखला की सबसे लंबी, 5,000 किमी. से अधिक की मारक क्षमता वाली एक अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM)।
- अग्नि प्राइम: दो चरणों वाली कनस्तरीकृत मिसाइल (निर्माणाधीन) का जून 2023 में सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया है।
- यह मिसाइल 1,000-2,000 किमी. की दूरी पर अलग-अलग स्थानों पर आयुध ले जाने में सक्षम है।
- अंतरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र (InterContinental Ballistic Missile- ICBMs):
- यह एक लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है जो विशाल दूरी और विशेष रूप से अंतरमहाद्वीपीय दूरी तक यात्रा करने की क्षमता रखती है।
- वे देश के त्रीपक्षीय परमाणु क्षमता में अहम भूमिका निभाते हैं, जिसमें सतह आधारित मिसाइलें, सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) तथा सामरिक बमवर्षक शामिल हैं।
- ICBM की विशेषता उनकी असाधारण लंबी दूरी है, जो आमतौर पर 5,500 किलोमीटर (लगभग 3,400 मील) से अधिक होती है तथा अमूमन 10,000 किलोमीटर (6,200 मील से अधिक) से अधिक की दूरी तक पहुँचती है।
- ICBM एक बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करते हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें अपने लक्ष्य पर आक्रमण करने के लिये पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने से पहले अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: कभी-कभी समाचार में उल्लिखित "टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (टी.एच.एच.डी)" क्या है? (2018) (a) इज़रायल की एक रडार प्रणाली उत्तर: (c) प्रश्न: अग्नि-IV प्रक्षेपास्त्र के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
प्रारंभिक परीक्षा
डायल वर्टिकल माइग्रेशन और कार्बन पृथक्करण
स्रोत: द हिंदू
ज़ोप्लांकटन जैसे गहरे समुद्र के जीव, पोषण तथा सुरक्षा के लिये रात्रि के समय डायल वर्टिकल माइग्रेशन (DVM) में संलग्न होते हैं। यह समकालिक यात्रा प्रकृति के चमत्कारों को प्रदर्शित करती है तथा पृथ्वी के कार्बन चक्र को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
डायल वर्टिकल माइग्रेशन (DVM) क्या है?
- DVM समुद्री जीवों द्वारा की जाने वाली एक समकालिक गति है, जो अमूमन ज़ोप्लांकटन जैसे गहरे समुद्र के जीवों में देखी जाती है क्योंकि वे जल में लंबवत रूप से प्रवास करते हैं, रात्रि के समय सतह की ओर बढ़ते हैं तथा दिन के दौरान समुद्र में गहरे स्तर तक जाते हैं।
- इस पैटर्न में गति करना इन जीवों को शिकारियों से बचते हुए भोजन खोजने में मदद करता है, जो एक रणनीतिक उत्तरजीविता युक्ति का प्रदर्शन करता है।
- शाम के समय मेसोपेलैजिक सतह (डीपर लेयर अथवा ट्वाइलाइट ज़ोन) से जीव एपिपेलैजिक ज़ोन (ऊपरी सतह) की सुरक्षा की ओर बढ़ते हैं और दिन के शिकारियों से बचते हुए सूक्ष्म फाइटोप्लांकटन को भोजन के रूप में ग्रहण करने के लिये अंधेरे का लाभ उठाते हैं।
- यह समन्वित प्रवासन, जो प्राकृतिक प्रकाश चक्रों से सूक्ष्मता से जुड़ा हुआ है, ग्रह के सबसे बड़े बायोमास प्रवासन के रूप में है, जो सभी महासागरों में प्रतिदिन होता है।
- जीवों का यह समन्वित प्रवास पूरी तरह से प्राकृतिक प्रकाश के चक्रों के अनुरूप है तथा पृथ्वी पर सबसे बड़ा बायोमास प्रवास है, जो सभी महासागरों में प्रतिदिन घटित होता है।
कार्बन पृथक्करण में DVM किस प्रकार सहायता करता है?
