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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 04 Nov, 2020
  • 15 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 04 नवंबर, 2020

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना

Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana

03 नवंबर, 2020 को केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana- PMBJP) की सविस्तार समीक्षा बैठक की।

PMBJP

प्रमुख बिंदु:

  • इस समीक्षा बैठक में कहा गया है कि PMBJP ने चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों (31 अक्तूबर तक) में 6600 जन-औषधि दुकानों के माध्यम से 358 करोड़ रुपए (वित्त वर्ष 2019 में 433 करोड़ रुपए की बिक्री की तुलना में) के फार्मा उत्पादों की बिक्री की है और पूरे वित्त वर्ष में 600 करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री होने की उम्मीद जताई गई है।
  • गौरतलब है कि ‘भारतीय फार्मा पीएसयू ब्यूरो (Bureau of Pharma PSUs of India- BPPI), नागरिकों विशेष रूप से समाज के कमज़ोर वर्ग के लोगों की दवाओं पर होने वाले खर्च में कमी लाने के लिये प्रयासरत है। इसके साथ ही BPPI अभिनव उपायों को अपनाने का प्रयास भी कर रहा है ताकि आपूर्ति शृंखलाओं को मज़बूत कर स्थिति को और बेहतर बनाया जा सके। 

‘भारतीय फार्मा पीएसयू ब्यूरो’

(Bureau of Pharma PSUs of India- BPPI):

  • BPPI, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी है।    
  • BPPI का गठन दिसंबर 2008 में भारत सरकार के औषधि विभाग के अंतर्गत किया गया था।
  • अप्रैल 2010 में BPPI को एक अलग कानूनी इकाई के रूप में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 (Societies Registration Act, 1860) के तहत स्वतंत्र संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया।    

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP):

  • भारत सरकार द्वारा नागरिकों को सस्ती दवाइयाँ उपलब्ध कराने की योजना को वर्ष 2015-16 में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) के रूप में परिवर्तित किया गया था।
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य भारत के प्रत्येक नागरिक को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराकर उनके स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को कम करना है। 
  • सस्ती दवाओं की बिक्री करने वाली जन औषधि दुकानों की संख्या वर्ष 2014-15 के 99 से बढ़कर वर्तमान में लगभग 6600 तक पहुँच गई है। बिक्री का आँकड़ा भी वर्ष 2014-15 के 7.29 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 433 करोड़ रुपए तक पहुँच गया है।

COVID-19 श्री शक्ति चैलेंज 

COVID-19 Shri Shakti Challenge

महिलाओं के नेतृत्त्व वाले 6 स्टार्ट अप्स ने यू.एन. वीमेन (UN Women) के सहयोग से MyGov द्वारा आयोजित COVID-19 श्री शक्ति चैलेंज (Shri Shakti Challenge) प्रतियोगिता में जीत दर्ज की है।

प्रमुख बिंदु:

  • MyGov ने यू.एन. वीमेन (UN Women) के साथ मिलकर ‘COVID-19 श्री शक्ति चैलेंज’ को अप्रैल 2020 में शुरू किया था। 
  • उद्देश्य: महिलाओं को स्टार्टअप समाधान के लिये प्रोत्साहन एवं शामिल करने का उद्देश्य उन अभिनव समाधान की खोज करना है जो COVID-19 से निपटने में मदद कर सकता है। 
  • इस प्रतियोगिता में देश भर से कुल 1265 प्रविष्टियाँ भेजी गईं। पूरी तरह स्क्रीनिंग के बाद निर्णायक समिति (Jury) को प्रस्तुतियों के लिये 25 स्टार्टअप को शॉर्टलिस्ट किया गया।
    • सभी 25 चयनित स्टार्टअप्स ने निर्णायक समिति को अपने समाधान प्रस्तुत किये और इसके बाद उसने स्टार्टअप्स द्वारा प्रस्तावित समाधानों का मूल्यांकन किया जिसमें नवाचार, उपयोगिता, प्रासंगिकता तथा समाज पर उनके विचार के प्रभाव को शामिल किया गया था।
  • अगले चरण के लिये 11 फाइनलिस्ट चुने गए जिनमें से प्रत्येक को अपने विचारों को और विकसित करने के लिये 75 हजार रुपए की पुरस्कार राशि प्रदान की गई।
  • अंतिम चरण में निर्णायक समिति ने विजेताओं के रूप में शीर्ष 3 प्रविष्टियों का चयन किया और प्रस्तुत समाधानों की उच्च गुणवत्ता को देखते हुए 3 अतिरिक्त प्रविष्टियों को ‘प्रॉमिसिंग सॉल्यूशंस’ (Promising Solutions) के रूप में मान्यता देने का निर्णय लिया।
  • शीर्ष 3 विजेताओं के लिये पहले घोषित 5 लाख रुपए के पुरस्कार के अलावा यू.एन. वीमेन (UN Women) ने ‘प्रॉमिसिंग सॉल्यूशंस’ (Promising Solutions) के लिये चुने गए 3 स्टार्टअप्स को 2-2 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की।

