नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

विश्व पर्यटन दिवस 2024

  • 28 Sep 2024
  • 19 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व पर्यटन दिवस, संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन, सतत् विकास लक्ष्य, सकल घरेलू उत्पाद, यात्रा एवं पर्यटन विकास सूचकांक, राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2022, देखो अपना देश पहल, स्वदेश दर्शन योजना, हिमालय, हम्पी 

मेन्स के लिये:

भारत में पर्यटन क्षेत्र का महत्त्व, भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ, भारत में पर्यटन से संबंधित हालिया पहल।

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों? 

पर्यटन मंत्रालय ने 27 सितंबर 2024 को ‘पर्यटन और शांति’ थीम के साथ विश्व पर्यटन दिवस मनाया, जिसमें इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया कि कैसे पर्यटन अंतर-सांस्कृतिक संपर्क और समझ को प्रोत्साहित करके विश्व शांति को बढ़ावा देने में योगदान देता है। 

विश्व पर्यटन दिवस का महत्त्व क्या है?

  • इतिहास: विश्व पर्यटन दिवस पहली बार वर्ष 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा मनाया गया था और इसका उद्देश्य पर्यटन के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक महत्त्व के विषय में जागरूकता बढ़ाना था।
    • यह दिवस वर्ष 1975 में UNWTO के कानूनों के अनुमोदन की याद में मनाया जाता है, जिसके पाँच वर्ष बाद संगठन की आधिकारिक स्थापना हुई।
    • UNWTO आर्थिक वृद्धि, समावेशी विकास एवं पर्यावरणीय स्थिरता के चालक के रूप में पर्यटन का समर्थन करता है, साथ ही पूरे विश्व में ज्ञान और नीतियों को आगे बढ़ाने में इस क्षेत्र का समर्थन करता है।
      • UNWTO में 160 सदस्य देश (भारत सहित), 6 सहयोगी सदस्य, 2 पर्यवेक्षक और 500 से अधिक संबद्ध सदस्य शामिल हैं।
      • इसका मुख्यालय मैड्रिड, स्पेन में है। 
  • वार्षिक थीम: प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यटन दिवस एक विशिष्ट थीम और मेज़बान देश के साथ मनाया जाता है, जो पूरे विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में पर्यटन की अद्वितीय भूमिका पर प्रकाश डालता है। 
    • वर्ष 2024 में जॉर्जिया को इस महत्त्वपूर्ण आयोजन की मेज़बानी करने का सम्मान मिला। विश्व पर्यटन दिवस 2024 की थीम विशेष रूप से प्रेरणादायक है: "पर्यटन और शांति (Tourism and Peace)"।
  • यह दिवस संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये एक उपकरण के रूप में पर्यटन की क्षमता पर ज़ोर देता है, विशेष रूप से गरीबी उन्मूलन और सतत् संसाधन प्रबंधन में। यह जलवायु कार्रवाई पर SDG 13 का समर्थन करने में इको-टूरिज्म के महत्त्व पर भी प्रकाश डालता है।

पर्यटन शांति में किस प्रकार योगदान देता है?