- मेसोपेलैजिक सतह में रहने वाले जीव सक्रिय रूप से सतह के प्लवक को भोजन के रूप में ग्रहण करते हुए ऊपरी महासागर की परतों से पर्याप्त मात्रा में कार्बन पृथक्करण में सहायता करते हैं तथा इसे गहरे समुद्र में ले जाते हैं।
- ट्वीलाईट क्षेत्र के भीतर प्रवासी जीव-जंतु खाद्य शृंखला में योगदान करते हैं, उपभोग किये गए कार्बन को अपने उत्पादक तक स्थानांतरित करते हैं। परिणामस्वरूप कार्बन युक्त अपशिष्ट समुद्र तल में निक्षेपित हो जाता है, जो एक महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक का निर्माण करता है, यह कार्बन डाइऑक्साइड को ट्रैप करता है और वायुमंडलीय कार्बन सांद्रता विनियमन में सहायता करता है।
कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन/पृथक्करण क्या है?
- परिचय:
- कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन/पृथक्करण पौधों, मिट्टी, भूगर्भिक संरचनाओं और समुद्र में कार्बन का दीर्घकालिक भंडारण है।
- कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन स्वाभाविक रूप से और मानवजनित गतिविधियों के परिणामस्वरूप होता है जो आमतौर पर कार्बन के भंडारण को संदर्भित करता है।
- प्रकार:
- स्थलीय कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन: स्थलीय कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से वायुमंडल से CO2 को प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा पेड़ों और पौधों के माध्यम से अवशोषित किया जाता है और मिट्टी एवं बायोमास (पेड़ के तने, शाखाएँ, पत्ते और जड़ें) में कार्बन के रूप में संग्रहीत होता है।
- भूगर्भिक कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन: CO2 को तेल भंडारों, गैस भंडारों, गैर-खनन योग्य कोयला परतों, लवणीय संरचनाओं और उच्च कार्बनिक सामग्री वाले शेल संरचनाओं में संग्रहीत किया जा सकता है।
- महासागर कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन: महासागर वायुमंडल से बड़ी मात्रा में CO2 को अवशोषित, मुक्त और संग्रहीत करते हैं। यह दो तरीकों से किया जा सकता है- लौह उर्वरक के माध्यम से समुद्री जैविक प्रणालियों की उत्पादकता बढ़ाकर और गहन समुद्र में CO2 को इंजेक्ट करके।
- लोहे का डंपिंग, फाइटोप्लांकटन उत्पादन को उत्तेजित करता है, जिसके परिणामस्वरूप इन सूक्ष्मजीवों से प्रकाश संश्लेषण में वृद्धि होती है और CO2 अवशोषण में मदद मिलती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. महासागरों का अम्लीकरण बढ़ रहा है। यह घटना क्यों चिंता का विषय है? (2012) 1- कैल्सियमी पादपप्लवक की वृद्धि और उत्तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 2,और 3 उत्तर: (a) प्रश्न.कार्बन डाइऑक्साइड के मानवोद्भवी उत्सर्जनों के कारण आसन्न भूमंडलीय तापन के न्यूनीकरण के संदर्भ मेंकार्बन प्रच्छादन हेतु निम्नलिखित में से कौन-सा/से संभावित स्थान हो सकता/सकते हैं? (2017) 1- परित्यक एवं गैर-लाभकारी कोयला संस्तर नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न.निम्नलिखित कृषि पद्धतियों पर विचार कीजिये: (2012) 1- समोच्च बाँध वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में, उपर्युक्त में से कौन-सा/से मृदा में कार्बन प्रच्छापन/संग्रहण में सहायक है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
प्रारंभिक परीक्षा
ग्राम मानचित्र और एम-एक्शनसॉफ्ट
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में पंचायती राज मंत्रालय ने एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) एप "ग्राम मानचित्र" पेश किया।
- इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने परियोजना परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग के लिये एक मोबाइल-आधारित समाधान “एम-एक्शनसॉफ्ट”/mActionSoft लॉन्च किया।
ग्राम मानचित्र और mActionSoft क्या हैं?
