नोट्रे डेम कैथेड्रल
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
पेरिस में प्रतिष्ठित नोट्रे-डेम कैथेड्रल अप्रैल 2019 में लगी विनाशकारी आग के बाद व्यापक नवीनीकरण के बाद फिर से खुलने के लिये तैयार है । यह पुनः उद्घाटन इस वास्तुशिल्प कृति और फ्राँस की सांस्कृतिक विरासत के एक महत्वपूर्ण हिस्से को बहाल करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।
सांस्कृतिक विरासत के लिये नोट्रे-डेम का पुनरुद्धार क्या मायने रखता है?
- नोट्रे-डेम:
- यह एक मध्ययुगीन कैथोलिक कैथेड्रल है जो फ्राँस के पेरिस में सीन नदी के एक द्वीप पर स्थित है।
- यह कैथेड्रल वर्जिन मैरी को समर्पित है और इसे फ्रेंच गोथिक वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक माना जाता है ।
- इसमें काँटों का पवित्र मुकुट रखा गया है जो यीशु के क्रूस/सूली पर चढ़ने से प्राप्त पवित्र अवशेषों में सबसे कीमती वस्तु है - इसके साथ ही इसके अवशेषों में क्रूस का एक टुकड़ा जिस पर उन्हें कीलों से ठोंका गया था तथा एक कील भी शामिल है।
- यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
- ऐतिहासिक महत्व:
- ऐसा माना जाता है कि नोट्रे-डेम का निर्माण बृहस्पति को समर्पित एक पूर्व गैलो-रोमन मंदिर के स्थल पर किया गया था। फ्राँस में ईसाई धर्म के आगमन के बाद, उसी स्थल पर चार चर्च बनाए गए।
- नोट्रे-डेम का निर्माण 1160 में बिशप मौरिस डी सुली के अधीन शुरू हुआ और 1260 तक इसका अधिकांश निर्माण पूरा हो गया।
- जब नेपोलियन बोनापार्ट 1801 में फ्राँस का शासक बना, तो उसने अपने राज्याभिषेक के लिये नोट्रे-डेम को चुना और इसे पुनर्स्थापित करने का वचन दिया।
- यहीं पर 1810 में ऑस्ट्रिया की मैरी-लुईस के साथ उनकी शादी भी हुई थी ।
- यह अपनी वास्तुशिल्प विशेषताओं के लिये प्रसिद्ध है, जिसमें रिब वॉल्टिंग, फ्लाइंग बट्रेस और आश्चर्यजनक रंगीन ग्लास खिड़कियाँ शामिल हैं।
- सांस्कृतिक पुनरुद्धार: जीर्णोद्धार का उद्देश्य न केवल पुनर्निर्माण करना है, बल्कि इसकी कलाकृतियों की गहन सफाई और नवीनीकरण के माध्यम से कैथेड्रल की सुंदरता को बढ़ाना भी है।
- फ्राँसीसी गोथिक वास्तुकला: फ्राँसीसी स्थापत्य शैली में शटर खिड़कियाँ, नक्काशीदार मेहराब और संकरी सड़क के सामने के भाग शामिल थे, जो पारंपरिक बंगाली घरों के आंगनों और पीछे के बगीचों के साथ अच्छी तरह से मेल खाते थे।
- ली कोर्बुसिए जैसे फ्राँसीसी वास्तुकारों ने भारत में आधुनिक शहरी नियोजन की नींव रखी।
- इंडो-फ़्रेंच वास्तुकला के उदाहरण चंद्रनगर, पश्चिम बंगाल:
- गवर्नर हाउस, कैथेड्रल ऑफ आवर लेडी ऑफ द इमैक्युलेट कॉन्सेप्शन, और चर्च ऑफ सेंट फ्राँसिस जेवियर।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थानों पर विचार कीजिये: (2013)
उपर्युक्त स्थानों में से कौन-सा/से भित्ति चित्रों के लिये भी जाना जाता है/जाने जाते हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. कुछ बौद्ध रॉक-कट गुफाओं को चैत्य कहा जाता है, जबकि अन्य को विहार कहा जाता है। दोनों के बीच क्या अंतर है? (2013) (a) विहार पूजा-स्थल होता है, जबकि चैत्य बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान है। उत्तर: (b) |
भारत में राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियाँ
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने अपने बेटे हंटर बाईडेन के लिये 'पूर्ण और गैर शर्त क्षमा' जारी की, जिसे ड्रग्स का उपयोग करते हुए अवैध रूप से आग्नेयास्त्र रखने और कर-संबंधी अपराधों के लिये सज़ा का सामना करना पड़ा था।
- इससे भारत में राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति के बारे में चर्चा शुरू हो गई है।
भारत में राष्ट्रपति के क्षमादान की शक्ति क्या है?
