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जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन की क्षतिपूर्ति

  • 19 Nov 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीनहाउस गैस, उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट, 2022, पेरिस लक्ष्य

मेन्स के लिये:

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, पेरिस समझौता, शुद्ध शून्य उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन और संरक्षण

चर्चा में क्यों?

समृद्ध देशों, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और कनाडा ने इंडोनेशिया की कोयले पर निर्भरता को खत्म करने तथा वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने के लिये बाली में G-20 सम्मेलन के दौरान 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया।

क्षतिपूर्ति का महत्त्व:

  • 20वीं सदी के आरंभ से लेकर अब तक विकसित देश औद्योगिक विकास से लाभान्वित हुए हैं जिससे ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन भी हुआ।
    • ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के आँकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 1751 और 2017 के बीच CO2 उत्सर्जन में 47% भागीदारी संयुक्त राष्ट्र और 28 यूरोपियन देशों का था। अर्थात् कुल मिलाकर सिर्फ 29 देश।
  • विकासशील देश आर्थिक विकास की दौड़ में थोड़े पीछे रहे।
    • हो सकता है कि उत्सर्जन में वे अभी भी योगदान दे रहे हों, लेकिन इसके लिये उन्हें आर्थिक विकास को रोकने के लिये कहना एक ठोस कारण नहीं होगा।
    • उदाहरण के लिये: अफ्रीका का एक ग्रामीण किसान यह दावा कर सकता है कि उसके देश ने ऐतिहासिक रूप से उत्सर्जन में वृद्धि नहीं की है, लेकिन अमेरिका या रूस के औद्योगीकरण के कारण उसकी कृषि उपज घट रही है या फिर दक्षिण अमेरिका के शहर में काम करने वाले एक श्रमिक को लंबे समय से विकसित देशों द्वारा किये जाने वाले उत्सर्जन के कारण हीटवेव की स्थिति में काम करना पड़ता है।

उत्सर्जन के परिणाम:

  • वर्ष 1990-2014 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा होने वाले उत्सर्जन के कारण दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद लगभग 1-2% प्रभावित हुआ तथा तापमान परिवर्तन के कारण श्रम उत्पादकता तथा कृषि पैदावार पर भी असर पड़ा।
    • लेकिन संभव है कि उत्सर्जन से कुछ देशों को लाभ भी हुआ हो, जैसे कि उत्तरी यूरोप और कनाडा।
  • मूडीज़ एनालिटिक्स का अनुमान है कि इस सदी के मध्य तक कनाडा के सकल घरेलू उत्पाद में 0.3% की वृद्धि होगी क्योंकि गर्म जलवायु कृषि और श्रम उत्पादकता को बढ़ावा देती है।
  • वर्ष 2022 के लिये संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की वार्षिक उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पेरिस के निर्धारित लक्ष्यों (तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने) से बहुत पीछे है।

भारत में उत्सर्जन:

  • 'उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट 2022' के अनुसार, भारत शीर्ष सात उत्सर्जकों (अन्य चीन, यूरोपीय संघ-27, इंडोनेशिया, ब्राज़ील, रूसी संघ और अमेरिका) में से एक है।
    • ये सात देश अंतर्राष्ट्रीय परिवहन, 2020 में वैश्विक GHG उत्सर्जन का 55% हिस्सा रखते है।
    • सामूहिक रूप से, G-20 सदस्य वैश्विक GHG उत्सर्जन के 75% के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • कुछ GHG उत्सर्जन अपरिहार्य हैं। भारत की जनसंख्या के संदर्भ में इसका प्रति व्यक्ति उत्सर्जन दूसरे देशों की तुलना में बहुत कम है।
    • विश्व औसत प्रति व्यक्ति GHG उत्सर्जन 6.3 टन था जो कि वर्ष 2020 में CO2 (tCO2 ई) के समकक्ष था।
    • अमेरिका का स्तर इससे ऊपर है जो कि 14 टन है, रूसी संघ में 13 टन और चीन में 9.7 टन है। भारत 2.4 पर विश्व औसत से बहुत नीचे बना हुआ है।

 भारत द्वारा उठाए गए संबंधित कदम:

  • भारत ने घोषणा की है कि वह वर्ष 2070 तक कार्बन तटस्थता तक पहुँच जाएगा।
  • भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता उत्पन्न करने, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की उत्सर्जन तीव्रता को कम करने के साथ-साथ वन क्षेत्र बढ़ाने की भी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
  • पिछले साल कोयला समझौते में भारत ने भाषा का मसौदा तैयार किया था।
  • इसे कोयले के "फेज़-आउट" से "फेज़-डाउन" में बदल दिया गया था।
  • यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये मुख्य रूप से थर्मल पावर द्वारा पूरी की जाने वाली बड़ी ऊर्जा आवश्यकताओं की देश की ज़मीनी वास्तविकताओं को दर्शाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

्रश्न: वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक में समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. समझौते पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे और यह वर्ष 2017 में लागू होगा।
  2. समझौते का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना है ताकि इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2ºC या 1.5ºC से भी अधिक न हो।
  3. विकसित देशों ने ग्लोबल वार्मिंग में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया और विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिये 2020 से सालाना 1000 अरब डॉलर दान करने के लिये प्रतिबद्ध हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • पेरिस समझौते को दिसंबर 2015 में पेरिस, फ्राँस में COP21 में पार्टियों के सम्मेलन (COP) द्वारा संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के माध्यम से अपनाया गया था।
  • समझौते का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना है ताकि इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस या 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो। अत: कथन 2 सही है।
  • पेरिस समझौता 4 नवंबर, 2016 को लागू हुआ, जिसमें वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को अनुमानित 55% तक कम करने के लिये अभिसमय हेतु कम-से-कम 55 पार्टियों ने अनुसमर्थन, अनुमोदन या परिग्रहण स्वीकृति प्रदान की थी। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • इसके अतिरिक्त समझौते का उद्देश्य अपने स्वयं के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिये देशों की क्षमता को मज़बूत करना है।
  • पेरिस समझौते के लिये सभी पक्षों को राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के माध्यम से अपने सर्वोत्तम प्रयासों को आगे बढ़ाने और आने वाले वर्षों में इन प्रयासों को मज़बूत करने की आवश्यकता है। इसमें यह भी शामिल है कि सभी पक्ष अपने उत्सर्जन औरे कार्यान्वयन प्रयासों पर नियमित रूप से रिपोर्ट करें।
  • समझौते के उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में सामूहिक प्रगति का आकलन करने और पार्टियों द्वारा आगे की व्यक्तिगत कार्रवाइयों को सूचित करने के लिये प्रत्येक 5 साल में एक वैश्विक समालोचना भी होगी।
  • वर्ष 2010 में कानकुन समझौतों के माध्यम से विकसित देशों को विकासशील देशों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये वर्ष 2020 तक प्रतिवर्ष संयुक्त रूप से 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने के लक्ष्य हेतु प्रतिबद्ध किया।
  • इसके अलावा वे इस बात पर भी सहमत हुए कि वर्ष 2025 से पहले पेरिस समझौते के लिये पार्टियों की बैठक के रूप में पार्टियों का सम्मेलन प्रतिवर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एक नया सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य निर्धारित करेगा। अत: कथन 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: द हिंदू

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