- ग्राम मानचित्र:
- परिचय : ग्राम मानचित्र का प्राथमिक लक्ष्य भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की क्षमताओं का लाभ उठाते हुए ग्राम पंचायतों की स्थानिक योजना पहल को प्रोत्साहित करना है।
- यह एप निर्णय लेने में सहायता करके ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) का समर्थन करता है।
- विशेषताएँ:
- एकीकृत भू-स्थानिक मंच: ग्राम मंच एक एकल और एकीकृत मंच है, जो ग्राम पंचायत स्तर पर विकासात्मक परियोजनाओं एवं गतिविधियों की दृश्यता की सुविधा प्रदान करता है।
- क्षेत्र-वार योजना: यह ग्राम पंचायतों को ग्रामीण विकास के लिये समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हुए विभिन्न क्षेत्रों में विकासात्मक कार्यों की योजना बनाने और निष्पादित करने में सक्षम बनाता है।
- विकास योजना उपकरण: उपकरण में परियोजना स्थल की पहचान, परिसंपत्ति ट्रैकिंग, लागत अनुमान और परियोजना प्रभाव मूल्यांकन शामिल हैं।
- परिचय : ग्राम मानचित्र का प्राथमिक लक्ष्य भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की क्षमताओं का लाभ उठाते हुए ग्राम पंचायतों की स्थानिक योजना पहल को प्रोत्साहित करना है।
- mActionSoft:
- संदर्भ: mActionSoft एक मोबाइल-आधारित समाधान है जो एसेट आउटपुट वाले कार्यों के लिये जीपीएस निर्देशांक के साथ जियो-टैग की गई तस्वीरें कैप्चर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- संपत्तियों की जियो-टैगिंग तीन चरणों में होती है: काम शुरू होने से पहले, काम के दौरान और काम पूरा होने पर।
- यह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जल संचयन, स्वच्छता, कृषि और अन्य से संबंधित विभिन्न कार्यों पर जानकारी का एक व्यापक भंडार स्थापित करता है।
- संदर्भ: mActionSoft एक मोबाइल-आधारित समाधान है जो एसेट आउटपुट वाले कार्यों के लिये जीपीएस निर्देशांक के साथ जियो-टैग की गई तस्वीरें कैप्चर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- विशेषताएँ:
- जियो-टैगिंग: पंचायतों द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली तस्वीरों के साथ वित्त आयोग निधि के तहत संपत्तियों को जियोटैग करना।
- mActionSoft का उपयोग करके जियो-टैग की गई संपत्तियाँ ग्राम पंचायत में विकासात्मक कार्यों के दृश्य को समृद्ध करते हुए ग्राम मंच के साथ सहजता से एकीकृत हो जाती हैं।
- जियो-टैगिंग: पंचायतों द्वारा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली तस्वीरों के साथ वित्त आयोग निधि के तहत संपत्तियों को जियोटैग करना।
- भौगोलिक सूचना प्रणाली: यह एक ऐसी तकनीक है जो भौगोलिक या स्थानिक डेटा को कैप्चर, प्रबंधित, विश्लेषण और प्रस्तुत करती है।
- यह उपयोगकर्त्ताओं के लिये डेटा को पृथ्वी की सतह पर स्थित स्थानों से जोड़कर देखने, व्याख्या करने और समझने की अनुमति देती है।
- GIS इंटरैक्टिव मानचित्र और मॉडल बनाने के लिये जानकारी की विभिन्न परतों जैसे मानचित्र, उपग्रह इमेजरी और डेटा तालिकाओं को जोड़ती है।
- इसका उपयोग शहरी नियोजन, पर्यावरण विश्लेषण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, आपातकाल प्रतिक्रिया आदि जैसे विविध क्षेत्रों में किया जाता है, जो स्थानिक जानकारी से संबंधित निर्णय लेने एवं समस्या-समाधान में सहायता करता है।
- जियो-टैगिंग: यह विभिन्न मीडिया जैसे- चित्र, वीडियो, वेबसाइट तथा अन्य दस्तावेज़ों में भौगोलिक पहचान जोड़ने की प्रक्रिया है।
- इसमें मेटाडेटा संलग्न करना शामिल है, अमूमन GPS, मीडिया के निर्माण अथवा कैप्चर स्थान के संबंध में सटीक भौगोलिक विवरण देने के लिये इन फाइलों को समन्वयित करता है।
- यह उपयोगकर्त्ताओं को सामग्री से जुड़े सटीक भौगोलिक स्थान को इंगित करने, उसके स्थान के आधार पर डेटा के संगठन, खोज और मानचित्रण की सुविधा प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
- इससे उपयोगकर्त्ताओं के लिये जानकारी से जुड़ी सटीक भौगोलिक स्थिति की पहचान करना संभव हो जाता है, जिससे डेटा को उसके स्थान के अनुसार व्यवस्थित करना, खोजना तथा मैप करना आसान हो जाता है।
अन्य संबंधित सरकारी पहलें क्या हैं?