- क्षमादान शक्तियां: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 भारत के राष्ट्रपति को निम्नलिखित मामलों में किसी अपराध के लिये दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति को क्षमादान देने, सज़ा माफ करने या उसे कम करने, सज़ा में राहत या छूट प्रदान करने या सज़ा में राहत देने का अधिकार देता है:
- इसकी सज़ा कोर्ट मार्शल द्वारा दी जाती है।
- इस सज़ा में मृत्युदंड (मृत्युदंड) शामिल है।
- यह सज़ा संघीय विधि के तहत अपराधों के लिये दी गई है।
- महत्त्व: यह शक्ति सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति संभावित न्यायिक त्रुटियों को सुधार सकते हैं या मानवीय आधार पर विचार करने की आवश्यकता वाली स्थितियों में क्षमादान दे सकते हैं।
- सीमाएँ: राष्ट्रपति इस शक्ति का स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं कर सकते। निर्णय मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुरूप होने चाहिये।
- इस सिद्धांत को भारत के उच्चतम न्यायालय (SC) द्वारा निम्नलिखित ऐतिहासिक मामलों में बरकरार रखा गया:
- मारू राम बनाम भारत संघ, 1980: उच्चतम न्यायालय ने माना कि क्षमादान देने की शक्ति का प्रयोग निष्पक्ष, तर्कसंगत और गैर-मनमानी के किया जाना चाहिये, जिससे न्याय और संतुलन सुनिश्चित हो सके।
- केहर सिंह बनाम भारत संघ, 1988: उच्चतम न्यायालय ने माना कि राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति न्यायपालिका से स्वतंत्र है, लेकिन प्रक्रियात्मक निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये इसकी समीक्षा की जा सकती है। समीक्षा संवैधानिक सिद्धांतों और प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं के पालन पर केंद्रित है, न कि निर्णय की योग्यता पर।
क्षमादान के प्रकार |
परिभाषा |
क्षमा |
यह सज़ा और दोषसिद्धि दोनों को हटा देता है, तथा अपराधी को सभी दंडों और अयोग्यताओं से मुक्त कर देता है। |
विनिमय |
एक विशिष्ट प्रकार के दण्ड को सामान्य दण्ड से प्रतिस्थापित करना। |
छूट |
किसी सज़ा की प्रकृति में परिवर्तन किये बगैर उसकी अवधि कम कर देना। |
राहत |
शारीरिक विकलांगता या गर्भावस्था जैसी विशेष परिस्थितियों के कारण सज़ा न्यूनतम कर दी जाती है। |
दण्डविराम |
क्षमा या सज़ा में परिवर्तन के लिये समय देने हेतु सज़ा के क्रियान्वयन पर अस्थायी रोक लगा दी जाती है। |
नोट: राज्य का राज्यपाल अनुच्छेद 161 के तहत क्षमादान शक्तियों का प्रयोग करता है, हालाँकि राष्ट्रपति की शक्ति की तुलना में इसमें सीमाएँ भी हैं।
- राज्यपाल राज्य कानून के तहत किसी अपराध के लिये दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की सज़ा को माफ कर सकता है, रोक सकता है, राहत दे सकता है, निलंबित कर सकता है या उसे कम कर सकता है।
- राज्यपाल मृत्युदंड को निलंबित, माफ या परिवर्तित कर सकता है, लेकिन उसे माफ नहीं कर सकता।
- राष्ट्रपति कोर्ट मार्शल से संबंधित मामलों में क्षमादान दे सकते हैं, हालाँकि अनुच्छेद 161 राज्यपाल को यह शक्ति प्रदान नहीं करता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान
- अमेरिकी संविधान राष्ट्रपति को "महाभियोग के मामलों को छोड़कर, संयुक्त राज्य अमेरिका के विरुद्ध अपराधों के लिये राहत और क्षमा देने" की शक्ति प्रदान करता है।
- यह कार्यकारी शक्ति विशेष रूप से संघीय अपराधों पर लागू होती है तथा राज्य स्तरीय अपराधों या महाभियोग मामलों तक विस्तारित नहीं होती है।