Romita-Ghosh

  • शीर्ष 3 विजेता: डॉ. पी. गायत्री हेला (Dr P Gayatri Hela), रोमिता घोष (Romita Ghosh), डॉ. अंजना रामकुमार (Dr Anjana Ramkumar) एवं डॉ. अनुष्का अशोकन (Dr Anushka Ashokan) [संयुक्त रूप से]।

Shivi-Kapil

  • ‘प्रॉमिसिंग सॉल्यूशंस’ (Promising Solutions) की श्रेणी में शीर्ष 3 विजेता: वसंती पलनीवेल (Vasanthi Palanivel), शिवी कपिल (Shivi Kapil), जया पाराशर (Jaya Parashar) एवं अंकिता पाराशर (Ankita Parashar)।

हरिकेन एटा 

Hurricane Eta

1 नवंबर, 2020 को तूफान की श्रेणी 2 (Category 2) के अंतर्गत आने वाला हरिकेन एटा (Hurricane Eta) भारी बारिश के साथ मध्य अमेरिका से टकराया।   

Hurricane-Eta

प्रमुख बिंदु:

  • ‘यूएस नेशनल हरिकेन सेंटर’ (US National Hurricane Center) के अनुसार, 1 नवंबर, 2020 को हरिकेन एटा (Hurricane Eta) की अधिकतम गति 110 किलोमीटर प्रति घंटे थी, किंतु 3 नवंबर, 2020 को इसकी गति 175 किलोमीटर प्रति घंटे हो गई। 
  • यह निकारागुआ-होंडुरास सीमा (Nicaragua-Honduras Border) से लगभग 245 मील (390 किलोमीटर) पूर्व में केंद्रित था।
  • अटलांटिक हरिकेन मौसम (Atlantic Hurricane Season) में आने वाले तूफानों में  हरिकेन एटा (Hurricane Eta) 28वाँ है।
    • हालाँकि यह पहली बार है जब ग्रीक अक्षर एटा (Eta) का उपयोग एक तूफान के नाम में किया गया।
  • इस सीज़न में अटलांटिक तूफान का अभी भी एक महीना बाकी है जो 30 नवंबर को समाप्त हो रहा है। 

अटलांटिक हरिकेन मौसम

(Atlantic Hurricane Season):

  • अटलांटिक हरिकेन मौसम की अवधि 1 जून से 30 नवंबर के मध्य होती है और ‘नेशनल ओशनिक एंड एटमाॅस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (National Oceanic and Atmospheric Administration- NOAA) के अनुसार, एक औसत हरिकेन मौसम में लगभग 12 हरिकेन आते हैं जिनमें से तीन प्रमुख हरिकेन के साथ छह सामान्य हरिकेन बन जाते हैं।
  • जबकि पूर्वी प्रशांत तट पर हरिकेन मौसम की अवधि 15 मई से 30 नवंबर के मध्य होती है।

हरिकेन का वर्गीकरण:


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 नवंबर, 2020

ड्यूआर्टे पचेको

पुर्तगाल के संसद ड्यूआर्टे पचेको (Duarte Pacheco) को तीन वर्ष के कार्यकाल के लिये अंतर-संसदीय संघ (Inter-Parliamentary Union-IPU) का नया अध्यक्ष चुना गया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ड्यूआर्टे पचेको को उनके चुनाव के लिये बधाई देते हुए उम्मीद जताई कि वे अंतर-संसदीय संघ (IPU) में कानून के शासन, आम सहमति निर्माण और बहुपक्षवाद को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। अंतर-संसदीय संघ (IPU) अलग-अलग देशों की संसदों का एक वैश्विक संगठन है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1889 में सांसदों के एक छोटे समूह के रूप में हुई थी और वर्तमान में यह अलग-अलग देशों की संसदों के एक वैश्विक संगठन के रूप में विकसित हुआ है। वर्तमान में कुल 179 देशों की संसद इस संगठन में सदस्य के रूप में शामिल हैं, जिसमें भारत, चीन तथा इंडोनेशिया जैसे बड़े देश और सैन मारिनो तथा पलाउ जैसे छोटे देश भी शामिल हैं। इसके अलावा इस संगठन में 13 एसोसिएट सदस्य भी हैं, जिसमें अधिकतर देशों के समूहों, या इसी तरह के निकाय जैसे- अरब संसद और यूरोपीय संसद आदि शामिल हैं। इस संगठन का उद्देश्य एक ऐसे विश्व का निर्माण करना है जहाँ लोकतंत्र और संसद द्वारा शांति तथा विकास के लिये लोगों की सेवा की जाए। 

पन्‍ना टाइगर रिज़र्व 

मध्‍यप्रदेश स्थित पन्‍ना टाइगर रिज़र्व (PTR) को यूनेस्‍को (UNESCO) ने अपनी ‘वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व’ की सूची में शामिल किया है। वर्तमान में यूनेस्‍को की इस सूची में 129 देशों के 714 बायोस्फीयर रिज़र्व शामिल हैं। मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में विंध्य पर्वत शृंखलाओं में पन्ना और छतरपुर ज़िलों में फैला हुआ पन्‍ना टाइगर रिज़र्व, भारत का 22वाँ और और मध्यप्रदेश का 5वाँ बाघ अभयारण्य है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान वर्ष 1981 में बनाया गया था। पन्‍ना टाइगर रिज़र्व (PTR) में वर्ष 1975 में बनाए गए पूर्ववर्ती गंगऊ वन्यजीव अभयारण्य का क्षेत्र भी शामिल है। पन्ना टाइगर रिज़र्व में व्यापक खुले वुडलैंड्स के साथ-साथ सूखी और छोटी घास पाई जाती है। यहाँ पठारों की सूखी खड़ी ढलानों पर बबूल के वृक्ष बहुतायत में पाए जाते हैं। भारत के केंद्र में स्थित पन्ना ज़िले को मुख्यतः वनों और दलदली वनस्पतियों के लिये जाना जाता है, जिनमें दुर्लभ औषधीय पौधों के साथ-साथ कत्था, गोंद और राल जैसे वन उत्पादों की बहुतायत है।

प्रियंका राधाकृष्णन

भारतीय मूल की प्रियांक राधाकृष्णन (Priyanca Radhakrishnan) ने न्यूज़ीलैंड में मंत्री पद की शपथ ली है। 41 वर्ष की प्रियंका राधाकृष्णन का जन्म चेन्नई में और पालन पोषण सिंगापुर में हुआ था। प्रियंका राधाकृष्णन के दादा कोच्चि में एक चिकित्सा पेशेवर और कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थक थे, जिन्होंने केरल के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिये न्यूज़ीलैंड गईं और वर्ष 2004 से लेबर पार्टी के साथ सक्रिय राजनीति में हैं। प्रियंका राधाकृष्णन दो बार ऑकलैंड से सांसद रह चुकी हैं। उन्होंने अपने संपूर्ण राजनीतिक जीवन में घरेलू हिंसा का सामना कर रही महिलाओं और शोषण के प्रति संवेदनशील प्रवासी मज़दूरों के प्रति आवाज़ बुलंद की है।

‘प्लास्टिक लाओ, मास्क ले जाओ’ पहल

देहरादून नगर निगम ने कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने और प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिये एक नई पहल शुरू की है। ‘प्लास्टिक लाओ, मास्क ले जाओ’ पहल के तहत देहरादून नगर निगम द्वारा अब तक प्लास्टिक कचरे के बदले में कुल 5000 मास्क वितरित किये गए हैं। इस पहल से लोगों में प्लास्टिक कचरे के विरुद्ध जागरूकता बढ़ेगी और लोगों को मास्क के उपयोग हेतु भी जागरूक किया जा सकेगा। इस पहल के तहत देहरादून नगर निगम के कार्यालय के बाहर एक स्टॉल स्थापित किया है जहाँ से प्लास्टिक के कचरे के बदले मास्क प्राप्त किया जा सकता है। भविष्य में इस प्रकार के स्टॉल देहरादून के अन्य स्थानों पर भी स्थापित किये जाएंगे।


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