  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: पर्यटन विविध संस्कृतियों के बीच समझ और सहिष्णुता को बढ़ावा देता है तथा साझा अनुभवों व संवाद के माध्यम से पूर्वाग्रह को कम करता है।
  • आर्थिक सशक्तीकरण: आर्थिक विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में (पर्यटन वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 10% का योगदान देता है, वैश्विक निर्यात का 7% है तथा पूरे विश्व में प्रत्येक 10 नौकरियों में से एक के लिये ज़िम्मेदार है), पर्यटन नौकरियों का सृजन करता है तथा स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को मज़बूत करता है, जिससे गरीबी और असमानता को कम किया जा सकता है, जो संघर्ष के मूल कारण हो सकते हैं।
  • स्थिरता: ज़िम्मेदार पर्यटन प्रथाएँ प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करती हैं, सामुदायिक गौरव को बढ़ावा देती हैं तथा संसाधन-संबंधी तनाव को कम करती हैं।
  • सुशासन: एक समृद्ध पर्यटन क्षेत्र सरकार की स्थिरता बनाए रखने तथा शांति और कार्यक्षमता को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करता है।
  • लैंगिक समानता: पर्यटन उद्योग महिलाओं को सशक्त बनाता है और स्थानीय समुदायों को शामिल करता है। 
    • भारत के पर्यटन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित जनजातीय गृह प्रवास ( स्वदेश दर्शन कार्यक्रम के तहत) का उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों की पर्यटन क्षमता का दोहन करना और जनजातीय समुदाय को वैकल्पिक आजीविका प्रदान करना है। 
    • यह पहल सामाजिक समानता को बढ़ावा देती है और असमानताओं को कम करती है।
  • महामारी से उबरना: पर्यटन अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण और संघर्ष के बाद के क्षेत्रों में उपचार को बढ़ावा देने में सहायता करता है, जैसा कि रवांडा जैसे देशों में देखा गया है। 
    • वर्ष 2021 में 11% की वृद्धि के बाद, वर्ष 2022 की पहली तीन तिमाहियों में रवांडा की GDP 8.4% बढ़ी। यह वृद्धि सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से पर्यटन के पुनरुत्थान के कारण हुई, जिसने रोज़गार संकेतकों को कोविड-19 महामारी से पहले वर्ष 2020 की शुरुआत में देखे गए स्तरों पर बहाल कर दिया।

भारत के यात्रा एवं पर्यटन उद्योग का परिदृश्य क्या है?

  • वैश्विक रैंकिंग: विश्व आर्थिक मंच के यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक 2024 में भारत 39वें स्थान पर है। इसका मज़बूत प्रदर्शन असाधारण प्राकृतिक, सांस्कृतिक और गैर-अवकाश संसाधनों (ऐसे संसाधन जो अवकाश के दौरान यात्रा के अलावा व्यवसाय, शिक्षा और अन्य गतिविधियों के लिये उपयोग किये जाते हैं) द्वारा संचालित है। 
  • आर्थिक योगदान: विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद (WTTC) के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत की अर्थव्यवस्था में भारत के यात्रा एवं पर्यटन क्षेत्र का योगदान 199.6 बिलियन अमरीकी डॉलर था।
    • अप्रैल 2000 से मार्च 2024 तक होटल और पर्यटन उद्योग में संचयी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह 17.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। यह विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त कुल FDI प्रवाह का 2.54% है।
    • वर्ष 2023 में घरेलू पर्यटक यात्राओं (DTV) की वृद्धि 250 करोड़ तक पहुँच गई थी, जो वर्ष 2014 में 128 करोड़ से लगभग दोगुनी है।
  • सरकारी पहल: 
  • विकास अनुमान:

    • वार्षिक वृद्धि दर: भारतीय यात्रा एवं पर्यटन उद्योग की वार्षिक वृद्धि दर 7.1% रहने की उम्मीद है।
    • रोज़गार सृजन: भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 56 बिलियन अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा जुटाकर समावेशी विकास के माध्यम से पर्यटन क्षेत्र में लगभग 140 मिलियन रोज़गार सृजित करना है और सरकार विशेष रूप से क्रूज़ पर्यटन, इकोटूरिज्म तथा साहसिक पर्यटन पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
    • आगंतुक व्यय रुझान: वर्ष 2022 में घरेलू आगंतुक व्यय में 20.4% की वृद्धि हुई, जबकि अंतर्राष्ट्रीय आगंतुक व्यय में 81.9% की वृद्धि हुई।
    • विदेशी पर्यटकों का आगमन (FTA): वर्ष 2023 में FTA 9.24 मिलियन तक पहुँच गया, जो वर्ष 2022 में 6.43 मिलियन से उल्लेखनीय वृद्धि है।
      • वर्ष 2022 के दौरान भारत में FTA के लिये शीर्ष देश संयुक्त राज्य अमेरिका, बांग्लादेश और यूनाइटेड किंगडम थे। वर्ष 2028 तक FTA के 30.5 मिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है।