भारत द्वारा क्यूबसैट मानक अपनाना
स्रोत: लाइवमिंट
हाल ही में भारत द्वारा क्यूबसैट हेतु वैश्विक मानकों को अपनाया जाना, वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के क्रम में भारत की महत्त्वाकांक्षा का प्रतीक है।
क्यूबसैट:
- क्यूबसैट मानक का आशय एक मॉड्यूलर उपग्रह ढाँचे (1 इकाई (U) = 10 cm³, ≤1.33) से है जो मानक डिप्लॉयर्स के साथ संगत होने के साथ जिसमें एक समान आयाम, निम्न गैस उत्सर्जन वाली सामग्री, किल स्विच तथा कठोर परीक्षण की आवश्यकता होती है।
- मानक क्यूबसैट में 10x10x10 सेमी मापन वाली "एक इकाई" या "1U" का अनुसरण किया जाता है और इसे 1.5, 2, 3, 6 और यहाँ तक कि 12U जैसे बड़े आकारों तक बढ़ाया जा सकता है।
- भारतीय मानक ब्यूरो (उपभोक्ता मामले विभाग की एक शाखा), शैक्षिक और अनुसंधान संगठनों को वाणिज्यिक घटकों के साथ क्यूबसैट विकसित करने में सहायता करता है, जिससे एक लागत प्रभावी उपग्रह विकल्प मिलता है।
- उदाहरण: भारतीय विश्वविद्यालयों ने इसरो के सहयोग से कई छात्र-निर्मित उपग्रहों को प्रक्षेपित किया है। JUGNU (IIT कानपुर) और KalamSAT (स्पेस किड्ज़ इंडिया) इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं।
- भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र:
- भारत का लक्ष्य अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था (जो वर्तमान में 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर है) को वर्ष 2040 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाना है।
- सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिये खोलने के साथ विकास एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के क्रम में 1,000 करोड़ रुपए का उद्यम पूंजी कोष निर्धारित किया है।
- संशोधित FDI नीति के तहत अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% FDI की अनुमति दी गई है।
और पढ़ें: निजी क्षेत्र के सहयोग से निर्मित पहला नेविगेशन उपग्रह
पर्यटन मित्र और पर्यटन दीदी
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में पर्यटन मंत्रालय ने लोकसभा में पर्यटन मित्र/पर्यटन दीदी नामक एक राष्ट्रीय ज़िम्मेदार पर्यटन पहल शुरू की है।
- सितंबर 2024 में शुरू किये गए पर्यटन मित्र/पर्यटन दीदी का उद्देश्य स्थानीय हितधारकों को पर्यटक-अनुकूल राजदूत और कहानीकार बनने के लिये प्रशिक्षण देकर बेहतर पर्यटक अनुभव प्रदान करना है।
- महिलाओं और युवाओं को हेरिटेज वॉक, फूड टूर और प्रकृति ट्रेक जैसे नवीन पर्यटन उत्पाद बनाने के लिये प्रशिक्षण देने पर विशेष जोर दिया जाएगा।
- यह पहल पूरे भारत में 6 पर्यटन स्थलों - ओरछा (मध्य प्रदेश), गांदीकोटा (आंध्र प्रदेश), बोधगया (बिहार), आइजोल (मिज़ोरम), जोधपुर (राजस्थान) और श्री विजया पुरम (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह) में शुरू की गई थी।
- स्थानीय अनुभवों को वैश्विक स्तर पर दिखाने के लिये डिजिटल साक्षरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए अब तक 3,000 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है। विश्व पर्यटन दिवस 2024 पर पर्यटन मंत्रालय ने देश के 50 पर्यटन स्थलों पर पर्यटन मित्र और पर्यटन दीदी का विस्तार किया।
और पढ़ें: भारत की विविध पर्यटन पेशकशों का अनुभव
PENCiL पोर्टल
स्रोत: पी.आई.बी
श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय द्वारा बालक श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों का प्रभावी प्रवर्तन सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2017 में PENCiL (बाल श्रम निषेध हेतु प्रभावी प्रवर्तन मंच) पोर्टल लॉन्च किया गया था।
- इस पोर्टल के पाँच प्रमुख घटक इस प्रकार हैं:
- केंद्र सरकार
- राज्य सरकार
- ज़िला परियोजना समितियाँ
- बाल ट्रैकिंग प्रणाली
- शिकायत कॉर्नर
- बाल श्रम रोकने हेतु अन्य पहल:
- बाल श्रम: संवैधानिक और विधिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 24 में प्रावधान है कि 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को किसी भी खतरनाक कार्य में नियोजित नहीं किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 39 में प्रावधान है कि "श्रमिकों, पुरुषों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य तथा शक्ति के साथ बच्चों के बचपन का दुरुपयोग न किया जाए"।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009)
- बालक श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986
- कारखाना अधिनियम (1948)
- राष्ट्रीय बाल श्रम नीति (1987)
- बाल श्रम: संवैधानिक और विधिक प्रावधान:
- भारत द्वारा अनुमोदित अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय:
- न्यूनतम आयु कन्वेंशन, 1973
- संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (UNCRC), 1989
- द वर्स्ट फॉर्म्स ऑफ चाइल्ड लेबर कन्वेंशन,1999
और पढ़ें: बच्चे और घरेलू श्रम
PRAGATI (प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लिमेंटेशन)
स्रोत: लाइवमिंट
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक हालिया अध्ययन में बुनियादी ढाँचे के विकास में बदलाव हेतु भारत के PRAGATI (प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लिमेंटेशन) प्लेटफॉर्म की प्रशंसा की गई है, जिसके माध्यम से 205 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की 340 विलंबित परियोजनाओं को सफलतापूर्वक गति प्रदान की गई।
- परिचय:
- यह एक बहुउद्देश्यीय एवं बहु-मॉडल सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) प्लेटफॉर्म है जिसे डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था।
- इसका उद्देश्य प्रमुख हितधारकों के बीच रियल टाइम उपस्थिति एवं आदान-प्रदान के साथ ई-पारदर्शिता तथा ई-जवाबदेहिता में वृद्धि करना है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- इसके तहत निर्णय लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने, लालफीताशाही को कम करने तथा परियोजना की समयसीमा को कम करने के क्रम में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में डिजिटल डैशबोर्ड तथा वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग समीक्षाओं का उपयोग होता है।
- यह आम आदमी की शिकायतों का समाधान करने तथा भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा चिह्नित परियोजनाओं की निगरानी एवं समीक्षा करने पर केंद्रित है।
- इसके तहत हरित प्रौद्योगिकियों एवं धारणीय प्रथाओं पर बल दिया जाता है।
- PRAGATI के तहत उल्लेखनीय परियोजनाएँ:
- चिनाब ब्रिज (जम्मू और कश्मीर)
- बोगीबील ब्रिज (असम)
- जल जीवन मिशन: ग्रामीण नल जल कनेक्शनों को 2019 में 17% से बढ़ाकर 2024 तक 79% करना, जिससे देश भर में जल की पहुंच बढ़ेगी।
और पढ़ें: IPEF मंत्रिस्तरीय बैठक 2024