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इलेक्ट्रॉनिक सूचना विनिमय पर IMO का नया नियम

  • 09 Apr 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जहाज़ों और बंदरगाहों के बीच इलेक्ट्रॉनिक सूचना विनिमय को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने वैश्विक स्तर पर एक नया नियम लागू किया है।

प्रमुख बिंदु

  • यह नियम सीमा पार व्यापार को सरल बनाने और लॉजिस्टिक्स चेन को अधिक कुशल बनाने के लिये है।
  • ज्ञातव्य है कि दुनिया भर में 10 बिलियन टन से अधिक माल का कारोबार समुद्र के रास्ते किया जाता है।
  • यह नियम समुद्री व्यापार में प्रशासनिक बोझ को कम करेगा और समुद्री व्यापार तथा संचार की दक्षता बढ़ाएगा।
  • इसे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री यातायात की सुविधा (Convention on Facilitation of International Maritime Traffic- FAL) पर IMO के सम्मेलन के तहत लाया गया है।

FAL कन्वेंशन

  • FAL कन्वेंशन, डेटा के लिये एक ‘सिंगल विंडो’ के उपयोग को प्रोत्साहित करता है जिससे सार्वजनिक अधिकारियों के लिये आवश्यक सभी जानकारी जैसे- जहाज़ों, व्यक्तियों और कार्गो के आगमन, रहने और प्रस्थान संबंधी आदि जानकारी को एक एकल पोर्टल के माध्यम से बिना दोहराव के प्रस्तुत किया जा सके।
  • FAL कन्वेंशन में नियमों को सरल बनाने, जहाज़ों के आगमन, रहने और प्रस्थान को लेकर दस्तावेज़ी औपचारिकताओं और प्रक्रियाओं को शामिल किया गया है। इस अनुबंध पर 121 सरकारों ने हस्ताक्षर किये हैं।
  • IMO ने IMO जनरल डिक्लेरेशन, कार्गो डिक्लेरेशन, शिप्स स्टोर्स डिक्लेरेशन, क्रू इफेक्ट्स डिक्लेरेशन, क्रू लिस्ट, पैसेंजर लिस्ट और डेंजरस गुड्स जैसे डॉक्यूमेंट्स के लिये मानकीकृत फॉर्म जारी किये हैं।
  • इसके अलावा पाँच अन्य दस्तावेज़ों की जरूरत है जिनमें शामिल हैं- सुरक्षा पर दस्तावेज़, जहाज़ों से निकलने वाला कचरा, सीमा शुल्क जोखिम के मूल्यांकन के लिये इलेक्ट्रॉनिक कार्गो की अग्रिम जानकारी पर दस्तावेज़ एवं दो यूनिवर्सल पोस्टल कन्वेंशन (Universal Postal Convention) और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियम के तहत दस्तावेज़।
  • इलेक्ट्रॉनिक डेटा विनिमय के तहत सभी राष्ट्रों में अब इलेक्ट्रॉनिक डेटा के विनिमय के लिये प्रावधान होना चाहिये।

भारत की स्थित्ति

  • भारत ने दिसंबर, 2018 में बंदरगाहों पर एक पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम- PCS1x शुरू किया।
  • ‘PCS1x’ एक क्लाउड आधारित तकनीक है जिसे मुंबई स्थित लॉजिस्टिक्स समूह जे.एम. बक्सी ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है।
  • PCS1x इंजन, वर्कफ़्लो, मोबाइल एप्लीकेशन, ट्रैक और ट्रेस, बेहतर उपयोगकर्त्ता इंटरफ़ेस, सुरक्षा सुविधाओं आदि की सूचना प्रदान करता है और समावेशन को बेहतर बनाता है।
  • PCS1x की एक अनूठी विशेषता यह है कि यह थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर को जोड़ सकता है जो समुद्री उद्योग के लिये सेवाएँ प्रदान करता है। इससे हितधारकों को सेवाओं के व्यापक नेटवर्क तक पहुँचने में मदद मिलती है।
  • यह भुगतान की सुविधा भी प्रदान करता है जिससे बैंक द्वारा भुगतान प्रणाली पर निर्भरता कम होती है।
  • PCS1x एक डेटाबेस प्रदान करता है जो सभी लेन-देन के लिये एकल डेटा बिंदु के रूप में कार्य करता है।
  • ऐसा अनुमान है कि यह सुविधा लेन-देन में लगने वाले के समय को दो दिन तक कम कर देगी। इससे भारत में समुद्री व्यापार में बड़ा बदलाव आएगा और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business- EDB) एवं लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (Logistics Performance Index - LPI) रैंक में सुधार होगा।

स्रोत: द हिंदू बिज़नस लाइन

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