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ग्रामीण भारत की सांस्कृतिक संपत्तियों के मानचित्रण का मिशन

  • 10 Apr 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मेरा गाँव मेरी धरोहर, सांस्कृतिक मानचित्रण के लिये राष्ट्रीय मिशन

मेन्स के लिये:

मेरा गाँव मेरी धरोहर का महत्त्व

चर्चा में क्यों? 

सरकार ने ग्रामीण भारत की विभिन्न सांस्कृतिक विरासत का दोहन करने के प्रयास में देश भर में अनूठी विशेषताओं वाले एक लाख से अधिक गाँवों की पहचान की है और उनका दस्तावेज़ीकरण किया है।

मेरा गाँव मेरी धरोहर:

  • परिचय:  
    • इस प्रक्रिया में राष्ट्र की सांस्कृतिक संपत्ति और कला भंडारों की पहचान तथा मानचित्रण  करना शामिल है, इसके अंतर्गत कला संबंधी अभिव्यक्ति, शिल्प तथा कौशल, ज्ञान परंपरा और मौखिक, श्रव्य, दृश्य या गतिज़ प्रकृति की सांस्कृतिक प्रथाएँ आती हैं।
    • सांस्कृतिक मानचित्रण के दौरान चिह्नित समुदाय के कलाकारों और शिल्पकारों के अनुष्ठान, सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी पर ध्यान दिया जाना प्रस्तावित है।
  • गाँवों का वर्गीकरण: 
    • गाँवों को पारिस्थितिकी, विकासात्मक और ऐतिहासिक महत्त्व के साथ-साथ सांस्कृतिक पहलुओं जैसे- प्रसिद्ध वस्त्र या उत्पादों या कुछ ऐतिहासिक या पौराणिक घटनाओं जैसे- स्वतंत्रता संग्राम या महाभारत जैसे महाकाव्यों के आधार पर सात से आठ श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। 
    • पारिस्थितिकी श्रेणी: 
      • राजस्थान का बिश्नोई गाँव प्रकृति के समन्वय के साथ रहने का प्रमुख उदाहरण है।
      • रैणी गाँव, चिपको आंदोलन के लिये प्रसिद्ध है।
    • विकासात्मक महत्त्व:  
    • ऐतिहासिक गाँव:  
      • मध्य प्रदेश का कंडेल, प्रसिद्ध "जल सत्याग्रह" स्थल है।
      • उत्तराखंड का हनोल और कर्नाटक का विदुराश्वथर, महाभारत से संबंधित गाँव हैं।
      • हिमाचल प्रदेश का सुकेती, एशिया का सबसे पुराना जीवाश्म पार्क है।
      • कश्मीर का पंडरेथन (शैव रहस्यवादी लाल देद का गाँव) 
  • सर्वेक्षण प्रक्रिया: 
    • संस्कृति मंत्रालय और सामान्य सेवा केंद्र (CSC), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की संयुक्त टीमों द्वारा क्षेत्र सर्वेक्षण के माध्यम से गाँवों की सांस्कृतिक संपत्ति का मानचित्रण किया गया।
    • इसमें गाँव, ब्लॉक या ज़िले की विशेष विशेषताओं को जनता द्वारा साझा किया गया।
    • सर्वेक्षण प्रक्रिया में एक CSC ग्राम स्तरीय उद्यमी (VLE) स्थानीय लोगों के साथ बैठकें आयोजित करता है और एक विशेष आवेदन पर उनके गाँव के बारे में दिलचस्प जानकारी अपलोड करता है।
  • भविष्य की योजनाएँ : 
    • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र योजना, देश के सभी 6.5 लाख गाँवों को कवर करने और 6,500 गाँवों के समूहों पर विशेष फिल्में बनाने से संबंधित है, जो उनकी अनूठी विरासत को प्रदर्शित करती हैं।
      • ड्रोन के माध्यम से 750 क्लस्टर गाँवों पर लघु फिल्में बनाई गई हैं।  
    • इन गाँवों पर विस्तृत डोजियर साथ ही फिल्मों को "द नेशनल कल्चरल वर्क प्लेस" नामक वेब पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाएगा।
    • वेब पोर्टल में प्रलेखित सभी गाँवों का एक आभासी संग्रहालय होगा और क्राउड-सोर्सिंग के माध्यम से एक गाँव को अपलोड करने की सुविधा होगी तथा ग्रामीणों को स्वयं गाँव के डेटा को संपादित एवं अपलोड करने की अनुमति होगी। 

सांस्कृतिक मानचित्रण के लिये राष्ट्रीय मिशन:  

  • NMCM को देश भर में कला रूपों, कलाकारों और अन्य संसाधनों का एक व्यापक डेटाबेस विकसित करने के लिये वर्ष 2017 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। 
  • यह कार्यक्रम धीमी गति से शुरू हुआ और वर्ष 2021 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) को सौंप दिया गया। 
  • मिशन हेतु तीन वर्ष की अवधि के लिये 469 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत था। 

स्रोत: द हिंदू  

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