भारत में पर्यटन क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • सुरक्षा एवं संरक्षा संबंधी मुद्दे: चोरी और हमले सहित अपराध की घटनाएँ सामने आई हैं, जिससे विशेष रूप से महिला यात्रियों के लिये भय का माहौल पैदा हो रहा है।
  • ऐसे सुरक्षा मुद्दे पर्यटकों को कुछ क्षेत्रों में जाने से रोक सकते हैं, जिससे भारत की पर्यटक-अनुकूल देश के रूप में समग्र धारणा प्रभावित हो सकती है।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: कई पर्यटन स्थलों, विशेषकर पूर्वोत्तर जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में, विश्वसनीय हवाई, रेल और सड़क संपर्क जैसे आवश्यक बुनियादी ढाँचे की कमी है। इससे खूबसूरत लेकिन अनदेखे क्षेत्रों तक पहुँच सीमित हो जाती है, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रभावित होती है।
  • अकुशल मानव संसाधन: पर्यटन क्षेत्र में प्रशिक्षित मानव संसाधन की कमी है, जिसमें बहुभाषी गाइड भी शामिल हैं। यह कमी अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के समग्र अनुभव में बाधा डाल सकती है और सेवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। 
  • असंवहनीय पर्यटन प्रथाएँ: हिमालय जैसे पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यटन की असंवहनीय प्रथाएँ संसाधनों की कमी, मृदा अपरदन और आवास विनाश का कारण बनती हैं। संसाधनों के अत्यधिक उपयोग से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों पर दबाव पड़ता है।
  • प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन: ताजमहल सहित प्रमुख पर्यटक स्थल प्रदूषण से प्रभावित हैं। जलवायु परिवर्तनसे और भी खतरे उत्पन्न होते हैं, जिससे प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं, जिनका असर पर्यटन के बुनियादी ढाँचे तथा विरासत संरक्षण पर पड़ता है। 

भारत के पर्यटन लाभ क्या हैं?

  • समृद्ध सांस्कृतिक विरासत: भारत भाषाओं, धर्मों और परंपराओं का संगम है। ताजमहल, हम्पी तथा जयपुर के किले जैसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल यहाँ के इतिहास और संस्कृति में रुचि रखने वाले पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  • प्राकृतिक सौंदर्य: भारत में हिमालय का 70% भाग (अनेक साहसिक खेलों और ट्रैकिंग के लिये कई अवसर हैं) मौजूद है।
    • 7,000 किलोमीटर लंबी तटरेखा (जल क्रीड़ा एवं समुद्र तट पर्यटन के लिये आदर्श)। भारत में ऊष्ण और शीत दोनों प्रकार के रेगिस्तान हैं।
    • व्यापक वन क्षेत्र जो पारिस्थितिक पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है।
    • भारत की जैव विविधता में अद्वितीय वनस्पतियाँ तथा जीव-जंतु मौजूद हैं, जिनमें जिम कॉर्बेट और काज़ीरंगा जैसे राष्ट्रीय उद्यान भी शामिल हैं।
  • साहसिक पर्यटन की संभावना: ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग और वन्यजीव सफारी जैसी गतिविधियों की शृंखला के साथ, भारत साहसिक पर्यटन हेतु एक प्रमुख गंतव्य बनने की ओर अग्रसर है।
  • किफायती यात्रा विकल्प: भारत में यात्रा की लागत कई पश्चिमी देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है, जिससे यह विभिन्न आय समूहों के लिये सुलभ है और इस प्रकार विविध प्रकार के पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • गर्मजोशी भरा आतिथ्य: "अतिथि देवो भव" (अतिथि भगवान है) की भारतीय नीति आगंतुकों के लिये गर्मजोशी और स्वागतपूर्ण अनुभव सुनिश्चित करती है। 
  • स्थानीय लोग सामान्यतः पर्यटकों की सहायता करने और उनके साथ अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को साझा करने के लिये उत्सुक रहते हैं, जिससे उनका समग्र अनुभव बेहतर होता है।
  • पाक-कला/क्यूलिनेरी की विविधता: देश अपने क्षेत्रों में विभिन्न पाक-कला के अनुभवों का दावा करता है, जो शाकाहारी और माँसाहारी दोनों प्रकार के व्यंजनों के लिये जाना जाता है। इसके लोकप्रिय स्ट्रीट फूड की पेशकश उन खाद्य प्रेमियों को पसंद आती है जो प्रामाणिक स्थानीय स्वाद की तलाश में रहते हैं।
  • बढ़ता बुनियादी ढाँचा: भारत, भारतमाला जैसी पहलों के तहत हवाई अड्डों के विस्तार, रेलवे सुधार और राजमार्ग विकास के माध्यम से पर्यटन बुनियादी ढाँचे को बढ़ा रहा है।
    • आतिथ्य और कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश का उद्देश्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार लाना तथा आगंतुकों की बढ़ती संख्या को समायोजित करना है।