- स्वामित्व योजना
- ई-ग्राम स्वराज ई-वित्तीय प्रबंधन प्रणाली
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में हाल ही में खबरों में रहा "भुवन" (Bhuvan) क्या है? (वर्ष 2010) (A) भारत में दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये इसरो द्वारा लॉन्च किया गया एक छोटा उपग्रह उत्तर: (C) मेन्स:प्रश्न. अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की चर्चा कीजिये। इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायक हुआ है? (2016) |
प्रारंभिक परीक्षा
LeadIT का दूसरा चरण
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात में पार्टियों के सम्मेलन (COP 28) में भारत और स्वीडन द्वारा आयोजित लीडरशिप ग्रुप फॉर इंडस्ट्री ट्रांज़िशन (LeadIT) शिखर सम्मेलन 2023 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने LeadIT (2.0) के दूसरे चरण के तीन स्तंभों की घोषणा की।
उद्योग संक्रमण के लिये नेतृत्व समूह (LeadIT) क्या है?
- परिचय:
- LeadIT एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य इस्पात, सीमेंट, रसायन, विमानन तथा पोत परिवहन जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों को कम कार्बन वाले मार्गों पर स्थानांतरित करने में तेज़ी लाना है।
- यह उन देशों तथा कंपनियों को संगठित करता है जो पेरिस समझौते को हासिल करने के लिये कार्रवाई के लिये प्रतिबद्ध हैं।
- इसे वर्ष 2019 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में स्वीडन व भारत की सरकारों द्वारा लॉन्च किया गया था एवं विश्व आर्थिक मंच द्वारा समर्थित है।
- LeadIT सचिवालय नेतृत्व समूह के कार्य के प्रबंधन के लिये उत्तरदायी है।
- सदस्य देश:
- LeadIT में 38 सदस्य देश और कंपनियाँ शामिल हैं। विशेष रूप से भारत इसका एक सक्रिय भागीदार है।
- LeadIT के सदस्य इस धारणा का समर्थन करते हैं कि वर्ष 2050 तक ऊर्जा-गहन उद्योगों में निम्न-कार्बन उत्सर्जन के उपायों को अपनाकर शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लक्ष्यों की पूर्ति की जा सकती है।
LeadIT के दूसरे चरण की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- मिशन
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से समावेशी उद्योग परिवर्तन का समर्थन करने वाली नीतियों तथा विनियमों के निर्माण की सुविधा प्रदान करना। वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य उद्योग उत्सर्जन प्राप्त करने के लिये संसाधन जुटाना, ज्ञान-साझाकरण का समर्थन करना एवं इसमें तेज़ी लाना।
- LeadIT स्तंभ:
- न्यायसंगत उद्योग परिवर्तन के लिये वैश्विक मंच:
- सरकारों और उद्योग के बीच निरंतर संवाद और जुड़ाव सुनिश्चित करना।
- यह स्तंभ बहुपक्षीय समूहों (उदाहरण के लिये संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) COP प्रेसीडेंसी) के साथ LeadIT की भागीदारी को बनाए रखने, सदस्यों के बीच ज्ञान साझा करने की सुविधा प्रदान करने तथा संक्रमण की गति की निगरानी करने के लिये समर्पित है।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-विकास:
- यह स्तंभ बिज़नेस-टू-बिज़नेस प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा और नवाचार हेतु राष्ट्रीय संस्थागत क्षमता के निर्माण के लिये समर्पित है।
- उद्योग परिवर्तन भागीदारी:
- LeadIT सचिवालय सदस्यों को उद्योग परिवर्तन भागीदारी में साझेदार बनने, उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को हरित औद्योगिक बदलाव की दिशा में समर्थन देने में सहायता करता है।
- इन साझेदारियों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये तकनीकी और वित्तीय अंतर्राष्ट्रीय सहायता का मानचित्रण, समन्वय तथा सुदृढ़ीकरण करना शामिल है।
- इसका अंतिम लक्ष्य विश्वसनीय निम्न-कार्बन औद्योगिक परियोजनाओं की पाइपलाइन के लिये सक्षम स्थितियाँ सुनिश्चित करना है।
- LeadIT सचिवालय सदस्यों को उद्योग परिवर्तन भागीदारी में साझेदार बनने, उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को हरित औद्योगिक बदलाव की दिशा में समर्थन देने में सहायता करता है।
- न्यायसंगत उद्योग परिवर्तन के लिये वैश्विक मंच:
प्रारंभिक परीक्षा
मौद्रिक नीति समिति के निर्णय: RBI
प्रिलिम्स के लिये:मौद्रिक नीति समिति के निर्णय: RBI, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), मुद्रास्फीति, CPI, सकल घरेलू उत्पाद (GDP)। मेन्स के लिये:मौद्रिक नीति समिति के निर्णय, भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाना, वृद्धि, विकास और रोज़गार से संबंधित मुद्दे, समावेशी विकास और इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे, सरकारी बजटिंग। |
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लगातार 5वीं बार बेंचमार्क ब्याज दरों को अपरिवर्तित बरकरार रखा है।
- प्रमुख रेपो दर लगातार पाँच समीक्षाओं से 6.5% पर स्थिर है।
MPC बैठक के मुख्य तथ्य क्या हैं?
- पॉलिसी दरें:
- पॉलिसी रेपो दर: 6.5%
- रेपो रेट वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक ( भारत के लिये RBI) धन की कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है। यहाँ केंद्रीय बैंक प्रतिभूति खरीदता है।
- स्थायी जमा सुविधा (SDF): 6.25 %
- SDF एक लिक्विडिटी विंडो है जिसके माध्यम से RBI बैंकों को अतिरिक्त तरलता/लिक्विडिटी को अपने पास रखने का विकल्प देगा।
- यह रिवर्स रेपो सुविधा से अलग है क्योंकि इसमें बैंकों को धन जमा करते समय संपार्श्विक प्रदान करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- सीमांत स्थायी सुविधा दर: 6.75%
- MSF अनुसूचित बैंकों के लिये आपातकालीन स्थिति में RBI से रात भर उधार लेने को एक विंडो है, जब अंतरबैंक लिक्विडिटी पूरी तरह से समाप्त हो जाती है।
- नकद आरक्षित अनुपात (CRR): 4.50%
- CRR के अंर्तगत, वाणिज्यिक बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास एक निश्चित न्यूनतम राशि जमा (NDTL) के रूप में रखनी होती है।
- वैधानिक तरलता अनुपात (SLR): 18.00%
- SLR जमा का न्यूनतम प्रतिशत है जिसे एक वाणिज्यिक बैंक को तरल नकदी, सोना अथवा अन्य प्रतिभूतियों के रूप में बनाए रखना होता है।.
- पॉलिसी रेपो दर: 6.5%
- अनुमान:
- वृद्धि का अनुमान:
- वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में 7.6% की मज़बूत वृद्धि के साथ वर्ष 2023-24 के लिये सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान पहले के 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया गया था।
- मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान:
- वित्त वर्ष 2023-24 के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 5.4% पर बनाए रखा गया है।
- वृद्धि का अनुमान:
आरबीआई की अन्य पहलें क्या हैं?
- स्वास्थ्य और शिक्षा के लिये UPI सीमा में बढ़ोतरी:
- उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, आरबीआई ने स्वास्थ्य और शिक्षा लेन-देन के लिये यूपीआई सीमा को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए प्रति लेन-देन कर दिया है, ताकि स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और रोगियों दोनों के लिये पर्याप्त परिचालन लाभ प्राप्त किया जा सके।
- आवर्ती ई-भुगतान अधिदेश:
- आरबीआई ने क्रेडिट कार्ड, बीमा प्रीमियम भुगतान और म्यूचुअल फंड निवेश के लिये आवर्ती ई-भुगतान जनादेश की सीमा को 15,000 रुपए से बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया है, जिससे अधिक महत्त्वपूर्ण आवधिक लेन-देन की अनुमति मिलती है।
- वेब-एकत्रीकरण के लिये विनियामक ढाँचा:
- आरबीआई डिजिटल ऋण में ग्राहक-केंद्रित और पारदर्शिता में सुधार के लिये ऋण उत्पादों के वेब-एकत्रीकरण हेतु एक नियामक ढाँचा स्थापित करने की योजना बना रहा है।
- फिनटेक के साथ साझेदारी:
- RBI ने अप्रैल 2024 तक फिनटेक (FinTech) निधान/रिपॉज़िटरी के निर्माण का प्रस्ताव देकर फिनटेक के साथ साझेदारी करने वाले बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) की बढ़ती घटनाओं पर बेहतर पकड़ बनाने की कोशिश की है।
- फिनटेक को इस रिपॉज़िटरी को स्वेच्छा से प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
नोट:
- मुद्रास्फीति: यह एक समयावधि में किसी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं तथा सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में निरंतर वृद्धि को संदर्भित करती है, जिससे मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी आती है।
- हेडलाइन मुद्रास्फीति: यह उस अवधि के लिये कुल मुद्रास्फीति है, जिसमें वस्तुओं की एक टोकरी शामिल होती है।
- खाद्य और ईंधन मुद्रास्फीति भारत में हेडलाइन मुद्रास्फीति के घटकों में से एक है।
- कोर मुद्रास्फीति: यह हेडलाइन मुद्रास्फीति पर नज़र रखने वाली वस्तुओं की टोकरी से अस्थिर वस्तुओं को बाहर करती है। इन अस्थिर वस्तुओं में मुख्य रूप से भोजन और पेय पदार्थ (सब्जियों सहित) तथा ईंधन एवं प्रकाश (कच्चा तेल) शामिल हैं।
- कोर मुद्रास्फीति = हेडलाइन मुद्रास्फीति - (खाद्य और ईंधन) मुद्रास्फीति।
- हेडलाइन मुद्रास्फीति: यह उस अवधि के लिये कुल मुद्रास्फीति है, जिसमें वस्तुओं की एक टोकरी शामिल होती है।
- मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण: यह एक मौद्रिक नीति ढाँचा है जिसका उद्देश्य मुद्रास्फीति के लिये एक विशिष्ट लक्ष्य सीमा बनाए रखना है।
- उर्जित पटेल समिति ने मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के उपाय के रूप में WPI (थोक मूल्य सूचकांक) पर CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) की अनुशंसा की।
- वर्तमान मुद्रास्फीति लक्ष्य भी 4% की लक्ष्य मुद्रास्फीति दर स्थापित करने की समिति की सिफारिश के साथ संरेखित है, जिसमें विचलन की स्वीकार्य सीमा +/- 2% है।
- केंद्र सरकार, RBI के परामर्श से मुद्रास्फीति लक्ष्य और खुदरा मुद्रास्फीति के लिये ऊपरी और निचले सहनशीलता स्तर निर्धारित करती है।
- उर्जित पटेल समिति ने मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के उपाय के रूप में WPI (थोक मूल्य सूचकांक) पर CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) की अनुशंसा की।
- तरलता का आशय किसी परिसंपत्ति अथवा प्रतिभूति को उसकी कीमत को विशेष रूप से प्रभावित किये बिना बाज़ार में शीघ्रता से खरीदने अथवा बेचने से है।
- यह वित्तीय दायित्त्वों को पूरा करने अथवा निवेश के लिये नकदी या तरल संपत्ति की उपलब्धता को दर्शाती है। सरल शब्दों में कहें तो तरलता का अर्थ है ज़रूरत के समय में अपना पैसा प्राप्त करने की सुविधा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. मौद्रिक नीति समिति (मोनेटरी पालिसी कमिटी/MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017) यह RBI की मानक (बेंचमार्क) ब्याज दरों का निर्धारण करती है। नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020) वैधानिक तरलता अनुपात को घटाकर उसे अनुकूलित करना नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. क्या आप इस मत से सहमत हैं कि सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की स्थायी संवृद्धि तथा निम्न मुद्रास्फीति के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये। (2019) |
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 दिसंबर, 2023
मेरा गाँव मेरी धरोहर परियोजना
संस्कृति मंत्रालय ने मेरा गाँव मेरी धरोहर (MGMD) कार्यक्रम के तहत सभी गाँवों का मानचित्रण तथा प्रलेखन करने का निर्णय लिया है।
- सांस्कृतिक मानचित्रण पर यह राष्ट्रीय मिशन संस्कृति मंत्रालय के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के समन्वय से संचालित किया जाता है।
- MGMD पर एक वेब पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। MGMD कार्यक्रम भारतीय गाँवों के जीवन, इतिहास तथा लोकाचार की विस्तृत जानकारी संकलित करने एवं इसे आभासी व वास्तविक समय के आगंतुकों के लिये उपलब्ध कराने का प्रयास करता है।
- MGMD के तहत सात व्यापक श्रेणियों जैसे- कला और शिल्प गाँव, पर्यावरणीय दृष्टि से उन्मुख गाँव आदि के तहत जानकारी एकत्र की जाती है।
और पढ़ें…प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना
PMBJP के तहत सुविधा सेनेटरी नैपकिन
रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने हाल ही में महिलाओं के स्वास्थ्य एवं मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों तक पहुँच बढ़ाने के लिये प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत एक पहल, जन औषधि सुविधा सेनेटरी नैपकिन की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
- जन औषधि सुविधा सेनेटरी नैपकिन पूरे भारत में जन औषधि केंद्रों पर 1 रुपए प्रति पैड की रियायती कीमत पर उपलब्ध है।
- अपनी स्थापना के बाद से 30 नवंबर, 2023 तक, जन औषधि केंद्रों के माध्यम से 47.87 करोड़ से अधिक की जन औषधि सुविधा सेनेटरी पैड बेचे गए हैं।
- सैनिटरी पैड ऑक्सी-बायोडिग्रेडेबल हैं और अच्छी गुणवत्ता मानकों को बनाए रखते हैं।
- PMBJP जनता को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाएँ उपलब्ध कराने के लिये फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा शुरू किया गया एक अभियान है।
- जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराने के लिये PMBJP स्टोर स्थापित किये गए हैं, जो कम कीमत पर उपलब्ध हैं लेकिन गुणवत्ता और प्रभावकारिता में महँगी ब्रांडेड दवाओं के बराबर हैं।
और पढ़ें… जन औषधि दिवस, PMBJP की समीक्षा
IMO ग्रीन वॉयज-2050 प्रोजेक्ट
भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ग्रीन वॉयज-2050 परियोजना के लिये अग्रणी देश के रूप में मान्यता दी गई है, जो जहाज़ों से ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- ग्रीनवॉयज-2050 प्रोजेक्ट नॉर्वे सरकार और IMO के बीच वर्ष 2019 में शुरू की गई एक साझेदारी परियोजना है, जिसका लक्ष्य शिपिंग उद्योग को न्यून कार्बन वाले भविष्य के उद्योग में बदलना है।
- प्रारंभिक IMO रणनीति वर्ष 2008 के स्तर के सापेक्ष वर्ष 2050 तक कुल वार्षिक GHG उत्सर्जन में न्यूनतम 50% की कटौती करने के लिये एक स्पष्ट दृष्टिकोण निर्धारित करती है।
- ग्रीनवॉयज-2050 प्रोजेक्ट पर 12 देशों में काम चल रहा है: अज़रबैजान, बेलीज़, चीन, कुक आइलैंड्स, इक्वाडोर, जॉर्जिया, भारत, केन्या, मलेशिया, सोलोमन आइलैंड्स, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका।
- इसमें हिस्सा लेने वाले देशों को मोटे तौर पर "नए पायलट देश" और "अग्रणी पायलट देश" में वर्गीकृत किया जा सकता है।
और पढ़ें… अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन परिषद हेतु भारत पुनः निर्वाचित, शिपिंग ईंधन पर IMO दिशा-निर्देश
पिन्ना नोबिलिस
एक विशाल क्लैम/सीपी जो विलुप्त होने के कगार पर था, क्रोएशिया के समुद्रों में पर्याप्त संख्या में पाया गया है।
- क्लैम, जिसे नोबल पेन शेल अथवा पिन्ना नोबिलिस के नाम से जाना जाता है, वर्ष 2016 के आसपास भूमध्य सागर के कुछ हिस्सों में एक घातक रोगजनक के रूप में फैलकर खत्म होने लगा।
- क्लैम, जिनके खोल 1.2 मीटर तक बढ़ सकते हैं, समुद्री जल को शुद्ध करके तथा अन्य जीवों के विकास को बढ़ावा देकर एक अहम पारिस्थितिक भूमिका निभाते हैं।
- उन्हें एड्रियाटिक और इस्त्रिया प्रायद्वीप में देखा गया है।
और पढ़ें…गंभीर रूप से संकटग्रस्त
वेड इन इंडिया
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को संबोधित करते हुए उत्तराखंड की अप्रयुक्त क्षमता पर ध्यान केंद्रित करने पर ज़ोर दिया, 'हाउस ऑफ हिमालय' ब्रांड को मान्यता दी और मेक इन इंडिया आंदोलन की तरह 'वेड इन इंडिया' आंदोलन की वकालत की।
- उन्होंने संपन्न वर्ग से अपील की कि वे विदेशों में जाकर डेस्टिनेशन वेडिंग के बजाय यहीं भारत में शादियाँ करने पर पुनर्विचार करें।
- हाउस ऑफ हिमालय ब्रांड राज्य के स्थानीय उत्पादों को विदेशी बाज़ारों में स्थापित करने का एक प्रयास है जो 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को मज़बूत करेगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने क्षेत्रीय भाषा अभिगम हेतु SUVAS पेश किया
हाल ही में भारतीय कानून मंत्री ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कानूनी कार्यवाही में क्षेत्रीय भाषा के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिये एक AI-संचालित अनुवाद उपकरण SUVAS पेश किया है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से विकसित यह विशेष उपकरण वर्तमान में अंग्रेज़ी न्यायिक दस्तावेज़ों का ग्यारह भारतीय भाषाओं में अनुवाद करता है।
- इसके अतिरिक्त भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐतिहासिक केशवानंद भारती निर्णय सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर 10 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, जो निर्णय के 50 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है।
- केशवानंद भारती मामले में संवैधानिक पीठ ने 7 : 6 के बहुमत से निर्णय सुनाया कि संसद संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकती है, जब तक कि वह संविधान की मूल संरचना या आवश्यक विशेषताओं में बदलाव या संशोधन नहीं करती है।
और पढ़ें… भारतीय न्यायपालिका का सुदृढ़ीकरण