आगे की राह

  • कनेक्टिविटी में वृद्धि: दूरदराज के पर्यटन स्थलों तक पहुँच में सुधार के लिये वंदे भारत ट्रेनों और बुनियादी ढाँचे के विकास जैसी परिवहन पहलों में निवेश करना चाहिये।
  • कर सरलीकरण: पर्यटकों और व्यवसायों के लिये लागत कम करने हेतु कम वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरों सहित सुव्यवस्थित कर सुधारों का समर्थन करना।
  • सुरक्षा को प्राथमिकता देना: सुरक्षा के प्रति पर्यटकों का विश्वास बढ़ाने के लिये पर्यटन पुलिस की स्थापना करना और सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करना।
  • कौशल विकास: सेवा की गुणवत्ता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता में सुधार के लिये पर्यटन कार्यबल के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना।
  • डिजिटल तकनीक का लाभ उठाना: डिजी यात्रा ऐप जैसी मौजूदा पहलों को बढ़ावा देना और बहुभाषी समर्थन की सुविधा हेतु भाषिणी का लाभ उठाना, जिससे सभी उपयोगकर्त्ताओं के लिये एक सहज यात्रा अनुभव सुनिश्चित हो सके।
    • इसके अतिरिक्त, गंतव्यों की दृश्यता बढ़ाने और यात्रा की योजना को सुव्यवस्थित करने के लिये सोशल मीडिया व यात्रा वेबसाइटों का उपयोग करना चाहिये।
  • स्टेकेशन ट्रेंड को अपनाना: मैरियट और ओबेरॉय जैसी प्रमुख होटल शृंखलाएँ तनाव से राहत तथा शानदार पलायन प्रदान करने वाले क्यूरेटेड अनुभव प्रदान करके स्टेकेशन ट्रेंड को अपना रही हैं। स्टेकेशन को बढ़ावा देकर होटल ऑक्यूपेंसी दरों को बढ़ा सकते हैं और आस-पास के आकर्षणों व सेवाओं पर व्यय बढ़ाकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियाँ: स्वास्थ्य और सुरक्षा नियमों को अपनाते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये रूस जैसे देशों के साथ यात्रा की संभावना तलाशना।
    • सिस्टर सिटीज़ की अवधारणा सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आर्थिक सहयोग और पर्यटन पहलों में आपसी समर्थन को बढ़ावा देकर इन साझेदारियों को बढ़ा सकती है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: विश्व पर्यटन दिवस के महत्त्व पर चर्चा कीजिये और भारत के यात्रा एवं पर्यटन उद्योग के वर्तमान दृष्टिकोण का मूल्यांकन कीजिये तथा उन्हें संबोधित करने के लिये रणनीति प्रस्तावित कीजिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

मेन्स:

प्रश्न. पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र को विकास पहलों और पर्यटन के ऋणात्मक प्रभाव से किस प्रकार पुनःस्थापित किया जा सकता है ? (2019)

प्रश्न. पर्यटन की प्रोन्नति के कारण जम्मू और काश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के राज्य अपनी पारिस्थितिक वाहन क्षमता की सीमाओं तक पहुँच रहे हैं? समालोचनात्मक मूल्यांकान कीजिये। (2015)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow